बुधवार, 14 अक्तूबर 2020

RTI: सोनभद्र के BSA डॉ. गोरखनाथ पटेल पर 25 हजार का जुर्माना, तीन माह में जमा करनी होगी धनराशि

उत्तर प्रदेश सूचना आयोग के रजिस्ट्रार ने जुर्माना की वसूली के लिए सोनभद्र के जिलाधिकारी और कोषाधिकारी समेत बेसिक शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव को भी लिखा पत्र। सोनभद्र के रॉबर्ट्सगंज विकासखंड के तिनताली गांव निवासी शिव दास प्रजापति ने राज्य सूचना आयोग में की थी अपील। बेसिक शिक्षा विभाग द्वारा मान्यता प्राप्त और कागज पर संचालित ग्रामोदय शिशु विद्या मंदिर के बारे में छह बिन्दुओं पर जुलाई 2016 में मांगी थी सूचना। 

वनांचल एक्सप्रेस ब्यूरो

त्तर प्रदेश सूचना आयोग ने सोनभद्र के जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी (BSA) डॉ. गोरखनाथ पटेल पर 25000 रुपये का जुर्माना (अर्थदंड) लगाया है। आयोग के रजिस्ट्रार ने सोनभद्र के जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी, जिलाधिकारी और कोषाधिकारी समेत बेसिक शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव को पत्र लिखकर तीन माह के अंदर उनके वेतन से अर्थदंड की वसूली कर संबंधित लेखा में जमाकर करने का आदेश दिया है।

सोमवार, 12 अक्तूबर 2020

भागीदारी और उपेक्षा से नाराज बनारसी कुम्हारों का ऐलान, चुनावों में दिखाएंगे सामुहिक ताकत

प्रजापति शोषित समाज संघर्ष समिति (पीएस4) के स्थापना दिवस पर विभिन्न कुम्हार संगठनों ने की सामुहिक बैठक। बिहार विधानसभा चुनाव में कुम्हार समुदाय के किसी भी व्यक्ति को टिकट नहीं मिलने पर जताई नाराजगी।

वनांचल एक्सप्रेस ब्यूरो

भारतीय जनता पार्टी की अगुआई वाली उत्तर प्रदेश सरकार समेत विभिन्न राजनीति पार्टियों की उपेक्षा से नाराज कुम्हार समुदाय के लोगों ने रविवार को वाराणसी के मीरापुर-बसही में बैठक की। इसमें समुदाय के बीच कार्य करने वाले विभिन्न सामाजिक संगठनों और राजनीतिक पार्टियों के पदाधिकारियों समेत समाज के प्रभावशाली लोग शामिल हुए। सभी ने कुम्हार समुदाय को संगठित कर आगामी चुनावों में अपनी ताकत दिखाने का सामुहिक निर्णय लिया। साथ ही उन्होंने आगामी पंचायत चुनावों में इसका प्रयोग कर आगामी रणनीति पर काम करने की चर्चा की।

रविवार, 11 अक्तूबर 2020

भाषाई प्रोपेगैंडा में छिपी RSS की राजनीति और उसका अंतिम विकल्प

अब संघ के लिए हिंदुओं के उस वर्ग को हटाना आसान हो गया जो संघ की नफरत में उसके साथ नहीं है। अब संघ वामपंथी कहकर "हिंदुओं" को भी साफ कर सकता है और आपको ये भी लगेगा कि संघ हिंदुओं की लड़ाई लड़ रहा है। इस प्रोपेगैंडा का प्रतिफल ये निकला है कि संघ के समर्थक आपको ये कहते हुए मिल जाएंगे कि "हिंदुओं के असली दुश्मन तो हिंदुओं का पढ़ा लिखा वर्ग ही है", "इस देश को सबसे अधिक खतरा तो 'ज्यादा' पढ़े लिखे लोगों से है"...

written by श्याम मीरा सिंह

संघ (राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ या RSS) का हमेशा से एक गूढ़ उद्देश्य रहा है कि उसको कथित ऊंची जातियों की, उसमें भी ऊंची जातियों के सक्षम पूंजीपतियों की, सत्ता स्थापित करनी थी। इसके लिए उसके पास "हिन्दू धर्म" का चोगा ही अंतिम विकल्प था। चूंकि लोकतंत्र में सीधे एक दो जाति की श्रेष्ठता का दावा करके विजयी नहीं हुआ जा सकता था, इसलिए अपनी जातियों को आगे बढ़ाने के लिए उस धर्म को चुना गया जिसमें उन्हें शीर्ष पर रहने की वैधता मिली हुई थी। यही कारण है कि संघ ने सीधे जाति से न लड़कर धर्म का रास्ता चुना। अब धर्म के राज की स्थापना के लिए जरूरी है कि "सेक्युलरिज्म" जैसे शब्द को अप्रसांगिक किया जाए। यही कारण है कि संघ की विचारधारा मानने वालों ने सबसे अधिक निशाना बनाया तो सेक्युलरिज्म (धर्मनिरपेक्षता) शब्द को।