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शनिवार, 6 अगस्त 2022

मुख्यमंत्री के 'गड्ढामुक्ति अभियान' में 2.25 करोड़ का घोटाला, भाजपा के पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष समेत 16 के खिलाफ नामजद FIR का आदेश

भारतीय समाजिक न्याय ट्र्स्ट के अध्यक्ष चौधरी यशवंत सिंह की याचिका पर अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (सिविल जज सीनियर डिविजन) ने दिया आदेश। सोनभद्र के पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष अमरेश पटेल, पूर्व अपर मुख्य अधिकारी बीसी पंत, तत्कालीन अपर मुख्य अधिकारी वर्तिका, तत्कालीन अभियंता बलिराम, तत्कालीन अवर अभियंता जशवंत चौहान, अवर अभियंता रमेश राम चौरसिया, तत्कालीन वित्तीय परामर्शदाता विनोद कुमार श्रीवास्तव, लेखाकार अजय कुमार शर्मा, ठेकेदार श्याम लाल, मे. त्रिमूर्ति कंस्ट्रक्शन कंपनी के दिवंगत राम मूर्ति सिंह, राम निवास यादव, रमा शंकर, अजीत कुमार सिंह, अनिल कुमार सिंह, अमित कुमार सिंह, संतोष कुमार राय व अन्य निविदा प्राप्तकर्ता पर आरोप।

वनांचल एक्सप्रेस ब्यूरो

सोनभद्र। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के महत्वाकांक्षी 'गड्ढामुक्ति अभियान ' में 2.25 करोड़ रुपये का घोटाला उजागर हुआ है। इस मामले में अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (सिविल जज सीनियर डिविजन) की अदालत ने पिछले दिनों भाजपा नेता और पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष अमरेश पटेल समेत 16 लोगों के खिलाफ नामजद  प्रथम सूचना रपट (FIR) दर्ज करने का आदेश दिया। इनमें जिला पंचायत सोनभद्र के पूर्व अपर मुख्य अधिकारी बीसी पंत, तत्कालीन अपर मुख्य अधिकारी वर्तिका, तत्कालीन अभियंता बलिराम, तत्कालीन अवर अभियंता जशवंत चौहान, अवर अभियंता रमेश राम चौरसिया, तत्कालीन वित्तीय परामर्शदाता विनोद कुमार श्रीवास्तव, लेखाकार अजय कुमार शर्मा, ठेकेदार श्याम लाल, मे. त्रिमूर्ति कंस्ट्रक्शन कंपनी के दिवंगत राम मूर्ति सिंह, राम निवास यादव, रमा शंकर, अजीत कुमार सिंह, अनिल कुमार सिंह, अमित कुमार सिंह और संतोष कुमार राय का नाम शामिल है। इनके अलावा अन्य निविदा प्राप्तकर्ताओं पर भी आरोप लगा है। 

शुक्रवार, 19 फ़रवरी 2021

सत्ता ने उत्तर प्रदेश की कानून व्यवस्था को मठ बना दिया है और वंचित वर्गों की बेटियों को उसकी देवदासी- रविंद्र प्रकाश भारतीय

उन्नाव की घटना के विरोध में काशी हिन्दू विश्वविद्यालयों के छात्र समूह बीएचयू बहुजन ने मधुबन पार्क में किया प्रदर्शन। 

वनांचल एक्सप्रेस ब्यूरो

वाराणसी। उत्तर प्रदेश की सत्ता में काबिज राजनीतिक पार्टियों के नुमाइंदों ने सूबे की बेटियों को प्रताड़ना, वंचना, उत्पीड़न एवं शोषण का पर्याय बना दिया है जो बेहद घृणित और दुःखद है। ऐसा लगता है कि सत्ता ने उत्तर प्रदेश की कानून व्यवस्था को मठ बना दिया है और वंचित वर्गों की बेटियों को उसकी देवदासी। पूरे उत्तर प्रदेश में हत्या और बलात्कार की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं। अपराधियों में कोई खौफ नहीं है। वे जब चाहते हैं, तब महिलाओं और बेटियों का रेप कर देते हैं और उन्हें मौत के घाट उतार देते हैं। उत्तर प्रदेश की भाजपा सरकार सूबे में फिर से मंदिरों की देवदासी प्रथा लागू करने पर उतारू है जिसे किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। 

