गुरुवार, 14 अगस्त 2014

मीडिया में राजनीतिक दलों और औद्योगिक घरानों के प्रवेश पर लगे रोकः ट्राई

धार्मिक संस्थाओं, शहरी-स्थानीय पंचायती राज संस्थाओं और सार्वजनिक धन से चलने वाली दूसरी संस्थाओं, केन्द्र और राज्य सरकारों के मंत्रालयों, विभागों, कंपनियों, उपक्रमों, संयुक्त उद्यमों और सरकारी धन से चलने वाली कंपनियों और सहायक एजेंसियों को प्रसारण और टीवी चैनल वितरण क्षेत्र में आने से रोकने की सिफारिश भी की...

वनांचल न्यूज नेटवर्क

नई दिल्ली। भारतीय दूरसंचार विनियामक प्राधिकरण (ट्राई) ने समाचारों और विचारों के निष्पक्ष प्रसार के लिए टेलीविजन और समाचार-पत्र व्यवसाय के क्षेत्र में राजनीतिक दलों और औद्योगिक घरानों के प्रवेश को प्रतिबंधित करने की सिफारिश की है।

ट्राई ने गत दिनों मीडिया स्वामित्व से संबंधित मुद्दों पर अपनी अनुशंसाओं को जारी करते हुए टीवी औऱ प्रिंट मीडिया के लिए एकल स्वतंत्र मीडिया विनियामक प्राधिकरण की वकालत की। सिफारिशों में कहा गया है कि विनियामक संस्था में मीडिया के लोगों के साथ ही समाज के विभिन्न क्षेत्रों के प्रख्यात लोगों को शामिल किया जाना चाहिए लेकिन संस्था में मीडिया के लोगों का बहुल नहीं होना चाहिए।

ट्राई ने प्रस्तावित विनियामक को 'पेड न्यूज', 'प्राइवेट ट्रीटीज' और संपादकीय स्वतंत्रता से संबंधित मुद्दों की जांच, उन पर नियंत्रण करने और जुर्माना लगाने का अधिकार देने का प्रस्ताव किया है। 'प्राइवेट ट्रीटीज (निजि समझौतों)' के कारण उत्पन्न होने वाले हितों के टकराव के संबंध में ट्राई ने सुझाया है कि इस प्रथा को भारतीय प्रेस परिषद के आदेशों द्वारा या विधायी नियमों द्वारा तत्काल प्रभाव से रोका जाना चाहिए।

ट्राई ने कहा है कि एडवर्टोरियल या के कोई भी ऐसा कंटेंट जिसके लिए पैसा लिया गया है, में मोटे अक्षरों में अस्वीकरण (डिसक्लेमर, ये बताते हुए कि ये पेड कंटेंट है) का प्रिंट किया जाना अनिवार्य किया जाना चाहिए। अस्वीकरण का छोटे और पतले अक्षरों में प्रिंट किया जाना अपर्याप्त है। इस संबंध में शीघ्र निर्णय लिया जाना चाहिए। 

पेड न्यूज़ के संबंध में ट्राई का सुझाव है कि इसके लिए दोनो पक्षों को उत्तरदायी बनाया जाना चाहिए। यदि कोई सांसद या विधायक अपनी कवरेज के लिए मीडिया को पैसा देता है और ऐसी कवरेज को 'न्यूज' के रूप में बदल दिया जाता है तो इसके लिए मीडिया और संबंधित सांसद या विधायक दोनों उत्तरदायी होंगे।

ट्राई के अनुसार संपादकीय स्वतंत्रता को हर हाल में सुनिश्चित किया जाना चाहिए। यदि मालिकान के हस्तक्षेप के कारण किसी कंटेंट की सत्यता को क्षति पहुंचती है या मालिकान द्वारा थोपी गयी सेन्सरशिप जनता के सूचना के अधिकार का अतिक्रमण करती है तो संपादक या पत्रकार को ऐसे मामलों को विनियामक प्राधिकरण के सामने उठाने का तथा उपचार पाने का अधिकार होना चाहिए। 

