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रविवार, 8 अगस्त 2021

रिहाई मंच ने की हृदय रोग से पीड़ित अतीकुर्रहमान की रिहाई की मांग


इलाज के लिए अंतरिम जमानत न दिए जाने को बताया अमानवीय

वनांचल एक्सप्रेस

लखनऊ। रिहाई मंच ने मथुरा जेल में बंद हृदय रोग से पीड़ित अतीकुर्रहमान को इलाज के लिए तत्काल रिहा करने की मांग की है। साथ ही, उसने अंतरिम ज़मानत न दिए जाने को अमानवीय और उसके जीवन के अधिकार का हनन बताया।

सोमवार, 19 जुलाई 2021

आंकड़ों में मत उलझाओ, रोजग़ार कहां है ये बतलाओ के नारे के साथ होगा बेरोजगारों का आंदोलन

सूबे में खाली 25लाख रिक्त सरकारी पदों पर भर्ती पर हुई चर्चा। सम्मान जनक रोजग़ार नहीं देने पर प्रतिमाह 10 हजार रुपये बेरोजगारी भत्ता देने की भी मांग उठी।

वनांचल एक्सप्रेस ब्यूरो

लखनऊ। उत्तर प्रदेश में बेरोजगारी से जूझ रहे नौजवानों के मुद्दों पर रविवार को डेमोक्रेटिक यूथ फेडरेशन ऑफ इंडिया (DYFI)के स्थानीय कार्यालय में छात्र-युवा रोजगार अधिकार मोर्चा की एक बैठक हुई। इसमें सूबे के अंदर रोजगार के मुद्दे पर एक आंदोलन खड़ा करने की चर्चा हुई।  

सोमवार, 15 मार्च 2021

सेक्यूलरिज्म के बारे में योगी आदित्यानाथ का बयान दलितों और पिछड़ों को दास बनाने का षडयंत्रः रिहाई मंच

मंच के अध्यक्ष मोहम्मद शुऐब ने की उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के बयान की निंदा। 

वनांचल एक्सप्रेस ब्यूरो

लखनऊ। भारत की संस्कृति और परम्पराओं को विश्व के मंच पर लाने में सेक्यूलरिज़्म बहुत बड़ा खतरा है। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के इस बयान की रिहाई मंच ने निंदा की है। साथ ही उसने कहा है कि योगी आदित्यनाथ का यह बयान देश पर मनुवादी व्यवस्था थोप कर दलितों और पिछड़ों को दास बनाने का एक षणयंत्र है।

गुरुवार, 4 मार्च 2021

गुंडा नियंत्रण (संशोधन) विधेयक और सम्पत्ति विरूपण निवारण विधेयक लोकतांत्रिक आवाजों के दमन का नया हथियार: रिहाई मंच

वनांचल एक्सप्रेस ब्यूरो

लखनऊ। रिहाई मंच ने उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा विधानसभा में पेश उत्तर प्रदेश गुंडा नियंत्रण (संशोधन) विधेयक-2021 और सम्पत्ति विरूपण निवारण कानून-2021 को लोकतांत्रिक आवाजों के दमन का नया हथियार बताया है। साथ ही मंच ने कहा है कि दोनों विधेयकों के जरिए उत्तर प्रदेश की भाजपा सरकार राज्य को पुलिस स्टेट में बदलना चाहती है और विरोधियों का दमन करना चाहती है।

शनिवार, 20 फ़रवरी 2021

पूर्वांचल के किसानों की होगी महापंचायत, संयुक्त किसान मोर्चा के नेता भी होंगे शामिल

गाजीपुर के नंदगंज में संयुक्त किसान मोर्चा की हुई बैठक। मोदी सरकार के विवादित तीन नये कृषि कानूनों के खिलाफ मार्च में पूर्वांचल के किसान करेंगे महापंचायत। 

वनांचल एक्सप्रेस ब्यूरो

गाजीपुर। भाजपा की अगुआई वाली केंद्र की मोदी सरकार के विवादित तीन नये कृषि कानूनों के खिलाफ पूर्वांचल के किसान भी लामबंद होने लगे हैं। मार्च के तीसरे सप्ताह में पूर्वांचल के किसान भी सड़कों पर उतर कर केंद्र सरकार के खिलाफ आंदोलन तेज कर सकते हैं। नंदगंज में पूर्वांचल के किसानों ने पिछले दो दिनों से किसान आंदोलन के मुद्दे पर चर्चा की। संयुक्त किसान मोर्चा की इस दो दिवसीय बैठक में किसान नेताओं ने क्षेत्रीय स्तर पर किसान महापंचायत आयोजित करने का निर्णय लिया जिसमें संयुक्त किसान मोर्चा के राष्ट्रीय नेताओं को भी आमंत्रित किया जाएगा।

मंगलवार, 18 अगस्त 2020

आजादी की पूर्व संध्या पर 'सत्यमेव जयते' की हत्या, पत्नी ने कहा-मुझे न्याय चाहिए

रिहाई मंच ने आजमगढ़ के  तरवां थाना क्षेत्र के बांसगांव के ग्राम प्रधान सत्यमेव जयते के परिजनों से की मुलाकात, यूपी को बताया हत्यारों और बलात्कारियों का गढ़...

वनांचल एक्सप्रेस ब्यूरो

"मेरे पति ही मेरे और मेरे तीन बच्चों का सहारा थे। हत्यारों ने उन्हें भी छीन लिया। ये कैसी सरकार है जहां जनता का प्रतिनिधि ही सुरक्षित नहीं है। दिन-दहाड़े गोली मारकर उनकी हत्या कर दी जा रही है।"

शुक्रवार, 3 जुलाई 2020

CAA विरोधी आंदोलन में कार्रवाई पर रिहाई मंच ने जताई आपत्ति, कहा-रिकवरी और कुर्की की कार्रवाई गैर-कानूनी

रिहाई मंच के महासचिव राजीव यादव ने जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा है कि विभिन्न अदालतें जेलों में भीड़ कम करने के आदेश दे रखे हैं। इसके बावजदू उत्तर प्रदेश की योगी सरकार इस संकटकालीन दौर में भी उसकी अवहेलना करते हुए फर्जी मुकदमे लादकर लोकतांत्रिक आवाज़ों को सलाखों के पीछे डाल रही है...

