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शुक्रवार, 7 नवंबर 2014

सपा की साख पर एसडीएम लगा रहे बट्टा, किसानों से जमकर हो रही अवैध वसूली

 मीडिया पब्लिसिटी में मशगूल जिलाधिकारी को किसानों की बातों से ज्यादा भ्रष्ट कर्मचारियों और अधिकारियों पर है ज्यादा भरोसा, सपा की साख में लगा रहे बट्टा।निरंकुश सत्ता के आगे नतमस्तक हुए किसान,  हर वैध काम के लिए दे रहे लाखों रुपये का अवैध दान। 

वनांचल एक्सप्रेस ब्यूरो

सोनभद्र।  सदर तहसील में किसानों से अवैध वसूली का गोरखधंधा थमने का नाम नहीं ले रहा है। यहां के कंप्यूटराइज्ड उद्धरण खतौनी काउंटर पर तैनात लेखपालों समेत सदर तहसील में तैनात अधिकतर कर्मचारी तहसीलदार और एसडीएम के संरक्षण में किसानों से जमकर अवैध वसूली कर रहे हैं। वहीं, मीडिया पब्लिसिटी में मशगूल जिलाधिकारी किसानों की बातों से ज्यादा सदर तहसील के भ्रष्ट कर्मचारियों और अधिकारियों की हवा-हवाई कार्रवाई पर भरोसा कर सपा सरकार की साख में बट्टा लगा रहे हैं तो सूबे की सत्ता में काबिज समाजवादी पार्टी के तथाकथित जनप्रतिनिधि जनता के हितों की उपेक्षा कर अपनी और अपने रिश्तेदारों की संपत्ति में इजाफा करने में मशगूल हैं। इसका नतीजा है कि सदर तहसील स्थित कंप्यूटराइज्ड उद्धरण खतौनी काउंटर पर तैनात लेखपाल और रजिस्ट्रार कानूनगो हर दिन तीन सौ से ज्यादा खतौनियों के आंकड़े गायब कर राज्य सरकार को हर महीने लाखों रुपये का चूना रहे हैं।

सदर तहसील की कंप्यूटराइज्ड उद्धरण खतौनी काउंटर पर कार्यरत लेखपाल विनोद कुमार दुबे और उसके सहयोगी हर दिन किसानों को लूट रहे हैं। वे शासन की ओर से निर्धारित प्रति खतौनी 15 रुपये की जगह किसानों से 20 रुपये वसूल रहे है। किसानों द्वारा अधिक धनराशि वसूले जाने का विरोध करने पर वे उनसे आवेदन-पत्र पर लेखपाल और कानूनगो की रिपोर्ट लगावा कर लाने की बात कह कर शासन द्वारा निर्धारित दर पर खतौनी देने से मना कर देते हैं जिससे किसान उन्हें मजबूरन प्रति खतौनी बीस रुपये देने को बाध्य हो जाते हैं। प्रति खतौनी 20 रुपये की धनराशि पाते ही वे बिना लेखपाल और कानूनगो की रिपोर्ट के ही किसानों को खतौनी मुहैया करा देते हैं यानी सदर की कंप्यूटराइज्ड उद्धरण खतौनी काउंटर पर हर दिन पांच रुपये में कानून बदलता है।  

सदर तहसील क्षेत्र के बहेरवा निवासी किसान रमेश कुशवाहा गत 17 अक्टूबर को कंप्यूटराइज्ड उद्धरण खतौनी काउंटर पर कार्यरत लेखपाल विनोद कुमार दुबे से तीन खतौनी के लिए आवेदन किया। इसमें उनके नाम की खतौनी भी शामिल थी। विनोद कुमार दुबे ने उन्हें दो खातों की खतौनियों को देते हुए तीस रुपये की जगह कुल चालीस रुपये वसूल लिए। काउंटर छोड़ने के बाद जब वह खतौनियों और पैसे का मिलान करने लगे तो उन्हें इसकी जानकारी हुई। जब वह एक अन्य खाते की खतौनी लेने गए, जबतक विनोद कुमार दुबे काउंटर छोड़कर जा चुके थे। उनकी जगह अन्य दूसरा कर्मचारी खतौनी देने लगा था। 