ट्राई ने कहा है कि राजनीतिक दलों, धार्मिक संस्थाओं, शहरी-स्थानीय पंचायती राज संस्थाओं और सार्वजनिक धन से चलने वाली दूसरी संस्थाओं, केन्द्र और राज्य सरकारों के मंत्रालयों, विभागों, कंपनियों, उपक्रमों, संयुक्त उद्यमों और सरकारी धन से चलने वाली कंपनियों और सहायक एजेंसियों को प्रसारण और टीवी चैनल वितरण क्षेत्र में आने से रोका जाना चाहिए।

यदि ऐसी किसी भी संस्था को प्रसारण और टीवी चैनल वितरण क्षेत्र में आने की अनुमति दी जा चुकी है तो उसे बाहर निकलने का विकल्प दिया जाना चाहिए। उपरोक्त ईकाइयों के प्रत्यायुक्तों (सरोगेट्स) को भी प्रसारण और टीवी चैनल वितरण क्षेत्र में आने से प्रतिबंधित किया जाना चाहिए। मीडिया क्षेत्र में व्यावसायिक घरानों के बढ़ते प्रवेश पर ट्राई ने कहा है कि इसमें निहित हितों के टकराव को ध्यान में रखते हुए सरकार और विनियामक को व्यावसायिक घरानों के मीडिया क्षेत्र में प्रवेश पर रोक के बारे में गंभीरता से विचार करना चाहिए। 

ट्राई ने कहा है कि मीडिया संगठन को अनुज्ञप्ति-प्रदाता (लाइसेंसर) और विनियामक को अपने दस बड़े विज्ञापनदाताओं, विज्ञापन दरों और अभिदान(सब्सक्रिप्शन) और विज्ञापनों से होने वाली आय की जानकारी देनी होगी। मीडिया क्षेत्र में स्वामित्व संबंधी अपनी सिफारिशों में ट्राई ने कहा है कि समाचार और समसामयिक विषय अति महत्व के होते हैं तथा विचारों की बहुलता और विविधता से इनका सीधा सरोकार होता है, इसलिए मीडिया क्षेत्र की कंपनियों के बीच पारस्परिक हिस्सेदारी के नियमों को बनाते समय इसे ध्यान में रखकर विचार किया जाना चाहिए।

ट्राई ने यह भी कहा है कि सरकार और प्रसार भारती के बीच दूरी रखने के उपायों को मजबूत बनाना चाहिए और इसकी कामकाजी स्वतंत्रता और स्वायत्ता को बनाये रखने के उपाय किये जाने चाहिए। मीडिया के क्षेत्र में व्यावसायिक घरानों के प्रवेश पर पाबंदी के संबंध में टाई ने कहा है इसमें नियंत्रण संबंधी प्रावधानों के तहत किसी व्यावसायिक कंपनी द्वारा मीडिया कंपनी में शेयर भागीदारी या कर्ज की मात्रा को सीमित करने की व्यवस्थाकी जा सकती है।

बुधवार, 13 अगस्त 2014

मौनी बाबा की गिरफ्तारी को लेकर सामाजिक और महिला संगठनों ने किया प्रदर्शन

लखनऊ के जीपीओ स्थित गांधी प्रतिमा के सामने प्रदर्शन
करते सामाजिक एवं महिला संगठनों के कार्यकर्ता
अमेठी में एक नाबालिक का अपहरण कर उसके साथ दुष्कर्म करने का मामला। प्रदर्शनकारियों ने मामले की जांच सीबीआई से कराने की मांग की...

वनांचल एक्सप्रेस ब्यूरो

लखनऊ। अमेठी में एक नाबालिग युवती का अपहरण कर उसके साथ दुष्कर्म करने और उसे बेचने के षडयंत्र में शामिल होने के आरोपी तांत्रिक मौनी बाबा समेत अन्य लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने की मांग को लेकर विभिन्न सामाजिक और महिला संगठनों ने बुधवार को स्थानीय जीपीओ स्थित गांधी प्रतिमा के सामने धरना दिया। साथ ही उन्होंने पूरे मामले की जांच सीबीआई से कराने और आरोपियों को तत्काल गिरफ्तार करने की मांग भी की। इस दौरान उन्होंने मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को संबोधित ज्ञापन हजरतगंज परिक्षेत्र के क्षेत्राधिकारी को सौंपा जिन्होंने उसे मुख्यमंत्री तक पहुंचाने का आश्वासन दिया।

