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सोमवार, 18 जून 2018

पदोन्नति में आरक्षण की बहाली के लिए आरक्षण समर्थकों ने फूंका बिगुल, 24 घंटे में आरक्षण बहाली नहीं होने पर देश व्यापी प्रदर्शन की दी चेतावनी

आरक्षण समर्थकों ने पदोन्नति में आरक्षण का बिल पास करने और आरक्षण अधिनियम-1994 की धारा-3(7) को 15 नवंबर 1997 से लागू करने की मांग उठाई।
पिछड़े वर्गों के लिये पदोन्नति में आरक्षण की वर्ष 1978 में लागू व्यवस्था पुनः बहाल करने उठी पुरजोर मांग।  
वनांचल एक्सप्रेस ब्यूरो
लखनऊ। पदोन्नति में आरक्षण की बहाली की मांग को लेकर आरक्षण समर्थकों ने रविवार को गोमती नगर स्थित डॉ. भीमराव अंबेडकर स्मारक स्थल पर भाजपा की अगुआई वाली केंद्र सरकार समेत विभिन्न राज्य सरकारों के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। राज्य के विभिन्न इलाकों से इकट्ठा हुए हजारों कार्मिकों ने आरक्षण बचाओ संघर्ष समिति के बैनर तले विधानसभा की ओर पैदल मार्च किया। सभी ने लोक सभा में लम्बित 'पदोन्नति में आरक्षण संबंधी 117वां संवैधानिक संशोधन विधोयक पास करने और उच्चतम न्यायालय के आदेश के क्रम में उत्तर प्रदेश आरक्षण अधिनियम-1994 की धारा-3(7) को 15 नवंबर 1997 से बहाल करने की मांग की। साथ ही उन्होंने केंद्र और राज्य सरकार को चेतावनी दी कि अगर 24 घंटे के अंदर उत्तर प्रदेश में पदोन्नति में आरक्षण बहाल नहीं किया गया तो वे भाजपा की केंद्र और राज्य सरकारों के खिलाफ देश व्यापी धरना-प्रदर्शन करेंगे।

रविवार, 31 जनवरी 2016

मुज़फ़्फ़रनगर हिंसा पर सहाय कमीशन की रिपोर्ट को सार्वजनिक करे सरकारः रिहाई मंच

मंच ने शोधार्थी अनिल यादव को प्रताड़ित करने वाले संघ कार्यकर्ताओं के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने की मांग की।

वनांचल न्यूज नेटवर्क

लखनऊ। मुजफ़्फ़रनगर हिंसा पर सहाय कमीशन की रिपोर्ट को विधान सभा में सार्वजनिक करने की आवाज़ तेज हो गई है। आतंकवाद के नाम पर गिरफ्तार बेगुनाओं की रिहाई के लिए प्रमुखता से कार्य करने वाले जनसमर्थक संगठन रिहाई मंच ने कहा है कि राज्य सरकार विधान सभा के मौजूदा सत्र में मुजफ्फरनगर हिंसा की जांच के लिए गठित सहाय कमीशन की रिपोर्ट को सार्वजनिक करे। साथ ही मुजफ्फरनगर स्थित संघ कार्यालय में शोधार्थी अनिल यादव को प्रताड़ित करने वाले संघ कार्यकर्ताओं के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर उन्हें गिरफ्तार करे। मंच ने राज्य सरकार को चेताया है कि अगर वह ऐसा नहीं करती है तो मंच संघर्षकारी ताकतों के साथ मिलकर पूरे प्रदेश में राज्य सरकार के खिलाफ आंदोलन करेगा।

रिहाई मंच के प्रवक्ता शहनवाज आलम की ओर से जारी विज्ञप्ति में कहा गया है कि मंच कार्यालय पर पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं की बैठक हुई। इसमें रिहाई मंच नेता शकील कुरैशी ने कहा कि सांप्रदायिक जेहनियत वाले संघ के लोगों ने दाढ़ी बढ़ाने और मोबाइल में मुस्लिम युवकों के फोन नंबर रखने पर जिस प्रकार से शोध छात्र अनिल यादव को प्रताडि़त किया, उससे पता चलता है कि 2013 में भाजपा-सपा ने मुजफ्फरनगर में जो आग लगाई थी, वह अभी शांत नहीं हुई है। उन्होंने कहा कि जब सपा के लोग कहते हैं कि मुजफ्फरनगर के लिए भाजपा दोषी है तो आखिर में उन दोषियों को सजा देने के लिए सहाय कमीशन की रिपोर्ट को वह क्यों नहीं सार्वजनिक कर रही है। उन्होंने कहा कि मुसलमान और इंसाफ पसन्द अवाम यह जान रही है कि जो मुलायम बाबरी मस्जिद प्रकरण को लेकर अब अफसोस जता रहे हैं वह मुजफ्फरनगर के दंगाईयों को सिर्फ इसलिए बचा रहे हैं कि उन्हें फिर से अफसोस न करना पड़े।