वनांचल एक्सप्रेस ब्यूरो

लखनऊ। बेगुनाहों की रिहाई के लिए कार्य करने वाले रिहाई मंच ने उत्तर प्रदेश के मऊ, लखनऊ, कानपुर समेत विभिन्न जिलों में सीएए विरोधी आंदोलन के नेताओं पर हत्या, गैंगेस्टर और गुंडा एक्ट जैसे गंभीर मुकदमों में फंसाए जाने को लोकतांत्रिक अधिकारों का खुला उल्लंघन बताया है। साथ ही उसने कहा है कि उत्तर प्रदेश की योगी सरकार आंदोलनकारियों पर दोष सिद्ध हुए बिना कुर्की और सम्पत्ति को नोटिस भेज रही है जो गैर-कानूनी एवं संविधान विरोधी है। 

शनिवार, 20 जून 2020

CAA: रिहाई मंच के अध्यक्ष को रिकवरी नोटिस, मंच ने कहा-बदले की भावना से सरकार कर रही कार्रवाई

नागरिका संशोधन कानून (CAA) विरोधी आंदोलन में शामिल प्रदर्शनकारियों और वक्ताओं को उत्तर प्रदेश की योगी सरकार क्षतिपूर्ति की वसूली के लिए भेज रही नोटिस। रिहाई मंच के अध्यक्ष मोहम्मद शुऐब और एआईपीएफ (रेडिकल) के नेता और पूर्व पुलिस अधिकारी एस.आर.दारापुरी को भी मिला नोटिस। मंच के महासचिव राजीव यादव ने सरकार के नोटिस पर उठाया सवाल, कहा-अदालती प्रक्रिया पूरी हुए बिना वसूली नोटिस भेजकर सरकार कर रही कानून का उल्लंघन।

वनांचल एक्सप्रेस ब्यूरो

लखनऊ। नागरिकता संशोधन कानून विरोधी आंदोलन में शामिल प्रदर्शकारियों और वक्ताओं के खिलाफ उत्तर प्रदेश की योगी सरकार शख्त हो गई है। उसने प्रदर्शन के दौरान हुई क्षतिपूर्ति का आरोप लगाकर उन्हें वसूली नोटिस भेज रही है। उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने रिहाई मंच के अध्यक्ष मोहम्मद शुऐब और पूर्व पुलिस अधिकारी एस.आर. दारापुरी को वसली नोटिस भेजा है। इससे नाराज रिहाई मंच ने संगठन के अध्यक्ष मुहम्मद शुऐब को रिकवरी नोटिस भेजे जाने को बदले की कार्रवाई करार दिया।

शनिवार, 7 जुलाई 2018

‘तुम रं.. की औलाद है छाप दे सुबूत मैं दे रहा हूं तू रं.. की औलाद हो’

आजमगढ़ के कन्धरापुर थाना प्रभारी ने रिहाई मंच के महासचिव राजीव यादव को मोबाइल पर दी धमकी। ऑडियो वायरल। राजीव यादव ने उत्तर प्रदेश सरकार के पुलिस महानिदेशक और राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष को पत्र भेजकर की मामले की शिकायत।
वनांचल एक्सप्रेस ब्यूरो
लखनऊ। उत्तर प्रदेश की योगी सरकार में हुए पुलिस मुठभेड़ों पर सवाल उठाने वाले मानवाधिकार कार्यकर्ता और रिहाई मंच के महासचिव राजीव यादव को उत्तर प्रदेश पुलिस ने धमकी दी है। राजीव यादव ने आजमगढ़ के कन्धरापुर थाना प्रभारी अरविंद यादव पर धमकी देने और अपशब्द करने का आरोप लगाते हुए एक ऑडियो रिकॉर्डिंग वायरल की है जिसमें फोन पर बात करने वाला व्यक्ति साफ कह रहा है-ठीक नहीं होगा जान लेना...सेहत के लिए ठीक नहीं होगा...इसे परामर्श समझो या धमकी जो भी समझते समझ लो...तुम्हारे घर पर आउंगा...मैं कल आ रहा हूं तुम्हारे घर...बचा लेना तो बताना भागो...आफिस कहा है ये बताओ तुम्हारा आफिस कहां है...रहते कहां हो...कल अगर नहीं आए तो ठीक नहीं होगा...कल शाम तक नहीं आए तो मुकदमा लिखूंगा...तुम रं-- की औलाद है...मैं कह रहा हूं तुम अपने बाप की औलाद नहीं हो...अगर फिर नाम छप गया तुम्हारे मंच से तुम अपने लिए खैर मत समझना...सुन लो राजीव होश में रहना होश में रहो दिमाग ठिकाने कर लो...ठीक नहीं होगा तुम्हारे लिए...।

मंगलवार, 27 जून 2017

ये धर्म है, शब्द है या फिर संस्कृति...

ये धर्म है, शब्द है या फिर संस्कृति। जो भी हो, इनसे मेरा वास्ता तकरीबन दस साल का है। अजान के बारे में पहली बार अपै्रल 2008 में तब मालूम चला जब मड़ियाहूं के मरहूम मौलाना खालिद मुजाहिद की आतंकवाद के नाम पर की गई गिरफ्तारी के बाद देर शाम के एक प्रोग्राम के दौरान एकाएक माइक बंद करने को कहा गया। तो मालूम चला की मस्जिद से वक्त-वक्त पर निकलने वाली आवाज अजान के वक्त तेज आवाज नहीं करनी चाहिए। यहीं पहली बार खालिद के चचा जहीर आलम फलाही ने फजर-मगरिब जैसे शब्दों से भी परिचय कराया।
राजीव यादव
19 सितंबर 2008 को जब बाटला हाउस में फर्जी मुठभेड़ हुई, रमजान चल रहा था। उसको लेकर जो इमोशनल सेंटीमेंट संजरपुर, सरायमीर समेत पूरे आजमगढ़ में दिखा। उससे मालूम चला कि यह धार्मिकता के लिहाज से बहुत महत्वपूर्ण है। कितना महत्वपूर्ण है, इस बात के बारे में 2013 में खालिद मुजाहिद की मौत के बाद के धरने के दौरान रमजान पड़ जाने के दौरान मालूम चला।