धरने के दौरान सामाजिक और महिला कार्यकर्ताओं ने बलात्कार के आरोपी मौनी बाबा को गिरफ्तार करो, बलात्कारियों को बचाने वाले अमेठी के पुलिस अधीक्षक को बर्खास्त करे, अपने कर्तव्य में लापरवाही बरतने वाले पुलिस अधिकारियों पर धारा-166ए के तहत मुकदमा दर्ज करो, नाबालिग का अपहरण कर बलात्कार करने और बेचने की साजिश रचने के आरोपियों पर पॉक्सो के तहत मुकदमा दर्ज करो आदि के नारे भी लगाए। 

धरने के दौरान प्रदर्शनकारी बलात्कार के आरोपी अमेठी के मौनी बाबा की आपराधिक भूमिका की सीबीआई जांच कराओ, तांत्रिक मौनी बाबा के खिलाफ बलात्कार करने का एफआईआर दर्ज क्यों नहीं, सपा सरकार जवाब दो, नाबालिग लड़की के साथ बलात्कार करने वाले मौनी बाबा को बचाने वाले अमेठी एसपी को तत्काल बर्खास्त करो आदि के नारे लिखी तख्तियां भी लिए थे।

इस दौरान वक्ताओं ने कहा कि एक तरफ प्रदेश सरकार महिलाओं के खिलाफ हो रही हिंसा पर बयानबाजी करते हुए कहती है कि किसी भी दोषी को बख्शा नहीं जाएगा और अपनी जिम्मेदारी न निभाने वाले अधिकारियों पर कार्रवाई होगी। वहीं दूसरी ओर अमेठी मामले में महिलाओं की सुरक्षा के प्रति शासन और प्रशासन की उदासीनता और पूरे प्रकरण में उसकी आपराधिक संलिप्तता उजागर होती है। हफ्तों बीत जाने के बाद भी मौनी बाबा और अन्य के खिलाफ एफआईआर तक दर्ज नहीं हो रही है। 

उन्होंने कहा कि जिस तरह पीड़िता के बेचे जाने की साजिश का खुलासा हो रहा है, वह हैरत में डालने वाला है। मीडिया माध्यमों में पीड़िता के हवाले से बताया गया कि कई अन्य लड़कियों को वहां से नासिक और पुणे ले जाकर बेचा गया है। इससे इस बात की संभावना बढ़ जाती है कि यह पूरा मामला मानव तस्करी और देह व्यापार से जुड़ा हुआ है। ऐसे में यह जरुरी हो जाता है कि पूरे मामले की सीबीआई जांच कराई जाए।

धरने में महिला संगठन एडवा की नेता मधु गर्ग, एपवा की नेता ताहिरा हसन, अखिल भारतीय किन्नर महासभा की सोनम किन्नर, वरिष्ठ पत्रकार अजय सिंह, रिहाई मंच अध्यक्ष मोहम्मद शुएब, नागरिक परिषद के नेता राम कृष्ण, इंजीनियर एजाज, पिछड़ा समाज महासभा के नेता एहसानुल हक मलिक, इंडियन नेशनल लीग के उपाध्यक्ष हाजी फहीम सिद्दीकी, सैयद मोईद, मजदूर नेता केके शुक्ला, डॉ. अली अहमद, जैद अहमद फारुकी, वासिफ शेख, मेघा सेवा संस्थान की मेघा, नदीम, फैज, मीना सोनी, नसरीन, फैजान मुसन्ना, जिया इमाम चैधरी, संजोग बाल्टर, ज्योती राय, गुफरान सिद्दीकी, राशिद, पत्रकार शिव दास प्रजापति, अखिल विकल्प, शाहनवाज आलम और राजीव यादव शामिल रहे।

