गुरुवार, 11 जून 2015

पत्रकार जगेंद्र सिंह को जिंदा जलाने की घटना की जांच करे सीबीआईः रिहाई मंच

मंच ने राममूर्ति वर्मा और उसके भतीजे पर लगाया अवैध खनन कराने का आरोप।

वनांचल एक्सप्रेस ब्यरो

लखनऊ। शाहजहांपुर के पत्रकार जगेंद्र सिंह को जिंदा जलाने की घटना ने उत्तर प्रदेश की सपा सरकार और उसके मंत्रियों को कटघरे में खड़ा कर दिया है। आतंकवादियों के नाम पर जेलों में बंद बेगुनाओं की रिहाई समेत अन्य लोकतांत्रिक मुद्दों के लिए संघर्षरत संगठन "रिहाई मंच" ने जगेंद्र सिंह की जिंदा जलाने की घटना की जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) से कराने की मांग की है। साथ ही उसने आरोप लगाया है कि सूबे में गुंडों और माफियाओं की सरकार है। इसकी तस्दीक कथित खनन माफिया और सूबे के राज्यमंत्री राममूर्ति वर्मा के इशारे पर कोतवाल श्रीप्रकाश राय और अन्य द्वारा पत्रकार जगेंद्र सिंह को जिंदा जलाने की घटना करती है। मंच ने राममूर्ति वर्मा को तत्काल मंत्री पद से बर्खास्त करने की मांग की है। 

रिहाई मंच के राज्य कार्यकारिणी सदस्य अनिल यादव ने आरोप लगाया कि राज्य मंत्री राममूर्ति वर्मा दुष्कर्म का आरोपी और खनन माफिया है। पत्रकार जगेंद्र सिंह ने उसके कारनामों को बेनकाब किया था और उसके खिलाफ निरंतर अभियान चलाये हुए थे। सत्ता के नशे में डूबे राममूर्ति वर्मा ने जगेंद्र सिंह पर फर्जी मुकदमा लदवाया। फिर पुलिसवालों के सहयोग से उन्हें जिंदा जला दिया। उन्होंने कहा कि पत्रकार जगेन्द्र सिंह ने राममूर्ति वर्मा और उसके भतीजे अमित वर्मा द्वारा सपा सरकार के संरक्षण में गर्रा नदी में किए जा रहे अवैध खनन को बेनकाब किया था। इतना ही नहीं उन्होंने मंत्री और उनके करीबियों पर स्मैक कारोबार को प्रश्रय देने का आरोप भी लगाया था। अनिल यादव ने उत्तर प्रदेश की सपा सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश मंत्रिमंडल में गायत्री प्रजापति, विनोद सिंह उर्फ पंडित, मनोज पारस जैसे खनन और भू-माफियाओं की भरमार है। इनमें से कई हत्या और बलात्कार आरोपी भी हैं। ऐसे मंत्रियों को तत्काल उनके पदों से बर्खास्त किया जाना चाहिए।

वहीं रिहाई मंच नेता हरेराम मिश्र ने आरोप लगाते हुए कहा कि सपा मंत्री द्वारा पत्रकार को जिंदा जलाने की घटना सूबे में भ्रष्टाचार के खिलाफ हर आवाज उठाने वालों और शासन-प्रशासन के ईमानदार कर्मचारियों और अधिकारियों को यह चेतावनी देने की कोशिश है कि अगर वह सरकार के भ्रष्ट तंत्र में संलिप्त नहीं होंगे तो उनका भी यही हश्र होगा। पिछले दिनों अवैध खनन रोकने वाले झांसी के तहसीलदार गुलाब सिंह को सपा के राज्यसभा सांसद चन्द्रपाल सिंह यादव द्वारा धमकी दिया गया था। फिर बिजनौर में एसपी अखिलेश कुमार द्वारा अवैध खनन रोकने पर उनका तबादला कर दिया गया था। इन सभी प्रकरणों में अखिलेश यादव की चुप्पी ने राम मूर्ति सिंह वर्मा जैसे आपराधिक तत्वों के मनोबल को बढ़ाने का काम किया है। उन्होंने कहा कि जिस तरीके से पूर्व पुलिस महानिदेशक अंबरीश चन्द्र शर्मा और जेल में बंद सपा नेता शैलेन्द्र अग्रवाल द्वारा थानों और जिला पुलिस मुख्यालयों की बिक्री के तहत पुलिस प्रशासन के स्थानांतरण का कारोबार सामने आया है, उससे साफ है कि सपा सरकार इसमें साझेदार है। 