बुधवार, 2 नवंबर 2016

पुलिस की पिटाई से रिहाई मंच के महासचिव का सिर फटा, हालत गंभीर

भोपाल में कथित पुलिस मुठभेड़ में आठ कैदियों की सामुहिक हत्या में सरकार और पुलिस की भूमिका को लेकर लखनऊ में प्रदर्शन कर रहे थे कार्यकर्ता। 
वनांचल न्यूज़ नेटवर्क
लखनऊ। भोपाल में कथित पुलिस मुठभेड़ में जेल से फरार आठ कैदियों की सामुहिक हत्या के खिलाफ स्थानीय जीपीओ के सामने प्रदर्शन कर रहे रिहाई मंच के कार्यकर्ताओं पर पुलिस ने बुधवार को जमकर लाठियां भांजी जिसमें संगठन के महासचिव राजीव यादव समेत दो लोग गंभीर रूप से घायल हो गए। बताया जा रहा है कि पुलिस ने मंच के महासचिव राजीव यादव को इस कदर पीटा कि उनका सिर फट गया। उन्हें ट्रामा सेंटर में भर्ती कराया गया है। वहीं मंच के कार्यकर्ता शकील कुरैशी भी घायल हुए हैं।

गुरुवार, 28 जुलाई 2016

जातिवादी दिशा में भटकी सामाजिक न्याय की लड़ाई- अनिल चमड़िया


सामाजिक न्याय की चुनावी राजनीति और सांप्रदायिक गठजोड़' विषयक गोष्ठी में बोले वक्ता, बेटियों के अपमान पर ही टिकी है सांप्रदायिक-जातिवादी राजनीति।

वनांचल न्यूज़ नेटवर्क

लखनऊ। जो जातिवादी होगा, वह सांप्रदायिक होगा और जो सांप्रदायिक होगा, वह जातिवादी होगा। इनका गहरा संबन्ध है। सामाजिक न्याय की लड़ाई जातिवादी दिशा में भटक गई है। यह इसलिए हुआ क्योंकि चुनावी राजनीति के लिए ऐसा करना कुछ राजनीतिक पार्टियों के लिए लाभकारी हो सकता है। सामाजिक न्याय की लड़ाई का मूल्यांकन इस तरह से करना चाहिए, क्या कारण है कि इस दौर में सांप्रदायिकता का विस्तार तेजी से हुआ है? दलित उत्पीड़न घटना नहीं, विचारधारा है। दलित उत्पीड़न के उन तमाम औजारों का इस्तेमाल देश के अल्पसंख्यक समुदाय के खिलाफ भी किया जाता रहा है। गाय के बहाने यदि अल्पसंख्यकों पर हमले होते हैं तो उन हमलों से दलितों को भी नहीं बचाया जा सकता। इस तरह दलित उत्पीड़न और सांपद्रायिक उत्पीड़न एक ही है। जो दलित विचारधारा की राजनीति करने का दावा करते हैं, वह वास्तविक विचारधारा की लड़ाई नहीं लड़ते हैं, बल्कि दलित जातियों का वोट बैंक सत्ता पाने के अवसरों के रूप में करते हैं। चुनाव की राजनीति महज वोटों के गठजोड़ से नहीं होती, बल्कि उसका जोर सामाजिक न्याय और लोकतांत्रिक मुद्दों पर एकताबद्ध वोटों में विभाजन की बनावटी दीवार खड़ी करने की भी होती है। दलित चेतना के उत्पीड़न के लिए सामाजिक न्याय की चुनावी पार्टियां भी राज्य मशीनरी का उतना ही दुरुपयोग करती हैं, जितना कि सांप्रदायिक विचारधारा की पार्टियां सांप्रदायिक हमले के लिए करती हैं। जो मुसलमान धार्मिक हैं, वह सांप्रदायिक नहीं है और जो हिंदू सांप्रदायिक है, वह धार्मिक नहीं हैं।

शुक्रवार, 1 जुलाई 2016

‘मिल्ली गजट’ का लाइसेंस रद्द करने का प्रयास लोकतंत्र पर हमला है- रिहाई मंच

आलोचनात्मक समूहों को परेशान करने के लिए छेड़े गए केंद्र सरकार के अभियान ने मीडिया के समक्ष विश्वसनीयता का गम्भीर संकट पैदा कर दिया है...

वनांचल न्यूज नेटवर्क

लखनऊ। अंग्रेजी पाक्षिक मिल्ली गजेट का लाइसेंस रद्द करने का प्रयास मोदी सरकार का निष्पक्ष पत्रकारिता पर लगाम लगाने की एक और कोशिश है। मोदी सरकार द्वारा अपने सामने नतमस्तक मीडिया समूहों के मालिकान को राज्य सभा भेजना और आलोचनात्मक समूहों को परेशान करने के अभियान ने मीडिया के समक्ष विश्वसनीयता का गम्भीर संकट पैदा कर दिया है। यह भारतीय लोकतंत्र के लिए दीर्घकालिक नुकसान साबित होगा जिसकी भरपाई मोदी के जाने के बाद भी लम्बे समय तक नहीं हो पाएगी।

शुक्रवार, 13 मई 2016

आतंकवाद के आरोपों से बरी मुस्लिम युवकों के खिलाफ अपील में जाना सपा सरकार की मुस्लिम विरोधी मानसिकता- रिहाई मंच

वनांचल न्यूज नेटवर्क

लखनऊ । निचली अदालत द्वारा आतंकवाद के आरोपों से बरी किए गए मुस्लिम युवकों के खिलाफ उच्च न्यायालय में अपील करना उत्तर प्रदेश की अखिलेश सरकार की मुस्लिम विरोधी मानसिकता को दर्शाता है। सपा सरकार ने यह कदम उठाकर मुसलमानों के जख्मों पर नमक छिड़कने का काम किया है।