रमेश कुशवाहा ने काउंटर पर कार्यरत लेखपाल से शेष खतौनी की मांग की तो उसने उनसे बीस रुपये रुपये की मांग की। जब रमेश कुशवाहा ने प्रति खतौनी 15 रुपये की बात कही तो काउंटर पर कार्यरत कर्मचारी पांच रुपये फूटकर की मांग करने लगा। फिर भी विनोद कुमार दुबे द्वारा वसूली गई अवैध रकम रमेश कुशवाहा को वापस नहीं की गई। सूत्रों की मानें तो खतौनी के इस गोरखधंधे में हर दिन औसतन पांच हजार रुपये की अवैध कमाई होती है जो तहसील में कार्यरत कुछ लेखपालों और अधिकारियों के बीच बंटता है। इस वजह से उद्धरण खतौनी काउंटर के चार्ज के लिए लेखपालों के बीच होड़ लगी रहती है। ऐसी ही कुछ होड़ रजिस्ट्रार कानूनगो के बीच भी होती है।

इस संबंध में ‘वनांचल एक्सप्रेस’ ने पिछले दिनों जब सदर तहसीलदार योगेन्द्र कुमार सिंह से बात की तो उन्होंने ऐसी किसी भी प्रकार की अवैध वसूली से साफ इंकार किया। जब उनसे मामले की तत्काल जांच कराने की बात कही गई तो उन्होंने उद्धरण खतौनी काउंटर के प्रभारी रजिस्ट्रार कानूनगो अनिल श्रीवास्तव को मौके पर भेजा। वहां अनिल श्रीवास्तव ने उद्धरण खतौनी काउंटर से खतौनी लेने वाले किसानों से प्रति खतौनी की दर की जानकारी ली, जिसमें सभी किसानों ने प्रति खतौनी 20 रुपये की दर से खतौनी लेने की बात स्वीकार की। 

इसके बावजूद उद्धरण खतौनी पर कार्यरत कर्मचारी के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई। इसके बाबत जब तहसीलदार योगेन्द्र कुमार सिंह से बात की गई तो उन्होंने कहा कि कर्मचारी को रंगे हाथ नहीं पकड़ा गया, इसलिए उसके खिलाफ निलंबन अथवा बर्खास्तगी की कार्रवाई नहीं की जा सकती है। फिलहाल उसे कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है। हालांकि नोटिस की प्रति मांगने पर उन्होंने इसे देने से इंकार कर दिया। 

इस बारे में जब उप-जिलाधिकारी राजेंद्र प्रसाद तिवारी से बात की गई तो उन्होंने भी ऐसी किसी भी कार्रवाई से साफ मना कर दिया। हालांकि उन्होंने उद्धरण खतौनी काउंटर से 20 रुपये प्रति खतौनी की दर से किसानों को खतौनी दिए जाने की बात स्वीकार की। उन्होंने इस संबंध में संबंतधित अधिकारियों को फटकार लगाने की बात कही। 

अब सवाल उठता है कि जब संबंधित कर्मचारी किसानों से अवैध वसूली में लिप्त हैं तो फिर एसडीएम उनके खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं कर रहे। इससे यह प्रबल संभावना है कि सदर तहसील के तहसीलदार और उप-जिलाधिकारी के संरक्षण में लेखपाल, कानूनगों और नायब तहसीलदार जमकर किसानों से अवैध वसूली कर रहे हैं।


बुधवार, 3 सितंबर 2014

...यहां पांच रुपये में बदल जाता है कानून

कम्प्यूटराइज्ड उद्धरण खतौनी काउंटर पर कार्यरत लेखपाल किसानों से करे प्रति खतौनी पांच रुपये की अवैध वसूली, प्रशासन मौन।

वनांचल एक्सप्रेस ब्यूरो

रॉबर्ट्सगंज (सोनभद्र)। सदर तहसील। रॉबर्ट्सगंज नगर स्थित सोनभद्र जिले की यह तहसील आए दिन मीडिया की सुर्खियां बटोरता रहता है। यहां के राजस्वकर्मी कभी जिंदा व्यक्ति को मुर्दा घोषित कर उसकी जमीन को अन्य किसी के नाम दर्ज कर देते हैं तो कभी बिल्ली-मारकुंडी खनन क्षेत्र में पत्थर और बालू उत्खनन के लिए आबंटित हुई खदानों का गलत परिसीमन। इतना ही नहीं, वे खनन क्षेत्र में वन विभाग, ग्राम सभा, जिला परिषद और भू-स्वामियों की जमीनों के भौतिक परिसीमन को लेकर भी चर्चा में रहते हैं। इस बार हम आपको उनके एक और कारनामे से आपको अवगत कराने जा रहे हैं। वैसे तो इस कारनामे के बारे में आप भी जानते हैं लेकिन राजस्वकर्मियों की हेकड़ी और संबंधित अधिकारियों की उदासीनता की वजह से आप इसपर संजीदा नहीं हो पाते। सदर तहसील में हर दिन- हर पल पांच रुपये में कानून बदलता है और आप उफ तक नहीं करते। चौंकिए नहीं, यह सच है।   

