मंगलवार, 18 अगस्त 2020

आजादी की पूर्व संध्या पर 'सत्यमेव जयते' की हत्या, पत्नी ने कहा-मुझे न्याय चाहिए

रिहाई मंच ने आजमगढ़ के  तरवां थाना क्षेत्र के बांसगांव के ग्राम प्रधान सत्यमेव जयते के परिजनों से की मुलाकात, यूपी को बताया हत्यारों और बलात्कारियों का गढ़...

वनांचल एक्सप्रेस ब्यूरो

"मेरे पति ही मेरे और मेरे तीन बच्चों का सहारा थे। हत्यारों ने उन्हें भी छीन लिया। ये कैसी सरकार है जहां जनता का प्रतिनिधि ही सुरक्षित नहीं है। दिन-दहाड़े गोली मारकर उनकी हत्या कर दी जा रही है।"

यह कहना है मुन्नी देवी का। मुन्नी देवी आजमगढ़ के तरवा थाना क्षेत्र के बांसगांव के प्रधान 'सत्यमेव जयते' उर्फ पप्पू प्रधान की बीवी हैं। उनके पति की हत्या देश की आजादी की पूर्व संध्या पर पिछले दिनों कर दी गई थी। अब उनपर बेटी अंजली गौतम (12 साल) समेत बेटे आयुष गौतम (7 साल) और आशु गौतम (5 साल) की जिम्मेदारी आ गई है। वह अभी भी पति की मौत के सदमे से बाहर नहीं निकल पाई हैं। वह कहती हैं, "जैसे मेरे पति की हत्या हुई है, सरकार उसी तरह से दोषियों को फांसी दे।" वह सरकार से सवाल करती हैं, "क्या योगी सरकार के दिए हुए पांच लाख रुपये से मेरे पति वापस आ जाएंगे? क्या मेरे बच्चों के सिर पर बाप का साया वापस आ जाएगा?" वह मांग करती हैं, "मुझे न्याय चाहिए। अगर सरकार उन हत्यारों को सजा नहीं देती है तो सरकार भी उतनी ही दोषी होगी जितने कि वे हत्यारे हैं।"

मृतक ग्राम प्रधान 30 सदस्यीय संयुक्त परिवार में रहते थे। परिजनों का कहना है कि उनका नाम काफी सोच-विचार के बाद 'सत्यमेव जयते' रखा गया था। वहीं, उनके भतीजे का नाम दास प्रथा समाप्त करने वाले अमेरिकी राष्ट्रपति अब्राहम लिंकन के नाम पर 'लिंकन' रखा गया है। अनुसूचित जाति वर्ग के चमार समुदाय से आने वाले 'सत्यमेव जयते' की भतीजी कहती है, "यह कैसी आजादी है? क्या इस सरकार में हम लोग आजाद हैं? उनके चाचा की हत्या आजादी के ठीक एक दिन पहले हो गई। क्या योगी सरकार मेरे छोटे-छोटे भाइयों और मेरी बहनों के सिर पर उनके बाप का साया लौटा सकती है? हत्यारे किसके सहारे खुलेआम घूम रहे हैं?" 

वह सरकार के पांच लाख रुपये की जगह पर पचास लाख रुपये के मुआवजे की मांग रखती है। उसने बच्चों की पढ़ाई-लिखाई के लिए विधायक और सांसद के परिवार की तरह सहयोग की मांग करती है क्योंकि वह भी एक जनप्रतिनिधि थे। उसने आरोप लगाया कि परिवार को कई प्रकार की धमकियां मिल रही हैं। उसका कहना था कि कोई गांव में आया था और चुनौती देकर गया कि अभी एक हत्या हुई है। अभी नौ हत्याएं बची हुई हैं। 

मृतक प्रधान की भाभी कहती हैं कि दोषियों को सजा मिलनी चाहिए, यह हमारा अधिकार है लेकिन परिवार के भरण-पोषण के लिए हमारी देवरानी को एक सरकारी नौकरी, बच्चों को निशुल्क शिक्षा और उनके लिए एक घर भी मिलनी चाहिए। वह आरोप लगाती हैं कि अगर ऐसी घटना किसी सवर्ण जाती के व्यक्ति के साथ होती है तो घर, जमीन, नौकरी, बच्चों के निशुल्क शिक्षा की व्यवस्था की जाती। उसी तरह से मेरे देवर भी जनता के प्रतिनिधि थे और उनको भी यह सुविधा मिलनी चाहिए। 

