बुधवार, 3 सितंबर 2014

सोनभद्र की सदर तहसील में हर दिन 300 से ज्यादा खतौनियों का गोलमाल!

सदर तहसील स्थित कंप्यूटराइज्ड उद्धरण खतौनी काउंटर पर
खतौनी के लिए लगी किसानों की भीड़। 
सूचना का अधिकार कानून के तहत मांगी गई सूचना में रजिस्ट्रार कानूनगो ने हर दिन औसतन 150 खतौनियों की बिक्री का किया दावा। रजिस्ट्रार कानूनगो के आंकड़ों से मेल नहीं खाते तहसील प्रशासन के आंकड़े। दिसंबर, 2013 में 11,433 खतौनियों के बेचने का दावा कर रहा तहसील प्रशासन...

वनांचल एक्सप्रेस ब्यूरो

सोनभद्र। किसानों और भू-स्वामियों की खतौनियों के कंप्यूटराइज्ड उद्धरण के नाम पर प्रति खतौनी पांच रुपये अतिरिक्त वसूलने वाला सदर तहसील प्रशासन हर दिन तीन सौ से ज्यादा खतौनियों का विवरण गायब कर दे रहा है जिससे राज्य सरकार को हर महीने एक लाख रुपये से ज्यादा की हानि हो रही है! इस गोलमाल की पोल खुद तहसील प्रशासन के आंकड़े खोल रहे हैं। सूचना का अधिकार कानून के तहत मांगी गई जानकारी में तहसील प्रशासन ने कुछ ऐसी ही जानकारी मुहैया कराई है।

वनांचल एक्सप्रेसने गत 19 दिसंबर को सदर तहसील के उप-जिलाधिकारी कार्यालय के जन सूचना अधिकारी योगेंद्र सिंह से 6 बिन्दुओं पर सूचना चाही थी। इसके जवाब उन्होंने इस साल 28 जनवरी को सूचना उपलब्ध कराई। इसमें उन्होंने जानकारी दी कि गत वर्ष दिसम्बर में कंप्यूटराइज्ड उद्धरण खतौनी से कुल 11,433 खतौनियों की बिक्री की गई जिससे कुल 1,71,495 रुपये की धनराशि जमा हुई। इस धनराशि में से कुल 35,735 खर्च हुए। हालांकि उनकी यह सूचना उन्हीं द्वारा भेजे गए पत्र से संदिग्ध साबित हुई। 

सोनभद्र स्थित सदर तहसील भवन
रजिस्ट्रार कानूनगो अनिल कुमार श्रीवास्तव की ओर से तहसीलदार को लिखे पत्र में दिसंबर, 2013 में हर दिन औसतन 150 खतौनी किसानों और भू-स्वामियों को बेचे जाने की बात लिखी गई है जबकि जन सूचना अधिकारी द्वारा प्रेषित पत्र में दिसंबर, 2013 में हर दिन औसतन 457 खतौनियों की बिक्री का दावा किया गया है। अगर इसमें से  इससे यह साबित होता है कि तहसील प्रशासन खतौनियों की बिक्री के मामले में वनांचल एक्सप्रेससमेत आम जनता को गुमराह करने की कोशिश कर रहा है।

सूत्रों की मानें तो सदर तहसील स्थित कंप्यूटराइज्ड उद्धरण खतौनी से हर दिन 500 से ज्यादा खतौनियों की बिक्री होती है लेकिन इसकी प्रक्रिया ऑनलाइन न होने से वहां कार्यरत लेखपाल कंप्यूटर साफ्टवेयर विशेषज्ञों की मदद से बिकी हुई खतौनियों के आंकड़े में छेड़छाड़ कर लेते हैं। इससे सरकार को हजारों रुपये की हानि होती है। खतौनी बिक्री की रसीद किसानों को न दिए जाने से उनकी गड़बड़ी प्रशासन की पकड़ में भी नहीं आती है। अगर प्रशासन खतौनी बिक्री की रसीद अनिवार्य कर दे तो किसानों से अवैध वसूली और उसके नाम पर होने वाले गबन पर अंकुश लग सकता है।


(नोटः हिन्दी साप्ताहिक समाचार-पत्र "वनांचल एक्सप्रेस" के 22+23वें (13 से 26 जुलाई, 2014, संयुक्तांक) के अंक में प्रकाशित।)