इंसाफ अभियान के महासचिव दिनेश चौधरी ने कहा कि शोध छात्र अनिल यादव की जगह अगर कोई मुसलमान शोध छात्र होता तो यही पुलिस आरएसएस के गुण्डों के कहने भर से उसे आईएसआईएस या आईएसआई से जोड़कर जेल भेज बड़ा आतंकी करार दे देती। लेकिन घटना के दो दिन बीत जाने के बाद भी संघ के सांप्रदायिक तत्वों नीरज शर्मा, रामवीर सिंह, आशुतोष, अनुभव शर्मा के खिलाफ कोई मुकदमा दर्ज न होना सपा की संघी सांठगांठ को उजागर करता है। उन्होंने मांग की कि जल्द के जल्द दोषियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर गिरफ्तारी नहीं की गई तो इंसाफ पसन्द अवाम को सड़कों पर उतरने के लिए सरकार मजबूर करेगी।

रिहाई मंच नेता शबरोज मोहम्मदी ने कहा कि सपा सरकार ने चुनावी वादा किया था कि आतंकवाद के नाम पर कैद बेगुनाहों की रिहाई और पुर्नवास व मुआवजा देगी। सरकार अपने कार्यकाल के चैथे साल का अंतिम सत्र चला रही है पर जिस तरीके से वह मौन है ठीक उसी तरीके से उसके प्रति मुस्लिम समाज भी मौन है, ऐसी गलतफहमी अखिलेश यादव ने अगर पाली है तो 2017 में मुसलमान इसका जवाब देगा। उन्होंने मांग की कि सरकार मरहूम मौलाना खालिद और तारिक की गिरफ्तारी पर गठित निमेष कमीशन की रिपोर्ट पर कार्रवाई करते हुए दोषी पुलिस अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करे। नागरिक परिषद के रामकृष्ण ने कहा कि जिस तरीके से बेगुनाहों के छूटने के बाद भी उनको जमानत लेना पड़ रहा है वह दरअसल हमारी व्यवस्था का अपने नागरिकों पर कोई भरोसा नहीं है की पुष्टि करता है। जो अलोकतांत्रिक है। उन्होंने कहा कि जमानत के पूरी प्रक्रिया को बदल कर सिर्फ देश के नागरिक होने के किसी भी पहचान पत्र पर जमानत देने की व्यवस्था बनाई जाए।

समाज सेवी अखिलेश सक्सेना ने कहा कि विकास के नाम पर जो केन्द्र सरकार ने जो भ्रम बेचा था उसे ही अखिलेश यादव भी बेचने लगे हैं। पर अखिलेश को यह जान लेना चाहिए कि भ्रम का बाजार एक बार चलता है बार-बार नहीं। उन्होंने कहा कि मैट्रो के नाम पर जिस तरीके से ठेला-पटरी के दुकानदारों को बिना कोई मुआवजा या पुर्नवास किए भगा दिया जा रहा है वह अखिलेश का गरीब विरोधी समाजवाद को उजागर करता है। एक तरफ बुंदेलखंड से लेकर पूरे सूबे के किसान आत्म हत्या करने को मजबूर है वहीं हाई वे के नाम पर किसानों की सिंचित भूमि का अधिग्रहण किया जा रहा है।

बैठक में रिहाई मंच के अध्यक्ष मुहम्मद शुऐब, रिहाई मंच नेता राजीव यादव, शाहआलम, जियाउद्दीन, शकील कुरैशी, दिनेश चैधरी, अखिलेश सक्सेना, राम कृष्ण, शबरोज मोहम्मदी आदि मौजूद थे।

(प्रेस विज्ञप्ति)

शनिवार, 21 फ़रवरी 2015

अवैध खनन की एसआईटी जांच समेत 23 सूत्री मांगों को लेकर रिहाई मंच ने दिया धरना

पुलिस अभिरक्षा में हुई खालिद मुजाहिद पर गठित निमेष आयोग की रिपोर्ट पर एटीआर सार्वजनिक करे राज्य सरकारः रिहाई मंच

वनांचल एक्सप्रेस ब्यूरो

लखनऊ। सूबे की बिगड़ती कानून व्यवस्था, वादा खिलाफी, राजनीतिक भ्रष्टाचार, अवैध खनन और मजदूर-किसान विरोधी नीतियों समेत विभिन्न मुद्दों को लेकर रिहाई मंच ने गत 19 फरवरी को स्थानीय लक्ष्मण मेला मैदान में इंसाफ दोबैनर तले धरना दिया। इस दौरान मंच की ओर से मुख्यमंत्री को संबोधित 23 सूत्रीय ज्ञापन राज्य सरकार के प्रतिनिधि को दिया गया। इसमें सोनभद्र और मिर्जापुर समेत प्रदेश के विभिन्न हिस्सों में हो रहे धड़ल्ले से हो रहे अवैध खनन में संलिप्त खनन माफियाओं, राजनेताओं, नौकरशाहों और कुछ पत्रकारों के सिंडिकेट की जांच उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति के अधीन गठित विशेष जांच दल (एसआईटी) से कराने की मांग की गई। साथ ही मंच ने 27 फरवरी 2012 को सोनभद्र के बिल्ली-मारकुंडी खनन क्षेत्र में हुए हादसे में मरने वाले 10 मजदूरों के परिजनों को तत्काल मुआवजा देने के साथ करीब तीन साल से लंबित मजिस्ट्रेटियल जांच पूरी नहीं होने पर राज्य सरकार को आड़े हाथों लिया। मंच ने आरोप लगाया कि राज्य सरकार खनन मजदूरों के संगठित कातिलों को बचाने की कोशिश कर रही है।