रिहाई मंच के प्रवक्ता शहनवाज आलम की ओर से जारी विज्ञप्ति में ये बाते कही गई हैं। साथ ही मंच ने एनआईए द्वारा मालेगांव बम धमाकों की आरोपी साध्वी प्रज्ञा पर से मकोका हटाने की कार्रवाई को न्यायिक व्यवस्था पर संघी हमला करार दिया है।

मंच के अध्यक्ष एडवोकेट मोहम्मद शुऐब ने कहा है कि सपा ने आतंकवाद के नाम पर फंसाए गए बेगुनाहों को छोड़ने का वादा तो पूरा नहीं किया, जो लोग अदालतों से बरी हुए हैं अब उनके खिलाफ भी सरकार उच्च न्यायालय में अपील करके मुसलमानों के जख्मों पर नमक छिड़क रही है। उन्होंने कहा कि 2 अक्टूबर 2015 को जलालुद्दीन, नौशाद, अजीजुर रहमान, शेख मुख्तार, मोहम्मद अली अकबर हुसैन और नूर इस्लाम मंडल को लखनऊ की विशेष न्यायाधीश (एससीएसटी) अपर जिला एंव सत्र न्यायालय ने बरी कर दिया था। इन अभियुक्तों पर लखनऊ में विस्फोट करने की रणनीति बनाने के आरोप के साथ ही उनसे भारी मात्रा में विस्फोटक बरामद करने का एसटीएफ ने दावा किया था। अदालत ने अपने फैसले में लिखा था मामले की परिस्थतियों व साक्ष्य की भिन्नताएं व विसंगतियां इस बरामदगी को संदेहास्पद बनाती हैं और मामले की परिस्थतियों से यह इंगित हो रहा है कि अभियुक्तगण को पुलिस कस्टडी रिमांड में लेकर उनके खिलाफ फर्जी बयानों के आधार पर यह बरामदगी भी प्लांट की गई है।

इन अभियुक्तों के वकील रहे रिहाई मंच अध्यक्ष ने कहा है कि अपनी जिंदगी के आठ साल जेलां में बिना किसी कुसूर के बिता चुके इन मुस्लिम नौजवानों के बरी होने से सपा सरकार इस कदर दुखी है कि उसने 29 फरवरी 2016 को उच्च न्यायालय में फैसले के खिलाफ अपील दायर कर दी है। जिसकी सुनवाई 10 मई को पड़ी थी। लेकिन सरकारी वकील ने उसे मुल्तवी करा लिया और अब अगस्त में सुनवाइ होगी। उन्हांने कहा कि सरकार के इस रवैये से एक बार फिर साबित हो गया है कि प्रदेश सरकार ने इन मामलों में खुद ही अदालतों को पत्र लिख कर आरोपियों को छोड़ने की जो अपील की थी वह सिवाए नाटक के कुछ नहीं था। मोहम्मद शुऐब ने आगे कहा है कि इन मामलां से बरी हुए बेगुनाह मुस्लिमां में से अधिकतर पश्चिम बंगाल के हैं जिन्हें यहां जमानतदार तक नहीं मिले और किसी तरह उन्होंने खुद अपनी पत्नी, सालों और दूसरे करीबियों को जमानतदार बना कर इन्हें छुड़वाया था। ऐसे में उनकी रिहाई के खिलाफ सरकार का अपील करना सपा सरकार का विशुद्ध साम्प्रदायिक और मुस्लिम विरोधी कार्रवाई है।
हीं विज्ञप्ति में रिहाई मंच के महासचिव राजीव यादव ने कहा कि एक तरफ तो सपा ने मुजफ्फरनगर साम्प्रदायिक हिंसा के मास्टरमाइंड संगीत सिंह सोम और सुरेश राणा और मुसलमानों के हाथ काटने की धमकी देने वाले भाजपा नेता वरूण गांधी के खिलाफ तो सुबूत होने के बावजूद उनके खिलाफ कानूनी कार्रवई में नहीं गई और उन्हें बरी होने में पूरा सहयोग किया। तो वहीं दूसरी ओर बेगुनाह मुस्लिमों का बरी होना उन्हें बर्दाश्त नहीं हो रहा है। मुलायम सिंह को संघ परिवार का पुराना स्वयंसेवक बताते हुए राजीव यादव ने कहा कि इससे पहले भी मुलायम सिंह बाबरी मस्जिद विध्वंस के मास्टरमाइंड लालकृष्ण आडवाणी के खिलाफ बाबरी ध्वंस के आरोपों को वापस ले चुके हैं और आज उनके बेटे भी खुल कर उनके पदचिन्हों पर चलते हुए पहले कानपुर के बजरंगदल के कार्यकर्ताओं जिनकी मौत बम बनाते समय हो गई थी और जिनके पास से कई किलो विस्फोटक बरामद हुआ था के मामले में भी सत्ता में आते ही फाइनल रिपोर्ट लगवा दिया और कानपुर दंगे के षडयंत्रकर्ता एके शर्मा को डीजीपी बना दिया।

उन्होंने कहा कि सपा के इसी मुस्लिम विरोधी नीति के कारण आज भी जहां कई बेगुनाह नौजवान आतंकवाद के आरोप में जेलों में बंद हैं तो वहीं इन आरोपों से बरी हुए वासिफ हैदर जैसे मुस्लिम युवक दर-दर की ठोकरें खाने को मजबूर हैं क्योंकि अखिलेश सरकार ने उन्हें मुआवजा और पुर्नवास का वादा भी पूरा नहीं किया।

राजीव यादव ने कहा कि एनआईए द्वारा मालेगांव आतंकी विस्फोट की आरोपी साध्वी प्रज्ञा पर से मकोका हटाना और सपा सरकार का एनआईए व दिल्ली स्पेशल सेल को प्रदेश में घुस कर बेगुनाह मुस्लिम युवकों को पकड़ने की खुली छूट देना और बरी मुसलमानों के खिलाफ अपील में जाना यह सब आपस में जुड़ी हुई कड़ियां हैं। जो साबित करता है यूपी समेत पूरे देश में बेगुनाह मुस्लिमों को फंसाने का खेल बड़े पैमाने पर शुरू होने वाला है।


