शनिवार, 17 अक्तूबर 2015

सत्ताई धनलोलुपता में उड़े इंसानियत के चिथड़े

सोनभद्र में रासपहरी पहाड़ी क्षेत्र में हुए विस्फोट के बाद
मलबे से शव निकालते स्थानीय लोग।
सफेदपोश खनन माफियाओं, भ्रष्ट नौकरशाहों और तथाकथित जनप्रतिनिधियों ने रची साजिश! मुअावजा और मजिस्ट्रेट जांच के नाम पर जनता की आवाज को दबाने की कोशिश। सीबीसीआईडी/ सीबीआई से हो 27 फरवरी 2012 और 15 अक्टूबर, 2015 को हुए हादसों की जांच। 

शिव दास / वनांचल न्यूज नेटवर्क 

सोनभद्र। जनप्रतिनिधियों, नौकरशाहों और सफेदपोश धंधेबाजों की सत्ताई धनलोलुपता में पिछले दिनों एक बार फिर इंसानियत के चिथड़े उड़े। गत 15 अक्टूबर को सोनभद्र की रासपहरी पहाड़ी बारूदी विस्फोट से थर्रा गई और लोग लोथड़े इकट्ठा करते रह गए। घड़ियाली आंसूओं और चंद कागजी टूकड़ों की खैराती बख्शीशों का सपना दिखाकर स्थानीय जनप्रतिनिधियों और नौकरशाहों ने जहां जनता की उग्र आवाज का सौदा किया, वहीं  सफेदपोश खनन माफियाओं, भ्रष्ट नौकरशाहों और तथाकथित जनप्रतिनिधियों के गठजोड़ ने खनन मजदूरों की ‘संगठित हत्या’ का राज दफन करने की कवायद शुरू की।

जिलाधिकारी जीएस प्रियदर्शी ने अपने मातहत डिप्टी कलेक्टर गिरजा शंकर सिंह को पिछले दिनों बिल्ली-मारकुंडी खनन क्षेत्र में हुए विस्फोट की मजिस्ट्रेट जांच सौंपी। डिप्टी कलेक्टर हादसे के लिए जिम्मेदार विभिन्न पहलुओं के साथ संबंधित विभागों के अधिकारियों और कर्मचारियों की भूमिका से संबंधित जांच रिपोर्ट 15 दिनों के अंदर जिलाधिकारी को सौंपेंगे। वहीं सूबे की राजधानी स्थित खनन निदेशालय के निदेशक एसके राय ने सोनभद्र के खनिजों का अवैध दोहन कराकर खनन मजदूरों के लिए मौत का कुआं (पत्थर की खदान) तैयार कराने वाले विभागीय अधिकारी आरपी सिंह को जांच के लिए भेजा है जो यहां जिला खान अधिकारी रह चुके हैं। गौर करने वाली बात है कि आरपी सिंह के कार्यकाल के दौरान जिले में अवैध खनन और परिवहन का गोरखधंधा जमकर फलफूल रहा था। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि वह कितनी जिम्मेदारी और ईमानदारी से हादसे की जांच करेंगे।

अगर वाराणसी परिक्षेत्र के खान सुरक्षा निदेशालय के डायरेक्टर यूपी सिंह की बात करें तो इस मामले में वह और दो कदम आगे हैं। वाराणसी परिक्षेत्र के तहत शामिल सोनभद्र, मिर्जापुर और चंदौली क्षेत्र में खनन व्यवसाय में करीब दस हजार से ज्यादा मजदूर काम करते हैं लेकिन उन्होंने उनकी सुरक्षा और पंजीकरण को लेकर परिक्षेत्र में संचालित होने वाली खदानों और क्रशर प्लांटों को लेकर कभी भी संजीदगी नहीं दिखाई। ना ही उन्होंने उनके खिलाफ कोई कठोर प्रशासनिक कार्रवाई की जबकि परिक्षेत्र की सीमा के अंतर्गत शामिल खनन क्षेत्रों में हर दिन करीब दो मजदूरों की मौत सुरक्षा व्यवस्थाओं की वजह से होती है। विस्फोटकों के इस्तेमाल के लिए प्रशिक्षित मजदूरों और उनकी सुरक्षा को लेकर उन्होंने केवल खानापूर्ति तक की है। इसी की देन है कि सोनभद्र के बिल्ली-मारकुंडी, सिंदुरिया, सुकृत आदि खनन क्षेत्र में संचालित होने वाली पत्थर की खदानों में खान सुरक्षा निदेशालय की ओर से जारी आदेशों और दिशा-निर्देशों का पालन सुनिश्चित नहीं किया जाता है। और, आए दिन मजदूर खनन माफियाओं और सत्ता के दलालों की सांठगांठ में मारे जाते हैं।