इलाहाबाद से आए सामाजिक न्याय मंच के नेता राघवेन्द्र प्रताप सिंह ने कहा कि पिछड़ों की हितैशी बताने वाली सपा सरकार में सामंती ताकतों के हौसले बुलंद हैं। पिछले दिनों जालौन के माधौगढ़ के दलित अमर सिंह दोहरे की सामंतों द्वारा नाक काटे जाने की घटना इसका ताजा उदाहरण है। केन्द्र की मोदी सरकार ने जीवन रक्षक दवाओं का दाम बढ़ाकर आम जनता के बुरे दिनों की शुरुआत कर दी है जिस पर प्रदेश सरकार की चुप्पी स्पष्ट करती है कि वह भी गरीब बीमार जनता के खिलाफ दवा माफिया के साथ खड़ी है। उन्होंने मांग की कि अखिलेश सरकार जिला अस्पतालों पर कैंसर, दिमागी बुखार और अन्य जानलेवा बीमारियों के इलाज के लिए विशेष चिकित्सा इकाई स्थापित करे तथा प्रदेश में चल रहे अवैध अस्पतालों को तत्काल बंद कराए। राघवेन्द्र प्रताप सिंह ने बीटीसी प्रशिक्षुओं के धरने का समर्थन करते हुए उनकी मांगों का समर्थन किया है।

धरनाकर्मियों को संबोधित करते हुए सोनभद्र से प्रकाशित हिन्दी साप्ताहिक समाचार-पत्र 'वनांचल एक्सप्रेस' के संपादक शिवदास प्रजापति ने कहा कि अवैध खनन के कारण सोनभद्र का बिल्ली-मारकुंडी खनन क्षेत्र खनन मजदूरों का कब्रगाह बन गया है। एक सोची-समझी साजिश के तहत वहां औसतन हर दिन एक मजदूर की हत्या की जा रही है और इसमें भ्रष्ट नौकरशाहों से लेकर खनन माफिया, राजनेता और कुछ पत्रकार तक शामिल हैं। यह बात अब खनन विभाग के सर्वेक्षक ने भी लोकायुक्त के यहां दिए बयान में स्वीकार कर लिया है। वास्तव में सोनभद्र-मिर्जापुर समेत प्रदेश के विभिन्न हिस्सों में हो रहे अवैध खनन में संलिप्त खनन माफियाओं, नौकरशाहों, राजेनताओं और पत्रकारों के सिंडिकेट की जांच उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति के अधीन विशेष जांच दल (एसआईटी) से कराई जानी चाहिए और अवैध खनन के लिए जिम्मेदार व्यक्तियों के खिलाफ आपराधिक केस दर्ज कर उन्हें जेल भेज देना चाहिए। बिल्ली-मारकुंडी खनन हादसे को करीब तीन साल पूरे हो चुके हैं लेकिन उसकी मजिस्ट्रेटियल जांच अभी तक पूरी नहीं हुई है। इस वजह से मृतक मजदूरों के परिजनों को मुआवजा तक नहीं मिल सका है। सरकार को जल्द से जल्द उक्त खनन हादसे की जांच पूरी करानी चाहिए ताकि इसके दोषी जेल भेजे जा सकें।  

मंच के सदस्य गुफरान सिद्दीकी और हरे राम मिश्र ने कहा कि आज पूरा सोनभद्र अवैध खनन की मंडी बन चुका है और इस गोरखधंदे में नेता, नौकरशाह, खनन माफिया और पत्रकार तक शामिल हैं। इतना ही नहीं राज्य सरकार के खनन मंत्री गायत्री प्रसाद प्रजापति समेत मुख्यमंत्री अखिलेश यादव पूरे सूबे में हो रहे अवैध खनन के लिए जिम्मेदार हैं। अवैध खनन में शामिल राज्य सरकार के मंत्रियों और उनके सहयोगियों के खिलाफ तत्काल आपराधिक मुकदमा दर्ज कराई जानी चाहिए। साथ ही उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति द्वारा उनकी भूमिका की जांच कराकर उन्हें सलाखों के पीछे भेज देना चाहिए ताकि किसी भी खनन मजदूर की हत्या नहीं हो सके और ना ही किसी मंत्री को दो जाने वाली कथित धनराशि "वीआईपी" की वसूली हो सके।

