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बुधवार, 17 फ़रवरी 2016

आज़म खान स्टिंगः विधानसभा समिति ने नौ टीवी पत्रकारों को पाया दोषी

विधानसभा में समिति की रपट पेश

वनांचल न्यूज नेटवर्क


लखनऊः उत्तर प्रदेश विधानसभा समिति ने सितंबर 2003 के मुजफ्फरनगर दंगों पर किये गए स्टिंग ऑपरेशन में एक राष्ट्रीय टीवी न्यूज चैनल के नौ पत्रकारों को दोषी पाया है। यह अधिवक्ता सतीश कुमार निगम की अध्यक्षता वाली विधानसभा समिति की रपट में सामने आया है। रपट मंगलवार को उत्तर प्रदेश विधानसभा में रखी गई।

रविवार, 31 जनवरी 2016

मुज़फ़्फ़रनगर हिंसा पर सहाय कमीशन की रिपोर्ट को सार्वजनिक करे सरकारः रिहाई मंच

मंच ने शोधार्थी अनिल यादव को प्रताड़ित करने वाले संघ कार्यकर्ताओं के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने की मांग की।

वनांचल न्यूज नेटवर्क

लखनऊ। मुजफ़्फ़रनगर हिंसा पर सहाय कमीशन की रिपोर्ट को विधान सभा में सार्वजनिक करने की आवाज़ तेज हो गई है। आतंकवाद के नाम पर गिरफ्तार बेगुनाओं की रिहाई के लिए प्रमुखता से कार्य करने वाले जनसमर्थक संगठन रिहाई मंच ने कहा है कि राज्य सरकार विधान सभा के मौजूदा सत्र में मुजफ्फरनगर हिंसा की जांच के लिए गठित सहाय कमीशन की रिपोर्ट को सार्वजनिक करे। साथ ही मुजफ्फरनगर स्थित संघ कार्यालय में शोधार्थी अनिल यादव को प्रताड़ित करने वाले संघ कार्यकर्ताओं के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर उन्हें गिरफ्तार करे। मंच ने राज्य सरकार को चेताया है कि अगर वह ऐसा नहीं करती है तो मंच संघर्षकारी ताकतों के साथ मिलकर पूरे प्रदेश में राज्य सरकार के खिलाफ आंदोलन करेगा।

रिहाई मंच के प्रवक्ता शहनवाज आलम की ओर से जारी विज्ञप्ति में कहा गया है कि मंच कार्यालय पर पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं की बैठक हुई। इसमें रिहाई मंच नेता शकील कुरैशी ने कहा कि सांप्रदायिक जेहनियत वाले संघ के लोगों ने दाढ़ी बढ़ाने और मोबाइल में मुस्लिम युवकों के फोन नंबर रखने पर जिस प्रकार से शोध छात्र अनिल यादव को प्रताडि़त किया, उससे पता चलता है कि 2013 में भाजपा-सपा ने मुजफ्फरनगर में जो आग लगाई थी, वह अभी शांत नहीं हुई है। उन्होंने कहा कि जब सपा के लोग कहते हैं कि मुजफ्फरनगर के लिए भाजपा दोषी है तो आखिर में उन दोषियों को सजा देने के लिए सहाय कमीशन की रिपोर्ट को वह क्यों नहीं सार्वजनिक कर रही है। उन्होंने कहा कि मुसलमान और इंसाफ पसन्द अवाम यह जान रही है कि जो मुलायम बाबरी मस्जिद प्रकरण को लेकर अब अफसोस जता रहे हैं वह मुजफ्फरनगर के दंगाईयों को सिर्फ इसलिए बचा रहे हैं कि उन्हें फिर से अफसोस न करना पड़े।

इंसाफ अभियान के महासचिव दिनेश चौधरी ने कहा कि शोध छात्र अनिल यादव की जगह अगर कोई मुसलमान शोध छात्र होता तो यही पुलिस आरएसएस के गुण्डों के कहने भर से उसे आईएसआईएस या आईएसआई से जोड़कर जेल भेज बड़ा आतंकी करार दे देती। लेकिन घटना के दो दिन बीत जाने के बाद भी संघ के सांप्रदायिक तत्वों नीरज शर्मा, रामवीर सिंह, आशुतोष, अनुभव शर्मा के खिलाफ कोई मुकदमा दर्ज न होना सपा की संघी सांठगांठ को उजागर करता है। उन्होंने मांग की कि जल्द के जल्द दोषियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर गिरफ्तारी नहीं की गई तो इंसाफ पसन्द अवाम को सड़कों पर उतरने के लिए सरकार मजबूर करेगी।

