गुरुवार, 13 अप्रैल 2023

BHU:'खरवार' जाति के हैं असिस्टेंट प्रोफेसर मनोज कुमार वर्मा, जिलाधिकारी की पुनरीक्षित जांच रिपोर्ट में जाति प्रमाण-पत्र मिला सही

डॉ. मनोज कुमार वर्मा
चंदौली के सकलडीहा थाना क्षेत्र के चतुर्भुजपुर निवासी अनंत नारायण मिश्रा ने काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के सामाज शास्त्र विभाग में कार्यरत असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. मनोज कुमार वर्मा पर अनुसूचित जनजाति (खरवार) का कूट रचित फर्जी प्रमाण-पत्र लगाकर एसटी (जनजाति) कोटे में असिस्टेंट प्रोफेसर की नियुक्ति लेने का लगाया था आरोप।

वनांचल एक्सप्रेस ब्यूरो

सोनभद्र। काशी हिन्दू विश्वविद्यालय (बीएचयू) के समाज शास्त्र विभाग में कार्यरत असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. मनोज कुमार वर्मा का 'खरवार' अनुसूचित जनजाति का निर्गत प्रमाण-पत्र वैध निकला है। जिलाधिकारी की जिला स्तरीय स्क्रूटनी कमेटी ने सोमवार को अपनी ही पूर्व की रिपोर्ट को खारिज करते हुए उनके प्रमाण-पत्र पर वैधानिकता की मुहर लगा दी। 

सोनभद्र के जिलाधिकारी कार्यालय के समाज कल्याण विभाग द्वारा सोमवार को जारी जांच रिपोर्ट में साफ लिखा है, "... जिला स्तरीय स्क्रूटनी कमेटी अपने सम्यक विवेचन में इस निष्कर्ष पर पहुंचती है कि श्री मनोज कुमार वर्मा, निवासी ग्राम वैनी, परगना विजयगढ़, तहसील रॉबर्ट्सगंज, सोनभद्र 'खरवार' अनुसूचित जनजाति के सदस्य हैं।" जांच कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में मनोज कुमार वर्मा के नाम से 16 जून 2009 को जारी जाति प्रमाण-पत्र (संख्या-70209509276) को कानूनी रूप से वैध माना है। 


बता दें कि चंदौली के सकलडीहा थाना क्षेत्र के चतुर्भुजपुर निवासी अनंत नारायण मिश्रा ने काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के सामाज शास्त्र विभाग में कार्यरत असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. मनोज कुमार वर्मा पर अनुसूचित जनजाति (खरवार) का कूट रचित फर्जी प्रमाण-पत्र लगाकर एसटी (जनजाति) कोटे में असिस्टेंट प्रोफेसर की नियुक्ति लेने का आरोप लगाया था। आरोपों के मुताबिक, "डॉ.मनोज कुमार वर्मा चंदौली जिले की चकिया तहसील के गरला गांव के निवासी हैं और अन्य पिछड़ा वर्ग की कहार जाति से आते हैं। उन्होंने सोनभद्र जिले की रॉबर्ट्सगंज तहसील क्षेत्र के तहत आने वाले वैनी गांव के पते से अनुसूचित जनजाति वर्ग की खरवार जाति का प्रमाण-पत्र बनवाया था। इसी के आधार पर वह 23 फरवरी 2016 को काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के सामाजिक विज्ञान संकाय में असिस्टेंट प्रोफेसर की नौकरी अनुसूचित जनजाति वर्ग (एसटी) में पाने पर सफल हुए थे।"

EXCLUSIVE: BHU के असिस्टेंट प्रोफेसर पर FIR, अनुसूचित जनजाति वर्ग के फर्जी प्रमाण-पत्र पर नौकरी हथियाने का आरोप

बीएचयू के समाज कार्य विभाग में शोधार्थी अनंत नारायण मिश्रा ने अपनी तहरीर में लिखा था कि सोनभद्र जिले के रॉबर्ट्सगंज तहसील के तहसीलदार ने डॉ. मनोज कुमार वर्मा के जाति प्रमाण-पत्र की जांच की तो उनका जाति प्रमाण-पत्र कूटरचित साक्ष्य के आधार पर बने होने की पुष्टि हुई। इसी के आधार पर तहसीलदार ने डॉ. मनोज कुमार वर्मा का अनुसूचित जनजाति वर्ग का प्रमाण-पत्र निरस्त किए जाने की संस्तुति की और जिलाधिकारी की अध्यक्षता वाली जिला स्क्रूटनी कमेटी ने गत 6 अप्रैल को उनका जाति प्रमाण-पत्र निरस्त कर दिया था।