धरने के दौरान आजमगढ़ से आए रिहाई मंच के नेता तारिक शफीक ने कहा कि आतंकवाद के नाम पर मौलाना खालिद मुजाहिद को फर्जी ढंग से फंसाया गया। फिर उनकी हत्या कर दी गई। इसकी विवेचना कर रहे विवेचक जिस तरह से आरोपी पुलिस एवं आईबी के 42 अधिकारियों को बचाने में लगे हैं, वह न्याय की हत्या है। उन्होंने कहा कि विवेचना में जिस तरह से दूसरी बार भी फाइनल रिपोर्ट लगाई गई, वह साबित करती है कि अखिलेश सरकार खालिद को इंसाफ देने वाली नहीं है। तारिक शफीक ने निमेष आयोग की रिपोर्ट पर एक्शन टेकेन रिपोर्ट (एटीआर) जारी करने की मांग की। साथ ही उन्होंने इस मामले में आरोपी 42 पुलिस अधिकारियों पर मुकदमा दर्ज कर उन्हें जेल भेजने की बात कही। उन्होंने सपा सरकार के दौरान आतंकवाद के आरोप से अदालत से दोषमुक्त हो चुके पांच बेगुनाहों का पुर्नवास राज्य सरकार द्वारा तुरंत कराने की भी मांग की।  उन्होंने कहा कि मोदी सरकार में जिस तरह बेगुनाहों का एनकाउंटर के नाम पर कत्ल करने वाले बंजारा को छोड़ा जा रहा है और मुजफ्रनगर के बेगुनाहों के कातिल संगीत सोम के बाद अब सुरेश राणा को भी जेड प्लस सुरक्षा दी गई है, उससे साफ हो गया है कि सांप्रदायिक आतंकवादियों के अच्छे दिन आ गए हैं।
चित्रकूट से आए रिहाई मंच के नेता लक्ष्मण प्रसाद और हाजी फहीम सिद्दीकी ने कहा कि राजधानी में बलात्कारियों का हौसला बढ़ गया है। पिछले दिनों एक बलात्कार पीडि़ता जब बयान देने आयी थी तो चारबाग से ही उसका अपहरण हो गया। वहीं मानिकपुर इलाके की एक घटना का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि आज नौकरशाही में शामिल लोगों के हौसले इतने बढ़ गए हैं कि नीली बत्ती लगी गाड़ी में युवती को खींचकर सामूहिक दुष्कर्म किया जाता है। इसपर जल्द से जल्द लगाम लगना चाहिए।

ऑल इंडिया वर्कर्स काउंसिल के प्रदेश अध्यक्ष शिवाजी राय ने कहा कि गन्ना तथा धान के खरीद में पूरी तरह से फेल हो चुकी अखिलेश सरकार मोदी सरकार द्वारा रासायनिक उर्वरकों के मूल्य को बाजार के हवाले करने की नीति पर पर प्रदेश सरकार ने चुप्पी साध रखी है। नागरिक परिषद के रामकृष्ण ने कहा कि यमुना एक्सप्रेस वे योजना में 232 परिवारों को उजाड़ा गया लेकिन अभी तक उनका पुर्नवास नहीं किया गया है। अंग्रजों द्वारा बनाए गए भूमि अधिग्रहण कानून को तत्काल रद करने की मांग की। सपा सरकार में राजनैतिक आंदोलनकारियों पर मुकदम दर्ज किए जा रहे हैं। उन्होंने मांग की कि राजनैतिक आंदोलनकारियों पर दर्ज मुकदमें वापस लिए जाएं और संविदा कर्मियों को तत्काल स्थाई करते हुए संविदा प्रथा बंद की जाए। 

धरने का संचालन अनिल यादव ने किया। धरने में प्रमुख रुप से हाजी फहीम सिद्दीकी, कमर सीतापुरी, आदियोग, धर्मेन्द्र कुमार, खालिद कुरैशी, अमित मिश्रा, रामबचन, होमेन्द्र मिश्रा, इनायतउल्ला खां, अजीजुल हसन, अमेन्द्र, कमरुद्दीन कमर, डा. एसआर खान, रवि कुमार चौधरी, अनस हसन, अंशुमान सिंह, सत्येन्द्र कुमार, फशीद खान, जैद अहमद फारूकी, केके शुक्ल, मोहम्मद अफाक, शुएब, मोहम्मद शमी, हाशिम सिद्दीकी, इशहाक नदवी, शाहनवाज आलम, राजीव यादव समेत करीब चार दर्जन लोग शामिल थे।

           रिहाई मंच द्वारा मुख्यमंत्री, उत्तर प्रदेश को संबोधित ज्ञापन

                                                                      दिनांक- 19 फरवरी 2015
प्रति,                                                                           
                             मुख्यमंत्री
                        उत्तर प्रदेश शासन, लखनऊ