पुलिस प्रशासन इस मामले में कुछ ज्यादा ही आगे है। पूर्व पुलिस अधीक्षकों समेत वर्तमान पुलिस अधीक्षक शिव शंकर यादव जिले में तैनात थाना प्रभारियों की उदासीनता को खत्म करने में नाकाम साबित हुए हैं। चोपन, ओबरा, रॉबर्ट्सगंज थानों समेत डाला और सुकृत पुलिस चौकी के प्रभारियों ने अवैध खनन माफियाओं की काली करतूतों को छिपाने और मजदूरों की आवाज को दफन करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उन्होंने क्षेत्र में होने वाले अवैध खनन और विस्फोट को अंदरुनी खाने से जमकर शह दिया है जिसके कारण इन इलाकों की खदानों में मजदूरों की होने वाली मौतें सरकारी फाइलों में दर्ज तक नहीं होती। ना ही इसके लिए जिम्मेदार हत्यारों को कोई कानूनी सजा मिल पाती है। चंद रुपयों में अवैध खनन और विस्फोट से होने वाली मौतों के समर्थन में उठने वाली आवाज को दबा दिया जाता है।

जिले में सफेदपोश समाजसेवियों और जनप्रतिनिधियों की हालत का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि जो लोग कुछ सालों पहले बेरोजगारी का दंश कम करने के लिए चट्टी-चौराहों पर चापलूसी करते थे, वे आज लक्जरी गाड़ियों में दौड़ लगा रहे हैं। दो साल पहले जिनके पास लाख रुपये की जमा पूंजी नहीं थी, आज वह करोड़पति बन बैठे हैं। हालांकि वे ना ही कोई नौकरी करते हैं और ना ही उनका कोई व्यवसाय है। अगर उनका कोई धंधा है तो वह केवल राज-नीति, वह भी लेन-देन की। समाजसेवा का चोला पहने ऐसे तथाकथित जनप्रतिनिधियों की जिले में भरमार है। 

फिलहाल 15 अक्टूबर 2015 की घटना के मामले में सत्ताधारी पार्टी के एक जनप्रतिनिधि का चेहरा कुछ अलग दिखाई दिया है। जिला प्रशासन के दावों के मुताबकि सूबे के मुखिया अखिलेश यादव ने इस हादसे में मरने वाले व्यक्तियों के परिजनों और आश्रितों को मुख्यमंत्री कोष से दो-दो लाख रुपये मुआवजा देने की घोषणा की है जो रॉबर्ट्सगंज के विधायक और सपा जिलाध्यक्ष अविनाश कुशवाहा की पहल पर आधारित है। हालांकि घायलों को मुख्यमंत्री कोष से कोई धनराशि मिलेगी या नहीं, इसका विवरण नहीं दिया गया है। साथ ही जिला प्रशासन ने विस्फोट में मरने वाले व्यक्तियों के आश्रितों को राष्ट्रीय पारिवारिक लाभ योजना के तहत 30-30 हजार रुपये का अतिरिक्त मुआवजा देने का सब्जबाग दिखाया है। 