एसडीएम के संरक्षण में किसानों से हो रही अवैध वसूली

कम्प्यूटराइज्ड खतौनी के नाम पर हर महीने किसानों से हो रही 50 हजार रुपये से ज्यादा की अवैध वसूली। 

वनांचल एक्सप्रेस ब्यूरो

सोनभद्र। रॉबर्ट्सगंज(सदर) तहसील में कम्प्यूटराइज्ड उद्धरण खतौनी के नाम पर किसानों से अवैध वसूली का खेल जारी है। परिसर स्थित कम्यूटराइज्ड उद्धरण खतौनी काउंटर पर तैनात लेखपाल एसडीएम समेत तहसील के आलाधिकारियों के संरक्षण में हर महीने किसानों से लाखों रुपये की अवैध वसूली कर रहे हैं जिससे खरीफ के मौसम में उन्हें दोहरी मार झेलनी पड़ रही है। वे अब तहसील प्रशासन के खिलाफ आर-पार की लड़ाई लड़ने के मुड में हैं। 

दरअसल, सदर तहसील की उद्धरण खतौनी काउंटर पर कार्यरत लेखपाल विनोद कुमार दुबे और उसके सहयोगी हर दिन की तरह गत 30 जून को भी किसानों को लूट रहे थे। दरअसल, वे शासन की ओर से निर्धारित प्रति खतौनी 15 रुपये की जगह किसानों से 20 रुपये वसूल रहे थे। किसानों द्वारा अधिक धनराशि वसूले जाने का विरोध करने पर वे उनसे आवेदन-पत्र पर लेखपाल और कानूनगो की रिपोर्ट लगावा कर लाने की बात कह कर शासन द्वारा निर्धारित दर पर खतौनी देने से मना कर दे रहे थे। हालांकि उनके द्वारा मांगी गई प्रति खतौनी 20 रुपये की धनराशि देने पर वह बिना लेखपाल और कानूनगो की रिपोर्ट के ही वे किसानों को खतौनी मुहैया करा रहे थे।

कंप्यूटराइज्ड कक्ष में अपने चहेतों को खतौनी देते
काउंटर पर तैनात लेखपाल विनोद कुमार दुबे।
सदर तहसील के क्षेत्र के हर्रा गांव निवासी केवल प्रसाद गत 30 जून को उद्धरण खतौनी काउंटर पर कार्यरत लेखपाल विनोद कुमार दुबे से 10 खतौनी लिए जिसमें उनके नाम की खतौनी भी शामिल थी। इसके एवज में विनोद कुमार दुबे ने उनसे कुल दो सौ रुपये वसूले जबकि शासन के तहत निर्धारित कुल धनराशि 150 रुपये ही हुई। इसी तहसील क्षेत्र के कोटा गांव निवासी परिसिद्धन और बटेश्वर प्रसाद को अपनी खतौनियों के लिए विनोद कुमार दुबे को प्रति खतौनी 20-20 रुपये अदा करने पड़े। 

काउंटर पर कार्यरत विनोद कुमार दुबे को वनांचल एक्सप्रेसकी टीम की जानकारी हुई तो वह तुरंत किसानों को 15 रुपये प्रति खतौनी की दर से खतौनी मुहैया कराने लगे। हालांकि जब वह आश्वस्त हो गए कि टीम तहसील परिसर से जा चुकी है तो वह फिर किसानों से 20 रुपये प्रति खतौनी की दर से खतौनी किसानों को देने लगे।  वनांचल एक्सप्रेसकी टीम गत 2 जुलाई को भी सदर तहसील स्थित कम्प्यूटराइज्ड खतौनी काउंटर से बिकने वाली खतौनी के दर की पड़ताल की। अपनी पड़ताल में टीम ने पाया कि काउंटर पर कार्यरत विनोद कुमार दुबे और उनके सहयोगी लेखपाल प्रति खतौनी 20 रुपये की दर से किसानों को खतौनी मुहैया करा रहे हैं। 

सदर तहसील क्षेत्र के परसोई गांव निवासी किसान शोभनाथ पुत्र बब्बन (खतौनी क्रमांक संख्या-1100) और विजय कुमार पुत्र हरिप्रसाद (खतौनी क्रमांक संख्या-1065) ने भी प्रति खतौनी 20 रुपये की दर से खतौनी प्राप्त करने की बात स्वीकार की। रॉबर्ट्सगंज नगर स्थित न्यू कॉलोनी निवासी आशीष कुमार और गोविन्द सिंह ने भी 20 रुपये में एक खतौनी दिए जाने की बात कही।
सूत्रों की मानें तो खतौनी के इस गोरखधंधे में हर दिन औसतन पांच हजार रुपये की अवैध कमाई होती है जो तहसील में कार्यरत कुछ लेखपालों और अधिकारियों के बीच बंटता है। इस वजह से उद्धरण खतौनी काउंटर के चार्ज के लिए लेखपालों के बीच होड़ लगी रहती है। ऐसी ही कुछ होड़ रजिस्ट्रार कानूनगो के बीच भी होती है।