बिगड़ती कानून व्यवस्था, वादा खिलाफी, राजनीतिक भ्रष्टाचार और मजदूर-किसान विरोधी नीतियों के खिलाफ लक्ष्मण मेला मैदान लखनऊ में आयोजित इंसाफ दो धरने के माध्यम से हम प्रदेश सरकार से मांग करते हैं कि-
§  मौलाना खालिद की हत्या में दोषी पुलिस व आईबी अधिकारियों को क्लीनचिट देने वाले विवेचनाधिकारी के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया जाए।
§  सपा सरकार के चुनावी घोषणा पत्र में किए वादे और आरडी निमेष कमीशन में दी गई व्यवस्था के तहत आतंकवाद के आरोप से दोषमुक्त लोगों के मुआवजा व पुर्नवास की गारंटी की जाए।
§  आरडी निमेष कमीशन की रिपोर्ट पर अमल करते हुए तत्कालीन डीजीपी विक्रम सिंह, एडीजीपी बृजलाल सहित 42 दोषी पुलिस व आईबी अधिकारियों/कर्मियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करते हुए गिरफ्तार किया जाए।
§  सजा पूरी होने के बाद भी जेलों में बंद, लोगों को तत्काल रिहा किया जाए।
§  प्रदेश में महिलाओं की सुरक्षा की गारंटी की जाए।
§  प्रदेश में बढ़ रही दलित उत्पीड़न की घटनाओं पर तत्काल रोक लगाई जाए।
§  जालौन जिले के माधवगढ़ थाने के सुरपति गांव के अमर सिंह दोहरे की उच्च जाति के लोगों द्वारा नाक काट लेने के मामले की उच्च स्तरीय जांच कराई जाए और दोषियों को सजा दी जाए। क्योंकि एससी/एसटी आयोग ने उक्त गांव समेत पूरे बुंदेलखंड इलाके को दलितों के लिए असुरक्षित बताया है।
§  सांप्रदायिक आतंकवाद फैलाने और भड़काऊ भाषण देने वाले संघ परिवार व भाजपा नेताओं के खिलाफ मुकदमें दर्ज किए जाएं।
§  27 फरवरी 2012 को सोनभद्र में हुए बिल्ली-मारकुंडी खनन हादसे में मारे गए दस मजदूरों की मजिस्ट्रेटी जांच पर सरकार स्थिति स्पष्ट करे। हत्या में शामिल दोषी खनन माफियाओं को फिर से खनन की मंजूरी देने वाले दोषी अधिकारियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया जाए। पीड़ित परिवारों को मुआवजा दिया जाए।
§  सोनभद्र, मिर्जापुर और चंदौली में हो रहे अवैध खनन में संलिप्त राजनेताओं, खनन माफियाओं, भ्रष्ट अधिकारियों और पत्रकारों के सिंडिकेट की जांच हाई कोर्ट के वर्तमान न्यायमूर्ति के अधीन विशेष जांच टीम (एसआईटी) गठित कर की जाए।
§  पूरे सूबे में अवैध खनन कराने और आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने के आरोपी खनन मंत्री गायत्री प्रसाद प्रजापति और उनके सहयोगी भ्रष्ट अधिकारियों, कर्मचारियों और सत्ताधारी पार्टी के विभिन्न नेताओं के खिलाफ आपराधिक मुकदमा दर्ज किया जाए।
§  केन्द्र सरकार द्वारा 108 जीवन रक्षक दवाओं की मूल्य वृद्धि पर राज्य सरकार अपना पक्ष सार्वजनिक करे।
§  कैंसर, दिमागी बुखार समेत विभिन्न जानलेवा बीमारियों के उपचार हेतु जिला अस्पतालों पर तत्काल विशेष चिकित्सा इकाई स्थापित की जाए।
§  अवैध अस्पतालों को बन्द कर उनके संचालकों को जेल भेजा जाए तथा पूरे प्रदेश में चल रहे अवैध अस्पतालों की सूची सरकार द्वारा जारी की जाए।
§  गन्ना किसानों की खरीद का भुगतान तत्काल करते हुए, प्रदेश में धान खरीद पर श्वेत पत्र जारी किया जाए।
§  रासायनिक खादों को बाजार के हवाले करने की केन्द्र सरकार की नीति पर प्रदेश सरकार स्थिति स्पष्ट करे।
§  पूरे प्रदेश में तहसील स्तर पर सब्जी व फल मंडियों की स्थापना सुनिश्चित की जाए।
§  अग्रेजों द्वारा बनाए भूमि अधिनियम को समाप्त करते हुए किसान को भूमि स्वामी घोषित किया जाए।
§  ग्राम सभा के बंजर जमीनों के साथ जीएस की जमीनों का वितरण भूमिहीन किसानों को किया जाए।
§  नहरों की सफाई के नाम पर हो रहे भ्रष्टाचार पर सरकार श्वेत पत्र जारी करे।
§  प्रदेश के सभी सरकारी ग्राम सभा के पोखरों और तालाबों को अवैध कब्जे से मुक्त कराया जाए।
§  संविदा पर की गई नियुक्तियों को स्थाई करते हुए संविदा व्यवस्था तत्काल समाप्त की जाए।
§  राजनैतिक आंदोलनकारियों पर दर्ज मुकदमें तत्काल वापस लिए जाएं।