उधर इंडियन फेडरेशन ऑफ वर्किंग जर्नलिस्ट्स (आईएफडब्ल्यूजे) ने दिवंगत पत्रकार जगेंद्र सिंह परिवार के आश्रित सदस्यों को उत्तर प्रदेश सरकार से 25 लाख रुपये बतौर मुआवजा देने की मांग की है। साथ ही उसने आरोपी मंत्री, थानाध्यक्ष और अन्य पुलिसकर्मियों को उनके पदों से तत्काल बर्खास्त करने की मांग की है।

नई दिल्ली से मिली सूचना के मुताबिक भारतीय प्रेस परिषद (पीसीआई) के अध्यक्ष न्यायमूर्ति सीके प्रसाद ने शाहजहांपुर में पत्रकार जगेंद्र सिंह को जिंदा जलाने की घटना की जांच के लिए परिषद की फैक्ट फाइडिंग टीम को मौके पर भेजने की बात कही है। उन्होंने पत्रकार हत्याकंड की घोर निंदा करते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार मामले की निष्पक्ष जांच के लिए विशेष जांच टीम का गठन करे क्योंकि इस मामले में सूबे के एक राज्यमंत्री नाम भी शामिल है। 

बुधवार, 10 जून 2015

कनहर परियोजनाः निजी प्रतिष्ठानों के भरोसे विस्थापितों की जिंदगी

जिलाधिकारी ने निजी कंपनियों और औद्योगिक प्रतिष्ठानों से डूब क्षेत्र के परिवारों के सदस्यों को नौकरी देने की गुजारिश की।

वनांचल एक्सप्रेस ब्यूरो

सोनभद्र। दुद्धी तहसील के अमवार क्षेत्र में निर्माणाधीन ‘‘कनहर सिंचाई परियोजना‘‘ से प्रभावित होने वाले डूब क्षेत्र के 11गांवों के बाशिंदों को मुनाफाखोर निजी कंपनियों और औद्योगिक घरानों के शोषण का शिकार होना पड़ेगा। जिला प्रशासन की ओर से प्रभावित परिवार के सदस्यों को रोजगार उपलब्ध कराने की कवायद कुछ ऐसा ही बयां कर रही है। 

जिला सूचना एवं जनसंपर्क विभाग की ओर से जारी विज्ञप्ति में साफ कहा गया है कि जिलाधिकारी संजय कुमार ने गत 9 जून को कलेक्ट्रेट सभागार में औद्योगिक प्रतिष्ठानों के पदाधिकारियों के साथ हुई बैठक में उनसे प्रभावितों को रोजगार उपलब्ध कराने की गुजारिश की। विज्ञप्ति में लिखा है कि औद्योगिक प्रतिष्ठान डूब क्षेत्र में विशेष रोजगार मेला लगाकर विस्थापितों को रोजगार मुहैया करावें। हालांकि विज्ञप्ति में यह नहीं बताया गया कि जिलाधिकारी ने किन-किन औद्योगिक प्रतिष्ठानों के पदाधिकारियों के साथ बैठक की। 

विज्ञप्ति के मुताबिक जिलाधिकारी ने ‘‘कनहर सिंचाई परियोजना‘‘ अमवार क्षेत्र में 11 गांव डूब में आ रहे हैं। सरकार उन गांवों को हर मुमकिन सहुलियत मुहैया करा रही है। विस्थापित व्यक्तियों को रोजगार दिलाना एक काफी महत्वपूर्ण कार्य है। इसके लिए जिले में स्थापित औद्योगिक इकाईयों को आगे आना होगा। जिलाधिकारी ने जिला सेवायोजन अधिकारी को निर्देशित किया कि वे जून महीने के अन्त तक मुख्य विकास अधिकारी, उप श्रमायुक्त पिपरी, उपायुक्त जिला उद्योग केन्द्र और उत्तर प्रदेश प्रदूषणण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी से समन्वय स्थापित कर डूब क्षेत्र के विस्थापितों को रोजगार दिलाने के लिए पंजीकरण कैम्प आयोजित करें। 