इस संबंध में वनांचल एक्सप्रेसने पिछले दिनों जब सदर तहसीलदार योगेन्द्र कुमार सिंह से बात की तो उन्होंने ऐसी किसी भी प्रकार की अवैध वसूली से साफ इंकार किया। जब उनसे मामले की तत्काल जांच कराने की बात कही गई तो उन्होंने उद्धरण खतौनी काउंटर के प्रभारी रजिस्ट्रार कानूनगो अनिल श्रीवास्तव को मौके पर भेजा। वहां अनिल श्रीवास्तव ने उद्धरण खतौनी काउंटर से खतौनी लेने वाले किसानों से प्रति खतौनी की दर की जानकारी ली, जिसमें सभी किसानों ने प्रति खतौनी 20 रुपये की दर से खतौनी लेने की बात स्वीकार की। इसके बावजूद उद्धरण खतौनी पर कार्यरत कर्मचारी के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई। 

इसके बाबत जब तहसीलदार योगेन्द्र कुमार सिंह से बात की गई तो उन्होंने कहा कि कर्मचारी को रंगे हाथ नहीं पकड़ा गया, इसलिए उसके खिलाफ निलंबन अथवा बर्खास्तगी की कार्रवाई नहीं की जा सकती है। फिलहाल उसे कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है। हालांकि नोटिस की प्रति मांगने पर उन्होंने इसे देने से इंकार कर दिया। 

सूत्रों की मानें तो रजिस्ट्रार कानूनगो की रिपोर्ट पर तहसीलदार योगेंद्र कुमार सिंह ने 18 जनवरी, 2014 को लिखित पत्र के माध्यम से कंप्यूटराइज्ड उद्धरण खतौनी काउंटर पर कार्यरत लेखपालों के स्थान पर लेखपाल चन्दन कुमार शर्मा, सुदीप कुमार श्रीवास्तव और राजीव कुमार कुशवाहा को कार्यभार दिए जाने की संस्तुति उप जिलाधिकारी, सदर राजेंद्र प्रसाद तिवारी से की थी लेकिन अभी तक उस पत्र का संज्ञान नहीं लिया गया है। 

इस बारे में जब उप-जिलाधिकारी से बात की गई तो उन्हें ऐसी किसी भी कार्रवाई से साफ मना कर दिया। हालांकि उन्होंने उद्धरण खतौनी काउंटर से 20 रुपये प्रति खतौनी की दर से किसानों को खतौनी दिए जाने की बात स्वीकार की। उन्होंने इस संबंध में संबंतधित अधिकारियों को फटकार लगाने की बात कही। अब सवाल उठता है कि जब संबंधित कर्मचारी किसानों से अवैध वसूली में लिप्त हैं तो फिर एसडीएम उनके खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं कर रहे।

उधर बसपा नेता रमेश कुशवाहा ने राजस्वकर्मियों द्वारा किसानों से की जा रही अवैध वसूली के लिए सपा सरकार को जिम्मेदार बताया। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार की वजह से कर्मचारियों में कोई भय नहीं है। उन्होंने कंप्यूटर खतौनी काउंटर पर कार्यरत लेखपालों को तत्काल बर्खास्त करने की मांग की। साथ ही उन्होंने लिखित रूप में इस पूरे प्रकरण से जिलाधिकारी समेत राज्यपाल को अवगत कराने की बात कही। 

जनता दल (युनाइटेड) के जिलाध्यक्ष राम भरोसे ने कहा कि एसडीएम और तहसीलदार की मिलीभगत से किसानों से अवैध वसूली रही है। यह धनराशि लेखपाल से लेकर मुख्यमंत्री तक बंटती है। राज्य सरकार पूरी तरह भ्रष्टाचार में डूबी है। फिलहाल संबंधित लेखपालों को जल्द से जल्द बर्खास्त किया जाना चाहिए जिससे किसानों को राहत मिल सके। 