द्वारा-

राघवेन्द्र प्रताप सिंह, शाहनवाज आलम, राजीव यादव, तारिक शफीक, लक्ष्मण प्रसाद, गुफरान सिद्दिीकी, हरेराम मिश्र, शिवाजी राय, रामकृष्ण, अनिल यादव, हाजी फहीम सिद्दीकी, कमर सीतापुरी, आदियोग, धर्मेन्द्र्र कुमार, खालिद कुरैशी, अमित मिश्रा, रामबचन, होमेन्द्र मिश्रा, इनायतउल्ला खां, अजीजुल हसन, शिवदास प्रजापति, अमेन्द्र, कमरुद्दीन कमर, डा. एसआर खान, रवि कुमार चौधरी, अनस हसन, अंशुमान सिंह, सत्येन्द्र कुमार, फशीद खान, जैद अहमद फारूकी, केके शुक्ल, मो0 आफाक, शुएब, मो0 शमी, हाशिम सिद्दीकी, इशहाक नदवी।

शुक्रवार, 7 नवंबर 2014

उ.प्र. के सपनों को मध्य प्रदेश में बेचेगा जेपी समूह

नोएडा से भोपाल शिफ्ट होगा देश का पहला माइक्रो चिप प्लांट। संप्रग सरकार ने फरवरी 2014 में उत्तर प्रदेश में निर्माण की अनुमति प्रदान की थी।

वनांचल एक्सप्रेस ब्यूरो

भोपाल। उत्तर प्रदेश राज्य सीमेंट निर्माण निगम की संपत्तियों के अधिग्रहण के बहाने राज्य सरकार को 409 करोड़ रुपये से ज्यादा का चूना लगाने के बाद जेपी समूह अब मध्य प्रदेश की जनता की संपत्ति को लूटने जा रहा है। उसने उत्तर प्रदेश के सपनों को अब मध्य प्रदेश में बेचने की योजना बनाई है। यूपी की जनता को देश के पहले माइक्रो चिप प्लांट की स्थापना का सपना दिखाने के बाद वह अब उसे भोपाल में स्थापति करने जा रहा है।

देश का पहला माइक्रो चिप बनाने का प्लांट उत्तर प्रदेश (नोएडा के पास) के बजाय अब भोपाल में स्थापित होगा। जयप्रकाश एसोसिएट्स लि. (जेपी समूह) को इस प्रोजेक्ट के लिए यूपीए सरकार ने फरवरी 2014 में उत्तर प्रदेश में निर्माण की अनुमति प्रदान की थी लेकिन अब कंपनी इस प्रोजेक्ट को मध्य प्रदेश में शिफ्ट कर रही है। राज्य सरकार इसके लिए भोपाल एयरपोर्ट के नजदीक 100 एकड़ जमीन आवंटित कर रही है। समूह ने प्रोजेक्ट के लिए जापान से लोन लेने की प्रक्रिया भी शुरू कर दी है।

मंत्रालय सूत्रों ने बताया कि जेपी समूह ने यूएसए की आईबीएम और इजराइल की टॉवर जॉज नामक मल्टीनेशनल कंपनी के साथ मिलकर भोपाल में सेमी कंडक्टर चिप बनाने का प्लांट बनाने का निर्णय लिया है। इस संयुक्त कंपनी में आईबीएम और टॉवर जॉज की भागीदारी 10-10 प्रतिशत की है। जेपी समूह के चेयरमैन जयप्रकाश गौर ने इंवेस्टर्स समिट में 34 हजार करोड़ रुपए मप्र में निवेश करने की घोषणा की थी।

प्लांट की स्थापना के बाद भोपाल देश में इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम डिजाइन और मैन्यूफेक्चरिंग का बड़ा केंद्र बन जाएगा। माइक्रो चिप बनने से प्रदेश को अल्ट्रा हाई-मॉडर्न तकनीक के क्षेत्र में प्रदेश को नई पहचान मिलेगी। एशियाई देशों से इलेक्ट्रॉनिक उपकरण खरीदने की बाध्यता कम होगी। प्रथम चरण में करीब 2 हजार कुशल और अर्धकुशल कामगारों को काम दिया जाएगा। प्लांट में उत्पादन शुरू होने से विदेशी मुद्रा की बचत होगी क्योंकि वर्तमान में सभी इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों में लगने वाले माइक्रो चिप आयात करने पड़ते हैं।

जेपी समूह के कार्यकारी अध्यक्ष सन्नी गौर ने इस मामले पर कहा कि राज्य सरकार को भोपाल और आस-पास के इलाके में जमीन आवंटित करने का प्रस्ताव दिया है। इस प्रोजेक्ट के लिए जापान से लोन लेने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। जैसे ही लोन की स्वीकृति मिलेगी, प्लांट निर्माण का कार्य शुरू हो जाएगा।

                                       क्या है माइक्रो चिप?


