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सोमवार, 15 मार्च 2021

किसान आंदोलन की लड़ाई फसलों की नहीं, आने वाली नस्लों की हैः राजीव यादव

दिल्ली में चल रहे किसान आंदोलन के समर्थन में काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के शोधार्थियों और छात्रों ने पारंपरिक कबिलाई भोज बाटी-चोखा कार्यक्रम के जरिए 'किसान आंदोलन और वर्तमान राजनीति' पर किया मंथन। 

वनांचल एक्सप्रेस ब्यूरो
वाराणसी। भाजपा की अगुआई वाली केंद्र की मोदी सरकार के तीनों नये कृषि कानून काला कानून हैं। देश में ऐसे काले कानूनों की एक लंबी फेहरिस्त है। हमें ऐसे काले कानूनों का विरोध संगठित रूप से करना होगा। जो भी शोषित है, जो भी दमित है और जो भी उत्पीड़ित है, उनके लिए एक संगठित आवाज बनना होगा क्योंकि यह एक मुल्क बचाने की लड़ाई है। आगामी भारत कैसा होगा? आगामी भारत में कौन रहेगा? सरकारी तंत्र में भागीदारी का सवाल क्या होगा? इसे हमें तय करना होगा। इसके लिए हमें लड़ना होगा। ये लड़ाई फसलों की नहीं है, यह आने वाली नस्लों की है। किसान आंदोलन भी बोल रहा है। देखिएगा अगली लड़ाई इस देश में भूमि की होगी, हिस्सेदारी की होगी और भागीदारी की होगी।

रविवार, 31 जनवरी 2021

किसान आंदोलन को कवर कर रहे दो पत्रकारों को दिल्ली पुलिस ने उठाया, CPJ ने जारी किया अलर्ट

कारवां और जनपथ के लिए बतौर स्वतंत्र पत्रकार काम कर रहे मंदीप पुनिया पर पुलिस के साथ बदसलूकी करने और सरकारी काम में बाधा पहुंचाने की एफआईआर दर्ज लेकिन उनकी लोकेशन का पता नहीं। ऑनलाइन न्यूज इंडिया के पत्रकार धर्मेंद्र सिंह को भी दिल्ली पुलिस ने लिया हिरासत में। 

वनांचल एक्सप्रसे ब्यूरो

नई दिल्ली। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की अगुआई वाली केंद्र सरकार के नये तीन कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली में चल रहे किसान आंदोलन को लगातार कवर कर रहे दो पत्रकारों को दिल्ली पुलिस ने शनिवार की शाम को उठा लिया। खबर लिखे जाने तक उनकी लोकेशन का पता नहीं चल पाया था। पत्रकारों को उठाए जाने के बाबत अंतरराष्‍ट्रीय एजेंसी 'कमेटी टु प्रोटेक्‍ट जर्नलिस्‍ट्स (सीपीजे)' ने शनिवार की देर रात अलर्ट जारी किया। वहीं, वरिष्ठ पत्रकार दिलीप मंडल, ओम थानवी समेत संयुक्त किसान मोर्चा ने जल्द से जल्द पत्रकार मंदीप पुनिया को रिहा करने की मांग दिल्ली पुलिस से की है।