रविवार, 10 अगस्त 2014

पीयूसीएल के जिला सम्मेलन में उठा मानवाधिकार को परिभाषित करने का मुद्दा

सत्ता में काबिज सरकारें और उनकी पुलिस संगठित रूप से कर रहीं मानवाधिकारों का उल्लंघन।

वनांचल एक्सप्रेस ब्यूरो

दुद्धी (सोनभद्र) लोक स्वतंत्र मानवाधिकार संगठन "पीपुल्स यूनियन ऑफ सिविल लिबर्टी (पीयूसीएल)" की सोनभद्र इकाई के वार्षिक सम्मेलन में मानवाधिकार को परिभाषित करने का मुद्दा उठा। स्थानीय इच्छितापुरम् कॉलोनी स्थित एक गेस्ट हाउस में शनिवार को आयोजित सम्मेलन में संगठन के प्रदेश अध्यक्ष चितरंजन सिंह ने कहा कि सरकार ने आज तक मानवाधिकार का परिभाषा घोषित नहीं किया है। इस वजह से मानव अधिकारों को लेकर हमेशा संशय बना रहता है। मनुष्य के लिए जो जरूरत की चीजें हैंसत्ता ने लोगों को उससे दूर रखा है। देश और प्रदेश में बड़े पैमाने पर मानवाधिकार का उल्लंघन हो रहा है। इसलिए मानवाधिकार को नए सिरे से परिभाषित किए जाने की जरूरत है।

पीयूसीए की सोनभद्र इकाई के वार्षिक
सम्मेलन को संबोधित करते संगठन
के प्रदेश अध्यक्ष चितरंजन सिंह।
उन्होंने देश में किसानों और गरीबों की स्थिति पर चिंता जताते हुए कहा कि देश में साढ़े चार लाख किसान आत्महत्या कर चुके हैं। करीब सवा एक लाख लोगों की मौत हर साल भूख से हो रही है। इसलिए विकास के मॉडल को मानवाधिकार के नजरिए से भी देखने की जरूरत है। हमें मानवाधिकार के क्षेत्र को और अधिक विकसित करना पड़ेगा।वहींसंगठन के प्रदेश उपाध्यक्ष अजीत सिंह ने कहा कि भारतीय बाजार विदेशियों के लिए खोला जाना चिंताजनक है। इसने भारतीय बाजार को तबाह कर दिया है जिससे मानवाधिकारों का उल्लंघन बड़े पैमाने पर हो रहा है।

पीयूसीएल के प्रदेश संगठन सचिव और अधिवक्ता विकास शाक्य ने संगठन का परिचय देते हुए कहा कि मानवाधिकार स्वतंत्र रूप से अपने फैसले को लागू नहीं करा सकता है और ना ही वह किसी मामले की जांच करा सकता है। उसे अपने फैसले को लागू कराने के लिए सरकारी एजेंसियों और निर्वाचित सरकार पर निर्भर रहना पड़ता है। इस वजह से लोगों के मानवाधिकार उल्लंघन पर अंकुश नहीं लग पा रहा है। वास्तव में मानवाधिकार उल्लंघन के लिए एक स्वतंत्र जांच एजेंसी होनी चाहिए और कानून में यह प्रावधान होना चाहिए कि वह अपने फैसले का अनुपालन सुनिश्चित करा सके। 

गैर-सरकारी संस्था गुड़िया के निदेशक अजीत सिंह 
"वनांचल एक्सप्रेस" का अवलोकन करते हुए
पीयूसीएल के प्रदेश संगठन
 सचिव विकास शाक्य

पीयूसीएल के प्रदेश सचिव चितरंजन सिंह
को सम्मानित करते हुए लवकुश प्रजापति
पीयूसीएल की दुद्धी इकाई के संरक्षक डॉ. लवकुश प्रजापति ने मानवाधिकार के साथ-साथ मनुष्य की बुनियादी जरूरतों पर भी ध्यान देने की बात कही। उन्होंने कहा कि हमें इस बात पर भी चिंतन करना चाहिए कि मनुष्य की जो जरूरते हैंउसके आधार पर मानवाधिकार को परिभाषित किया जाए। पूर्व छात्र नेता और सामाजिक कार्यकर्ता विजय शंकर यादव ने कहा कि मानवाधिकारों की सुरक्षा एवं सम्मान के लिए भारत के प्रत्येक नागरिक को जागरूक होना पड़ेगा। जबतक हर नागरिक अपने अधिकारों के लिए लड़ने का जज्बा नहीं बना लेतातब तक सही मायने में मानव अधिकारों को सुरक्षा नहीं मिल पाएगा। इसके लिए अभियान चलाने की जरूरत है। 

