रविवार, 18 जुलाई 2021

चंदौली की किशोरी से गैंगरेप और हत्या के मामले की हो सीबीआई जांच: अमिताभ ठाकुर

उत्तर प्रदेश के गृह विभाग के अपर मुख्य सचिव को अमिताभ ठाकुर एवं डॉ नूतन ठाकुर ने लिखा पत्र। 

वनांचल एक्सप्रेस ब्यूरो

लखनऊ। उत्तर प्रदेश की योगी सरकार द्वारा जबरिया सेवानिवृत्त किए गए पूर्व आईपीएस अधिकारी अमिताभ ठाकुर तथा उनकी पत्नी डॉ नूतन ठाकुर ने चंदौली के बबुरी थाना क्षेत्र के एक गांव की किशोरी से सामुहिक दुष्कर्म और हत्या के मामले की जांच केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) से कराने की मांग की है। उन्होंने ऐसा करने के पीछे चंदौली पुलिस पर आरोपियों के पक्ष में काम करने का आरोप लगाया है। उन्होंने गृह विभाग के अपर सचिव को लिखे पत्र में साफ कहा है कि आरोपी रसूखदार हैं और चंदौली पुलिस की जांच में कोई भी न्याय संभव दिखाई नहीं देता है। 

उन्होंने शनिवार को अपर मुख्य सचिव (गृह विभाग) को भेजे पत्र में कहा है, गत 12 जून की रात सोनभद्र के जिला संयुक्त चिकित्सालय में चंदौली की किशोरी की मौत होने और बिना पोस्टमोर्टेम किए अस्पताल द्वारा उसकी लाश अज्ञात व्यक्तियों को देने सहित तमाम संदिग्ध तथ्यों के आधार पर पुलिस अधिकारियों से एफआईआर दर्ज कर दोषी लोगों की जवाबदेही तय करने की मांग की गई थी लेकिन किसी भी अफसर ने इनका कोई संज्ञान नहीं लिया। इसी बीच किशोरी के दादा ने पास्को कानून के तहत बने चंदौली की विशेष अदालत में दंड प्रक्रिया संहिता की धारा-156(3) के तहत वाद दाखिल किया। उस वाद में भी बबुरी थाना की पुलिस ने गत 4 जुलाई को अदालत को भेजी आख्या में दोषियों के बचाव का पूरा प्रयास किया। यह कोर्ट के आदेश में भी लिखा है। हालांकि कोर्ट ने उस आख्या को पूरी तरह दरकिनार करते हुए एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया। फिर भी आदेश के सात दिनों तक मामले में एफआईआर दर्ज नहीं हुई। गत 14 जुलाई को एफआईआर भी दर्ज हुई तो इसकी प्रति किशोरी के दादा को नहीं दी गई। इससे पुलिस की भूमिका संदिग्ध प्रतीत होती है। 

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बता दें कि चंदौली के बबुरी थाना क्षेत्र के एक गांव की किशोरी गत 12 जून की शाम करीब आठ बजे सोनभद्र के मधुपुर स्थित नवीन प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के पास बेसुध हालत में मिली थी। स्थानीय लोगों की सहायता से एक पुलिसकर्मी ने उसे नजदीकी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती कराया था। चिकित्सक ने सल्फास निगलने का उल्लेख करते हुए उसे इलाज के लिए लोढ़ी स्थित जिला संयुक्त चिकित्सालय रेफर कर दिया था। जहां भर्ती होने के 20 मिनट बाद उसकी मौत हो गई थी। जिला संयुक्त चिकित्सालय प्रशासन ने रेफर/डिस्चार्ज रसीद पर ही पेन से डेथ सर्टिफिकेट लिखकर किशोरी के शव का पोस्टमॉर्टम कराए बिना ही अज्ञात व्यक्तियों को उसे सौंप दिया था। चिकित्साधिकारी ने इस बाबत स्थानीय थाने को सूचित भी नहीं किया था जबकि किशोरी की भर्ती रसीद पर सस्पेक्टेड प्वाइजनिंग लिखा था।

बाद में किशोरी के दादा ने चकिया विकास खंड के तत्कालीन प्रमुख शिवेंद्र प्रताप सिंह और अकोढ़वा गांव निवासी अजय पाठक समेत अन्य लोगों पर किशोरी से सामुहिक दुष्कर्म कर हत्या करने का आरोप लगाकर सनसनी फैला दी थी। उन्होंने पुलिस प्रशासन से इसकी लिखित शिकायत भी की थी लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। फिर उन्होंने पास्को कानून के तहत जिले में गठित विशेष अदालत में वाद दाखिल कर मामले में एफआईआर दर्ज करने की मांग की थी। कोर्ट के आदेश पर गत 14 जुलाई को रक्षा मंत्री राज नाथ सिंह के करीबी और चकिया के पूर्व ब्लॉक प्रमुख शिवेंद्र प्रताप सिंह, अकोढ़वा गांव निवासी अजय पाठक और अन्य लोगों के खिलाफ बबुरी थाना में भारतीय दंड विधान की धारा-120बी (साजिश), 176डी (सामुहिक दुष्कर्म) और 302 (हत्या) समेत लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम-2012 की धारा-3 और 4 के तहत प्राथमिकी दर्ज हुई। फिलहाल मामले में अभी किसी की गिरफ्तारी नहीं हुई है। 

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