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शुक्रवार, 14 अगस्त 2020

MGAHV: Ph.D हिन्दी साहित्य की 23 सीटों में SC को नहीं मिली एक भी सीट, दिव्यांगों के हाथ भी खाली

हिन्दी साहित्य की 23 सीटों में 10 सीट अनारक्षित हैं। ओबीसी को कुल नौ सीटें दी गई हैं...

वनांचल एक्सप्रेस ब्यूरो

केंद्र और राज्यों में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) नीत भाजपा सरकार के आने के बाद अनुसूचित जाति (एससी), अनुसूचित जनजाति(एसटी) और अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) आरक्षण पर उच्च जातियों का हमला जारी है। विभिन्न विभागों की भर्तियों में आरक्षण नियमों की अनदेखी के बाद अब शिक्षण संस्थाओं में इन समुदायों के आरक्षण को खत्म किया जा रहा है। ऐसा ही एक मामला महाराष्ट्र के वर्धा स्थित महात्मा गांधी अंतराष्ट्रीय हिन्दी विश्वविद्यालय में सामने आया है। विश्वविद्यालय की ओर से शिक्षा सत्र-2020-21 में पीएचडी पाठ्यक्रम में प्रवेश के लिए उपलब्ध सीटों के ब्योरे में बड़े पैमाने पर आरक्षित वर्ग के सीटों सवर्णों के ईडब्ल्यूएस कोटा समेत अनारक्षित वर्ग में प्रकाशित कर दिया गया है। इसका नतीजा यह हुआ है कि हिन्दी साहित्य में शोध के लिए रिक्त 23 सीटों में अनुसूचित जाति वर्ग को एक भी सीट आरक्षित नहीं हुई है।

शुक्रवार, 13 जनवरी 2017

पोस्ट डॉक्टोरल फेलोशिप की पात्रता में एससी, एसटी और ओबीसी की रियायत खत्म, सड़कों पर उतरे शोधार्थी

वाराणसी में शोधार्थियों ने किया विरोध प्रदर्शन
वनांचल न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने पोस्ट डॉक्टोरल फेलोशिप की पात्रता में एससी, एसटी और ओबीसी को मिल रही रियायत खत्म कर दी है। इन वर्गों के अभ्यर्थियों को भी अब सामान्य वर्ग के बराबर अंक हासिल (60 प्रतिशत) करने पर ही इस फेलोशिप का लाभ मिलेगा। आयोग ने पात्र अभ्यर्थियों से आगामी 16 जनवरी – 14 फरवरी के बीच आयोजित बैठक में दावा प्रस्तुत करने का निर्देश जारी किया है। वहीं यूजीसी के इस फैसले के खिलाफ आरक्षित वर्ग के शोधार्थियों ने विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया है। साथ ही वे मामले में याचिका दायर करने की तैयारी कर रहे हैं।