यहां गौर करने वाली बात है कि जिला प्रशासन जिस अविनाश कुशवाहा की पहल पर मुख्यमंत्री कोष से दो-दो लाख रुपये मुआवजा बांटने की बात कह रहा है, वह इतने सालों से क्या कर रहे थे? पिछले दो सालों से वे समाजवादी पार्टी के जिलाध्यक्ष हैं। पार्टी के प्रदेश इकाई के मुखिया और मुख्यमंत्री अखिलेश यादव उनके ही चश्मे से सोनभद्र की तस्वीर देखते हैं। घोरावल विधानसभा क्षेत्र के विधायक रमेश दुबे और दुद्धी विधानसभा क्षेत्र की विधानसभा सदस्य रुबी प्रसाद की बात करना ही बेमानी है। रमेश दुबे और उनके परिवार के सदस्यों पर सोनभद्र और मिर्जापुर में अवैध खनन कराने का आरोप है जिसकी जांच चल रही है। जबकि रुबी प्रसाद कांग्रेस से पाला बदलकर सपा का दामन पकड़ी हैं। जैसा माना जाता है कि स्थानीय स्तर पर पार्टी का जिलाध्यक्ष और साफ-सुथरी छवि वाला जनप्रतिनिधि ही सूबे के मुखिया की आंख होता है। बहुत हद तक ये पहलू अविनाश कुशवाहा के पक्ष में हैं। लेकिन, विधायक बनने के बाद उनकी और उनके परिवार के सदस्यों समेत उनके रिश्तेदारों और नजदीकियों की संपत्ति में हुआ इजाफा उनकी इस साफ-सुथरी छवि में दाग लगा रहा है। रॉबर्ट्सगंज तहसील द्वार के सामने कुछ जमीन को कब्जा करने का आरोप लगाकर कुछ अधिवक्ता उनके खिलाफ धरना भी दे चुके हैं। 

पिछले तीन सालों से जिले में हो रहे अवैध खनन, परिवहन और विस्फोट की गतिविधियों की वजह से हुई मौतों पर उनकी चुप्पी उनकी पहल पर सवाल भी खड़ा करती है। कहीं उनकी यह कवायद उस साजिश का हिस्सा तो नहीं जो पिछले दिनों हुए हादसे से उठने वाली आवाज को दफन करने के लिए बुनी गई है। बहुजन समाज पार्टी की सरकार के दौरान वर्ष 2012 में 27 फरवरी को बिल्ली-मारकुंडी खनन हादसे में शासन और प्रशासन की ओर से की गई कार्रवाई में कुछ ऐसा ही देखने को मिला था। उस दौरान मारे गए करीब एक दर्जन मजदूरों के परिजनों/आश्रितों को उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से आज तक मुआवजे के रूप में एक फुटी कौड़ी नहीं मिली। ना ही इसके लिए जिम्मेदार खनन माफियाओं, भ्रष्ट नौकरशाहों और सफेदपोशों को सजा मिली। 

क्या अविनाश कुशवाहा की यह जिम्मेदारी नहीं थी कि वे उस हादसे में मारे गए लोगों को भी मुख्यमंत्री कोष से मुआवजे की धनराशि की मांग करते? क्या विधायक अविनाश कुशवाहा और अन्य जनप्रतिनिधि 15 अक्टूबर, 2015 और 27 फरवरी 2012 के हादसों समेत जिले में हो रहे अवैध खनन, विस्फोट और परिवहन की जांच सीबीसीआईडी अथवा सीबीआई अथवा उच्च न्यायालय में कार्यरत न्यायमूर्ति से कराने की अपील मुख्यमंत्री से करेंगे? अगर वे ऐसा नहीं करते हैं तो सोनभद्र में हो रहे खनिजों के अवैध दोहन, परिवहन और विस्फोट की घटनाओं में उनकी भूमिका पर सवाल उठना लाजिमी ही है। साथ-साथ प्रदेश की कथित लोकतांत्रिक व्यवस्था और उसके प्रतिनिधियों पर आम आदमी का भरोसा कमजोर होगा जो एक स्वस्थ लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए शुभ संकेत नहीं है। जरूरी है कि उत्तर प्रदेश की सरकार सोनभद्र और आस-पास के जिलों में हो रहे खनिजों के अवैध दोहन, परिवहन और विस्फोट की जांच किसी न्यायमूर्ति/सीबीसीआईडी/सीबीआई से कराये और मजदूरों की हत्या के लिए जिम्मेदार लोगों को जेल भेजे ताकि आम आदमी का भरोसा उत्तर प्रदेश सरकार समेत भारत की लोकतांत्रिक व्यवस्था पर बना रहे।  