कंप्यूटराइज्ड खतौनी के नाम पर किसानों से अवैध वसूली को भाकपा (माले) नेता ओम प्रकाश सिंह ने जनविरोधी करार दिया। उन्होंने कहा कि जल्द से जल्द किसानों से अवैध वसूली बंद होनी चाहिए और संबंधित लेखपालों को बर्खास्त किया जाना चाहिए। उन्होंने किसानों को मुफ्त खतौनी दिए जाने की मांग की। 

भाजपा के पूर्व जिलाध्यक्ष धर्मवीर तिवारी ने खतौनी के नाम पर किसानों से हो रही अवैध वसूली को तत्काल बंद किए जाने की बात कही। उन्होंने संबंधित लेखपालों और इसके लिए जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्रवाई करने की मांग की।


(नोटः हिन्दी साप्ताहिक समाचार-पत्र वनांचल एक्सप्रेस के 21वें अंक(06 से 12 जुलाई, 2014) में प्रकाशित।)

ऊपर फरियाद सुनते रहे जिलाधिकारी, नीचे लुटते रहे किसान

वनांचल एक्सप्रेस ब्यूरो

सोनभद्र। जनपद में किसानों के उत्पीड़न और शोषण का दौर थमने का नाम नहीं ले रहा है। यहां के विभिन्न विभागों में कार्यरत कर्मचारी और अधिकारी कभी उन्हें अनाज के परिवहन के नाम पर प्रताड़ित करते हैं तो कभी राजस्व और संपत्तियों से जुड़े दस्तावेजों को मुहैया कराने के नाम पर। किसानों के उत्पीड़न के मामले में जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक की ओर से होने वाली कार्रवाई भी उन्हें उनके गैर-कानूनी मंसूबे को अंजाम देने से नहीं रोक पाती है। गत 8 जनवरी को जनपद की सदर (रॉबर्ट्सगंज) तहसील में ऐसा ही नजारा देखने को मिला।

बुधवार का दिन था। मंगलवार को छुट्टी होने की वजह से बुधवार को तहसील दिवस का आयोजन हुआ था। सदर तहसील के सभागार में जिलाधिकारी चंद्रकांत की अध्यक्षता में तहसील दिवस का दरबार सजा था। इसमें पुलिस अधीक्षक राम बहादुर यादव, मुख्य विकास अधिकारी महेंद्र कुमार, उप-जिलाधिकारी राजेंद्र तिवारी, तहसीलदार योगेंद्र कुमार सिंह समेत दर्जनों आलाधिकारी एवं कर्मचारी मौजूद थे। इनके अलावा न्याय की आस में सदर तहसील के विभिन्न इलाकों से सैकड़ों किसान अपनी-अपनी फरियाद लेकर वहां पहुंचे थे। वे जल्द से जल्द अपनी फरियाद हुजूर यानी जिलाधिकारी के पास पहुंचाना चाहते थे लेकिन तहसीलकर्मियों की तकलीफदेय व्यवस्था की वजह से उन्हें अपने क्रम के इंतजार में घंटों पंक्ति में खड़ा होना पड़ रहा था। 

सदर तहसील की पहली मंजिल पर सजे तहसील दिवस के दरबार में जब यह सब कुछ चल रहा था, उसी समय नीचे तहसील की उद्धरण खतौनी काउंटर पर कार्यरत लेखपाल विनोद कुमार दुबे और उसके सहयोगी हर दिन की तरह उस दिन भी किसानों को लूट रहे थे। दरअसल, वे शासन की ओर से निर्धारित प्रति खतौनी 15 रुपये की जगह किसानों से 20 रुपये वसूल रहे थे। किसानों द्वारा अधिक धनराशि वसूले जाने का विरोध करने पर वे उनसे आवेदन-पत्र पर लेखपाल और कानूनगो की रिपोर्ट लगावा कर लाने की बात कह कर शासन द्वारा निर्धारित दर पर खतौनी देने से मना कर दे रहे थे। हालांकि उनके द्वारा मांगी गई प्रति खतौनी 20 रुपये की धनराशि देने पर वह बिना लेखपाल और कानूनगो की रिपोर्ट के ही वे किसानों को खतौनी मुहैया करा रहे थे।

