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सोमवार, 9 फ़रवरी 2015

सोनभद्र में अवैध खनन के लिए राज्य सरकार दोषीः चौधरी राजेन्द्र

वनांचल एक्सप्रेस ब्यूरो

सोनभद्र। जिले में धड़ल्ले से चल रहे अवैध खनन का मामला उच्चतम न्यायालय से लेकर मानवाधिकार आयोग तक में गूंज चुका है लेकिन सूबे की सत्ता में काबिज नुमाइंदों और उनके सेवकों पर कोई फर्क नहीं पड़ा। सामाजिक कार्यकर्ताओं ने और जनप्रतिनिधियों ने कैमूर क्षेत्र में हो रहे अवैध खनन की जांच सीबीआई से  कराने की मांग की है और इसके लिए राज्य सरकार को जिम्मेदार ठहराया है।

बीएचयू के पूर्व छात्र नेता और सामाजिक कार्यकर्ता चौधरी राजेंद्र ने सोनभद्र में अवैध खनन के लिए राज्य सरकार को दोषी ठहराया। उन्होंने कहा कि सूबे की सत्ता में काबिज नेता समाजवाद को लाने की बात करते हैं लेकिन वे पूंजीवाद के पोषक हैं। वे पूंजी संचित करने के लिए गरीबों का खून बहा रहे हैं। उनकी हत्या कर रहे हैं। अवैध खनन को बढ़ावा देकर आदिवासियों और वनवासियों के जीने का साधन छीन रहे हैं। यह एक समाजवादी सरकार का कदम नहीं हो सकता। यह निश्चित तौर पर पूंजीवादी और सामंती परंपरा को काबिज रखने वाले नेताओं की कारगुजारियां हैं जिसे जल्द से जल्द रोक देना चाहिए। इसके लिए हम सभी को मिलकर सोनभद्र, मिर्जापुर समेत राज्य के विभिन्न इलाकों में चल रहे अवैध खनन बंद कराने के लिए आगे आना होगा। 

जनता दल (युनाइटेड) के युवा नेता और अधिवक्ता अतुल कुमार पटेल ने सोनभद्र में अवैध खनन और परिवहन की जांच सीबीआई से कराने की मांग की। उन्होंने कहा कि सूबे की सत्ता में काबिज समाजवादी पार्टी के नेताओं और मंत्रियों के इशारे पर जिले में अवैध खनन हो रहा है, इसलिए पूरे प्रकरण की जांच सीबीआई से कराई जानी चाहिए।

ओबरा निवासी पूर्व छात्र नेता और समाजसेवी विजय शंकर यादव ने करीब तीन साल पहले सोनभद्र में अवैध खनन को लेकर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग से लिखित शिकायत की थी। उस शिकायत में उन्होंने हिंदी साप्ताहिक ‘चौथी दुनिया’ में प्रकाशित रिपोर्ट ‘विंध्य की खदानें बनी मौत का कुआं’ का जिक्र भी किया था। इसके बाद भी सरकार की ओर से पत्थर की इन अवैध खदानों को बंद करने की कोशिश नहीं की गई। उत्तर प्रदेश सरकार और जिला प्रशासन की निरंकुशता का जिक्र करते हुए उन्होंने सोनभद्र में अवैध खनन की जांच उच्च न्यायालय के किसी न्यायमूर्ति की अगुआई में कराने की मांग की है।

सोनभद्र-मिर्जापुर परिक्षेत्र में अवैध खनन को लेकर उच्च न्यायालय, इलाहाबाद में जनहित याचिका दायर कर अवैध खननकर्ताओं समेत जिला प्रशासन के नुमाइंदों के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग करने वाले भारतीय सामाजिक न्याय मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष चौधरी यशवंत सिंह ने कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार आदिवासियों और वनवासियों को खत्म करना चाहती है ताकि वह सोनभद्र के खनिज पदार्थों को खुलेआम दोहन कर सके। इसके लिए उसने जिले में अवैध खनन को अंदरखाने वैध कर दिया है। अवैध खनन के लिए जिम्मेदार पूर्व जिला खनन अधिकारी एके सेन की बार-बार नियुक्ति इस बात का प्रमाण है।