आदिवासी बहुल सोनभद्र से प्रकाशित हिन्दी साप्ताहिक समाचार-पत्र "वनांचल एक्सप्रेस" के संपादक शिव दास प्रजापति ने कहा कि सत्ता में काबिज सरकारें और उनकी पुलिस संगठित रूप से मानवाधिकारों का उल्लंघन कर रही हैं। देश और प्रदेश में फर्जी मुठभेड़ों में खुलेआम बेगुनाहों का कत्ल किया जा रहा है। इतना ही नहीं उन्होंने इन कत्लेआम को अंजाम
पीयूसीएल, सोनभद्र के वार्षिक अधिवेशन
को संबोधित करते हुए "वनांचल एक्सप्रेस"
के सम्पादक शिव दास प्रजापति
देने के लिए अपना तरीका भी बदल दिया। वे अब एक सोची-समझी साजिश के तहत खनिज संपदा से परिपूर्ण इलाकों में अवैध खनन को अंजाम दे रही हैं। वहां खुलेआम मजदूरों के मानवाधिकारों का उल्लंघन किया जा रहा है जिससे वे हर दिन हजारों की संख्या में मारे जा रहे हैं। 

सोनभद्र-मिर्जापुर समेत प्रदेश के विभिन्न इलाकों में हुए खनन हादसे इस बात के गवाह हैं। उसमें मारे गए लोगों को आज तक मुआवजा नहीं मिला है क्योंकि सत्ता द्वारा मामले की जांच के लिए बैठाई गई जांच कमेटी सालों बीत जाने के बाद भी अपनी रिपोर्ट शासन-प्रशासन को नहीं सौंप रही हैं। 27 फरवरी, 2012 को बिल्ली-मारकुंडी खनन क्षेत्र में हुआ खनन हादसा इसका जीवंत उदाहरण है जिसकी जांच रिपोर्ट ढाई सालों बाद भी राज्य सरकार को नहीं सौंपी गई है। जबकि सोनभद्र में अवैध खनन का मामला उच्चतम न्यायालय में भी उठ चुका है और उसने इसे पूर्ण रूप से प्रतिबंधित कराने का आदेश दिया है।

सम्मेलन को डॉ. एके गुप्ताडॉ. तेजबल वैद्यशोहराब खानप्रभु सिंह एडवोकेटप्रमोद चौबेदेवमणिफौजदार सिंह 
सामाजिक कार्यकर्ता विजय शंकर यादव
परस्तेकमलेश सिंह आदि ने भी संबोधित किया। इस मौके पर संगठन के प्रदेश अध्यक्ष चितरंजन सिंह,उपाध्यक्ष अजित सिंह और पूर्व छात्र नेता विजय शंकर यादव को उनके संघर्षों के लिए अंगवस्त्रम् भेंटकर सम्मानित भी किया गया। 

सम्मेलन के द्वितीय पारी में सर्वसम्मति से अधिवक्ता महेन्द्र सिंह कुशवाहा को पीयूसीएल का नया जिलाध्यक्ष चुना गया। वहीं अभिषेक विश्वकर्मा को जिला संगठन सचिवजितेन्द्र चंद्रवंशीगोविंद अग्रहरी और संजय गुप्ता को जिला उपाध्यक्ष चुना गया। निवर्तमान जिलाध्यक्ष श्यामाचरण गिरी ने आगंतुकों को धन्यवाद ज्ञापित किया जबकि कार्यक्रम का संचालन संगठन के दुद्धी इकाई के अध्यक्ष जितेन्द्र कुमार चंद्रवंशी ने किया। इस मौके पर सैकड़ों गणमान्य लोग उपस्थित रहे।