रिहाई मंच नेता शबरोज मोहम्मदी ने कहा कि सपा सरकार ने चुनावी वादा किया था कि आतंकवाद के नाम पर कैद बेगुनाहों की रिहाई और पुर्नवास व मुआवजा देगी। सरकार अपने कार्यकाल के चैथे साल का अंतिम सत्र चला रही है पर जिस तरीके से वह मौन है ठीक उसी तरीके से उसके प्रति मुस्लिम समाज भी मौन है, ऐसी गलतफहमी अखिलेश यादव ने अगर पाली है तो 2017 में मुसलमान इसका जवाब देगा। उन्होंने मांग की कि सरकार मरहूम मौलाना खालिद और तारिक की गिरफ्तारी पर गठित निमेष कमीशन की रिपोर्ट पर कार्रवाई करते हुए दोषी पुलिस अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करे। नागरिक परिषद के रामकृष्ण ने कहा कि जिस तरीके से बेगुनाहों के छूटने के बाद भी उनको जमानत लेना पड़ रहा है वह दरअसल हमारी व्यवस्था का अपने नागरिकों पर कोई भरोसा नहीं है की पुष्टि करता है। जो अलोकतांत्रिक है। उन्होंने कहा कि जमानत के पूरी प्रक्रिया को बदल कर सिर्फ देश के नागरिक होने के किसी भी पहचान पत्र पर जमानत देने की व्यवस्था बनाई जाए।

समाज सेवी अखिलेश सक्सेना ने कहा कि विकास के नाम पर जो केन्द्र सरकार ने जो भ्रम बेचा था उसे ही अखिलेश यादव भी बेचने लगे हैं। पर अखिलेश को यह जान लेना चाहिए कि भ्रम का बाजार एक बार चलता है बार-बार नहीं। उन्होंने कहा कि मैट्रो के नाम पर जिस तरीके से ठेला-पटरी के दुकानदारों को बिना कोई मुआवजा या पुर्नवास किए भगा दिया जा रहा है वह अखिलेश का गरीब विरोधी समाजवाद को उजागर करता है। एक तरफ बुंदेलखंड से लेकर पूरे सूबे के किसान आत्म हत्या करने को मजबूर है वहीं हाई वे के नाम पर किसानों की सिंचित भूमि का अधिग्रहण किया जा रहा है।

बैठक में रिहाई मंच के अध्यक्ष मुहम्मद शुऐब, रिहाई मंच नेता राजीव यादव, शाहआलम, जियाउद्दीन, शकील कुरैशी, दिनेश चैधरी, अखिलेश सक्सेना, राम कृष्ण, शबरोज मोहम्मदी आदि मौजूद थे।

(प्रेस विज्ञप्ति)

शुक्रवार, 29 जनवरी 2016

संघ कार्यालय में शोधार्थी को बनाया बंधक

रिहाई मंच ने लगाया आरोप। संघ कार्यकर्ताओं नीरज शर्मा, रामवीर सिंह, आशुतोष और अनुभव शर्मा पर कार्रवाई की मांग। हिन्दू स्वाभिमान संगठन की गतिवधियों को प्रतिबंधित करने की मांग। संगठन के स्वामी जी उर्फ दीपक त्यागी पर सपा के युवा इकाई का सदस्य होने का आरोप।

वनांचल न्यूज नेटवर्क

लखनऊ। जनमुद्दों पर बेबाक बयानबाजी के पहचाने जाने वाले रिहाई मंच ने मुजफ्फरनगर स्थित संघ कार्यालय पर शोधार्थी अनिल यादव को बंधक बनाने और उनके साथ दुर्व्यवहार करने का आरोप लगाया है। साथ ही उसने कथित रूप से संघ से जुड़े नीरज शर्मा, रामवीर सिंह, आशुतोष और अनुभव शर्मा समेत इस मामले में शामिल अन्य लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने की मांग की है। मंच ने मुजफ्फरनगर स्थित राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ कार्यालय को आतंकी कारवाईयों का सेंटर बताया।

रिहाई मंच की ओर से जारी प्रेस विज्ञप्ति में प्रवक्ता राजीव यादव ने बताया कि लखनऊ स्थित गिरि विकास संस्थान के पोजेक्ट रिसर्च एसोसिएट अनिल यादव 'मुजफ्फरनगर सांप्रदायिक हिंसा' विषय पर शोध कर रहे हैं। वे गत 27 जनवरी को शोध के लिए मुजफ्फरनगर गए थे। राजीव ने आरोप लगाया कि वहां शाम को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के लिए कार्य करने वाले नीरज शर्मा, रामवीर सिंह, आशुतोष और अनुभव शर्मा समेत कई लोगों ने अनिल यादव को जबरन पकड़ लिया और रात करीब 8 बजे से 10 बजे तक मुजफ्फरनगर के अंसारी रोड स्थित आरएसएस कार्यालय में बंधक बनाकर रखा। उन्होंने आपराधिक तरीके तीन घंटे तक अनिल को अपने कार्यालय मे बंदकर पूछताछ किया और आईएसआई का एजेंट बोलकर जान से मारने की धमकी दी।