प्लांट में उपकरण निर्माण की क्षमता प्रति माह 40 हजार माइक्रो चिप बनाने की होगी। प्रथम चरण में यह क्षमता 20 हजार प्रति माह तय की गई है। जबकि दूसरे चरण में कुछ अतिरिक्त टूल निर्माण के साथ प्लांट 40 हजार प्रति माह उत्पादन क्षमता का होगा। 

खास बात यह है कि इस प्लांट में नई टेक्नालॉजी से नेनो मीटर भी बनाए जाएंगे। माइक्रो चिप आईसी लगभग हर इलेक्ट्रॉनिक उपकरण में इस्तेमाल की जाती है। जैसे मोबाइल फोन, टेलीफोन उपकरण, औद्योगिक तथा स्वचलित प्रोसेस कंट्रोल उपकरण, हवाई जहाज के उपकरण, डिफेंस चिकित्सा स्मार्ट कार्ड में चिप का उपयोग होता है। खास बात यह है कि इस प्लांट में वैफर डिस्क की डिजाइन और टेस्टिंग की सुविधा भी उपलब्ध होगी। 

बुधवार, 27 अगस्त 2014

आश्रम पद्धति आवासीय विद्यालय में छात्र की मौत, उपजिलाधिकारी करेंगे जांच

वनांचल एक्सप्रेस ब्यूरो

सोनभद्र। जनपद के हाथी नाला थाना क्षेत्र के जवारीडाढ़ स्थित आश्रम पद्धति आवासीय विद्यालय में गत 27 अगस्त की रात एक छात्र की मौत हो गई। इसे लेकर स्थानीय लोगों ने मौके पर पहुंचे आलाधिकारियों का घेराव किया। अधिकारियों की ओर से मामले की मजिस्ट्रियल जांच के आश्वासन पर वे शांत हुए। फिलहाल प्रभारी जिलाधिकारी मनीलाल यादव ने मामले का संज्ञान लेते हुए सदर तहसील के उप-जिलाधिकारी राजेंद्र प्रसाद तिवारी को मजिस्ट्रियल जांच की जिम्मेदारी सौंप दी है। उन्हें 15 दिनों के अंदर अपनी जांच आख्या जिला प्रशासन को उपलब्ध कराना है।
जानकारी के मुताबिक बीती रात जवारीडाढ़ स्थित आश्रम पद्धति आवासीय विद्यालय में कक्षा तीन में पढ़ने वाले छात्र उमेश की मौत हो गई। वह तीन दिनों से बीमार था और खाना भी नहीं खा रहा था। सूत्रों की मानें तो उमेश की बीमारी की जानकारी होने पर परिजन उसे लेने विद्यालय पहुंचे थे लेकिन अध्यापक ने उसे घर ले जाने नहीं दिया।

बीती रात उसकी हालत बिगड़ गई और अस्पताल ले जाते समय उसकी मौत हो गई। उसके मौत की सूचना भी परिजनों को काफी देर से दी गई। इसकी जानकारी होने पर मृतक छात्र के परिजनों समेत स्थानीय लोगों ने विद्यालय में जमकर बवाल काटा। उन्होंने मौके पर पहुंचे आलाधिकारियों का घेराव भी किया।

उन्होंने आरोप लगाया कि उमेश की मौत इलाज के अभाव में हुई है। इतना ही नहीं विद्यालय के अस्सी फीसदी बच्चे कुपोषित हैं और उन्हें उनकी सेहत के अऩुसार विद्यालय में भोजन भी नहीं मिलता है। इसके अलावा विद्यालय में चारों तरफ गंदगी का अंबार लगा रहता है।

इस मामले की जानकारी होने पर जिलाधिकारी दिनेश कुमार सिंह ने प्रकरण की मजिस्टियल जांच कराने की बात कही है। उन्होंने स्वीकार किया कि छात्र उमेश की मौत अस्पताल ले जाते समय हुई है।  


