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मंगलवार, 25 अगस्त 2020

मंडल जयंती पर विशेषः नायक जो लिख गया पिछड़ों के सामाजिक परिवर्तन का राजनीतक दस्तावेज

वर्ष 1918 दुनिया में इस नजरिये से बहुत महत्वपूर्ण है कि इसी वर्ष समाज में हाशिये पर धकेली गई दुनिया की करोड़ों आबादी को सामाजिक न्याय और सामाजिक परिवर्तन की धारा में प्रवाहित करके समाज की मुख्यधारा में स्थान दिलाने वाले दो महानायकों का जन्म हुआ। अफ्रीका में अश्वेतोंं के मसीहा नेल्‍सन मंडेला और भारत में पिछड़े समाज के महानायक बी.पी. मण्डल साहब।

written by Vinod Kumar

सामाजिक न्याय और सामाजिक परिवर्तन की लड़ाई के तत्कालीन नेतृत्वकर्ता बी. पी. मण्डल का जन्म 25 अगस्त, 1918 को बनारस में हुआ था। बी. पी. मण्डल का जन्म जब हुआ तो उनका परिवार बहुत ही बुरे दौर से गुजर रहा था। उनके पिता बाबू रास बिहारी लाल मण्डल बहुत गम्भीर रूप से बीमार थे। बी. पी. मण्डल के जन्म के एक कुछ घंटे बाद ही उनके पिता की उसी गम्भीर बीमारी की वजह से मृत्यु हो जाती है। इस समय बाबू रास बिहारी लाल मण्डल मात्र 54 वर्ष के थे। कुछ घंटे पहले पैदा हुए अबोध बालक बी. पी. मण्डल के सर पर पिता का साया नहीं रहा। मण्डल साहब अपने तीन भाई और तीन बहनों में सबसे छोटे थे।

शुक्रवार, 7 अगस्त 2020

विशेषः मंडल बनाम कमंडल की 30 सालों की राजनीति में OBC आरक्षण की चुनौतियां

आश्चर्य की बात यह है कि आज भी कई केन्द्रीय विश्वविद्यालय तथा अन्य केन्द्रीय शिक्षण संस्थानों एवं राज्य सरकार के शिक्षण संस्थान तथा नौकरियों में ओबीसी को 27 प्रतिशत आरक्षण नहीं मिल रहा है। पहले तो वजह यह था कि वहाँ एससी-एसटी की आबादी अधिक होने के कारण आरक्षण ज्यादा दिया गया था इसलिए अधिकतम 50 प्रतिशत की सीमा लाँघकर ओबीसी को 27 प्रतिशत आरक्षण देना मुश्किल था, लेकिन अब तो वह भी वजह वाजिब नहीं रहा...

written by डॉ. दिनेश पाल 

भारतीय इतिहास के पन्नों में अगस्त का महीना सर्वाधिक उथल-पुथल का महीना रहा है। अगस्त में कई अस्त तो, कई पस्त हुए हैं। इसी माह के बीच की तिथि अर्थात् 15 अगस्त देश के स्वतंत्रता का दिन भी है, जो कि पूरे देश के लिए महापर्व व राष्ट्रीय पर्व है। अगस्त में कुछ तिथियाँ किसी के लिए स्वर्णिम हैं, तो किसी के लिए कालिमा। विश्व इतिहास में भी 6 अगस्त और 9 अगस्त 1945 को अमेरिका ने जापान के हिरोशिमा और नागासाकी पर परमाणु बम पटक कर काला अध्याय लिख रखा चुका है। खैर, विश्व पटल पर तो अगस्त के तमाम ऐसे दिवस होंगे, जो किसी के लिए स्वर्णिम तो किसी के काला दिवस होंगे।