Rashtriya Swayamsevak Sangh लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
Rashtriya Swayamsevak Sangh लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं

रविवार, 11 अक्तूबर 2020

भाषाई प्रोपेगैंडा में छिपी RSS की राजनीति और उसका अंतिम विकल्प

अब संघ के लिए हिंदुओं के उस वर्ग को हटाना आसान हो गया जो संघ की नफरत में उसके साथ नहीं है। अब संघ वामपंथी कहकर "हिंदुओं" को भी साफ कर सकता है और आपको ये भी लगेगा कि संघ हिंदुओं की लड़ाई लड़ रहा है। इस प्रोपेगैंडा का प्रतिफल ये निकला है कि संघ के समर्थक आपको ये कहते हुए मिल जाएंगे कि "हिंदुओं के असली दुश्मन तो हिंदुओं का पढ़ा लिखा वर्ग ही है", "इस देश को सबसे अधिक खतरा तो 'ज्यादा' पढ़े लिखे लोगों से है"...

written by श्याम मीरा सिंह

संघ (राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ या RSS) का हमेशा से एक गूढ़ उद्देश्य रहा है कि उसको कथित ऊंची जातियों की, उसमें भी ऊंची जातियों के सक्षम पूंजीपतियों की, सत्ता स्थापित करनी थी। इसके लिए उसके पास "हिन्दू धर्म" का चोगा ही अंतिम विकल्प था। चूंकि लोकतंत्र में सीधे एक दो जाति की श्रेष्ठता का दावा करके विजयी नहीं हुआ जा सकता था, इसलिए अपनी जातियों को आगे बढ़ाने के लिए उस धर्म को चुना गया जिसमें उन्हें शीर्ष पर रहने की वैधता मिली हुई थी। यही कारण है कि संघ ने सीधे जाति से न लड़कर धर्म का रास्ता चुना। अब धर्म के राज की स्थापना के लिए जरूरी है कि "सेक्युलरिज्म" जैसे शब्द को अप्रसांगिक किया जाए। यही कारण है कि संघ की विचारधारा मानने वालों ने सबसे अधिक निशाना बनाया तो सेक्युलरिज्म (धर्मनिरपेक्षता) शब्द को।