बुधवार, 9 जुलाई 2014

केंद्रीय गृहमंत्री की गैर-लोकतांत्रिक पहल

बतौर मुख्यमंत्री राजनाथ सिंह का वह बयान भी उस समय उत्तर प्रदेश में उन हिंसक नक्सली-पुलिस वारदातों पर अंकुश नहीं लगा पाया था जिसमें उन्होंने सुरक्षाकर्मियों से कहा कि वे एक मारते हैं तो तुम चार मारो...
केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने पिछले दिनों नक्सल प्रभावित 10 राज्यों के मुख्य सचिवों, पुलिस महानिदेशकों और केंद्रीय अर्द्धसैनिक बलों के महानिदेशकों की बैठक में नक्सलियों के साथ किसी प्रकार की बातचीत से साफ मना कर दिया। इसमें उन्हें नक्सलियों के खात्मे की संभावनाएं भले ही दिख रही हों लेकिन हकीकत में ऐसा नहीं है। नक्सलियों के खात्मे के लिए केंद्र और राज्य की सत्ता में काबिज विभिन्न सरकारों द्वारा चलाये गए पूर्व अभियानों का अनुभव बताता है कि राजनाथ सिंह उसी पहल को दोहराने जा रहे हैं जिसकी वजह से देश के विभिन्न हिस्सों में हिंसक नक्सली-पुलिस वारदातों की संख्या में इजाफा हुआ। इनमें हजारों बेगुनाह युवाओं और युवतियों को मौत के घाट उतारा गया। चाहे वे नक्सली के नाम पर मारे गए या फिर सरकारी वर्दी में। 
सबसे ज्यादा जनहानि उन वंचित आदिवासी-दलित समुदाय को उठानी पड़ी जो सरकारी उपेक्षा की वजह से दो वक्त की रोटी के लिए वनों और पहाड़ियों में गुमनाम जिंदगी गुजार रहे थे। वे अपना पसीना बहाकर पहाड़ी और बंजर भूमि को उपजाऊ बना रहे थे लेकिन सामंती और बाजारू हुक्मरानों को यह मंजूर नहीं हुआ। उनकी साजिश से उपजी हिंसक नक्सली-पुलिस वारदातों ने उन्हें विस्थापित होने पर मजबूर कर दिया। उनमें से हजारों मौत के घाट उतार दिए गए । जो बचे हैं वे या तो सलाखों के पीछे हैं या फिर खुले आकाश के नीचे। जंगलों और पहाड़ों में पुलिस प्रशासन के शिकंजे से दूर रहने वालों की तादात बहुत ज्यादा थी लेकिन बातचीत और सहयोग के रूप में प्रशासन की ओर से शुरू की गई कम्युनिटी पुलिसिंग व्यवस्था ने इसमें कमी ला दी। इसका नतीजा यह रहा कि देश के कई इलाके हिंसक नक्सली-पुलिस वारदातों से आजाद हो चुके हैं। वहां लोग हिंसा की जगह विकास की बात कर रहे हैं। 
केंद्रीय गृहमंत्री का गृह जनपद चंदौली भी ऐसे ही इलाकों में शुमार है। वहां एक दशक पहले हिंसक नक्सली-पुलिस वारदातों की इबारत लिखी जाती थी और नई दिल्ली में उनपर चर्चा होती थी। बतौर मुख्यमंत्री राजनाथ सिंह का वह बयान भी उस समय उत्तर प्रदेश में उन हिंसक नक्सली-पुलिस वारदातों पर अंकुश नहीं लगा पाया था जिसमें उन्होंने सुरक्षाकर्मियों से कहा कि वे एक मारते हैं तो तुम चार मारो। उनके इस बयान के बाद सोनभद्र, मिर्जापुर और चंदौली में हिंसक नक्सली-पुलिस वारदातों में इजाफा हो गया। हजारों बेगुनाह मारे गए। हजारों को जेलों में ठूंस दिया गया। उनके कार्यकाल के दौरान ऐसे ही चलता रहा। 
राज्य की सत्ता की बागडोर उनके हाथों से निकलने के बाद उक्त जिलों में कम्युनिटी पुलिसिंग व्यवस्था के तहत अधिकारियों, नक्सलियों और ग्रामीणों के बीच बातचीत शुरू हुई। सभी पक्षों में सूचनाओं का आदान-प्रदान हुआ। इसका नतीजा यह हुआ कि कई कथित हार्डकोर नक्सलियों ने आत्म-समर्पण कर दिया। कई वापस घर लौट आए और समाज की मुख्यधारा में शामिल होकर अपने अधिकारों की आवाज बुलंद करने लगे। हिंसक नक्सली-पुलिस वारदातों की संख्या घट गईं। धीरे-धीरे वे बंद हो गईं। प्रशासन में भी उन वारदातों की जगह विकास के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा होने लगी हैं। ऐसा ही आंध्र प्रदेश समेत अन्य राज्यों के विभिन्न इलाकों में भी देखने को मिला है। इसके बावजूद केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह नक्सलियों से बातचीत की प्रक्रिया को बंद करना चाहते हैं। यह लोकतंत्र विरोधी कदम है। नक्सली भी इस देश के नागरिक हैं। उन्हें भी अपनी बात रखने का मौका मिलना चाहिए। 
एक लोकतांत्रिक सरकार का यह दायित्व है कि वह अपने देश के नागरिकों की समस्याओं को सुनें और उनका निदान करे चाहे वह गैर-कानूनी रास्ते से ही अपनी बात क्यों न कह रहे हों? आखिरकार बातचीत में हर्ज ही क्या है? अगर उनकी मांगें लोकतांत्रिक नहीं हैं तो उन्हें नकारा जा सकता है और उनके खिलाफ कानून के विभिन्न प्रावधानों के खिलाफ कार्रवाई की जा सकती है। लेकिन, नक्सली सरीखे विरोधियों से बातचीत की प्रक्रिया को बंद करना एक गैर-लोकतांत्रिक, सामंती और तानाशाही पहल है जो बतौर केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह करने जा रहे हैं। उनकी यह सोच उस ओर इशारा करती है जिसके बल पर गरीबों, आदिवासियों और दलितों का सैकड़ों वर्षों से शोषण और दमन हो रहा है। उनके इस कदम से एक बार फिर देश में दलितों और आदिवासियों के दमन की घटनाओं समेत मानवाधिकार उल्लंघन के मामलों में इजाफा होगा जो भारत जैसी एक लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए शुभ संकेत नहीं है।