राजीव ने बताया कि अनिल बार-बार कह रहा था कि वह एक शोधार्थी है और परिचय-पत्र भी दिखाया। इसके बावजूद वे लाठी डंडे दिखाकर जान से माने की धमकी देते रहे। इस दौरान अनिल का फोन भी ले लिया और उसमें डायल नंबरों के बारे में यह पूछा गया कि किस आतंकवादी का नंबर है। इतने मुल्लाओं का नंबर तुम्हारे पर कैसे है। परिचय पत्र दिखाने के बाद भी मुसलमान कहकर प्रताडि़त करते रहे और आईएसआई, आईएसआईएस का एजेंट कहकर गांलियां देते रहे। घंटों प्रताड़ना के बाद मोबाइल वापस किया। मंच के प्रवक्ता ने बताया कि इस पूरी घटना में संघ से जुड़े नीरज शर्मा, रामवीर सिंह, आशुतोष और अनुभव शर्मा समेत दो और लोग शामिल थे।

रिहाई मंच के अध्यक्ष मुहम्मद शुऐब ने गिरि विकास संस्थान लखनऊ के पोजेक्ट रिसर्च एसोसिएट अनिल यादव को बंधक बनाने की घटना को अकादमिक जगत के शोधों पर आरएसएस का हमला बताया। उन्होंने कहा कि रोहित वेमुला, दाभोलकर, पंसारे को मार देने या फिर मैगसेसे पुरस्कार से सम्मानित संदीप पाण्डेय को बीएचयू से और मोदी गो बैक का नारा लगाने वालों को बीबीएयू से निकालने और अब अनिल यादव को बंधक बनाने से सवालों को नहीं दबाया जा सकता। जो लोग कहते हैं कि देश में असहिष्णुता नहीं है उन्हें अनिल यादव से पूछना चाहिए की मुसलमान का नंबर रखने भर से जो उनके साथ किया गया उससे उनपर क्या गुजरी। जो यह सोचने पर विवस करता है कि  मुसलमान होना कितना गुनाह हो गया है।

रिहाई मंच के अध्यक्ष ने कहा कि जिस तरह से देश की राजधानी के करीब गाजियाबाद के डासना में पिछले दिनों पश्चिमी उत्तर प्रदेश में हिंदू स्वाभिमान संगठन के लोग मुसलमानों के खिलाफ भड़काकर पिस्तौल, राइफल, बंदूक जैसे हथियार चलाने का प्रशिक्षण आठ-आठ साल के हिंदू बच्चों को दे रहे हैं उस पर खुफिया-सुरक्षा एजेंसियां और सरकार क्यों चुप है। आखिर इस संगठन के प्रमुख नसिहांनंद मुसलमानों और हिंदुओ की बीच युद्ध में पश्चिम उत्तर प्रदेश को आतंक की एक प्रयोगशाला बना रहे हैं उनके खिलाफ सपा सरकार सिर्फ इसलिए चुप है कि स्वामीजी उर्फ दीपक त्यागी कभी सपा के यूथ विंग के प्रमुख सदस्य रह चुके हैं। उन्होंने कहा की ठीक इसी प्रकार मुजफ्फरनगर साप्रदायिक हिंसा के दोषी संगीत सोम सपा से चुनाव तक लड़ चुके हैं। मुलायम सिंह को जो यह अफसोस हो रहा है कि उन्होंने बाबरी मस्जिद के सवाल पर गोली चलवा दी उन्हें और उन जैसे नेताओं को इस बात पर भी अफसोस होना चाहिए कि उन जैसे लोगों की छद्म धर्म निरपेक्षता के चलते हिंदुत्वादी संगठन कैसे छोटे-छोटे बच्चों को आतंकवादी बना रहे हैं और वह चुप हैं। जिस तरह से आतंकी हिंदू स्वाभिमान संगठन के महासचिव राज्य स्तरीय पहलवान अनिल यादव कहते हैं कि पहलवानों को योजनाबद्ध तरीके से कट्रपंथ की शिक्षा के जरिए तैयार कर सड़कों पर खुला छोड़ दिया जाए तो बड़ा हंगामा कर सकते हैं। ऐसे में यह हिंदू समाज के लिए भी सोचने का वक्त है कि एक अनिल यादव जो अपने धर्मनिरपेक्ष मूल्यों की वजह से प्रताडि़त होता है उसके साथ उसे खड़ा होना है या फिर वो जो इनके बच्चों को हिंदू स्वाभिमान के नाम पर आतंकी बना रहे हैं उनके साथ।


मुहम्मद शुऐब ने कहा कि अकादमी जगत के लोगों पर हो रहे हमले यह साफ करते है कि संघ तार्किक विचारों से कितना डरता है। उन्होंने कहा कि यह हमला देश के लोकतांत्रिक ढांचे को तहस-नहस करने का है इसे कत्तई बर्दास्त नहीं किया जाएगा।

वहीं, मुजफ्फरनगर संघ कार्यालय ने ऐसी किसी भी घटना से साफ इंकार किया है।