शनिवार, 30 अप्रैल 2016

दलितों की झोपड़ियां फूंकने के मामले में विधायक नारद राय की भूमिका की जांच के लिए चला हस्ताक्षर अभियान

भाकपा(माले), आईपीएस और रिहाई मंच के हस्ताक्षर अभियान के तीसरे दिन 500 से ज्यादा लोगों ने किया समर्थन।

वनांचल न्यूज नेटवर्क

बलिया। जिले के शिवपुर दीयर गांव में आगजनी और हिंसा के शिकार दलितों और आदिवासियों को न्याय दिलाने रिहाई मंच और भाकपा मामले समेत कई जनसंगठनों ने अभियान छेड़ दिया है। इन संगठनों के कार्यकर्ताओं ने आगजनी और हिंसा के लिए जिम्मेदार लोगों को दण्ड दिलाने के लिए इलाके में हस्ताक्षर अभियान शुरू कर दिया है जो 2 मई को जिले के दौरे पर आ रहे मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को सौंपा जाएगा। हस्ताक्षर अभियान के तीसरे दिन स्थानीय रेलवे स्टेशन के पास करीब 500 लोगों ने हस्ताक्षर कर उनकी मांगों का समर्थन किया। संगठन के कार्यकर्ताओं का आरोप है कि सदर विधायक नारद राय और उनके समर्थकों ने दलितों की झोपड़ियों में आग लगाया और हिंसा की जिसमें दर्जनों लोग बुरी तरह से घायल हो गए और लाखों की सम्पत्ति का नुकसान हुआ।


रेलवे स्टेशन पर चलाए गए हस्ताक्षर अभियान में आज लगभग 500 लोगों ने अभियान के मांग पत्र से सहमति जताते हुए हस्ताक्षर किए। इस दौरान हुई सभा को सम्बोधित करते हुए इंडियन पिपुल्स सर्विसेज के अरविंद गोंड, भाकपा माले के लक्ष्मण यादव और रिहाई मंच के मंजूर आलम और डॉ अहमद कमाल ने स्टेशन पर एकत्रित लोगों से इस हस्ताक्षरा अभियान में बढ़-चढ़ कर शामिल होने का आह्वान किया। नेताओं ने कहा कि 2 मई को जिले के दौरे पर आ रहे मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को शिवपुर दीयर के दलितों, आदिवासियों के घर जलाने वालों को पुलिस कप्तान मनोज कुमार झा और नारद राय द्वारा बचाने के आपराधिक कृत्य को उजागर करने वाला जांच रिपोर्ट भी सौंपा जाएगा। 

नेताओं ने कहा कि आगजनी और जानलेवा हमले से पहले ही 11 मार्च 2016 को पीडि़तों ने एसपी और डीएम को लिखित में सूचना दी थी कि दबंग उनको जिंदा जला देने की धमकी दे रहे हैं लेकिन पुलिस प्रशासन ने नारद राय के दबाव में काम करने के कारण फरियादियों की कोई मदद नहीं की। यहां तक कि घटना के बाद घटना स्थल पर पहुंचे एसपी ने खुद वहां से कारतूस के दो खोखे बरामद किए लेकिन एफआईआर में इस तथ्य को जानबूझ कर गायब कर दिया गया ताकि केस कमजोर हो जाए। नेताओं ने कहा कि समाजवाद के नाम पर वोट पाकर जीते सदर विधायक का अब तक अपराध स्थल तक नहीं जाना, पीडि़तों को मुआवजा नहीं मिलना साबित करता है कि सपा सरकार सवर्ण और सामंतों की हितों की रक्षा में अपने संवैधानिक कर्तव्य तक भूल गई है। 

उन्होंने कहा कि अपनी सभाओं में दिनेश लाल यादव निरहुआ जैसे अश्लील भोजपूरी गायकों के जरिए भीड़ इकठ्ठा करने वाले युवा मुख्यमंत्री को अपने विधायक के जुल्म से पीडि़त गोंड़, खरवार, पासी और पासवानों के घर भी जाना चाहिए जो खुले आसमान के नीचे रहने को मजबूर हैं। इस दौरान गोपाल जी खरवार, रोशन अली, सुरेश शाह, मनोज शाह, रंजीत कुमार गोंड़, सुशील गोंड़, भरत गोंड़, मिथिलेश पासवान, मुन्ना पासी, शिवशंकर खरवार, रामसेवक खरवार, चंद्रमा गोंड़, मनोज गोंड़ आदि प्रमुख रूप से मौजूद रहे।

बुधवार, 16 मार्च 2016

रिहाई मंच के ‘जन विकल्प मार्च’ पर लाठी चार्ज, महिलाओं समेत दर्जनों घायल, सैकड़ों गिरफ्तार


कार्यकर्ताओं पर लाठी चार्ज और महिला कार्यकर्ताओं से बदसलुकी ।
मनुवाद और सांप्रदायिकता के खिलाफ नया राजनीतिक विकल्प खड़ा कर रहा मंच।

वनांचल न्यूज नेटवर्क

लखनऊ। आतंकवाद के नाम पर देश की विभिन्न जेलों में बंद बेगुनाहों की रिहाई के लिए अभियान चला रहे रिहाई मंच ने आज सैकड़ों कार्यकर्ताओं के साथ जन विकल्प मार्चनिकाला। विधानसभा की ओर जा रहे मार्च को पुलिस ने बीच में ही रोक दिया जिससे मंच के नेताओं और पुलिस के बीच नोकझोंक भी हुई। विधानसभा तक मार्च करने की जिद पर अड़े रिहाई मंच के सैकड़ों कार्यकर्ताओं और नेताओं पर पुलिस ने आखिरकार लाठीचार्ज कर दिया जिससे भगदड़ की स्थिति पैदा हो गई। पुलिस के लाठीचार्ज में महिलाओं समेत दर्जनों लोग घायल हो गए। पुलिस ने मार्च में शामिल नेताओं और कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार कर लिया और उन्हें पुलिस लाइन ले गई। जिन्हें बाद में निजी मुचलके पर छोड़ दिया गया। मंच का दावा है कि पुलिस ने इस दौरान रिहाई मंच के कार्यकर्ताओं के साथ महिला नेताओं के साथ अभद्रता की और उन पर भी लाठीचार्ज किया।