शुक्रवार, 26 जून 2020

कुम्हारों को ज़िंदा जलाने पर मुख्यमंत्री की नहीं खुली जुबान, सपा-बसपा-भाजपा और कांग्रेस भी खामोश

उत्तर प्रदेश की करीब चार फीसदी आबादी वाले कुम्हार समुदाय के एक ही परिवार के पांच सदस्यों को जिंदा जलाने पर राष्ट्रीय और क्षेत्रीय राजनीतिक पार्टियों के प्रमुखों और प्रदेश अध्यक्षों में से किसी ने भी एक ट्विट तक नहीं किया...

वनांचल एक्सप्रेस ब्यूरो

मैनपुरी के माधोनगर खरपरी निवासी कुम्हार परिवार के पांच सदस्यों को जिंदा फूंकने पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ समेत सपा, बसपा, भाजपा, कांग्रेस, सुभासपा, अपना दल(सोनेलाल) आदि राजनीतिक पार्टियों के प्रमुखों और प्रदेश अध्यक्षों की जुबान तक नहीं खुली। उन्होंने उत्तर प्रदेश की चार फीसदी आबादी वाले कुम्हार समुदाय के पीड़ित परिवार के तीन सदस्यों की मौत हो जाने के बाद भी एक ट्विट करना मुनासिब नहीं समझा। जौनपुर में अनुसूचित समुदाय के लोगों पर हुए हमले में हमलावरों पर रासुका लगाने वाले मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के मुंह से कुम्हारों को जिंदा फूंक दिये जाने पर संवेदना के एक शब्द नहीं निकले। वहीं,  जब भागीदारी संकल्प मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रेमचंद प्रजापति बृहस्पतिवार को पीड़ित परिवार के सदस्यों से मिलने मैनपुरी पहुंचे तो उन्हें जिला प्रशासन ने रास्ते में ही रोक दिया। 

शुक्रवार, 29 सितंबर 2017

BHU: VC के बुने जाल में फंसे सभी, ये था असली ‘एजेंडा’ (भाग-2)


राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से उनका जुड़ाव और इलाहाबाद विश्वविद्यालय शिक्षक संघ की राजनीति इसमें उनकी मदद भी कर रही है। हालांकि भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष अमित शाह और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की इच्छा के बिना यह पूर्ण रूप से संभव नहीं है। जरूरी है कि कुलपति महोदय अपनी ओर उनका ध्यान खींचे और पार्टी के प्रति अपनी निष्ठा साबित कर सकें। लेकिन, कैसे? यही उनके लिए चुनौती थी...
शिव दास
त 21-27 सितंबर। यही वह अवधि थी जब काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के विभिन्न विभागों में नियुक्तियों और पदोन्नतियों के लिए साक्षात्कार चल रहा था। विश्वविद्यालय प्रशासन पर नियुक्तियों में धांधली का आरोप भी लगे रहे थे। वंचित समुदाय के छात्र मनमाने ढंग से की जा रही नियुक्तियों को लेकर पिछले दो महीने से विरोध-प्रदर्शन कर विभिन्न संवैधानिक प्रावधानों के तहत प्रतिनिधित्व का अधिकार मांग रहे थे और विश्वविद्यालय प्रशासन की गतिविधियों पर नजर बनाए हुए थे। मानव संसाधन विकास मंत्रालय समेत राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग और राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग ने भी काशी हिन्दू विश्वविद्यालय प्रशासन की कार्यशैली पर सवाल उठाते हुए उससे जवाब मांगा था। संसद की पिछड़ा वर्ग समिति ने भी विश्वविद्यालय प्रशासन से नियुक्तियों में धांधली और प्रतिनिधित्व के संवैधानिक अधिकार पर जवाब तलब किया था। सबसे महत्वपूर्ण बात इसी एक सप्ताह की अवधि के दौरान विश्वविद्यालय के कुलपति गिरीश चंद्र त्रिपाठी का प्रशासनिक और वित्तीय अधिकार छीनने वाला था और दूसरे कार्यकाल के लिए उनकी कोशिश नाकाम हो चुकी थी।