'वनांचल एक्सप्रेस' के पास सोनभद्र के जिलाधिकारी का वह आदेश मौजूद है जिसमें उन्होंने डॉ. मनोज कुमार वर्मा का अनुसूचित जनजाति वर्ग का प्रमाण-पत्र निरस्त कर दिया था। जिलाधिकारी के आदेश में लिखा था कि सोनभद्र में रॉबर्ट्सगंज तहसील के विजयगढ़ परगना के तहत आने वाले वैनी गांव निवासी कन्हैया प्रसाद के पुत्र मनोज कुमार वर्मा का अनुसूचित जनजाति (खरवार) का प्रमाण-पत्र 16 जून 2009 को जारी किया गया था जिसका क्रमांक-70209509276 है। रॉबर्ट्सगंज के तहसीलदार ने पिछले साल 11 फरवरी को अपनी जांच आख्या में कूट रचित साक्ष्यों के आधार पर जारी इस प्रमाण-पत्र को निरस्त किए जाने की संस्तुति की थी। इस मामले में जिला स्क्रूटनी समेटी ने पिछले साल तीन बैठकें की जिसमें शिकायतकर्ता अनंत नारायण मिश्रा और मनोज कुमार वर्मा, दोनों मौजूद रहे। साक्ष्यों के अभिलेखों के आधार पर आरोपी मनोज कुमार वर्मा मूल रूप से चंदौली जिले के चकिया तहसील के गरला गांव का निवासी है और अन्य पिछड़ा वर्ग की कहार जाति के अंतर्गत आता है। मनोज कुमार वर्मा ने जो भी साक्ष्य प्रस्तुत किए हैं, वे अनुचित लाभ लेने के उद्देश्य से तैयार कराए गए हैं। यह स्थापित सिद्धांत है कि किसी भी व्यक्ति की जाति उसके पिता की जाति से निर्धारित होती है। व्यक्ति की जाति अपरिवर्तनीय है। मनोज कुमार वर्मा के पिता और नाना की जाति कहार है तो उनकी भी जाति कहार (पिछड़ी जाति) ही है। इसलिए मनोज कुमार वर्मा के पक्ष में अनुसूचित जनजाति (खरवार) का प्रमाण-पत्र निरस्त किया जाता है। 

जिलाधिकारी ने आवश्यक कार्रवाई के लिए उक्त आदेश की प्रति वाराणसी के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक को भी भेजी थी लेकिन प्राथमिकी दर्ज नहीं हुई थी। अनंत नारायण मिश्रा की शिकायत पर लंका थाना पुलिस ने गत 2 मई को मनोज कुमार वर्मा और उनके भाई अरविंद कुमार वर्मा के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा-419 (प्रतिरूपण द्वारा छल), 420 (धोखाधड़ी), 467 (जालसाजी), 468 (छल के प्रायोजन से कूटरचना) और 471 (फर्जी अभिलेख का उपयोग करना) के तहत प्राथमिकी दर्ज की थी। हालांकि पुलिस ने मामले में कोई गिरफ्तारी नहीं की थी और ना ही विश्वविद्यालय प्रशासन ने आरोपी असिस्टेंट प्रोफेसर के खिलाफ कोई कार्रवाई की थी। 

बाद में डॉ. मनोज कुमार वर्मा ने विंध्याचल मंडल के आयुक्त के पास सोनभद्र के जिलाधिकारी की रिपोर्ट को चुनौती दी थी। मंडलायुक्त के आदेश पर जिलाधिकारी ने जिला समाज कल्याण विभाग की जिला स्तरीय स्क्रूटनी कमेटी से मामले की फिर जांच कराई जिसमें उनका जाति प्रमाण-पत्र वैध पाया गया है। नीचे आप जिलाधिकारी की पूरी जांच रिपोर्ट पढ़ सकते हैं।   

जिलाधिकारी कार्यालय के समाज कल्याण विभाग की जांच रिपोर्ट

 















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