मंच ने कहा कि प्रदेश में सत्तारुढ़ अखिलेश सरकार द्वारा सरकार के चार बरस पूरे होने पर जन विकल्प मार्च निकाल रहे लोगों को रोककर तानाशाही का सबूत दिया है। मंच ने अखिलेश सरकार पर आरोप लगाया कि जहां प्रदेश भर में एक तरफ संघ परिवार को पथसंचलन से लेकर भड़काऊ भाषण देने की आजादी है लेकिन सूबे भर से जुटे इंसाफ पसंद अवाम जो विधानसभा पहुंचकर सरकार को उसके वादों को याद दिलाना चाहती थी को यह अधिकार नहीं है कि वह सरकार को उसके वादे याद दिला सके। मुलायम और अखिलेश मुसलमानों का वोट लेकर विधानसभा तो पहुंचना चाहते हंै लेकिन उन्हें अपने हक-हुकूक की बात विधानसभा के समक्ष रखने का हक उन्हें नहीं देते। अखिलेश सरकार पर लोकतांत्रिक अधिकारों को कुचलने का आरोप लगाते हुए मंच ने कहा कि इस नाइंसाफी के खिलाफ सूबे भर की इंसाफ पसंद अवाम यूपी में नया राजनीतिक विकल्प खड़ा करेगी।


रिहाई मंच के अध्यक्ष मुहम्मद शुऐब ने कहा कि जिस तरीके से इंसाफ की आवाज को दबाने की कोशिश और मार्च निकाल रहे लोगों पर हमला किया गया उससे यह साफ हो गया है कि यह सरकार बेगुनाहों की लड़ाई लड़ने वाले लोगों के दमन पर उतारु है। उसकी वजहें साफ है कि यह सरकार बेगुनाहों के सवाल पर सफेद झूठ बोलकर आगामी 2017 के चुनाव में झूठ के बल पर उनके वोटों की लूट पर आमादा है। सांप्रदायिक व जातीय हिंसा, बिगड़ती कानून व्यवस्था, अल्पसंख्यक, दलित, आदिवासी, महिला, किसान और युवा विरोधी नीतीयों के खिलाफ पूर्वांचल, अवध, बुंदेलखंड, पश्चिमी उत्तर प्रदेश समेत पूरे सूबे से आई इंसाफ पसंद अवाम की राजधानी में जमावड़े ने साफ कर दिया कि सूबे की अवाम सपा की जन विरोधी और सांप्रदायिक नीतियों से पूरी तरह त्रस्त है। उन्होंने कहा कि सपा ने अपने चुनावी घोषणा पत्र में वादा किया था कि आतंकवाद के नाम पर कैद बेगुनाहों को रिहा करेगी, उनका पुर्नवास करेगी और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करेगी। पर उसने किसी बेगुनाह को नहीं छोड़ा उल्टे निमेष कमीशन की रिपोर्ट पर कार्रवाई न करते हुए मौलाना खालिद मुजाहिद की पुलिस व आईबी के षडयंत्र से हत्या करवा दी। कहां तो सरकार का वादा था कि वह सांप्रदायिक हिंसा के दोषियों को सजा देगी लेकिन सपा के राज में यूपी के इतिहास में सबसे अधिक सांप्रदायिक हिंसा सपा-भाजपा गठजोड़ की सांप्रदायिक ध्रुवीकरण की राजनीति द्वारा करवाई गई। भाजपा विधायक संगीत सोम, सुरेश राणा को बचाने का काम किया गया। उन्होंने कहा कि सपा सैफई महोत्सव से लेकर अपने कुनबे की शाही विवाहों में प्रदेश के जनता की गाढ़ी कमाई को लुटाने में मस्त है। दूसरी तरफ पूरे सूबे में भारी बरसात और ओला वृष्टि के चलते फसलें बरबाद हो गई हैं और बुंदेलखंड सहित पूरे प्रदेश का बुनकर, किसान-मजदूर अपनी बेटियों का विवाह न कर पाने के कारण आत्महत्या करने पर मजबूर है।

रिहाई मंच महासचिव राजीव यादव ने कहा कि दलित छात्र रोहित वेमुला की आत्महत्या और जेएनयू में कन्हैया कुमार, उमर खालिद, अनिर्बान को देशद्रोही घोषित करने की संघी मंशा के खिलाफ पूरे देश में मनुवाद और सांप्रदायिकता के खिलाफ खड़े हो रहे प्रतिरोध को यह जन विकल्प मार्च प्रदेश में एक राजनीतिक दिशा देगा। उन्होंने कहा कि बेगुनाहों, मजलूमों के इंसाफ का सवाल उठाने से रोकने के लिए जिस सांप्रदायिक जेहनियत से जन विकल्प मार्चको रोका गया अखिलेश की पुलिस द्वारा जन विकल्प मार्चपर हमला बोलना वही जेहनियत है जो जातिवाद-सांप्रदायिकता से आजादी के नाम पर जेएनयू जैसे संस्थान पर देश द्रोही का ठप्पा लगाती है। उन्होंने कहा कि सपा केे चुनावी घोषणा पत्र में दलितों के लिए कोई एजेण्डा तक नहीं है और खुद को दलितों का स्वयं भू हितैषी बताने वाली बसपा के हाथी पर मनुवादी ताकतें सवार हो गई हैं। प्रदेश में सांप्रदायिक व जातीय ध्रुवीकरण करने वाली राजनीति के खिलाफ    रिहाई मंच व इंसाफ अभियान का यह जन विकल्प मार्च देश और समाज निर्माण को नई राजनीतिक दिशा देगा।