तहसील स्थित कम्प्यूटराइज्ड उद्धरण खतौनी काउंटर पर कार्यरत राजस्वकर्मी शासन की ओर से निर्धारित शुल्क 15 रुपये की जगह किसानों और भू-स्वामियों से हर दिन प्रति खतौनी 20 रुपये वसूलता है लेकिन विरोध की आवाज तक नहीं उठती। अगर उठती भी है तो उसे कानूनों की दुहाई और खर्चे का हिसाब सुनाकर खामोश करा दिया जाता है। हालांकि अतिरिक्त शुल्क अदा करने पर यह कानून फौर बदल भी जाता है।  

पिछले दिनों वनांचल एक्सप्रेसकी टीम ने किसानों और भू-स्वामियों से मिल रही उक्त शिकायतों की पड़ताल की। टीम की इस पड़ताल में किसानों और भू-स्वामियों की शिकायतें सच साबित हुईं। सदर तहसील के विजयगढ़ परगना अंतर्गत झरना गांव निवासी राम उग्रह गत 16 दिसंबर को किसी कार्य के लिए खतौनी लेने कम्प्यूटराइज्ड उद्धरण खतौनी काउंटर पहुंचे। 

उन्होंने राजस्वकर्मी को 60 रुपये देकर चार खतौनी लेनी चाही लेकिन राजस्वकर्मी ने उन्हें उस दर पर खतौनी देने से मना कर दिया। राजस्वकर्मी उनसे खतौनी प्राप्त करने के आवेदन-पत्र पर लेखपाल और कानूनगो की रिपोर्ट मांगने लगा। ऐसा नहीं करने पर उसने चार खतौनियों के लिए अतिरिक्त 20 रुपये की मांग की। राम उग्रह द्वारा अतिरिक्त 20 रुपये देने पर काउंटर पर बैठे राजस्वकर्मी ने सभी दिशा-निर्देशों की धज्जियां उड़ाते हुए उन्हें उनके द्वारा मांगी गई चारों खतौनियों को दे दिया। कुछ ऐसा ही अनुभव सदर तहसील के विजयगढ़ परगना अंतर्गत गुजैनिया निवासी विशेषर देव का रहा। उन्हें किसी मामले में जमानत देने के लिए खतौनी की जरूरत थी। वे भी उसी दिन खतौनी लेने के लिए उद्धरण खतौनी काउंटर पहुंचे थे। 

वनांचल एक्सप्रेसकी टीम ने जब उनसे पूछा कि उन्हें खतौनी कितने में मिली है तो उनका जवाब था, ‘बीस रुपये। बड़हर परगना क्षेत्र निवासी अमर पुत्र दुलारे और रॉबर्ट्सगंज के टाड़ के डौर निवासी कृष्णकांत त्रिपाठी को भी अपनी भूमि की खतौनी हासिल करने के लिए बीस-बीस रुपये अदा करने पड़े।

इस संदर्भ में जब रॉबर्ट्सगंज के उप-जिलाधिकारी राजेंद्र प्रसाद तिवारी से फोन पर बात की गई तो उन्होंने मामले की जांच कराने की बात कही। उन्होंने स्वीकार किया कि प्रति खतौनी 15 रुपये शुल्क शासन से निर्धारित है। अब सवाल है कि जब शासन से 15 रुपये शुल्क निर्धारित है तो फिर राजस्वकर्मी किसानों और भू-स्वामियों से 20 रुपये क्यों वसूल रहे हैं और यह धनराशि किसके पास जा रही है। 


सूत्रों की मानें तो सदर तहसील के कम्प्यूटराइज्ड उद्धरण खतौनी काउंटर से हर दिन करीब 500 से ज्यादा खतौनियों की बिक्री होती है। इस तरह यहां हर दिन करीब 2,500 रुपये अवैध रूप से किसानों और भू-स्वामियों से वसूले जाते हैं। 

इतना ही नहीं, आम जनता को खतौनी हासिल करने के लिए उद्धरण खतौनी काउंटर के सामने घंटों लाइन में खड़े होना पड़ता है जबकि काउंटर पर बैठा राजस्वकर्मी कमरे के अंदर अपने शुभचिंतकों को खतौनी मुहैया कराता रहता है। इससे सामान्य किसानों और भू-स्वामियों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। कभी-कभी जमानत के मामले में उन्हें निराशा हाथ लगती है। 

(नोटः हिन्दी साप्ताहिक समाचार-पत्र वनांचल एक्सप्रेस के 11वें अंक(22 से 28 दिसंबर, 2013) में प्रकाशित।)