शुक्रवार, 2 जुलाई 2021

EXCLUSIVE: BHU के कुलाधिपति और सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति गिरधर मालवीय के खिलाफ FIR, धोखाधड़ी, बेईमानी और फर्जीवाड़े का आरोप

मिर्जापुर के मड़िहान थाना क्षेत्र में हजारों बीघा भूमि हड़पने के मामले में कांग्रेस के पूर्व एमएलसी राजेश पति त्रिपाठी और पूर्व विधायक ललितेश पति त्रिपाठी समेत 42 लोगों के खिलाफ दर्ज एफआईआर में गिरधर मालवीय का नाम भी शामिल। काशी हिन्दू विश्वविद्यालय (BHU) के संस्थापक और भारत रत्न पं मदन मोहन मालवीय के पोते हैं आरोपी सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति गिरधर मालवीय। गिरधर मालवीय के पिता और पूर्व कांग्रेस सांसद पं. गोविन्द मालवीय भी रह चुके हैं बीएचयू के कुलपति।  

 reported by Shiv Das

वाराणसी। मिर्जापुर के मड़िहान थाना क्षेत्र में हजारों बीघा भूमि हड़पने के मामले में काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के कुलाधिपति और सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति गिरधर मालवीय के खिलाफ भी एफआईआर दर्ज की गई है। मड़िहान थाना में कांग्रेस के पूर्व एमएलसी राजेश पति त्रिपाठी और पूर्व विधायक ललितेश पति त्रिपाठी समेत 42 लोगों के खिलाफ दर्ज एफआईआर में गिरधर मालवीय का नाम भी शामिल है। सभी पर भारतीय दंड विधान की धारा-419, 420, 467, 468 और 471 के तहत धोखाधड़ी, बेईमानी और फर्जीवाड़े का आरोप लगा है। आरोपी गिरधर मालवीय काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के संस्थापक, पूर्व कुलपति और भारत रत्न पं. मदन मोहन मालवीय के पोते हैं। गिरधर मालवीय के पिता पं. गोविंद मालवीय भी बीएचयू के कुलपति और सुल्तानपुर से कांग्रेस के सांसद रह चुके हैं। गोपालपुर संयुक्त कृषि सहकारी समिति लिमिटेड के सचिव बैजनाथ सिंह ने भी इस बात की पुष्टि की। हालांकि उन्होंने समिति और उसके सदस्यों के खिलाफ शासन के निर्देश पर दर्ज की गई एफआईआर की कार्रवाई को एकपक्षीय और दुर्भावनापूर्ण करार दिया। 

'वनांचल एक्सप्रेस' के पास एफआईआर की प्रति मौजूद है। इसमें काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के कुलाधिपति गिरधर मालवीय का नाम दर्ज है। सहकारिता विभाग के सहायक आयुक्त एवं सहायक निबंधक (मिर्जापुर) मित्रसेन वर्मा ने मड़िहान थाना में गत 14-15 जून की रात्रि में करीब दो बजे एफआईआर दर्ज कराया है। इसमें उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलापति त्रिपाठी के परिवार के सदस्यों और भारत रत्न पं. मदन मोहन मालवीय के पोते समेत कुल 42 लोगों के नाम दर्ज हैं। विंध्याचल एग्रो नामक कंपनी और कांग्रेस के पूर्व एवं वर्तमान नेताओं के नाम भी इसमें शामिल हैं।

प्राथमिकी में दर्ज तथ्यों के मुताबिक, मिर्जापुर की सहकारी कृषि समितियों के संबंध में शासन ने राजस्व एवं बेसिक शिक्षा के अपर मुख्य सचिव रेणुका कुमार की अध्यक्षता में एक उच्च स्तरीय जांच समिति गठित की थी। इसका गठन योगी सरकार ने सोनभद्र के घोरावल थाना क्षेत्र के उम्भा गांव में 17 जुलाई 2019 को हुए नरसंहार की घटना के बाद किया था। जांच समिति की रिपोर्ट में सामने आए तथ्यों के आधार पर उत्तर प्रदेश शासन के विशेष सचिव ने गत 10 जून को मिर्जापुर के जिलाधिकारी को गोपनीय-पत्र भेजा था और मामले में दोषी समिति के प्राथमिक सदस्यों को चिन्हित कर उनके विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज कराकर विधिक कार्रवाई करने का निर्देश दिया था। साथ ही उन्होंने इस कार्रवाई से शासन को भी अवगत कराने की बात कही थी। जिलाधिकारी के निर्देश पर सहकारिता विभाग के सहायक आयुक्त एवं सहायक निबंधक मित्रसेन वर्मा ने गत 14 जून को मड़िहान थाना में तहरीर देकर गोपालपुर संयुक्त कृषि सहकारी समिति लिमिटेड के सचिव बैजनाथ सिंह समेत समिति के प्राथमिक सदस्यों और उनके वारिसान के खिलाफ न्यायालय और अधिकारियों को भ्रमित करने का आरोप लगाया था। वर्मा की तहरीर पर 14-15 जून की रात करीब दो बजे बीएचयू के कुलाधिपति और कांग्रेस नेताओं समेत कुल 42 लोगों के खिलाफ धोखाधड़ी, बेईमानी और फर्जीवाड़े की विभिन्न धाराओं में एफआईआर दर्ज की गई।