इसी प्रकार से जिलाधिकारी ने डूब क्षेत्र के नागरिकों को रोजगार दिलाने के लिए पूरी व्यवस्था की समन्वयन की जिम्मेदारी मुख्य विकास अधिकारी को सौंपते हुए कहा कि जून महीने के अन्त तक जिले के सभी औद्योगिक इकाईयों से सम्पर्क कर औद्योगिक इकाईयों के स्टाल भी विषेश रोजगार मेला में लगवायें, ताकि डूब क्षेत्र के नागरिकों को रोजगार पंजीकरण व रोजगार पाने के लिए दौड़-भाग न करना पड़े। 

उन्होंने कहा कि ‘‘कनहर सिंचाई परियोजना‘‘ के तैयार होने से 108 गांवों में नहरों से सिंचाई का साधन होगा और क्षेत्र में हरियाली आने के साथ ही रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे। फिर भी विस्थापित नौजवानों व पात्रों को रोजगार दिलाना पुनीत कार्य है। इसलिए जिले में स्थापित औद्योगिक इकाईयां अकुशल मजदूरों को प्राथमिकता के आधार पर अपने संस्थानों में रोजगार मुहैया करायें। विशेष रोजगार मेला के दौरान कुशल मजदूर/तकनीकी सहायक पाये जाने पर रोजगार देने के लिए प्राथमिकता दिया जाय। बैठक में जिलाधिकारी संजय कुमार के अलावा मुख्य विकास अधिकारी महेन्द्र सिंह, उप श्रमायुक्त पिपरी राकेश द्विवेदी, उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी कालिका सिंह, जिला सेवा अधिकारी पदम वीर कृष्ण, औद्योगिक इकाईयों के पदाधिकारीगण सहित अन्य कर्मचारी मौजूद थे।

प्रदूषण फैलाने और आरओ प्लांट नहीं लगाने वाली इकाइयों पर दर्ज होगी प्राथमिकी

जिलाधिकारी ने यूपीपीसीबी के क्षेत्रीय अधिकारी को दिया निर्देश।

वनांचल एक्सप्रेस ब्यूरो
सोनभद्र। उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के लापरवाह और गैर-जिम्मेदार अधिकारियों की कारस्तानियों की वजह से जिले में प्रदूषण फैला रहे निजी एवं औद्योगिक प्रतिष्ठानों ने राष्ट्रीय हरित अधिकरण के आदेशों और दिशा-निर्देशों ठेंगा दिया है। वे उसके दिशा-निर्देशों के अनुपालन में कोई रुचि नहीं ले रहे हैं। औद्योगिक इकाइयों की कारगुजारियों से चिंतित जिलाधिकारी संजय कुमार ने एनजीडी के दिशा-निर्देशों के अनुपालन में हिला-हवाली करने वाली औद्योगिक इकाइयों के खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्रवाई करने का निर्देश दिया है। साथ ही उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (यूपीपीसीबी) के क्षेत्रीय अधिकारी कालिका सिंह से लापरवाही बरतने वाली औद्योगिक इकाइयों के खिलाफ प्रथम सूचना रपट (एफआईआर) दर्ज कराने का निर्देश दिया है। 

जिला सूचना एवं जनसंपर्क विभाग की ओर से जारी विज्ञप्ति में कहा गया है कि जिलाधिकारी ने गत 9 जून को कलेक्ट्रेट सभागार में एनजीटी के दिशा-निर्देशों के तहत जिले में औद्योगिक इकाइयों की ओर से स्थापित आरओ सिस्टम की समीक्षा की। इस दौरान उन्होंने कहा कि औद्योगिक इकाइयां मानक के अनुरूप अपने संयंत्रों का संचालन करें। जो औद्योगिक इकाइयां मानक के अनुरूप पालन नहीं करेंगे, उनके खिलाफ प्रभावी कार्यवाही नियमानुसार की जायेगी। 

