सोमवार, 15 मार्च 2021

किसान आंदोलन की लड़ाई फसलों की नहीं, आने वाली नस्लों की हैः राजीव यादव

दिल्ली में चल रहे किसान आंदोलन के समर्थन में काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के शोधार्थियों और छात्रों ने पारंपरिक कबिलाई भोज बाटी-चोखा कार्यक्रम के जरिए 'किसान आंदोलन और वर्तमान राजनीति' पर किया मंथन। 

वनांचल एक्सप्रेस ब्यूरो
वाराणसी। भाजपा की अगुआई वाली केंद्र की मोदी सरकार के तीनों नये कृषि कानून काला कानून हैं। देश में ऐसे काले कानूनों की एक लंबी फेहरिस्त है। हमें ऐसे काले कानूनों का विरोध संगठित रूप से करना होगा। जो भी शोषित है, जो भी दमित है और जो भी उत्पीड़ित है, उनके लिए एक संगठित आवाज बनना होगा क्योंकि यह एक मुल्क बचाने की लड़ाई है। आगामी भारत कैसा होगा? आगामी भारत में कौन रहेगा? सरकारी तंत्र में भागीदारी का सवाल क्या होगा? इसे हमें तय करना होगा। इसके लिए हमें लड़ना होगा। ये लड़ाई फसलों की नहीं है, यह आने वाली नस्लों की है। किसान आंदोलन भी बोल रहा है। देखिएगा अगली लड़ाई इस देश में भूमि की होगी, हिस्सेदारी की होगी और भागीदारी की होगी।

सेक्यूलरिज्म के बारे में योगी आदित्यानाथ का बयान दलितों और पिछड़ों को दास बनाने का षडयंत्रः रिहाई मंच

मंच के अध्यक्ष मोहम्मद शुऐब ने की उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के बयान की निंदा। 

वनांचल एक्सप्रेस ब्यूरो

लखनऊ। भारत की संस्कृति और परम्पराओं को विश्व के मंच पर लाने में सेक्यूलरिज़्म बहुत बड़ा खतरा है। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के इस बयान की रिहाई मंच ने निंदा की है। साथ ही उसने कहा है कि योगी आदित्यनाथ का यह बयान देश पर मनुवादी व्यवस्था थोप कर दलितों और पिछड़ों को दास बनाने का एक षणयंत्र है।