मित्रसेन वर्मा ने अपनी तहरीर में लिखा है कि समिति के सचिव बैजनाथ सिंह ने 6 सितंबर 2019 को सहकारिता विभाग के सहायक आयुक्त एवं सहायक निबंधक (मिर्जापुर) को लिखित जवाब दिया था। इसमें उन्होंने कहा था कि निबंधन के समय समिति में कुल 17 मूल सदस्य थे। इनमें उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता कमलापति त्रिपाठी के बेटे लोकपति त्रिपाठी के अलावा औरंगाबाद (वाराणसी) निवासी करुणापति त्रिपाठी, कमच्छा (वाराणसी) निवासी मांडवी प्रसाद सिंह, बालेश्वरनाथ भट्ट, कैप्टन विजयी प्रसाद सिंह, लक्ष्मीकुंड (वाराणसी) निवासी पुरुषोत्तम शमशेर जंग बहादुर राणा, प्रीतम स्वरूप मलकानी, सूरजकुंड (वाराणसी) निवासी अभय कुमार पांडेय, गोदौलिया (वाराणसी) निवासी सरदार विधान सिंह, पियरी (वाराणसी) निवासी रामशीष प्रसाद सिंह, हथियाराम (गाजीपुर) निवासी महंत विश्वनाथ पति, मौजा बस्ती (आजमगढ़) निवासी सुरसती देवी, साहाबाद (बिहार) निवासी वंशीधर उपाध्याय, राज राजेश्वरी देवी, मथुरा सिंह, रामानंद उपाध्याय और सासाराम (बिहार) निवासी राधिकारमण शर्मा का नाम शामिल है। इनमें अब कोई भी जीवित नहीं है। वर्मा ने समिति के सचिव के हवाले से तहरीर में यह भी लिखा है कि वर्तमान में समिति के कुल 42 सदस्य हैं जिनका नाम वर्ष-2018 के निर्वाचन सूची में दर्ज है। इसमें भारत रत्न पंडित मदन मोहन मालवीय के पोते और बीएचयू के कुलाधिपति गिरधर मालवीय का नाम भी शामिल है।

प्राथमिकी में दर्ज बिन्दुओं पर गौर करें तो शासन ने इन उत्तराधिकारियों के बारे में विधिक दस्तावेज मांगे थे जिसे समिति के सचिव बैजनाथ सिंह जांच समिति के सामने प्रस्तुत नहीं कर सके। उन्होंने जांच समिति को अवगत कराया था कि मूल सदस्य के दिवंगत होने पर उनके विधिक उत्तराधिकारी सहकारिता अधिनियम एवं उपविधि के अनुसार स्वतः समिति के सदस्य बन जाते हैं। मृत मूल सदस्य के जो भी विधिक उत्तराधिकारी समस्त आवश्यक दस्तावेजों के साथ प्रस्तुत होते गए, उनको घोषणा-पत्र और शपथपत्र भरवाकर उपविधि के अनुसार सदस्यता प्रदान की गई। उसे समिति के कार्यवाही एवं सदस्यता पंजिका में भी अंकित किया गया। जांच समिति का दावा है कि समिति के मूल सदस्यों के विधिक उत्तराधिकारियों का कोई ऐसा वारिस प्रमाण-पत्र उपलब्ध नहीं कराया गया जो राजस्व विभाग द्वारा निर्गत हो। इससे यह स्पष्ट नहीं हो सका कि मूल सदस्यों के विधिक वारिस कौन हैं? 

