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बुधवार, 3 सितंबर 2014

ऊपर फरियाद सुनते रहे जिलाधिकारी, नीचे लुटते रहे किसान

वनांचल एक्सप्रेस ब्यूरो

सोनभद्र। जनपद में किसानों के उत्पीड़न और शोषण का दौर थमने का नाम नहीं ले रहा है। यहां के विभिन्न विभागों में कार्यरत कर्मचारी और अधिकारी कभी उन्हें अनाज के परिवहन के नाम पर प्रताड़ित करते हैं तो कभी राजस्व और संपत्तियों से जुड़े दस्तावेजों को मुहैया कराने के नाम पर। किसानों के उत्पीड़न के मामले में जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक की ओर से होने वाली कार्रवाई भी उन्हें उनके गैर-कानूनी मंसूबे को अंजाम देने से नहीं रोक पाती है। गत 8 जनवरी को जनपद की सदर (रॉबर्ट्सगंज) तहसील में ऐसा ही नजारा देखने को मिला।

बुधवार का दिन था। मंगलवार को छुट्टी होने की वजह से बुधवार को तहसील दिवस का आयोजन हुआ था। सदर तहसील के सभागार में जिलाधिकारी चंद्रकांत की अध्यक्षता में तहसील दिवस का दरबार सजा था। इसमें पुलिस अधीक्षक राम बहादुर यादव, मुख्य विकास अधिकारी महेंद्र कुमार, उप-जिलाधिकारी राजेंद्र तिवारी, तहसीलदार योगेंद्र कुमार सिंह समेत दर्जनों आलाधिकारी एवं कर्मचारी मौजूद थे। इनके अलावा न्याय की आस में सदर तहसील के विभिन्न इलाकों से सैकड़ों किसान अपनी-अपनी फरियाद लेकर वहां पहुंचे थे। वे जल्द से जल्द अपनी फरियाद हुजूर यानी जिलाधिकारी के पास पहुंचाना चाहते थे लेकिन तहसीलकर्मियों की तकलीफदेय व्यवस्था की वजह से उन्हें अपने क्रम के इंतजार में घंटों पंक्ति में खड़ा होना पड़ रहा था। 

सदर तहसील की पहली मंजिल पर सजे तहसील दिवस के दरबार में जब यह सब कुछ चल रहा था, उसी समय नीचे तहसील की उद्धरण खतौनी काउंटर पर कार्यरत लेखपाल विनोद कुमार दुबे और उसके सहयोगी हर दिन की तरह उस दिन भी किसानों को लूट रहे थे। दरअसल, वे शासन की ओर से निर्धारित प्रति खतौनी 15 रुपये की जगह किसानों से 20 रुपये वसूल रहे थे। किसानों द्वारा अधिक धनराशि वसूले जाने का विरोध करने पर वे उनसे आवेदन-पत्र पर लेखपाल और कानूनगो की रिपोर्ट लगावा कर लाने की बात कह कर शासन द्वारा निर्धारित दर पर खतौनी देने से मना कर दे रहे थे। हालांकि उनके द्वारा मांगी गई प्रति खतौनी 20 रुपये की धनराशि देने पर वह बिना लेखपाल और कानूनगो की रिपोर्ट के ही वे किसानों को खतौनी मुहैया करा रहे थे।

सदर तहसील के जमगांव गांव निवासी विमलेश कुमार की मानें तो उन्होंने अपनी और अपने रिश्तेदारों की जमीनों की कुल पांच खतौनियों के लिए उद्धरण खतौनी काउंटर पर बैठे कर्मचारी को कुल सौ रुपये अदा किए। शाहगंज इलाके के भुरकुड़ा गांव निवासी विजय देव को भी अपनी जमीन की खतौनी के लिए प्रति खतौनी 20 रुपये अदा करने पड़े। सदर तहसील के अरंगी (पनारी) गांव निवासी अनिल शुक्ला को भी एक खतौनी के लिए उद्धरण काउंटर पर बैठे कर्मचारी को 20 रुपये अदा करने पड़े। अनिल को जमानत देने के लिए खतौनी की जरूरत थी। 

सूत्रों की मानें तो खतौनी के इस गोरखधंधे में हर दिन औसतन चार से पांच हजार रुपये की अवैध कमाई होती है जो तहसील में कार्यरत कुछ लेखपालों और अधिकारियों के बीच बंटता है। इस वजह से उद्धरण खतौनी काउंटर के चार्ज के लिए लेखपालों के बीच होड़ लगी रहती है। ऐसी ही कुछ होड़ रजिस्ट्रार कानूनगो के बीच भी होती है।

इस संबंध में वनांचल एक्सप्रेसने पिछले दिनों जब सदर तहसीलदार योगेन्द्र कुमार सिंह से बात की तो उन्होंने ऐसी किसी भी प्रकार की अवैध वसूली से साफ इंकार किया। जब उनसे मामले की तत्काल जांच कराने की बात कही गई तो उन्होंने उद्धरण खतौनी काउंटर के प्रभारी रजिस्ट्रार कानूनगो अनिल श्रीवास्तव को मौके पर भेजा। वहां अनिल श्रीवास्तव ने उद्धरण खतौनी काउंटर से खतौनी लेने वाले किसानों से प्रति खतौनी की दर की जानकारी ली, जिसमें सभी किसानों ने प्रति खतौनी 20 रुपये की दर से खतौनी लेने की बात स्वीकार की। 

इसके बावजूद उद्धरण खतौनी पर कार्यरत कर्मचारी के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई। इसके बाबत जब तहसीलदार योगेन्द्र कुमार सिंह से बात की गई तो उन्होंने कहा कि कर्मचारी को रंगे हाथ नहीं पकड़ा गया, इसलिए उसके खिलाफ निलंबन अथवा बर्खास्तगी की कार्रवाई नहीं की जा सकती है। फिलहाल उसे कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है। हालांकि नोटिस की प्रति मांगने पर उन्होंने इसे देने से इंकार कर दिया।

उधर, मामले के तूल पकड़ने पर उद्धरण खतौनी काउंटर से संबद्ध कुछ तहसीलकर्मी वनांचल एक्सप्रेसकी टीम पर दबाव बनाने में जुट गए हैं। हालांकि जनहित में वनांचल एक्सप्रेसकी ओर से चलाए जा रहे इस अभियान पर उनके इस दबाव का कोई असर नहीं पड़ेगा। फिलहाल वनांचल एक्सप्रेसका अभियान जारी है और भविष्य में भी जारी रहेगा।


(नोटः हिन्दी साप्ताहिक समाचार-पत्र वनांचल एक्सप्रेस के 15वें अंक(19 से 25 जनवरी, 2014 में प्रकाशित।)