गुरुवार, 1 जुलाई 2021

कांग्रेस के पूर्व MLC राजेश पति त्रिपाठी और पूर्व MLA ललितेश पति त्रिपाठी समेत 42 लोगों पर FIR

राजेश पति त्रिपाठी एवं ललितेश पति त्रिपाठी
मिर्जापुर के मड़िहान थाना में धोखाधड़ी के आरोप में दर्ज हुई एफआईआर। गोपालपुर स्थित करीब 9000 बीघा की भूमि के प्रबंधन के लिए बनी सोसायटी के मामले में दर्ज हुई एफआईआर।

वनांचल एक्सप्रेस ब्यूरो

मिर्जापुर। मड़िहान थाना क्षेत्र के गोपालपुर स्थित करीब 9000 बीघा भूमि के प्रबंधन के लिए बनी गोपालपुर कृषि सहकारी समिति लिमिटेड के मामले में कांग्रेस के पूर्व एमएलसी राजेश पति त्रिपाठी और पूर्व विधायक ललितेशपति त्रिपाठी समेत कुल 42 लोगों के खिलाफ धोखाधड़ी के आरोप में पुलिस ने बुधवार को एफआईआर दर्ज की। इनमें पांच महिलाओं के नाम भी शामिल हैं। उत्तर प्रदेश सरकार के निर्देश पर यह कार्रवाई की गई है। राजेश पति त्रिपाठी उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलापति त्रिपाठी के पोते हैं। वही ललितेश पति त्रिपाठी आरोपी राजेश पति त्रिपाठी के बेटे और कमलापति त्रिपाठी के परपोते हैं।

सूचनाओं के मुताबिक, सोनभद्र के उम्भा नरसंहार की जांच रिपोर्ट के आधार पर यह एफआईआर दर्ज की गई है। मीरजापुर के सहकारिता विभाग के सहायक निबंधक मित्रसेन वर्मा की तहरीर पर मड़िहान थाना में दर्ज एफआईआर में गोपालपुर सहकारी समिति के सचिव बैजनाथ सिंह, महाराष्ट्र के पुणे निवासी विनायकराव भट्ट, बिहार के रोहतास निवासी केके शर्मा का नाम भी हैं। 

बता दें कि 2019 में 17 जुलाई को सोनभद्र के उम्भा गांव में जमीनी विवाद को लेकर 11 आदिवासियों को गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। उस समय उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने राजस्व विभाग की अपर मुख्य सचिव रेणुका कुमार की अध्यक्षता में एसआइटी का गठन किया था। उनकी टीम ने गोपलपुर सहकारी समिति समेत मड़िहान क्षेत्र की अन्य चार सहकारी समितियों की भूमि की जांच की थी। इसमें मुख्य रूप से गोपलपुर के अलावा पटेहरा कलां, बसही और ददरा की सोसाइटी भी शामिल थीं। 

आरोप है कि शासन ने सोसाइटी के सचिव बैजनाथ सिंह से जवाब मांगा गया था। उनका जवाब संतोषजनक नहीं मिला था और भूमि को पूल्ड भी नहीं किया गया था। जब सोसाइटी का गठन किया गया तो सदस्यों की संख्या 17 थी जो बाद में बढ़कर 42 हो गई थी। हालांकि समिति की ओर से यह दावा किया गया कि सदस्यों की संख्या इसलिए बढ़ी है क्योंकि पूर्व सदस्यों के देहांत के बाद उनके वारिसों की संख्या बढ़ती गई। हालांकि सचिव वारिसों से संबंधित तहसील से जारी किसी भी प्रकार का उत्तराधिकार प्रमाण-पत्र प्रस्तुत नहीं कर पाए। इसको जांच टीम ने अवैध मानते हुए मुकदमा दर्ज करने का निर्देश दे दिया।  

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