CPCB लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
CPCB लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं

सोमवार, 9 फ़रवरी 2015

पर्यावरण स्वच्छता प्रमाण-पत्र के बिना उत्खनन अवैध

उत्तर प्रदेश उप-खनिज (परिहार) नियमावली-1963 के तहत उत्खनन करने के लिए निर्धारित नियम एवं शर्तेः
(1) खनन पट्टा धारक को भारत सरकार के पर्यावरण एवं वन मंत्रालय द्वारा 14 सितंबर, 2006 को निर्गत अधिसूचना के प्रावधानों के अंतर्गत ʻपर्यावरण स्वच्छता प्रमाण-पत्रʼ प्राप्त करना अनिवार्य होगा।
(2) खनन कार्य स्वीकृत क्षेत्र के अंतर्गत किया जाएगा।
(3) स्वीकृत क्षेत्र में सीमा चिन्ह मानक के अनुसार बनाया जायेगा तथा सदैव उसका अनुरक्षण किया जाएगा।
(4) बालू या मोरम या बजरी या बोल्डर या इनमें से कोई भी, जो मिली-जुली अवस्था में नदी तल में अन्य रूप से पाया जाता है, के संबंध में खनन संक्रियायें खनन योजना के अनुसार, जिसमें क्षेत्रों के भूमि उद्धार एवं पुनर्वास पहलू सम्मिलित होंगे और भूतत्व एवं खनिकर्म विभाग द्वारा अनुमोदित खनन योजना एवं खान बन्दी के उत्तरोत्तर योजना के अनुमोदन के अनुसार ही किये जाएंगे।
(5) नदी तल में पट्टाधारक 03 मीटर की गहराई अथवा जलस्तर, दोनों में से जो कम से कम हो, से अधिक गहराई में खनन संक्रियायें नहीं करेगा और जिलाधिकारी द्वारा चिन्हित सुरक्षा क्षेत्र में खनन नहीं किया जाएगा।
(6)पट्टाधारक द्वारा अपने स्वीकृत क्षेत्र के अंतर्गत साइन बोर्ड, जिनमें स्वीकृत क्षेत्र का पूर्ण विवरण अंकित हो, लगाया जाएगा।
(7) शासनादेश के अनुसार सक्षम अधिकारी की अनुमति प्राप्त किये बिना खनन कार्य एवं लोडिंग में मशीन का प्रयोग नहीं किया जाएगा।
(8) खनन कार्य से वन, पर्यावरण, नदी की प्राकृतिक धारा एवं किनारों को कोई क्षति नहीं पहुंचाई जाएगी।
(9) स्वीकृत खनन पट्टा क्षेत्र से खनन कर निकासी किये गये खनिज का परिवहन सिर्फ जिला खनन कार्यालय द्वारा जारी प्रपत्र एम.एम.-11 द्वारा ही किया जाएगा। इसके अतिरिक्त किसी अन्य प्रपत्र का उपयोग किये जाने अथवा स्वीकृत क्षेत्र से बाहर खनन कार्य करते हुए पाये जाने एवं दोष सिद्ध होने पर पट्टा निरस्त किया जा सकता है।
(10) खनन कार्य करने के दौरान यदि कोई अन्य खनिज या उप-खनिज पाया जाता है तो उसकी सूचना पट्टाधारक तत्काल जिला खनन कार्यालय तथा भूतत्व एवं खनिकर्म विभाग, उत्तर प्रदेश के क्षेत्रीय कार्यालय एवं निदेशालय को देगा।
(11) खनन पट्टा स्वीकृति के पश्चात् भविष्य में वन विभाग या किसी अन्य विभाग द्वारा शर्तों के विपरीत कार्य करने के कारण आपत्ति किये जाने पर उत्तर प्रदेश उप-खनिज(परिहार) नियमावली-1963 के नियम-60 के अधीन युक्तियुक्त अवसर दिये जाने के पश्चात् खनन पट्टा निरस्त किया जा सकता है।
(12) पट्टाधारक द्वारा खनन क्षेत्र तक पहुंच मार्ग स्वयं के व्यय पर बनाया जाएगा। यदि खनिजों के परिवहन हेतु किसी काश्तकार की भूमि से होकर रास्ते का निर्माण किया जाता है तो संबंधित काश्तकार की लिखित सहमति संबंधी अभिलेख जिला खनन (क्वैरी) कार्यालय में प्रस्तुत करना अनिवार्य होगा। रास्ते के निर्माण में होने वाले व्यय के लिए राज्य सरकार का कोई उत्तरदायित्व नहीं होगा।
(13) खनन स्थल से निकाल गये खनिज पदार्थ का परिवहन वन विभाग की लिखित सहमति के बिना वन मार्ग से नहीं किया जाएगा। इसके लिए नियमानुसार सक्षम अधिकारी की अनुमति प्राप्त करना अनिवार्य है।
(14) स्वीकृत खनन पट्टा क्षेत्र की परिधि के बाहर कोई अवैध खनन पाये जाने पर उत्तर प्रदेश उप-खनिज(परिहार) नियमावली-1963 के नियम-60 के अधीन युक्तियुक्त अवसर दिये जाने के पश्चात् खनन पट्टा निरस्त किया जा सकता है।
(15) पट्टाधारक को सुसंगत नियमों एवं शासनादेशों का पालन करना होगा।
(16) पट्टा आबंटन संबंधी समस्त कार्यवाही शासन/निदेशक, भूतत्व एवं खनिकर्म निदेशालय, उ.प्र. द्वारा जारी आदेशों/निर्देशों के अधीन होगी।
(17)मा. उच्च न्यायालय/सर्वोच्च न्यायालय द्वारा कोई अन्यथा आदेश पारित किया जाता है तो पट्टाधारक ऐसे आदेशों का पालन करने हेतु बाध्य होगा। ऐसे आदेशों के अनुक्रम में खनन पट्टा प्रतिबंधित अथवा निरस्त किया जा सकता है।
(18) खनन पट्टा आबंटन के लिए आवेदन करना वाला व्यक्ति पूर्व में अवैध खनन की गतिविधियों में संलिप्त न रहा हो और न ही उसे अवैध खनन के अपराध के लिए सक्षम न्यायालय द्वारा दण्डित किया गाय हो।
(19) राजकीय विभागों द्वारा आवेदक के विरुद्ध कोई कार्यवाही की संस्तुति नहीं की गई है।

(20) आवेदक का कोई आपराधिक इतिहास नहीं हो।