कांग्रेस नेता राजेश पति त्रिपाठी एवं ललितेश पति त्रिपाठी

उत्तर प्रदेश की योगी सरकार द्वारा गठित उच्च स्तरीय जांच समिति ने पाया है कि गोपालपुर संयुक्त कृषि सहकारी समिति लिमिटेड, मड़िहान के निबंधन के समय समिति के मूल सदस्यों द्वारा कोई भूमि पूल्ड नहीं की गई थी। निबंधन के चार दिन बाद सामुहिक रूप से 16 सदस्यों द्वारा समिति के लिए पट्टे पर भूमि प्राप्त की गई थी। इनमें एक सदस्य के हिस्से में दो व्यक्तियों के नाम अंकित थे। समिति के निबंधन के बाद समिति के सदस्यों ने भूमि पूल्ड की जो विधि विरुद्ध है। समिति के पदाधिकारियों ने 1961 में समिति के 105 सदस्य होने की सूचना अपर जिला सत्र न्यायालय और परगना अधिकारी के न्यायालय में दी गई थी जबकि समिति के मूल 17 सदस्यों के अतिरिक्त अन्य किसी सदस्य द्वारा नियमानुसार संबंधित समिति में अपनी सीरदारी अथवा भूमिधरी किसी के साथ पुल्ड नहीं की गई थी। समिति की प्रबंध कमेटी एवं उसके पदाधिकारियों ने मनमाने तौर पर समिति के सदस्यों की संख्या 105 बताकर राजस्व न्यायालय और कर निर्धारण न्यायालय में भ्रामक सूचना पेश कर अनुसूचित लाभ लेने का प्रयास किया। समिति के नये सदस्यों में अनेक सदस्य गैर-प्रदेश के थे जो नियमानुसार संबंधित समिति का सदस्य ही नहीं बन सकते थे। उनकी सदस्यता नियम विरुद्ध थी। समिति के पदाधिकारियों ने उच्च न्यायालय में याचिका दाखिल कर गलत तथ्यों के आधार पर सदस्यों का नाम खारिज कराकर केवल गोपालपुर संयुक्त कृषि सहकारी समिति का नाम दर्ज कराने का आदेश प्राप्त किया जो विधिसम्मत नहीं है।

पंडित गोविंद मालवीय

प्राथमिकी में कांग्रेस नेता और पूर्व एमएलसी राजेश पति त्रिपाठी पर आरोप लगाया गया है कि उन्होंने 16 सितंबर 2016 को नियम के खिलाफ समिति की 132.6 एकड़ भूमि विंध्याचल एटिवो फूडपार्क प्राइवेट लिमिटेड को बेच दी। समति के सदस्यों ने 16 अप्रैल 2018 को फिर से उक्त भूमि का तितिम्मा बैनामा कर दिया। इसके लिए उन्होंने राजस्व संहिता अधिनियम की धारा-89 तथा भूमि विक्रय के लिए सक्षम पदाधिकारी से अनुमति भी नहीं ली। गोपालपुर संयुक्त कृषि सहकारी समिति लिमिटेड की प्रबंध कमेटी, सचिव एवं मूल सदस्यों/विधिक वारिसान द्वारा समय-समय पर तथ्यों का गलत ढंग से प्रस्तुत कर समिति को उपयोग निजी हित में किया गया जो नियम के खिलाफ है।

कांग्रेस के पूर्व MLC राजेश पति त्रिपाठी और पूर्व MLA ललितेश पति त्रिपाठी समेत 42 लोगों पर FIR

सहकारिता विभाग के सहायक निबंधक ने अपनी तहरीर में न्यायालयों एवं अधिकारियों को भ्रमित कर धोखाधड़ी करने वाले गोपालपुर संयुक्त कृषि सहकारी समिति लिमिटेड के दोषी मूल सदस्य जो जीवित नहीं है, के वारिसान सदस्यों और सचिव बैजनाथ सिंह के खिलाफ अभियोग पंजीकृत कर आवश्यक कार्रवाई करने की मांग की है। 

वहीं, 'वनांचल एक्सप्रेस' ने आज सुबह समिति के सचिव और मामले में आरोपी बैजनाथ सिंह से मोबाईल पर बात की तो उन्होंने मड़िहान थाना में दर्ज एफआईआर और उसमें उल्लेखित आरोपों को सरकार की एकपक्षीय एवं दुर्भावनापूर्ण कार्रवाई बताया। उन्होंने कहा कि वर्ष 1951 में समिति ने जमीनें खरीदी थीं और नियमानुसार उसका संचालन किया जा रहा है। सरकार ने राजनीतिक साजिश के तहत यह एफआईआर कराया है। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार की उच्च स्तरीय जांच कमेटी ने करीब एक साल पहले ही जांच रिपोर्ट सौंप दी थी लेकिन शासन अब जाकर एफआईआर दर्ज कराया है। इससे उसकी मंशा साफ झलक रही है। उन्होंने उत्तर प्रदेश शासन के निर्देश पर दर्ज एफआईआर को क्वैश कराने के लिए इलाहाबाद हाईकोर्ट जाने की बात कही।