सदर तहसील के जमगांव गांव निवासी विमलेश कुमार की मानें तो उन्होंने अपनी और अपने रिश्तेदारों की जमीनों की कुल पांच खतौनियों के लिए उद्धरण खतौनी काउंटर पर बैठे कर्मचारी को कुल सौ रुपये अदा किए। शाहगंज इलाके के भुरकुड़ा गांव निवासी विजय देव को भी अपनी जमीन की खतौनी के लिए प्रति खतौनी 20 रुपये अदा करने पड़े। सदर तहसील के अरंगी (पनारी) गांव निवासी अनिल शुक्ला को भी एक खतौनी के लिए उद्धरण काउंटर पर बैठे कर्मचारी को 20 रुपये अदा करने पड़े। अनिल को जमानत देने के लिए खतौनी की जरूरत थी। 

सूत्रों की मानें तो खतौनी के इस गोरखधंधे में हर दिन औसतन चार से पांच हजार रुपये की अवैध कमाई होती है जो तहसील में कार्यरत कुछ लेखपालों और अधिकारियों के बीच बंटता है। इस वजह से उद्धरण खतौनी काउंटर के चार्ज के लिए लेखपालों के बीच होड़ लगी रहती है। ऐसी ही कुछ होड़ रजिस्ट्रार कानूनगो के बीच भी होती है।

इस संबंध में वनांचल एक्सप्रेसने पिछले दिनों जब सदर तहसीलदार योगेन्द्र कुमार सिंह से बात की तो उन्होंने ऐसी किसी भी प्रकार की अवैध वसूली से साफ इंकार किया। जब उनसे मामले की तत्काल जांच कराने की बात कही गई तो उन्होंने उद्धरण खतौनी काउंटर के प्रभारी रजिस्ट्रार कानूनगो अनिल श्रीवास्तव को मौके पर भेजा। वहां अनिल श्रीवास्तव ने उद्धरण खतौनी काउंटर से खतौनी लेने वाले किसानों से प्रति खतौनी की दर की जानकारी ली, जिसमें सभी किसानों ने प्रति खतौनी 20 रुपये की दर से खतौनी लेने की बात स्वीकार की। 

इसके बावजूद उद्धरण खतौनी पर कार्यरत कर्मचारी के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई। इसके बाबत जब तहसीलदार योगेन्द्र कुमार सिंह से बात की गई तो उन्होंने कहा कि कर्मचारी को रंगे हाथ नहीं पकड़ा गया, इसलिए उसके खिलाफ निलंबन अथवा बर्खास्तगी की कार्रवाई नहीं की जा सकती है। फिलहाल उसे कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है। हालांकि नोटिस की प्रति मांगने पर उन्होंने इसे देने से इंकार कर दिया।

उधर, मामले के तूल पकड़ने पर उद्धरण खतौनी काउंटर से संबद्ध कुछ तहसीलकर्मी वनांचल एक्सप्रेसकी टीम पर दबाव बनाने में जुट गए हैं। हालांकि जनहित में वनांचल एक्सप्रेसकी ओर से चलाए जा रहे इस अभियान पर उनके इस दबाव का कोई असर नहीं पड़ेगा। फिलहाल वनांचल एक्सप्रेसका अभियान जारी है और भविष्य में भी जारी रहेगा।


(नोटः हिन्दी साप्ताहिक समाचार-पत्र वनांचल एक्सप्रेस के 15वें अंक(19 से 25 जनवरी, 2014 में प्रकाशित।)

...यहां पांच रुपये में बदल जाता है कानून

कम्प्यूटराइज्ड उद्धरण खतौनी काउंटर पर कार्यरत लेखपाल किसानों से करे प्रति खतौनी पांच रुपये की अवैध वसूली, प्रशासन मौन।

वनांचल एक्सप्रेस ब्यूरो

रॉबर्ट्सगंज (सोनभद्र)। सदर तहसील। रॉबर्ट्सगंज नगर स्थित सोनभद्र जिले की यह तहसील आए दिन मीडिया की सुर्खियां बटोरता रहता है। यहां के राजस्वकर्मी कभी जिंदा व्यक्ति को मुर्दा घोषित कर उसकी जमीन को अन्य किसी के नाम दर्ज कर देते हैं तो कभी बिल्ली-मारकुंडी खनन क्षेत्र में पत्थर और बालू उत्खनन के लिए आबंटित हुई खदानों का गलत परिसीमन। इतना ही नहीं, वे खनन क्षेत्र में वन विभाग, ग्राम सभा, जिला परिषद और भू-स्वामियों की जमीनों के भौतिक परिसीमन को लेकर भी चर्चा में रहते हैं। इस बार हम आपको उनके एक और कारनामे से आपको अवगत कराने जा रहे हैं। वैसे तो इस कारनामे के बारे में आप भी जानते हैं लेकिन राजस्वकर्मियों की हेकड़ी और संबंधित अधिकारियों की उदासीनता की वजह से आप इसपर संजीदा नहीं हो पाते। सदर तहसील में हर दिन- हर पल पांच रुपये में कानून बदलता है और आप उफ तक नहीं करते। चौंकिए नहीं, यह सच है।   