जिलाधिकारी ने समीक्षा के दौरान एनसीएल सहित कई औद्योगिक इकाइयों की अनुपालन स्थिति धीमी पाये जाने पर मौके पर मौजूद मुख्य विकास अधिकारी महेन्द्र सिंह और यूपीपीसीबी के क्षेत्रीय अधिकारी कालिका सिंह को निर्देशित किया कि वे एनजीटी के आदेशों का अनुपालन कराने के लिए औद्योगिक इकाइयों की गतिविधियों पर पूरी तत्परता से निगाह रखें। जो औद्योगिक प्रतिष्ठान मानक के अनुरूप अपनी इकाई संचालित नहीं करते हैं, उनके खिलाफ सक्षम स्तर पर पत्राचार कर प्रभावी कार्यवाही सुनिश्चित करें। 

उन्होंने मुख्य विकास अधिकारी को निर्देशित किया कि वे जून महीने के अन्त तक औद्योगिक इकाईयों के प्रतिनिधियों के साथ ही सरकारी महकमों से जुड़े अधिकारियों की एक समन्वय बैठक इस आशय से आयोजित करायें कि इकाईयों से निकलने वाली राख से ईट निर्माण की प्रक्रिया के आर्थिक अध्ययन, क्षेत्रीय उपयोग, व्यक्तिगत उपयोग व सरकारी योजनाओं के निर्माण कार्यों के उपयोग पर व्यापक विचार-विमर्श हो। अगर राख से निर्मित ईट आर्थिक रूप से सस्ते और मजबूत हो, तो राख का उपयोग ईंट बनाने के लिए किया जाय। इससे स्थानीय स्तर पर लोगों को सस्ते दाम में ईंट मुहैया होने के साथ ही राख निस्तारण में भी मदद मिले। 

अनपरा, मधुपुर और डाला बनेंगे नगर पंचायत

नगर विकास विभाग को भेजा गया प्रस्ताव।

वनांचल एक्सप्रेस ब्यूरो
सोनभद्र। अगर सबकुछ ठीक रहा तो जल्द ही जिले के अनपरा, मधुपुर और डाला बाजारों को नगर पंचायत का दर्जा मिल जाएगा। इन बाजारों को नगर पंचायत बनाने का प्रस्ताव नगर विकास विभाग को भेज दिया गया है। साथ ही कोन और करमा क्षेत्र को नया विकास खण्ड बनाने की कवायद भी शुरू कर दी गई है। इसका प्रस्ताव भी ग्राम विकास विभाग को भेजा जा चुका है। 

जिलाधिकारी संजय कुमार ने गत 9 जून को इस बात की जानकारी दी। जिलाधिकारी के मुताबिक गुरमुरा में राजकीय इंटर कॉलेज और बभनी में राजकीय डिग्री कॉलेज खोले जाने की घोषणा हो चुकी है। इसे जल्द ही पूरा किया जाएगा। साथ ही उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने रॉबर्ट्सगंज में सर्किट हाउस बनाने की घोषणा भी की है जो जल्द ही निर्मित होगा। 

उन्होंने कहा कि जसौली सिंचाई परियोजना के निर्माण की घोषणा पर भी कार्य हो रहा है। जिले में पर्यटकों की आकर्षित करने के लिए हिन्दू-मुस्लिम राष्ट्रीय एकता के प्रतीक विजयगढ़ किला के साथ अमीला भगौती धाम को विकसित किये जाने की योजना है। हाथीनाला के पास बायोडायवर्सिटी, हाटस्पॉट बनाने की घोषणा भी की गयी है। इसी प्रकार से सतही जल को ध्यान में रखते हुए मीरजापुर के सिरसी बांध से पानी लेकर बड़ी पेयजल योजना बनाये जाने की घोषणा की गयी है। इससे 150 से अधिक ग्रामों के डेढ़ लाख से अधिक आबादी लाभान्वित होगी। योजना का प्रस्ताव जल निगम द्वारा प्रस्ताव तैयार कर ग्राम विकास विभाग को भेजा जा चुका है।