रविवार, 10 अगस्त 2014

पीयूसीएल के जिला सम्मेलन में उठा मानवाधिकार को परिभाषित करने का मुद्दा

सत्ता में काबिज सरकारें और उनकी पुलिस संगठित रूप से कर रहीं मानवाधिकारों का उल्लंघन।

वनांचल एक्सप्रेस ब्यूरो

दुद्धी (सोनभद्र) लोक स्वतंत्र मानवाधिकार संगठन "पीपुल्स यूनियन ऑफ सिविल लिबर्टी (पीयूसीएल)" की सोनभद्र इकाई के वार्षिक सम्मेलन में मानवाधिकार को परिभाषित करने का मुद्दा उठा। स्थानीय इच्छितापुरम् कॉलोनी स्थित एक गेस्ट हाउस में शनिवार को आयोजित सम्मेलन में संगठन के प्रदेश अध्यक्ष चितरंजन सिंह ने कहा कि सरकार ने आज तक मानवाधिकार का परिभाषा घोषित नहीं किया है। इस वजह से मानव अधिकारों को लेकर हमेशा संशय बना रहता है। मनुष्य के लिए जो जरूरत की चीजें हैंसत्ता ने लोगों को उससे दूर रखा है। देश और प्रदेश में बड़े पैमाने पर मानवाधिकार का उल्लंघन हो रहा है। इसलिए मानवाधिकार को नए सिरे से परिभाषित किए जाने की जरूरत है।

पीयूसीए की सोनभद्र इकाई के वार्षिक
सम्मेलन को संबोधित करते संगठन
के प्रदेश अध्यक्ष चितरंजन सिंह।
उन्होंने देश में किसानों और गरीबों की स्थिति पर चिंता जताते हुए कहा कि देश में साढ़े चार लाख किसान आत्महत्या कर चुके हैं। करीब सवा एक लाख लोगों की मौत हर साल भूख से हो रही है। इसलिए विकास के मॉडल को मानवाधिकार के नजरिए से भी देखने की जरूरत है। हमें मानवाधिकार के क्षेत्र को और अधिक विकसित करना पड़ेगा।वहींसंगठन के प्रदेश उपाध्यक्ष अजीत सिंह ने कहा कि भारतीय बाजार विदेशियों के लिए खोला जाना चिंताजनक है। इसने भारतीय बाजार को तबाह कर दिया है जिससे मानवाधिकारों का उल्लंघन बड़े पैमाने पर हो रहा है।

पीयूसीएल के प्रदेश संगठन सचिव और अधिवक्ता विकास शाक्य ने संगठन का परिचय देते हुए कहा कि मानवाधिकार स्वतंत्र रूप से अपने फैसले को लागू नहीं करा सकता है और ना ही वह किसी मामले की जांच करा सकता है। उसे अपने फैसले को लागू कराने के लिए सरकारी एजेंसियों और निर्वाचित सरकार पर निर्भर रहना पड़ता है। इस वजह से लोगों के मानवाधिकार उल्लंघन पर अंकुश नहीं लग पा रहा है। वास्तव में मानवाधिकार उल्लंघन के लिए एक स्वतंत्र जांच एजेंसी होनी चाहिए और कानून में यह प्रावधान होना चाहिए कि वह अपने फैसले का अनुपालन सुनिश्चित करा सके। 

गैर-सरकारी संस्था गुड़िया के निदेशक अजीत सिंह 
"वनांचल एक्सप्रेस" का अवलोकन करते हुए
पीयूसीएल के प्रदेश संगठन
 सचिव विकास शाक्य

पीयूसीएल के प्रदेश सचिव चितरंजन सिंह
को सम्मानित करते हुए लवकुश प्रजापति
पीयूसीएल की दुद्धी इकाई के संरक्षक डॉ. लवकुश प्रजापति ने मानवाधिकार के साथ-साथ मनुष्य की बुनियादी जरूरतों पर भी ध्यान देने की बात कही। उन्होंने कहा कि हमें इस बात पर भी चिंतन करना चाहिए कि मनुष्य की जो जरूरते हैंउसके आधार पर मानवाधिकार को परिभाषित किया जाए। पूर्व छात्र नेता और सामाजिक कार्यकर्ता विजय शंकर यादव ने कहा कि मानवाधिकारों की सुरक्षा एवं सम्मान के लिए भारत के प्रत्येक नागरिक को जागरूक होना पड़ेगा। जबतक हर नागरिक अपने अधिकारों के लिए लड़ने का जज्बा नहीं बना लेतातब तक सही मायने में मानव अधिकारों को सुरक्षा नहीं मिल पाएगा। इसके लिए अभियान चलाने की जरूरत है। 