इंसाफ अभियान के प्रदेश प्रभारी राघवेन्द्र प्रताप सिंह ने कहा कि सपा सरकार के चार बरस पूरे होने पर यह जन विकल्प मार्च झूठ और लूट को बेनकाब करने का ऐतिहासिक कदम था। सरकार के बर्बर, तानाशाहपूर्ण मानसिकता के चलते इसको रोका गया क्योंकि यह सरकार चैतरफा अपने ही कारनामों से घिर चुकी है और उसके विदाई का आखिरी दौर आ गया है। अब और ज्यादा समय तक सूबे की इंसाफ पसंद आवाम ऐसी जनविरोधी सरकार को बर्दाश्त नहीं करेगी।

सिद्धार्थनगर से आए रिहाई मंच नेता डॉ. मजहरूल हक ने कहा कि मुसलमानों के वोट से बनी सरकार में मुसलमानों पर सबसे ज्यादा हिंसा हो रही है। हर विभाग में उनसे सिर्फ मुसलमान होने के कारण अवैध वसूली की जाती है। उन्हें निरंतर डराए रखने की रणनीति पर सरकार चल रही है। लेकिन रिहाई मंच ने मुस्लिम समाज में साहस का जो संचार किया है वह सपा के राजनीतिक खात्में की बुनियाद बनने जा रही है। वहीं गोंडा से आए जुबैर खान ने कहा कि इंसाफ से वंचित करने वाली सरकारें इतिहास के कूड़ेदान में चली जाती हैं। सपा ने जिस स्तर पर जनता पर जुल्म ढाए हैं, मुलायाम सिंह के कुनबे ने जिस तरह सरकारी धन की लूट की है उससे सपा का अंत नजदीक आ गया है। इसलिए वह सवाल उठाने वालों पर लाठियां बरसा कर उन्हें चुप कराना चाहती है।

मुरादाबाद से आए मोहम्मद अनस ने कहा कि आज देश का मुसलमान आजाद भारत के इतिहास में सबसे ज्यादा डरा और सहमा है। कोई भी उसकी आवाज नहीं उठाना चाहता। ऐसे में रिहाई मंच ने आतंकवाद के नाम पर मुसलमानों के फंसाए जाने को राजनीतिक मुद्दा बना दिया है वह भविष्य की राजनीति का एजेंडा तय करेगा। बम्बई से आए मोहम्मद इस्माईल ने कहा कि सपा की अपनी करनी के कारण आज पूरे सूबे में जो माहौल बना है वह उससे झंुझलाई सरकार अब उससे सवाल पूछने वालों पर हमलावर हो गई है। रिहाई मंच इस जनआक्रोश को जिस तरह राजनीतिक दिशा देने में लगा है वह प्रदेश की सूरत बदल देगा।


प्रदर्शन को मैगसेसे अवार्ड से सम्मानित संदीप पांडे, फैजाबाद से आए अतहर शम्सी, जौनपुर से आए औसाफ अहमद, प्यारे राही, बलिया से आए डाॅ अहमद कमाल, रोशन अली, मंजूर अहमद, गाजीपुर से आए साकिब, आमिर नवाज, गोंडा से आए हादी खान, रफीउद्दीन खान, इलाहाबाद से आए आनंद यादव, दिनेश चैधरी, बांदा से आए धनन्जय चैधरी, फरूखाबाद से आए योगेंद्र यादव, आजमगढ़ से आए विनोद यादव, शाहआलम शेरवानी, तेजस यादव, मसीहुद््दीन संजरी, सालिम दाउदी, गुलाम अम्बिया, सरफराज कमर, मोहम्मद आमिर, अवधेश यादव, राजेश यादव, उन्नाव से आए जमीर खान, बनारस से आए जहीर हाश्मी, अमित मिश्रा, सीतापुर से आए मोहम्मद निसार, रविशेखर, एकता सिंह, दिल्ली से आए अजय प्रकाश, प्रतापगढ़ से आए शम्स तबरेज, मोहम्मद कलीम, सुल्तानपुर से आए जुनैद अहमद,कानपुर से आए मोहम्मद अहमद, अब्दुल अजीज, रजनीश रत्नाकर, डाॅ निसार, बरेली से आए मुश्फिक अहमद, शकील कुरैशी, सोनू आदि ने भी सम्बोधित किया। संचालन अनिल यादव ने किया।
(प्रेस विज्ञप्ति)

गुरुवार, 25 फ़रवरी 2016

रोहित वेमुला और जेएनयू समर्थकों पर वकीलों ने किया हमला, दर्जनों घायल

रिहाई मंच ने की निंदा। कहा-संघ समर्थक वकीलों द्वारा महिलाओं पर हमले ने उजागर किया उसकी महिला विरोधी मानसिकता।

वनांचल न्यूज नेटवर्क

इलाहाबाद/लखनऊ। कथित राष्ट्रवाद के नाम पर कानून को हाथ में लेकर हिंसा करने का दस्तूर अभी भी जारी है। नई दिल्ली के पटियाला हाउस कोर्ट के बाद संघ-भाजपा समर्थक वकीलों ने आज इलाहाबाद कलेक्ट्रेट परिसर में धरना दे रहे भाकपा (माले) समेत वामपंथी संगठनों के कार्यकर्ताओं और सामाजिक कार्यकर्ताओं को दौड़ा-दौड़ाकर पीटा। इस दौरान हमलावर वकीलों ने लाठी-डंडे को प्रयोग भी किया जिसमें महिलाओं समेत दर्जनों लोग बुरी तरह से घायल हो गये। घायलों की शिकायत पर कर्नलगंज थाने की पुलिस ने अज्ञात लोगों के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया है लेकिन उनपर लगाई गई धाराओं को उजागर नहीं किया है। उधर भाकपा (माले) और अन्य वामपंथी संघटनों समेत रिहाई मंच ने घटना की पुरजोर निंदा की है और कहा है कि यह सपा सरकार की पुलिस के संरक्षण में सांप्रदायिक ताकतों के खिलाफ उठने वाली आवाज को दबाने की कोशिश है जिसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