तहसील स्थित कम्प्यूटराइज्ड उद्धरण खतौनी काउंटर पर कार्यरत राजस्वकर्मी शासन की ओर से निर्धारित शुल्क 15 रुपये की जगह किसानों और भू-स्वामियों से हर दिन प्रति खतौनी 20 रुपये वसूलता है लेकिन विरोध की आवाज तक नहीं उठती। अगर उठती भी है तो उसे कानूनों की दुहाई और खर्चे का हिसाब सुनाकर खामोश करा दिया जाता है। हालांकि अतिरिक्त शुल्क अदा करने पर यह कानून फौर बदल भी जाता है।  

पिछले दिनों वनांचल एक्सप्रेसकी टीम ने किसानों और भू-स्वामियों से मिल रही उक्त शिकायतों की पड़ताल की। टीम की इस पड़ताल में किसानों और भू-स्वामियों की शिकायतें सच साबित हुईं। सदर तहसील के विजयगढ़ परगना अंतर्गत झरना गांव निवासी राम उग्रह गत 16 दिसंबर को किसी कार्य के लिए खतौनी लेने कम्प्यूटराइज्ड उद्धरण खतौनी काउंटर पहुंचे। 

उन्होंने राजस्वकर्मी को 60 रुपये देकर चार खतौनी लेनी चाही लेकिन राजस्वकर्मी ने उन्हें उस दर पर खतौनी देने से मना कर दिया। राजस्वकर्मी उनसे खतौनी प्राप्त करने के आवेदन-पत्र पर लेखपाल और कानूनगो की रिपोर्ट मांगने लगा। ऐसा नहीं करने पर उसने चार खतौनियों के लिए अतिरिक्त 20 रुपये की मांग की। राम उग्रह द्वारा अतिरिक्त 20 रुपये देने पर काउंटर पर बैठे राजस्वकर्मी ने सभी दिशा-निर्देशों की धज्जियां उड़ाते हुए उन्हें उनके द्वारा मांगी गई चारों खतौनियों को दे दिया। कुछ ऐसा ही अनुभव सदर तहसील के विजयगढ़ परगना अंतर्गत गुजैनिया निवासी विशेषर देव का रहा। उन्हें किसी मामले में जमानत देने के लिए खतौनी की जरूरत थी। वे भी उसी दिन खतौनी लेने के लिए उद्धरण खतौनी काउंटर पहुंचे थे। 

वनांचल एक्सप्रेसकी टीम ने जब उनसे पूछा कि उन्हें खतौनी कितने में मिली है तो उनका जवाब था, ‘बीस रुपये। बड़हर परगना क्षेत्र निवासी अमर पुत्र दुलारे और रॉबर्ट्सगंज के टाड़ के डौर निवासी कृष्णकांत त्रिपाठी को भी अपनी भूमि की खतौनी हासिल करने के लिए बीस-बीस रुपये अदा करने पड़े।

इस संदर्भ में जब रॉबर्ट्सगंज के उप-जिलाधिकारी राजेंद्र प्रसाद तिवारी से फोन पर बात की गई तो उन्होंने मामले की जांच कराने की बात कही। उन्होंने स्वीकार किया कि प्रति खतौनी 15 रुपये शुल्क शासन से निर्धारित है। अब सवाल है कि जब शासन से 15 रुपये शुल्क निर्धारित है तो फिर राजस्वकर्मी किसानों और भू-स्वामियों से 20 रुपये क्यों वसूल रहे हैं और यह धनराशि किसके पास जा रही है। 


सूत्रों की मानें तो सदर तहसील के कम्प्यूटराइज्ड उद्धरण खतौनी काउंटर से हर दिन करीब 500 से ज्यादा खतौनियों की बिक्री होती है। इस तरह यहां हर दिन करीब 2,500 रुपये अवैध रूप से किसानों और भू-स्वामियों से वसूले जाते हैं। 