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गुरुवार, 15 अक्तूबर 2015

सोनभद्र में विस्फोट, आठ की मौत, सात घायल

रासपहरी खनन क्षेत्र में हुए विस्फोट की तस्वीर
पत्थर की खदान के मैगजीन रूम में हुआ विस्फोट। खान निदेशालय ने जिलाधिकारी से मांगी रिपोर्ट।

वनांचल न्यूज नेटवर्क

ओबरा (सोनभद्र)/लखनऊ। स्थानीय थाना क्षेत्र अंतर्गत रासपहरी पहाड़ी स्थित एक खदान के मैगजीन रूम (विस्फोटक रखने का कमरा) में गुरुवार को जबरदस्त धमाका हुआ। इसमें दो बालकों समेत आठ लोगों की मौत हो गई। साथ ही सात अन्य लोग गंभीर रूप से घायल हो गए। घायलों का इलाज ओबरा तापीय परियोजना अस्पताल में हो रहा है। जिलाधिकारी ने मामले की मजिस्ट्रेट जांच समेत तकनीकी जांच का आदेश जारी कर दिया है। उधर, खान निदेशालय ने जिलाधिकारी से पूरे घटनाक्रम की रिपोर्ट मांगी है। अवैध खनन का खूनी खेलः जिम्मेदार कौन?

विभागीय अधिकारियों समेत क्षेत्रीय लोगों से मिली जानकारी के मुताबिक बिल्ली-मारकुंडी खनन क्षेत्र में रासपहरी पहाड़ी अंतर्गत अराजी संख्या-5593क की दो एकड़ भूमि में चोपन रोड निवासी विजया कीर्ति के स्वामित्व वाली फर्म मे. आशीष इंटरप्राइजेज के नाम से खनन पट्टा स्वीकृत है। इसकी मियाद 4 जुलाई 2019 तक है। स्थानीय लोगों समेत जिला खान विभाग के एक खनन सर्वेक्षक की मानें तो इस खदान का संचालन अभिषेक सिंह उर्फ काके सिंह नामक व्यक्ति करता है जो विजया कीर्ति का बेटा है। जिलाधिकारी जीएस प्रियदर्शी के मुताबिक खदान की सीमा की दक्षिणी तरफ करीब 25 मीटर दूर मे. आशीष इंटर प्राइजेज का गोदाम (मैगजीन रूम) था जहां अमोनियम नाइट्रेट और जिलेटीन रॉड जैसे विस्फोटक रखा जाता था। इन विस्फोटकों की आपूर्त डाला स्थित सन इंटरप्राइजेज नामक फर्म करती है। पास में ही मजदूरों का अस्थाई आवास भी है। गुरुवार दोपहर दो बजे मजदूरों ने देखा कि मैगजीन रूम से धुआं निकल रहा है। तीन मजदूर विस्फोटक को निकालने के लिए गोदाम के दरवाजे का ताड़ा तोड़ने लगे। तभी विस्फोट हो गया। विस्फोट की चपेट में आने से दो बालकों समेत आठ मजदूरों की मौत हो गई। सात अन्य घायल हो गए। ओबरा तापीय परियोजना अस्पताल में उनका इलाज हो रहा है। इनमें कई की हालत गंभीर है। 

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घटना की जानकारी मिलते ही पुलिस और आलाधिकारी मौके पर पहुंचे लेकिन अन्य विस्फोट होने की आशंका से वे बचाव कार्य में जुट नहीं पाए। करीब दो घंटे बाद प्रशासनिक अधिकारी और कर्मचारी बचाव कार्य में लगे। तब तक जिलाधिकारी समेत अन्य आलाधिकारी भी मौके पर पहुंच गए। धीरे-धीरे शवों का बाहर निकाला गया और घायलों को इलाज के लिए अस्पताल भेजा गया। 