आदिवासी बहुल सोनभद्र से प्रकाशित हिन्दी साप्ताहिक समाचार-पत्र "वनांचल एक्सप्रेस" के संपादक शिव दास प्रजापति ने कहा कि सत्ता में काबिज सरकारें और उनकी पुलिस संगठित रूप से मानवाधिकारों का उल्लंघन कर रही हैं। देश और प्रदेश में फर्जी मुठभेड़ों में खुलेआम बेगुनाहों का कत्ल किया जा रहा है। इतना ही नहीं उन्होंने इन कत्लेआम को अंजाम
पीयूसीएल, सोनभद्र के वार्षिक अधिवेशन
को संबोधित करते हुए "वनांचल एक्सप्रेस"
के सम्पादक शिव दास प्रजापति
देने के लिए अपना तरीका भी बदल दिया। वे अब एक सोची-समझी साजिश के तहत खनिज संपदा से परिपूर्ण इलाकों में अवैध खनन को अंजाम दे रही हैं। वहां खुलेआम मजदूरों के मानवाधिकारों का उल्लंघन किया जा रहा है जिससे वे हर दिन हजारों की संख्या में मारे जा रहे हैं। 

सोनभद्र-मिर्जापुर समेत प्रदेश के विभिन्न इलाकों में हुए खनन हादसे इस बात के गवाह हैं। उसमें मारे गए लोगों को आज तक मुआवजा नहीं मिला है क्योंकि सत्ता द्वारा मामले की जांच के लिए बैठाई गई जांच कमेटी सालों बीत जाने के बाद भी अपनी रिपोर्ट शासन-प्रशासन को नहीं सौंप रही हैं। 27 फरवरी, 2012 को बिल्ली-मारकुंडी खनन क्षेत्र में हुआ खनन हादसा इसका जीवंत उदाहरण है जिसकी जांच रिपोर्ट ढाई सालों बाद भी राज्य सरकार को नहीं सौंपी गई है। जबकि सोनभद्र में अवैध खनन का मामला उच्चतम न्यायालय में भी उठ चुका है और उसने इसे पूर्ण रूप से प्रतिबंधित कराने का आदेश दिया है।

सम्मेलन को डॉ. एके गुप्ताडॉ. तेजबल वैद्यशोहराब खानप्रभु सिंह एडवोकेटप्रमोद चौबेदेवमणिफौजदार सिंह 
सामाजिक कार्यकर्ता विजय शंकर यादव
परस्तेकमलेश सिंह आदि ने भी संबोधित किया। इस मौके पर संगठन के प्रदेश अध्यक्ष चितरंजन सिंह,उपाध्यक्ष अजित सिंह और पूर्व छात्र नेता विजय शंकर यादव को उनके संघर्षों के लिए अंगवस्त्रम् भेंटकर सम्मानित भी किया गया। 

सम्मेलन के द्वितीय पारी में सर्वसम्मति से अधिवक्ता महेन्द्र सिंह कुशवाहा को पीयूसीएल का नया जिलाध्यक्ष चुना गया। वहीं अभिषेक विश्वकर्मा को जिला संगठन सचिवजितेन्द्र चंद्रवंशीगोविंद अग्रहरी और संजय गुप्ता को जिला उपाध्यक्ष चुना गया। निवर्तमान जिलाध्यक्ष श्यामाचरण गिरी ने आगंतुकों को धन्यवाद ज्ञापित किया जबकि कार्यक्रम का संचालन संगठन के दुद्धी इकाई के अध्यक्ष जितेन्द्र कुमार चंद्रवंशी ने किया। इस मौके पर सैकड़ों गणमान्य लोग उपस्थित रहे।