इतना ही नहीं, आम जनता को खतौनी हासिल करने के लिए उद्धरण खतौनी काउंटर के सामने घंटों लाइन में खड़े होना पड़ता है जबकि काउंटर पर बैठा राजस्वकर्मी कमरे के अंदर अपने शुभचिंतकों को खतौनी मुहैया कराता रहता है। इससे सामान्य किसानों और भू-स्वामियों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। कभी-कभी जमानत के मामले में उन्हें निराशा हाथ लगती है। 

(नोटः हिन्दी साप्ताहिक समाचार-पत्र वनांचल एक्सप्रेस के 11वें अंक(22 से 28 दिसंबर, 2013) में प्रकाशित।)

12 करोड़ रुपये से होगा भूमि और जल का संरक्षण

वनांचल एक्सप्रेस ब्यूरो

सोनभद्र। जिला भूमि एवं जल संरक्षण समिति की बैठक पिछले दिनों कलेक्ट्रेट सभागार में हुई। इसमें वित्तीय वर्ष 2014-15 के लिए 12 करोड़ 57 लाख 55 हजार रुपये की कार्ययोजना को सर्वसम्मति से अनुमोदित किया गया। इसके तहत इस वर्ष की नई कार्ययोजना के 11 करोड 9 लाख 48 हजार आबंटित किए गए। वहीं पूर्व में निर्धारित योजनाओं की मजदूरी बढ़ने की वजह से परियोजना लागत में मजदूरों की मजदूरी के अन्तर की एक करोड़ 31 लाख 87 हजार की योजना और अनुरक्षण मद के लिए 16 लाख 20 हजार का परिव्यय भी सर्वसम्मति से अनुमोदित किया गया।

बैठक की अध्यक्षता करते हुए जिलाधिकारी दिनेश कुमार सिंह ने कहा कि भूमि एवं जल संरक्षण के कार्य काफी कारगर हैं। अब जो भी कार्य जिले में हों, उनका व्यापक प्रचार-प्रसार कराया जाए। बैठक के दौरान रॉबर्ट्सगंज के विधायक अविनाश कुशवाहा, दुद्धी की विधायक रूबी प्रसाद, घोरावल के विधायक रमेश चन्द्र दुबे, म्योरपुर के ब्लाक प्रमुख संजय यादव आदि जनप्रतिनिधियों के सुझाओं को भी कार्ययोजना में शामिल करने का निर्देश विभाग के सचिव/भूमि संरक्षण अधिकारी, चोपन एपी यादव को दिया गया।

जिलाधिकारी ने निर्देश दिया कि भूमि संरक्षण और जल संसाधन की अनुमोदित कार्ययोजनाओं की प्रतियां अनिवार्य रूप से जिले के जनप्रतिनिधियों को मुहैया कराई जाएं और जो परियोजनाओं शुरू की जाए, उनका सिलान्यास/शुभारंभ क्षेत्रीय विधायकगणों से कराया जाए। पूर्व में जो परियोजनाएं पूरी हो चुकी है, उन परियोजनाओं का प्रदर्शन बोर्ड भी लगाया जाए ताकि भूमि संरक्षण और जल संसाधन के क्षेत्र में कराये जा रहे कार्यो में पारदर्शिता के साथ ही आम नागरिकों में जागरूकता बढ़े।


इस अवसर पर मुख्य विकास अधिकारी महेन्द्र सिंह, उप-निदेशक भूमि संरक्षण, वाराणसी एसबी सिंह, भूमि संरक्षण अधिकारी, चोपन एपी यादव, भूमि संरक्षण अधिकारी राबर्ट्सगंज, आरके यादव आदि मौजूद रहे।

रविवार, 31 अगस्त 2014

113 परियोजनाओं के तहत हुए निर्माण कार्यों की होगी जांच, टीमें गठित

विकास खंड स्तरीय जांच टीमें सात दिनों के अंदर जिलाधिकारी को सौंपेंगी अपनी जांच रिपोर्ट

वनांचल एक्सप्रेस ब्यूरो

सोनभद्र। जिले में 113 परियोजनाओं के तहत हुए निर्माण कार्यों की जांच के लिए विकास खंड स्तरीय आठ टीमों का गठन किया गया है जो एक सप्ताह के अंदर अपनी जांच रिपोर्ट जिलाधिकारी को सौंपेंगी। टीमें विभिन्न कार्यदायी संस्थाओं द्वारा कराए गए निर्माण कार्यों की भौतिक स्थिति और उनकी गुणवत्ता से संबंधित बिन्दुओं पर जांच रिपोर्ट तैयार करेंगी।