जानकारी के मुताबकि मृतकों में बभनी थाना क्षेत्र के सगोढ़ा गांव निवासी सूरज लाल, जीत सिंह और राम नारायण का नाम शामिल है। इनके अलावा विनोद, छोटू और ज्वाला समेत एक आठ वर्षीय बालक के मरने की बात कही जा रही है। हालांकि वे कहां के हैं, इसका पता नहीं चल पाया है। घटना में झारखंड के गढ़वा के देवरा गांव निवासी छोटेलाल, देव लाल, संतोष, बद्री, बबुंदर, सोनभद्र के बभनी थाना अंतर्गत गभरी निवासी प्रताप नारायण और अमरनाथ एवं लक्ष्मनधारी बैगा गंभीर रूप से घायल हो गए हैं। उनका इलाज ओबरा तापीय परियोजना अस्पताल में हो रहा है।   

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उधर, जिलाधिकारी जीएस प्रियदर्शी ने उक्त घटना की मजिस्ट्रेट जांच और तकनीकी जांच के आदेश दे दिये हैं। विस्फोटकों से संबंधित मामले में जांच डीआईजी, मिर्जापुर करेंगे। वहीं लखनऊ से मिली जानकारी के मुताबिक खान निदेशालय ने जिलाधिकारी, सोनभद्र से घटना की रिपोर्ट तलब की है। बता दें कि वर्ष 2012 में 27 फरवरी की शाम ओबरा थाना क्षेत्र के बिल्ली-मारकुंडी खनन क्षेत्र स्थित एक पत्थर की खदान धंसने से 10 मजदूरों की मौत हो गई थी और अन्य कई गंभीर रूप से घायल हो हुए थे। इसके बावजूद मृतकों के परिजनों को जिला प्रशासन की तरफ से फूटी कौड़ी तक मुआवजा नहीं मिला। मुख्य विकास अधिकारी की जांच भी मजदूरों और मृतक परिजनों के जख्मों पर मरहम नहीं लगा सकी। मृतक मजदूरों के परिजनों को मिलने वाला न्याय खनन माफियाओं, भ्रष्ट नौकरशाहों और तथाकथित जनप्रतिनिधियों की सांठगांठ के आगे दम तोड़ दिया।  

          जिला प्रशासन द्वारा जारी मृतकों और घायलों की सूची 
मृतकों के नाम और पतेः 
(1) सूरत लाल पुत्र जोधी लाल, निवासी गांव- घघरी, थाना-बभनी।
(2) रामायन सिंह पुत्र राम लाल, निवासी गांव घघरी, थाना-बभनी
(3) जीत सिंह पुत्र मोती लाल, निवासी गांव-घघरी, थाना बभनी।
(4) ज्वाला पुत्र सुग्रीव, निवासी गांव कोटा, थाना-चोपन।
(5) विनोद पुत्र रामधनी, निवासी गांव-खैरटिया, थाना-ओबरा। 
(6) राजेश कुमार गुप्ता पुत्र विश्वनाथ गुप्ता, निवासी- वार्ड- चार, थाना- घोरावल
नोटः दो शवों की शिनाख्त नहीं हो पाई है...

घायलों के नाम और पतेः 
(1) अनरसा पुत्र मोतीलाल, निवासी- गांव घघरी, थाना- बभनी।
(2) प्रताप नारायण पुत्र जद्दू लाल, निवासी घघरी, थाना-बभनी।
(3) बद्री केवट पुत्र भागीरथी, निवासी गांव-देवरा, थाना-महुअरिया, जिला-सिंगरौली, राज्य-मध्य प्रदेश
(4) संतोष कुमार पुत्र खेलावन, निवासी गांव-देवरा, थाना-महुअरिया, जिला-सिंगरौली, राज्य-मध्य प्रदेश
(5) छोटेलाल पुत्र शिव दास, निवासी गांव-देवरा, थाना-महुअरिया, जिला-सिंगरौली, राज्य-मध्य प्रदेश
(6) देवलाल पुत्र बाबा गौड़, निवासी गांव-देवरा, थाना-महुअरिया, जिला-सिंगरौली, राज्य-मध्य प्रदेश

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