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बुधवार, 4 जनवरी 2017

सावित्री बाई फूले की जलाई ज्योति से टूटीं ‘ब्राह्मणवादी बेड़ियां’

भारत की पहली महिला शिक्षिका की 186वीं जयंती के मौके पर आयोजित संगोष्ठी में वक्ताओं ने आरएसएस पर किया हमला। महाराष्ट्र के किसान नेता अविनाश काकड़े ने कहा, आरएसएस मतलब सारस्वत ब्राह्मणों के गढ़ की शाखा तो वरिष्ठ साहित्यकार प्रो. चौथी राम यादव ने आरएसएस को बताया भारत का सबसे आतंकवादी गिरोह। डॉ. भीम राव राजनैतिक चिंतक चौधरी राजेंद्र ने अंबेडकर की विचारधारा को बताया कार्ल मार्क्स और आरएसएस की विचारधारा से आगे तो समाजवादी विचारक अफलातून देसाई ने सावित्री बाई फूले की जयंती को शिक्षक दिवस के रूप में मनाये जाने की मुखर की आवाज़। अंबेडकर के विचारों की पृष्ठभूमि में बहुजनों ने आदिवासी नेता जयपाल सिंह मुंडा और एकलव्य को भी किया नमन।

सोमवार, 26 सितंबर 2016

युवा कथाकार मनीष ‘आवारा’ ने ‘वापसी’ से शुरू किया साहित्यकार का सफर

रीडिंग रूम्स पब्लिकेशन, नई दिल्ली और वनांचल लेखक एवं पत्रकार मंच के संयुक्त तत्वावधान में मैदागिन स्थित काशी पत्रकार संघ के पराड़कर स्मृति भवन सभागार में आयोजित कार्यक्रम में कहानी-संग्रह वापसी का हुआ विमोचन।

वनांचल न्यूज़ नेटवर्क

वाराणसी। मैदागिन स्थित पराड़कर स्मृति सभागार में 'वनांचल लेखक एवं पत्रकार मंच' तथा 'रीडिंग रूम्स पब्लिकेशन, नई दिल्ली' के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित एक कार्यक्रम में युवा कथाकार मनीष 'आवारा' के पहले कहानी संग्रह 'वापसी' का विमोचन किया गया। सोनभद्र के जिला पंचायत अध्यक्ष अनिल यादव के मुख्य अतिथित्व में आयोजित हुए इस समारोह में मनीष 'आवारा' ने अतिथियों और स्रोताओं की किताब की विषय वस्तु और कहानी लेखन की प्रेरणा से संबंधित जानकारियां दी।

आरएसएस का निछद्दम राज है और विपक्ष गायब है- प्रो. चौथी राम यादव


'वनांचल लेखक एवं पत्रकार मंच' तथा 'रीडिंग रूम्स पब्लिकेशन, नई दिल्ली' के संयुक्त तत्वावधान में 'साहित्य और मीडिया में सत्ता की घुसपैठ' विषयक गोष्ठी का हुआ आयोजन

वनांचल न्यूज़ नेटवर्क 

वाराणसीलोकसभा चुनाव-2014 के बाद परिस्थितियां तेजी से बदली हैं और यह पहली बार है कि लेखकों के लिखने और बोलने एवं उनकी अभिव्यक्ति की आजादी पर पाबंदियां लगाई जा रही हैं और लेखकों की हत्याएं हो रही हैं। यह शुद्ध रूप से उग्र हिंदुत्ववादी आरएसएस की सरकार है जो कि अपनी पूर्ववर्ती एनडीए सरकार से भी भिन्न है। अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार के समय भी लेखकों और मीडिया पर इस तरीके के हमले नहीं हुए। आरएसएस का निछद्दम राज है और विपक्ष गायब है।