गौरतलब है कि रोहित वेमुला और जेएनयू प्रकरण को लेकर वामपंथी संगठनों ने आज राष्ट्रीय स्तर पर विरोध-प्रदर्शन का एलान किया था। भाकपा (माले) के केके पाण्डेय समेत विकास स्वरुप, अन्तस सर्वानंद, अखिल विकल्प, अविनाश मिश्रा, उत्पला, मानविका, झरना मालवीया, सुनील मौर्या, रणविजय, उमाशंकर, भीम सिंह चंदेल, राजेश सचान, सुभाष कुशवाहा, डॉ. कमल, अंकुश दुबे समेत सैकड़ों लोग कलेक्ट्रेट परिसर में धरना दे रहे थे। इसी दौरान आधा दर्जन वकील वहां पहुंचे और उनका विरोध करने लगे। थोड़ी देर बाद धरनास्थल पर सैकड़ों की संख्या में वकील वंदे मातरम और भारत माता की जय के नारे लगाते हुए वहां पहुंचे। पहले उन्होंने विरोध किया और फिर उनपर टूट पड़े। इस दौरान महिला कार्यकर्ताओं के साथ बदसलूकी भी की गई। वकील इस कदर आक्रोशित थे कि वे धरनारत लोगों को दौड़ा-दौड़ाकर पीटने लगे। उन्होंने महिलाओं को भी पीटा और उन्हें गाली दी। वकीलों आरोप लगा रहे थे कि धरनारत लोग देश विरोधी नारे लगा रहे थे। इस कारण इनकी पिटाई की गई।

उधर वकीलों की खुलेआम गुंडागर्दी को भाकपा (माले) समेत विभिन्न वामपंथी संगठनों ने सपा समर्थित संघ कार्यकर्ताओं का हमला करार दिया। भाकपा (माले) के नेता सुधीर सुमन ने कहा कि कथित राष्ट्रवाद के नाम पर संघी मानसिकता वाले वकील संघ और भाजपा के खिलाफ उठने वाली आवाज को दबाना चाहते हैं और राज्य की सपा सरकार उनका साथ दे रही है। देश में आपातकाल जैसे हालात हो गए हैं। वहीं, रिहाई मंच ने इलाहाबाद कचहरी में रोहित वेमुला और जेएनयू के छात्र संघ अध्यक्ष कन्हैया कुमार, उमर खालिद और अन्य छात्रों के सवाल पर किए जा रहे धरने पर आरएसएस के गुण्डे वकीलों द्वारा किए गए हमले की कड़ी निंदा की। मंच ने कहा कि आगामी 16 मार्च को लखनऊ में होने वाला जन विकल्प मार्चसपा और भाजपा के सांप्रदायिक गठजोड़ को बेनकाब करेगा।


इंसाफ अभियान के प्रदेश प्रभारी हाईकोर्ट अधिवक्ता राघवेन्द्र प्रताप सिंह ने कहा कि इलाहाबाद में आरएसएस पोषित वकीलों द्वारा हमला पूर्वनियोजित व पुलिस के संरक्षण में हुआ। उन्होंने कहा कि जिस तरीके से संघी गुण्डों ने महिला कार्यकर्ताओं पर हमले ही नहीं किए बल्कि उनके साथ आभद्रता और भद्दी-भद्दी गालियां दी उसने इन संघी राष्ट्रवादियों का महिला विरोधी चेहरा बेनकाब किया है। उन्होंने बताया कि केके पाण्डेय, विकास स्वरुप, अन्तस सर्वानंद, अखिल विकल्प, अविनाश मिश्रा, उत्पला, मानविका, झरना मालवीया, सुनील मौर्या, रणविजय, उमाशंकर, भीम सिंह चंदेल, राजेश सचान, सुभाष कुशवाहा, डा0 कमल, अंकुश दुबे इस हमले में घायल हुए। उन्होंने कहा कि सांप्रदायिकता विरोधी ताकतों पर सपा के सरंक्षण में किए जा रहे हर संघी हमले का जवाब दिया जाएगा।

रिहाई मंच प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य अनिल यादव ने कहा कि कल अमित शाह के यूपी में बहराइच दौरे के बाद जिस तरीके से लखनऊ में और आज इलाहाबाद में संघियों ने हिंसक हमले किए उसने साफ कर दिया कि सपा सरकार के पुलिसिया संरक्षण में भाजपा के गुण्डे हमले कर रहे हैं। इसीलिए हमलावरों को पकड़ना तो दूर उनके खिलाफ एफआईआर तक दर्ज नहीं किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि ठीक इसी तरह मुजफ्फरनगर सांप्रदायिक हिंसा भी गुजरात से तड़ीपार अमित शाह के यूपी में सक्रिय होने के बाद हुई। उन्होंने मांग की कि अखिलेश यादव अमित शाह के यूपी में आने पर प्रतिबंध लगाएं। अनिल यादव ने कहा कि जिस तरीके से भाजपा रोहित वेमुला के सवाल पर दलितों की बीच घिर गई है ऐसे में यूपी में सुहेलदेव की मिथकीय सांप्रदायिक इतिहास को हवा देकर वह यूपी के तराई हिस्सों में सांप्रदायिकता की आग भड़काने का षडयंत्र रच रही है।


रिहाई मंच नेता शकील कुरैशी ने आरोप लगाया कि जो खुफिया एजेंसियां बहराइच में सिमी के सक्रिय होने की झूठी खबरें मीडिया में प्लांट करती हैं उन्हें इन संघियों द्वारा सांप्रदायिकता का जो बारुद बिछाया जा रहा है वह क्यों नहीं दिख रहा है। उन्होंने अपील की कि प्रदेश में सांप्रदायिक व जातीय हिंसा के खिलाफ मजबूत आवाज उठाने के लिए 16 मार्च को होने वाले जन विकल्प मार्चमें इंसाफ पसंद अवाम ज्यादा से ज्यादा तादाद में पहंुचे।