शनिवार, 24 जनवरी 2015

यहां बिकता है 13 करोड़ महीने की ‘वीआईपी’ में ‘संगठित हत्या’ का लाइसेंस

अवैध खननः एक महीने में ‘वीआईपी’ के रूप में जिला खनिज विभाग, सोनभद्र द्वारा वसूल की जाने वाली धनराशि की गणना करें तो यह 14.70 करोड़ रुपये के करीब होती है... 

reported by Shiv Das Prajapati

त्तर प्रदेश के आदिवासी बहुल जनपद सोनभद्र में हर महीने तेरह करोड़ रुपये से ज्यादा की 'वीआईपी' वसूली में जिला खनिज विभाग खनन माफियाओं को मजदूरों, आदिवासियों और दलितों की 'संगठित हत्या' का लाइसेंस बेचता है। ऐसा हम नहीं कह रहे, बल्कि यह सोनभद्र के नागरिकों में अवैध खनन पर हो रही विभिन्न चर्चाओं में सामने आया है। हालांकि इसमें कितनी सच्चाई है, यह जिला प्रशासन के नुमाइंदे ही जानें लेकिन जो बातें सामने आई हैं, उससे इंकार भी नहीं किया जा सकता है। खनन माफियाओं और जिला खनिज विभाग के अधिकारियों एवं कर्मचारियों के नचदीकी सूत्रों की बातों पर यकीन करें तो वीआईपी के नाम पर जिला खनिज विभाग द्वारा की जा रही अवैध वसूली के दावें हैरत करने वाले हैं। 

उत्तर प्रदेश खनिज (अवैध खनन, परिवहन एवं भण्डारण का निवारण) नियमावली-2002 के तहत खनिजों के परिवहन के लिए एमएम-11 परमिट या अभिवहन पास जरूरी होता है। हल्के भारी वाहन के लिए जारी एक एमएम-11 परमिट पर अधिकतम 9.50 घन मीटर या करीब 13 टन खनिज पदार्थ का परिवहन किया जा सकता है जबकि ट्रक या अन्य भारी वाहन के लिए एक एमएम-11 परमिट पर अधिकतम 19.50 घनमीटर या करीब 26 टन खनिज पदार्थ का परिवहन हो सकता है। किसी वाहन के जरिए इससे अधिक खनिज पदार्थ की ढुलाई अवैध परिवहन (ओवर लोडिंग) की श्रेणी में आता है और उसके मालिक के खिलाफ कानूनी कार्रवाई हो सकती है। 

उत्तर प्रदेश उप-खनिज (परिहार) (चौंतिसवां संशोधन) नियमावली-2012 की प्रथम अनुसूची के नियम-21 के तहत डोलो स्टोन (गिट्टी) के परिवहन की दर 102 रुपये प्रति घन मीटर निर्धारित है जबकि डोलो स्टोन (डस्ट) के परिवहन की दर 33 रुपये प्रति घन मीटर है। इस तरह 19.50 घन मीटर या करीब 26 टन डोलो स्टोन (गिट्टी) के परिवहन के लिए एक एमएम-11 परमिट की कुल सरकारी कीमत 2,490 रुपये के करीब है जो रॉयल्टी के रूप में सरकारी कोष में जमा होती है। इसमें वाणिज्य कर (13.5 प्रतिशत बिक्री कर और 1.5 प्रतिशत सेस) समेत शक्तिनगर विशेष क्षेत्र प्राधिकरण (साडा) के लिए 9.0 रुपये प्रति घनमीटर की दर से वसूले जाने वाला शुल्क भी शामिल है। 

लेकिन, विश्वसनीय सूत्रों की मानें तो 19.50 घन मीटर डोलो स्टोन (गिट्टी) के परिवहन के लिए आवश्यक एक एमएम-11 परमिट पट्टाधारकों को जिला खनिज विभाग की ओर से 6,000 रुपये की दर से बेची जाती है जो बाजार में 6050 रुपये में उपलब्ध होती है। जिला खनिज विभाग के नुमाइंदों द्वारा एक एमएम-11 परमिट पर पट्टाधारकों से वसूल की जाने वाली अतिरिक्त धनराशि (करीब 3,500) वीआईपीकहलाती है। 

इस तरह जिला खनिज विभाग के नुमाइंदों द्वारा वीआईपीके रूप में खनन पट्टाधारकों से एक गड्डी (100 प्रति) एमएम-11 परमिट के लिए एकमुश्त 3.50 लाख रुपये से लेकर 4.0 लाख रुपये तक की अतिरिक्त धनराशि वसूल की जाती है।

इसी तरह उक्त नियमावली के तहत बालू के परिवहन की दर 75 रुपये प्रति घनमीटर है। 19.50 घन मीटर बालू के परिवहन के लिए एक एमएम-11 परमिट की कुल सरकारी कीमत 1884 रुपये के करीब है जो रॉयल्टी के रूप में सरकारी कोष में जमा होती है। इसमें वाणिज्य कर (13.5 प्रतिशत बिक्री कर और 1.5 प्रतिशत सेस) समेत शक्तिनगर विशेष क्षेत्र प्राधिकरण (साडा) के लिए 9.0 रुपये प्रति घनमीटर की दर से वसूले जाने वाला शुल्क भी शामिल है। लेकिन, सूत्रों की मानें तो 19.50 घन मीटर बालू के परिवहन के लिए जरूरी एक एमएम-11 परमिट पट्टाधारकों को जिला खनिज विभाग से 5,900 रुपये की दर से बेचा जाता है। यह बाजार में 6,000 रुपये में उपलब्ध होता है। बालू परिवहन के लिए जिला खनिज विभाग की ओर से जारी की जाने वाली उक्त परमिट पर करीब 4,000 रुपये की वीआईपीवसूल की जाती है। 