घटना का संज्ञान लेते हुए लखनऊ स्थित रिहाई मंच का एक प्रतिनिधिमंडल सोमवार को मृतक प्रधान सत्यमेव जयते के घर गया था। मंच ने जारी विज्ञप्ति में  मृतक प्रधान के बड़े भाई और आर्मी के सेवानिवृत्त हवलदार रामप्रसाद के हवाले से दावा किया है कि सत्यमेव जयते की हत्या श्रेयांश कुमार दुबे, विवेक सिंह उर्फ गोलू, विजेंद्र सिंह उर्फ गप्पू और वसीम ने मिलकर किया है। कुछ दिन पहले श्रेयांश अपना चरित्र प्रमाण पत्र बनाने को कह रहा था। उसके पिता ने प्रधान को मना किया था। इसलिए प्रधान ने भी मना कर दिया। घटना से दो दिन पहले श्रेयांश रात में दारू पीकर आया और प्रमाण पत्र न बनाने पर गाली भी दी थी और मारने की बात कही थी। 14 अगस्त को श्रेयांश प्रधान को बुलाकर ले गया। उसने उनसे कहा कि चलो गप्पू सिंह बुला रहे हैं। प्रधान उसके साथ अपनी गाड़ी से चले गए। कुछ आगे जाने के बाद एक आटा चक्की के पास से श्रेयांश ने प्रधान को अपनी गाड़ी पर बिठा लिया और साथ ले गया। जहां इन लोगों ने पहले से शूटर बुला रखा था, वहीं उन लोगों ने उनकी हत्या कर दी।

रिहाई मंच ने जारी प्रेस विज्ञप्ति में ग्राम प्रधान की हत्या की घटना के खिलाफ विरोध प्रदर्शन में सूरज नामक एक लड़के की मौत हो गई थी।  सूरज के चचेरे भाई दीपक बताते हैं कि प्रधान की हत्या की बात जानने के बाद गांव के लोग क्रोधित हो गए। हम लोग उसका विरोध कर रहे थे। तभी पुलिस ने लाठी चार्ज कर दिया। उसी दौरान पुलिस की दो गाड़ी गुजरी जिनमें एक सीओ की गाड़ी थी। इसकी चपेट में आने से मेरे भाई की मौत हो गई। पुलिस ने घटना को छिपाने के लिए अज्ञात वाहन पर मुकदमा लिखा है। गांव वालों का सवाल है कि पुलिस के इतने बंदोबस्त में अज्ञात गाड़ी कैसे हो गई? बता दें कि जिला प्रशासन ने दोनों पीड़ित परिवारों को पांच-पांच लाख रुपये की आर्थिक सहायता मुहैया कराई है और अपराधियों को जेल भेजने का आश्वासन दिया है। 

रिहाई मंच प्रतिनिधि मंडल ने तरवां थाना के बीबीपुर गांव में 15 अगस्त की रात 2 बजे हुए हिंसक हमले के पीड़ितों के परिजनों से मुलाकात की। आमिर अहमद के परिजनों ने बताया कि पुराने कोटेदार की जांच आमिर द्वारा कराई गई थी। इसके चलते पूर्व कोटेदार अनिल सिंह ने रात में सोते समय कुल्हाड़ी से हमला करवाया। इसमें आमिर को गम्भीर चोटें आईं और इस समय वे वेदांता अस्पताल में भर्ती हैं।

रिहाई मंच ने कहा है कि आज़मगढ़ में बच्ची के दुष्कर्म और हत्या की खबर ने बता दिया है कि यूपी हत्यारों-बलात्कारियों का गढ़ बन गया है। आज़मगढ़, लखीमपुरखीरी, गोरखपुर समेत पूरे सूबे में हमारी बहन-बेटियां सुरक्षित नहीं हैं। रिहाई मंच इसके खिलाफ हर स्तर पर लड़ेगा। दलित प्रधान की हत्या, बलात्कार, बदहाल कानून व्यवस्था के खिलाफ रिहाई मंच जिलाधिकारी को ज्ञापन देकर अपराधियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग करेगा। रिहाई मंच के प्रतिनिधि मंडल में एडवोकेट विनोद यादव, अवधेश यादव, उमेश कुमार, अरविंद कुमार, सूरज कुमार, बांकेलाल यादव, श्रवण यादव और दीपक यादव शामिल थे। रिहाई मंच के सदस्य बांके लाल ने विज्ञप्ति जारी कर यह जानकारी दी। 

(प्रेस विज्ञप्ति) 

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