एफआईआर में दर्ज गिरधर मालवीय नाम के बारे पूछे जाने पर उन्होंने स्पष्ट किया कि वे भारत रत्न पंडित मदन मोहन मालवीय के पोते हैं। उनके पिता पंडित गोविंद मालवीय पंडित मदन मोहन मालवीय के सबसे छोटे बेटे थे। वे कांग्रेस के सांसद और काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के कुलपति भी रहे थे।

बता दें कि 2019 में 17 जुलाई को सोनभद्र के उम्भा गांव में जमीनी विवाद को लेकर 11 आदिवासियों को गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। उस समय उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने राजस्व विभाग की अपर मुख्य सचिव रेणुका कुमार की अध्यक्षता में एसआइटी का गठन किया था। उनकी टीम ने गोपeलपुर सहकारी समिति समेत मड़िहान क्षेत्र की अन्य चार सहकारी समितियों की भूमि की जांच की थी। इसमें मुख्य रूप से गोपलपुर के अलावा पटेहरा कलां, बसही और ददरा की सोसाइटी भी शामिल थीं। 

'वनांचल एक्सप्रेस' ने मामले में आरोपी कांग्रेस नेता एवं पूर्व एमएलसी राजेश पति त्रिपाठी और उनके बेटे ललितेश पति त्रिपाठी को व्हाट्सअप नंबर पर मैसेज भेजकर उनका पक्ष जानने की कोशिश की थी लेकिन खबर लिखे जाने तक उनका पक्ष नहीं आया था। हालांकि खबर प्रकाशित होने के बाद गोपालपुर संयुक्त कृषि सहकारी समिति लिमिटेड के सचिव बैजनाथ सिंह ने 'वनांचल एक्सप्रेस' को समिति का पक्ष भेजा है जिसे हू-ब-हू नीचे दिया जा रहा है-

"सरकार द्वारा समिति के सदस्यों के खिलाफ लिखाया गया मुकदमा महज राजनैतिक प्रतिद्वन्दता का परिणाम है और सरकार की अवैधानिक कार्यशैली के द्योतक है। समिति द्वारा धारित समस्त भूमि एवं उस पर समिति के अधिकार का प्रश्न वर्ष 2011 में ही माननीय उच्च न्यायालय इलाहाबाद द्वारा समिति के पक्ष आदेश में दिनांक 01.12.2011 द्वारा निस्तारित किया जा चुका है और उच्च न्यायालय के निर्णय के विरूद्ध दायर की गयी विशेष अनुमति याचिका सर्वोच्चय न्यायालय द्वारा वर्ष 2012 में निरस्त की जा चुकी है। समिति के अध्यक्ष श्री ललितेश पति त्रिपाठी पूर्व विधायक मड़िहान नेता कांग्रेस पार्टी में होने के कारण सरकार द्वारा उन पर राजनैतिक दबाव बनाने के उद्देश्य से उक्त कार्यवाही मुख्य मंत्री उत्तर प्रदेश सरकार के निर्देशों के अन्तर्गत की गयी है। जहाँ तक उच्च स्तरीय जॉच समिति का प्रश्न है समिति द्वारा जाँच समिति के गठन एवं उसकी आख्या को चुनौती देते हुए रिट याचिका माननीय उच्च न्यायालय, लखनऊ खण्ड पीठ में दाखिल है तथा वर्तमान में विचाराधीन है। समिति द्वारा बिना अनुमति जमीन बेचने का आरोप भी पूर्णतः निराधार हैं वर्तमान राजस्व सहिता की धारा 89 (3) में विक्रय पश्चात अनुमति का प्रवधान है जोकि शासन स्तर पर लम्बित है एवं शासन द्वारा जिलाधिकारी मिर्जापुर को पत्र दिनांक 19.03.19 द्वारा अनुमति प्रदान किए जाने हेतु आख्या प्रेषित करने के निर्देश भी दिए गए है। उल्लेखनीय है कि उक्त भूमि का प्रयोग मिर्जापुर जिले में विन्ध्याचल एटिवो फूड पार्क के निर्माण हेतु किया जाना है जिससे मिर्जापुर तथा आस-पास के लगभग 50 हजार लोगो का रोजगार प्रदान किया जा सकता है। सरकार द्वारा उठाया गया कदम न केवल अवैधानिक माननीय उच्च न्यायाल के निर्णाय के विरूद्ध है बल्कि सम्पूर्ण क्षेत्र के विकास के लिए बाधक है। सरकार का कदम विकास की महज़ बाते करने वाली सरकार की वास्तविक मानसिकता को परिलक्षित करता है।"


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