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बुधवार, 3 सितंबर 2014

...यहां पांच रुपये में बदल जाता है कानून

कम्प्यूटराइज्ड उद्धरण खतौनी काउंटर पर कार्यरत लेखपाल किसानों से करे प्रति खतौनी पांच रुपये की अवैध वसूली, प्रशासन मौन।

वनांचल एक्सप्रेस ब्यूरो

रॉबर्ट्सगंज (सोनभद्र)। सदर तहसील। रॉबर्ट्सगंज नगर स्थित सोनभद्र जिले की यह तहसील आए दिन मीडिया की सुर्खियां बटोरता रहता है। यहां के राजस्वकर्मी कभी जिंदा व्यक्ति को मुर्दा घोषित कर उसकी जमीन को अन्य किसी के नाम दर्ज कर देते हैं तो कभी बिल्ली-मारकुंडी खनन क्षेत्र में पत्थर और बालू उत्खनन के लिए आबंटित हुई खदानों का गलत परिसीमन। इतना ही नहीं, वे खनन क्षेत्र में वन विभाग, ग्राम सभा, जिला परिषद और भू-स्वामियों की जमीनों के भौतिक परिसीमन को लेकर भी चर्चा में रहते हैं। इस बार हम आपको उनके एक और कारनामे से आपको अवगत कराने जा रहे हैं। वैसे तो इस कारनामे के बारे में आप भी जानते हैं लेकिन राजस्वकर्मियों की हेकड़ी और संबंधित अधिकारियों की उदासीनता की वजह से आप इसपर संजीदा नहीं हो पाते। सदर तहसील में हर दिन- हर पल पांच रुपये में कानून बदलता है और आप उफ तक नहीं करते। चौंकिए नहीं, यह सच है।   

तहसील स्थित कम्प्यूटराइज्ड उद्धरण खतौनी काउंटर पर कार्यरत राजस्वकर्मी शासन की ओर से निर्धारित शुल्क 15 रुपये की जगह किसानों और भू-स्वामियों से हर दिन प्रति खतौनी 20 रुपये वसूलता है लेकिन विरोध की आवाज तक नहीं उठती। अगर उठती भी है तो उसे कानूनों की दुहाई और खर्चे का हिसाब सुनाकर खामोश करा दिया जाता है। हालांकि अतिरिक्त शुल्क अदा करने पर यह कानून फौर बदल भी जाता है।  

पिछले दिनों वनांचल एक्सप्रेसकी टीम ने किसानों और भू-स्वामियों से मिल रही उक्त शिकायतों की पड़ताल की। टीम की इस पड़ताल में किसानों और भू-स्वामियों की शिकायतें सच साबित हुईं। सदर तहसील के विजयगढ़ परगना अंतर्गत झरना गांव निवासी राम उग्रह गत 16 दिसंबर को किसी कार्य के लिए खतौनी लेने कम्प्यूटराइज्ड उद्धरण खतौनी काउंटर पहुंचे। 

उन्होंने राजस्वकर्मी को 60 रुपये देकर चार खतौनी लेनी चाही लेकिन राजस्वकर्मी ने उन्हें उस दर पर खतौनी देने से मना कर दिया। राजस्वकर्मी उनसे खतौनी प्राप्त करने के आवेदन-पत्र पर लेखपाल और कानूनगो की रिपोर्ट मांगने लगा। ऐसा नहीं करने पर उसने चार खतौनियों के लिए अतिरिक्त 20 रुपये की मांग की। राम उग्रह द्वारा अतिरिक्त 20 रुपये देने पर काउंटर पर बैठे राजस्वकर्मी ने सभी दिशा-निर्देशों की धज्जियां उड़ाते हुए उन्हें उनके द्वारा मांगी गई चारों खतौनियों को दे दिया। कुछ ऐसा ही अनुभव सदर तहसील के विजयगढ़ परगना अंतर्गत गुजैनिया निवासी विशेषर देव का रहा। उन्हें किसी मामले में जमानत देने के लिए खतौनी की जरूरत थी। वे भी उसी दिन खतौनी लेने के लिए उद्धरण खतौनी काउंटर पहुंचे थे। 

वनांचल एक्सप्रेसकी टीम ने जब उनसे पूछा कि उन्हें खतौनी कितने में मिली है तो उनका जवाब था, ‘बीस रुपये। बड़हर परगना क्षेत्र निवासी अमर पुत्र दुलारे और रॉबर्ट्सगंज के टाड़ के डौर निवासी कृष्णकांत त्रिपाठी को भी अपनी भूमि की खतौनी हासिल करने के लिए बीस-बीस रुपये अदा करने पड़े।

इस संदर्भ में जब रॉबर्ट्सगंज के उप-जिलाधिकारी राजेंद्र प्रसाद तिवारी से फोन पर बात की गई तो उन्होंने मामले की जांच कराने की बात कही। उन्होंने स्वीकार किया कि प्रति खतौनी 15 रुपये शुल्क शासन से निर्धारित है। अब सवाल है कि जब शासन से 15 रुपये शुल्क निर्धारित है तो फिर राजस्वकर्मी किसानों और भू-स्वामियों से 20 रुपये क्यों वसूल रहे हैं और यह धनराशि किसके पास जा रही है। 


सूत्रों की मानें तो सदर तहसील के कम्प्यूटराइज्ड उद्धरण खतौनी काउंटर से हर दिन करीब 500 से ज्यादा खतौनियों की बिक्री होती है। इस तरह यहां हर दिन करीब 2,500 रुपये अवैध रूप से किसानों और भू-स्वामियों से वसूले जाते हैं। 

इतना ही नहीं, आम जनता को खतौनी हासिल करने के लिए उद्धरण खतौनी काउंटर के सामने घंटों लाइन में खड़े होना पड़ता है जबकि काउंटर पर बैठा राजस्वकर्मी कमरे के अंदर अपने शुभचिंतकों को खतौनी मुहैया कराता रहता है। इससे सामान्य किसानों और भू-स्वामियों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। कभी-कभी जमानत के मामले में उन्हें निराशा हाथ लगती है। 

(नोटः हिन्दी साप्ताहिक समाचार-पत्र वनांचल एक्सप्रेस के 11वें अंक(22 से 28 दिसंबर, 2013) में प्रकाशित।)