जिलाधिकारी दिनेश कुमार सिंह ने उक्त बातों की जानकारी दी। जिला सूचना विभाग, सोनभद्र की ओर से जारी विज्ञप्ति में उन्होंने बताया कि जिले में कई विभागों के भवनों के निर्माण कार्यों की समीक्षा करने पर पाया गया कि विभागीय अधिकारियों और कार्यदायी संस्थाओं की सूचनाओं में फर्क है। इसलिए उन सभी निर्माण कार्यों की भौतिक स्थिति और उनकी गुणवत्ता से संबंधित जांच के लिए विकासखंड स्तर पर तीन सदस्यीय टीम का गठन करने का फैसला लिया गया है। सभी टीमें एक सप्ताह के अंदर अपनी जांच रिपोर्ट पेश करेंगी।

विज्ञप्ति के अऩुसार विकास खण्ड राबर्ट्सगंज में 30 परियोजनाओं के तहत हुए निर्माण कार्यों की जांच के लिए लोक निर्माण विभाग (निर्माण खण्ड दुद्धी) के अधिशाषी अभियंता, खण्ड विकास अधिकारी राबर्ट्सगंज और लोक निर्माण विभाग (निर्माण खण्ड-2) के सहायक अभियंता को नामित किया गया है। वहीं विकास खण्ड चोपन में 19 परियोजनाओं के तहत हुए निर्माण कार्यों की जांच के लिए लघु सिंचाई विभाग के अधिशाषी अभियंता, खण्ड विकास अधिकारी, चोपन और सहायक अभियंता, लघु सिंचाई विभाग को नामित किया गया है। 

विकास खण्ड घोरावल में 19 परियोजनाओं के तहत हुए निर्माण कार्यों की जांच के लिए अधिशाषी अभियंता, लोक निर्माण विभाग (निर्माण खण्ड-2), खण्ड विकास अधिकारी, घोरावल और सहायक अभियंता को जिम्मेदारी गयी है। विकास खण्ड नगवां में तीन परियोजनाओं के तहत हुए निर्माण कार्यों की जांच के लिए अधिशाषी अभियंता, सिंचाई निर्माण खण्ड, खण्ड विकास अधिकारी, नगवां और सहायक अभियंता को नामित किया गया है। 

विकास खण्ड चतरा में आठ परियोजनाओं के तहत हुए निर्माण कार्यों की जांच के लिए अधिशाषी अभियंता, लोक निर्माण विभाग (प्रान्तीय खण्ड), खण्ड विकास अधिकारी, चतरा और सहायक अभियंता करेंगे। विकास खण्ड बभनी में आठ परियोजनाओं के तहत हुए निर्माण कार्यों की जांच बंधी प्रखंड के अधिशाषी अभियंता, खण्ड विकास अधिकारी, बभनी और सहायक अभियंता द्वारा की जाएगी। 

विकास खण्ड म्योरपुर में छह परियोजनाओं के तहत हुए निर्माण कार्यों की जांच अधिशाषी अभियंता, ग्रामीण अभियंत्रण सेवा, खण्ड विकास अधिकारी, म्योरपुर और सहायक अभियंता द्वारा की जाएगी। इसी प्रकार से दुद्धी/म्योरपुर में 20 परियोजनाओं के तहत हुए निर्माण कार्यों की जांच अधिशाषी अभियंता, ग्रामीण अभियंत्रण सेवा, खण्ड विकास अधिकारी दुद्धी/म्योरपुर और सहायक अभियंता, ग्रामीण अभियंत्रण सेवा द्वारा की जाएगी।


उन्होंने बताया कि सभी जांच टीमें अपनी जांच रिपोर्ट जिला अर्थ एवं संख्याधिकारी को सात सितंबर,2014 तक उपलब्ध कराएंगी और वह उन्हें जिलाधिकारी के सामने पेश करेंगे। जिलाधिकारी ने कार्यदायी संस्थाओं जैसे परियोजना प्रबन्धक, सीएण्डडीएस, राजकीय निर्माण निगम, पैकफेड, उत्तर प्रदेश समाज कल्याण निर्माण निगम, यूपीसीएल को निर्देशित किया है कि वे अपने निर्माण कार्यों से संबंन्धित अभिलेख जांच टीमों को आवश्यक रूप से उपलब्ध करा देवें।