सूत्रों की मानें तो इस तरह जिला खनिज विभाग के नुमाइंदों द्वारा 19.50 घनमीटर परिवहन क्षमता वाली एमएम-11 परमिट की एक गड्डी पर एकमुश्त 4.0 लाख रुपये से लेकर 4.5 लाख रुपये की अतिरिक्त धनराशि वीआईपीके रूप में वसूल की जाती है। इसी तरह सैंड स्टोन (गिट्टी) के परिवहन के मामले में भी वीआईपीकी अतिरिक्त वसूली खनन पट्टाधारकों से की जाती है।


जिला खनिज विभाग और जिला परिवहन विभाग के विश्वसनीय सूत्रों की मानें तो सोनभद्र से हर दिन करीब 1400 ट्रकें डोलो स्टोन (गिट्टी)/बालू की ढुलाई करती हैं। इस तरह हर दिन वीआईपीके रूप में 49 लाख रुपये की अतिरिक्त वसूली होती है जिससे बाजार में गिट्टी और बालू की कीमतें आसमान छू रही हैं। अगर एक महीने में वीआईपीके रूप में वसूल की जाने वाली धनराशि की गणना करें तो यह 14.70 करोड़ रुपये के करीब होती है। 

जिला प्रशासन समेत सूबे की सत्ता के गलियारों में मौजूद सूत्रों की बातों पर विश्वास करें तो इस समय सोनभद्र खनिज विभाग से हर महीने ‘वीआईपी’ के रूप में करीब 13 करोड़ रुपये सूबे की राजधानी में मौजूद सत्ता के विश्वसनीय नुमाइंदों के पास जाता है। शेष धनराशि जिला स्तर पर तैनात अधिकारियों, कर्मचारियों के साथ-साथ समाजसेवियों, जनप्रतिनिधियों और पत्रकारों की एक बड़ी लॉबी को मैनेज करने में खर्च होती है। हालांकि इन आरोपों में कितनी सचाई है, यह जिला प्रशासन के नुमाइंदे और उनके आका ही जानें लेकिन सोनभद्र में अवैध खनन के गोरखधंधे को देखकर इनको झुठलाने की कोई वाजिब वजहें भी नहीं हैं। 

इतना ही नहीं, सोनभद्र में परिवहन विभाग के सहयोग से ओवर लोडिंग परिवहन का धंधा भी बखूबी संचालित हो रहा है जिससे राज्य सरकार को हर महीने तीन करोड़ रुपये से ज्यादा की रॉयल्टी का चूना लग रहा है। जनपद के विभिन्न क्रशर प्लांटों से गिट्टी ढोने वाली ट्रकों पर हर दिन पांच घन मीटर ज्यादा गिट्टी लादी जाती है जिससे प्रति ट्रक करीब 635 रुपये की रॉयल्टी की चोरी की जा रही है। 

जिला खनिज विभाग के दावों पर गौर करें तो सोनभद्र के विभिन्न क्रशर प्लांटों से हर दिन करीब एक हजार ट्रकें गिट्टी का परिहन करती हैं। इस तरह एक दिन में 6.35 लाख रुपये की राजस्व चोरी की जा रही है जो महीने में करीब दो करोड़ रुपये होता है। इसके अलावा बालू ढोने वाली ट्रकों पर भी करीब 10 घन मीटर अतिरिक्त बालू लादी जा रही है। इससे प्रति ट्रक 966 रुपये की रॉयल्टी चोरी की जा रही है। 

सूत्रों की मानें तो हर दिन करीब 400 ट्रकें सोनभद्र से बालू का परिवहन करती हैं। इससे हर दिन 3.86 लाख रुपये की राजस्व चोरी की जा रही है जो महीने में 1.15 करोड़ रुपये के करीब होता है। प्रशासनिक सूत्रों की मानें तो रॉयल्टी चोरी और ‘वीआईपी’ में जिला खनिज विभाग के साथ-साथ राजस्व विभाग, परिवहन विभाग, वाणिज्य कर विभाग, वन विभाग और पुलिस प्रशासन के नुमाइंदे शामिल हैं। उनके इस गोरखधंधे में उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड का क्षेत्रीय कार्यालय भी बखूबी साथ दे रहा है जिसकी बदौलत सोनभद्र प्रदूषण के मामले में क्रिटिकल जोन में शामिल हो चुका है।

बॉक्सः


उत्तर प्रदेश उप-खनिज (परिहार) (चौंतिसवां संशोधन) नियमावली-2012 के तहत परिवहन की दरः
सामग्री                                                      दर
डोलो स्टोन                                  102 रुपये प्रति घन मीटर
डोलो स्टोन (डस्ट)                           33 रुपये प्रति घन मीटर
लाइम स्टोन                                 215 रुपये प्रति घन मीटर
सैंड स्टोन                                       72 रुपये प्रति घन मीटर
बालू                                             75 रुपये प्रति घन मीटर


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