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गुरुवार, 15 जनवरी 2015

सामाजिक कार्यकर्ताओं ने अवैध खनन के खिलाफ फूंका बिगुल

जनहित मंच के बैनर तले 18 दिनों तक दिया धरना। जिला प्रशासन की बरसी मनाकर धरने को किया स्थगित।

वनांचल एक्सप्रेस ब्यूरो

सोनभद्र। शासन-प्रशासन और खनन माफियाओं के गठजोड़ से उत्तर प्रदेश में धड़ल्ले से संचालित हो रहे अवैध खनन के कारण मरने वाले मजदूरों पर केंद्रित ‘वनांचल एक्सप्रेस’ की रिपोर्ट में उठाए गए सवालों को लेकर ‘जनहित मंच’ के संयोजक संतोष सिंह चंदेल की अगुआई में दर्जनों सामाजिक कार्यकर्ता गत 28 दिसंबर को रॉबर्ट्सगंज तहसील परिसर में अनिश्चित कालीन धरने पर बैठ गए। धरने के दौरान उन्होंने जिला प्रशासन समेत उत्तर प्रदेश सरकार से सोनभद्र में वीआईपी के नाम पर हो रही अवैध वसूली पर जवाब मांगा। साथ ही उन्होंने वर्ष 2012 में 27 फरवरी को घटित बिल्ली-मारकुंडी खनन हादसे की मजिस्ट्रेटियल जांच रिपोर्ट पूरी नहीं होने और उसमें मरने वाले मजदूरों को मुआवजा नहीं मिलने का कारण पूछा।

सामाजिक कार्यकर्ताओं ने जिला प्रशासन से सोन नदी की अविरल धारा को बांधने, सोनभद्र में हो रहे अवैध खनन पर अंकुश नहीं लगने, खान सुरक्षा निदेशालय द्वारा जारी सुरक्षा मानकों को खनन क्षेत्र में लागू नहीं किए जाने, वन भूमि और राजस्व भूमि का सीमांकन हुए बिना बिल्ली-मारकुंडी खनन क्षेत्र में अवैध खनन होने, मौत का कुआं बन चुकी पत्थर की खदानों में अवैध खनन होने, ओबरा खनन क्षेत्र में पारेषण लाइन (टॉवर) और रेलवे लाइन के पास अवैध खनन होने, खनन क्षेत्र में कार्यरत मजदूरों का पंजीकरण और बीमा नहीं होने, न्यायालय की रोक के बावजूद गिट्टी, बालू और मोरम से लदी ओवरलोड वाहनों के परिवहन आदि का कारण मांगा। सामाजिक कार्यकर्ताओं ने पर्यावरण मंत्रालय की एनओसी के बिना सोनभद्र की 101 पत्थर की खदानों में अवैध खनन, खनन क्षेत्र में अवैध विस्फोटकों की आपूर्ति और मानक के विपरीत उनका प्रयोग किए जाने आदि मुद्दों पर भी राज्य सरकार से श्वेत-पत्र जारी करने की मांग की। 

संतोष सिंह चंदेल ने जिला प्रशासन पर अवैध खनन कराने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि बड़गवां की आराजी संख्या-2368/1 और कोटा की आराजी संख्या-4043क, 4043ख, 4044, 4045, 4046, 3984ग और 3984घ पर स्वीकृत खनन पट्टों की अवधि समाप्त हो चुकी है लेकिन इन पट्टों की एमएम-11 परमिट पर खनिजों को परिवहन अब भी हो रहा है। अब तक हजारों एमएम-11 परमिट जारी हो चुका है लेकिन सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत मिली जानकारी में उक्त खनन पट्टों पर गेहूं और बैगन बोने की बात कही गई है। उन्होंने पूरे मामले की उच्च स्तरीय जांच कराने की मांग की।


सामाजिक कार्यकर्ता रामधीन पासवान, नागेश्वर चेरो, प्रेम कुमार, राजकुमारी देवी, संतोष त्रिनेत्र, राम नारायण सिंह, कमल यादव, राजबहोर सिंह, सियाराम जायसवाल, रवि केशरी, रमाकांत चेरो, राजेन्दर वनवासी, अतवारू, पुनवासी, होसिला, मुन्ना, लाल बिहारी, जयराम, कैलाश, प्रमोद, डब्बू समेत दर्जनों लोग धरने पर बैठे रहे। पीयूसीएल के प्रदेश संगठन संचिव विकास शाक्य समेत अन्य कई अधिवक्ताओं ने अवैध खनन के खिलाफ चल रहे धरने का समर्थन किया। सामाजिक कार्यकर्ताओं ने वहां लगातार 17 दिनों तक धरना दिया लेकिन जिला प्रशासन का कोई भी अधिकारी उनकी समस्याओं को सुनने उनके पास नहीं गया। धरने के 18वें दिन चंदेल ने जिला प्रशासन की बरसी मनाते हुए अपना मुंठन कराकर धरने को स्थगित किया। 

सामाजिक कार्यकर्ताओं ने अवैध खनन के खिलाफ इस अभियान के समर्थन में डेढ़ लाख लोगों का हस्ताक्षर लेने और उसके आधार पर उच्च स्तरीय जांच कराने की बात कही। गौरतलब है कि नई दिल्ली से प्रकाशित हिन्दी साप्ताहिक समाचार-पत्र ‘वनांचल एक्सप्रेस’ ने 22 दिसंबर-28 दिसंबर, 2014 के अंक में ‘मजदूरों की हत्या का राज दफन’ शीर्षक से खबर प्रकाशित की थी।