शुक्रवार, 11 सितंबर 2020

BHU ने एसोसिएट प्रोफेसर पद पर चेहेतों की भर्ती के लिए UGC के रेगुलेशन को किया दरकिनार, आरक्षित वर्गों के शिक्षकों ने किया विरोध

विश्वविद्यालय ने अकादमिक योग्यताओं में हाईस्कूल और इण्टरमीडिएट में न्यूनतम 55 प्रतिशत अंकों को बनाया अनिवार्य

वनांचल एक्सप्रेस ब्यूरो

नारस स्थित काशी हिन्दू विश्वविद्यालय (BHU) ने शैक्षिक पदों पर चहेतों की नियुक्ति के लिए विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) के रेगुलेशन-2018 की एक बार फिर धज्जियां उड़ाई हैं। विश्वविद्यालय में एसोसिएट प्रोफेसर पद पर भर्ती के लिए उसने अकादमिक योग्यताओं में हाई स्कूल और इंटर मीडिएट में न्यूनतम 55 प्रतिशत अंकों को अनिवार्य बना दिया है। वहीं, विश्वविद्यालय में कार्यरत आरक्षित वर्गों के शिक्षकों ने इसका विरोध शुरू कर दिया है। उन्होंने कुलपति और एससी-एसटी-ओबीसी स्टैंटिग कमेटी के चेयरमैन को पत्र लिखकर यूजीसी रेगुलेशन-2018 के खिलाफ विश्वविद्यालय प्रशासन के इस निर्णय के खिलाफ विरोध दर्ज कराया है। 

बुधवार, 9 सितंबर 2020

बेरोजगारों की ताली-थाली पर नहीं खुली PM मोदी की जुबान, आज बुझेगी बत्ती-जलेगा दीपक

उत्तर प्रदेश में कानून व्यवस्था को लेकर आज चलेगा जन संगठनों का '#योगी_हटाओ_यूपी_बचाओ' हैशटैग  ट्वीटर अभियान। शाम 6-8 बजे तक चलेगा ट्वीटर अभियान। बेरोजगारों ने रात 9 बजे 9 मिनट तक बत्ती गुल कर दीपक जलाने का किया आह्वान।  

वनांचल एक्सप्रेस ब्यूरो

शिक्षक दिवस (5 सितंबर) पर बेरोजगारों की ताली और थाली की आवाज ने विपक्षी राजनीतिक पार्टियों के कानों में भले ही दर्द पैदा कर दिया हो लेकिन कोरोना वायरस (COVID-19) से उपजे संकट के हालात में ताली-थाली बजवाने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके सहयोगी दलों के प्रमुखों के कानों में उनकी ताली औौर थाली की आवाज आज तक नहीं पहुंची है। इससे नाराज बेरोजगार युवा आज रात 9 बजे घरों की बत्ती गुल कर दीपक जलाकर केंद्र सरकार की नीतियों  का विरोध दर्ज कराएंगे। वहीं, उत्तर प्रदेश में विभिन्न जन संगठनों ने राज्य की कानून व्यवस्था के खिलाफ ट्वीटर पर आज शाम 6 बजे से '#योगी_हटाओ_यूपी_बचाओ' हैशटैग अभियान चलाने का आह्वान किया है।

सोमवार, 7 सितंबर 2020

BHU की असिस्टेंट प्रोफेसर की शिकायत पर वाराणसी के SSP को मानवाधिकार आयोग का नोटिस, 21 सितंबर तक मांगा जवाब

काशी हिन्दू विश्वविद्यालय स्थित महिला महाविद्यालय में समाज शास्त्र की असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. प्रतिमा गोंड़ ने गत 3 जुलाई को लंका थाना पुलिस और भाजपा नेताओं के बीच हुई मारपीट के मामले में आयोग को लिखा था पत्र।

reported by राजीव कुमार मौर्य

वाराणसी के सुंदरपुर चौराहा पर गत 3 जुलाई को सत्ताधारी भाजपा नेताओं और पुलिसकर्मियों के बीच हुई मारपीट के मामले में उत्तर प्रदेश मानव अधिकार आयोग ने वाराणसी के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) से जवाब तलब किया है। आयोग ने काशी हिन्दू विश्वविद्यालय स्थित महिला महाविद्यालय में समाज शास्त्र की असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. प्रतिमा गोंड़ की शिकायत का संज्ञान लेते हुए एसएसपी से आगामी 21 सितंबर तक रिपोर्ट मांगा है। साथ ही आयोग ने चेतावनी दी है कि उसकी अपेक्षा के अनुरूप कार्यवाही नहीं किए जाने पर वह न्यायोचित आदेश पारित कर देगा। 

रविवार, 6 सितंबर 2020

जाति वर्चस्व पर 'शिक्षक दिवस' की कहानी में गुम सामाजिक बदलाव के असली गुरु

(भारत के दूसरे राष्ट्रपति और भारत रत्न डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्मदिन को शिक्षक दिवस (5 सितंबर) के रूप में मनाये जाने को लेकर अब सवाल उठने लगे हैं। भारतीय समाज के एक हिस्से में स्त्रियों और वंचित समाज में शिक्षा की अलख जगाने वाली सावित्रीबाई फुले के जन्मदिन को शिक्षक दिवस के रूप में मनाने की आवाज उठने लगी है। वहीं कुछ लोग डॉ. राधाकृष्णन पर अपने शिष्य जदुनाथ सिन्हा की थीसिस को किताब के रूप में प्रकाशित करवाकर खुद उसका लेखक बनने का आरोप लगाते हैं और उनकी योग्यता पर सवाल खड़ा करते हैं। बहुत से लोग हैं जो डॉ. राधाकृष्णन के जन्मदिन के नाम पर मनाए जाने वाले शिक्षक दिवस को जाति वर्चस्व और उसकी मान्यता के चश्मे से देखते हैं। वर्तमान में केंद्र और राज्य सरकारों की ओर से दिए जाने वाले उत्कृष्ठ शिक्षक पुरस्कारों और उसके लिए चयनित शिक्षकों पर भी सवाल उठने लगे हैं। ऐसे में शिक्षक दिवस और उसकी प्रासंगिकता पर केंद्रित यह लेख उस बहस को आगे बढ़ा सकता है।-संपादक)

written by अच्छेलाल प्रजापति

शिक्षक दिवस (5 सितंबर) पर बधाइयां लेते और देते वक्त गुरु के प्रति जो श्रद्धा भाव उभर कर आता है, वह एक बार मंथन करने को विवश करता है। वह कौन था, जिसने उन लोगों के लिए शिक्षा की जरूरत को महसूस किया और अपना सारा जीवन उसी के लिए समर्पित कर दिया,  जिन्हे भारतीय समाज ने शास्त्र सम्मत शिक्षा प्राप्त करने का अधिकार नहीं दिया था। मेरी समझ से वही व्यक्ति सम्पूर्ण समाज का शिक्षक है। यह दिन उसी को समर्पित होना चाहिए। अगर ऐसे नामों में पर गौर करें तो मेरे जेहन में एक दंपति का नाम आता है। वे हैं ज्योतिबा फुले और सावित्रीबाई फुले।