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रविवार, 5 जुलाई 2020

EXCLUSIVE: सोनिया गांधी की अगुआई वाली UPA सरकार की साज़िश से BBAU में लागू नहीं हुआ OBC आरक्षण, कानून में संशोधन कर छीन लिया पिछड़ों का हक

कांग्रेस की अगुआई वाली UPA-I की सरकार ने केन्द्रीय शिक्षा संस्था (प्रवेश में आरक्षण) अधिनियम-2006 के तहत राष्ट्रीय महत्व (Institutions of Excellence) की 8 संस्थाओं और अल्पसंख्यक शिक्षण संस्थाओं को छोड़कर देश के सभी केंद्रीय शिक्षण संस्थानों में ओबीसी कोटा के तहत 27 प्रतिशत सीटों पर पिछड़े छात्रों को प्रवेश देने की व्यवस्था की थी। इस कानून की धारा-3(iii) में साफ लिखा था कि केंद्रीय शिक्षण संस्थानों में किसी भी शाखा या संकाय में उपलब्ध सीटों का 27 प्रतिशत सीट अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षित होगी। वहीं, UPA-II की सरकार के दौरान केन्द्रीय शिक्षा संस्था (प्रवेश में आरक्षण) अधिनियम-2006 की धारा-3(iii) में संशोधन कर OBC आरक्षण को कुछ केंद्रीय शिक्षण संस्थाओं और विश्वविद्यालयों तक सीमित कर दिया गया...

reported by Shiv Das 

पूर्व प्रधानमंत्री वीपी सिंह की अगुआई वाली राष्ट्रीय मोर्चा की सरकार के दौरान केंद्र की सरकारी नौकरियों और शिक्षण संस्थाओं में प्रवेश के लिए लागू अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) के 27 प्रतिशत आरक्षण को देने में भाजपा और कांग्रेस की सरकारों ने जमकर आनाकानी की हैं। भाजपा की अगुआई वाली NDA सरकारों ने जहां OBC आरक्षण के संवैधानिक और कानूनी प्रावधानों की जमकर धज्जियां उड़ाई हैं, वहीं, कांग्रेस की अगुआई वाली UPA सरकारों ने भी OBC कोटा के तहत मिले पिछड़ों के हक पर डाका डालने में कोई कसर नहीं छोड़ा है। NEET (National Eligibilty-cum-Intrance Test) के तहत राज्य और केंद्र शासित प्रदेश के अधीन चिकित्सा शिक्षण संस्थानों में अखिल भारतीय कोटा (AIQ-ALL India Quota) की सीटों में ओबीसी आरक्षण लागू नहीं किए जाने के मामले में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखने वाली कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की अगुवाई वाली पूर्ववर्ती यूपीए सरकार ने लखनऊ स्थित बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय (BBAU) समेत कई केंद्रीय शिक्षण संस्थानों में पिछड़ों को अपनी पहचान पर शिक्षा पाने से ही रोक दिया। कांग्रेस की अगुवाई वाली यूपीए सरकार ने पहले इन संस्थाओं में साज़िश के तहत OBC कोटा के तहत पिछड़ों को उनका हक नहीं दिया लेकिन जब मिला तो कानून में संशोधन कर उनका हक ही मार दिया। जी हां, हम बात कर रहे हैं 2007 में लागू केन्द्रीय शिक्षा संस्था (प्रवेश में आरक्षण) अधिनियम-2006 की, जिसमें सोनिया गांधी की अगुआई वाली UPA-II की सरकार ने 2012 में संशोधन कर BBAU समेत अन्य ऐसे शिक्षण संस्थानों में OBC छात्रों के प्रवेश को रोक दिया। 

शुक्रवार, 22 मई 2020

BBAU में सवर्णों का EWS कोटा लागू होने पर OBC छात्रों ने भी मांगा आरक्षण, नेता खामोश

अनुसूचित जाति वर्ग के बुद्धिजीवियों ने इसे बताया पिछड़े और अनुसूचित वर्गों के बीच खाई पैदा करने वाली आरएसएस और भाजपा की साज़िश 

वनांचल एक्सप्रेस ब्यूरो

लखनऊः बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय में प्रवेश की सीटों पर सवर्णोंका ईडब्ल्यूएस (आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग) कोटा लागू होने पर अन्य पिछड़ा वर्ग के छात्रों और शिक्षकों ने विश्वविद्यालय में केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित 27 फीसदी कोटा को लागू करने के लिए अभियान छेड़ दिया है। वहीं अनुसूचित जाति वर्ग के बुद्धिजीवियों ने इसे पिछड़े और अनुसूचित वर्गों के बीच खाई पैदा करने के लिए भाजपा और आरएसएस की साज़िश बताया है।

गुरुवार, 21 मई 2020

बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय में OBC को नहीं मिला आरक्षण, सवर्णों का EWS कोटा लागू


सवर्णों के 10 फीसदी ईडब्ल्यूएस (इकॉनॉमिक वीकर सेक्शन) कोटे को विश्वविद्यालय में लागू कर दिया है लेकिन पिछड़ों के 27 फीसदी आरक्षण को आज तक लागू नहीं किया।

वनांचल एक्सप्रेस ब्यूरो

लखनऊ। अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति वर्ग के छात्रों के लिए विशेष तौर पर बने बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय ने सवर्णों के 10 फीसदी ईडब्ल्यूएस (इकॉनॉमिक वीकर सेक्शन) कोटे को विश्वविद्यालय में लागू कर दिया है लेकिन पिछड़ों के 27 फीसदी आरक्षण को आज तक लागू नहीं किया। यूं कहें कि प्रशासन ने विश्वविद्यालय के विभिन्न पाठ्यक्रमों में अनारक्षित वर्ग के 10 फीसदी सीटों में ओबीसी/एसीसी/एसटी के छात्रों का प्रवेश बंद कर दिया है। इससे सरकार ने इस केंद्रीय विश्वविद्यालय में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के आरक्षण को पूरी तरह खत्म कर दिया है। शिक्षा सत्र-2020-21 के लिए जारी सूचना पुस्तिका में विश्वविद्यालय प्रशासन ने विश्वविद्यालय में संचालित विभिन्न पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए उपलब्ध सीटों के बंटवारे में अनारक्षित वर्ग के लिए 40 प्रतिशत सीटों को समेटते हुए सवर्णों के 10 प्रतिशत ईडब्ल्यूएस कोटे को लागू किया है। शेष 50 फीसदी सीटें अनुसुचित जाति वर्ग (एससी) और अनुसूचित जनजाति वर्ग (एसटी) के लिए आबंटित हैं। कई पाठ्यक्रमों में एसटी वर्ग तक की सीटें खत्म कर दी गई हैं।

मंगलवार, 22 अगस्त 2017

BBAU: प्रोफेसर ने ठेकेदार संग अनुसूचित जाति के शोधार्थी पर किया जानलेवा हमला, संगीन धाराओं में FIR दर्ज

वनांचल एक्सप्रेस ब्यूरो
लखनऊ। विश्वविद्यालय परिसरों में भ्रष्टाचार और दमन के खिलाफ मुखर आवाज को दबाने के लिए जानलेवा हमलों का दौर शुरू हो गया है।  हैदराबाद विश्वविद्यालय, जेएनयू और बीएचयू के बाद बाबा भीमराव अंबेडकर विवि के छात्रों श्रेयात बौद्ध और अमन वर्मा पर रविवार को जानलेवा हमला हुआ। आरोप है कि विश्वविद्यालय के प्रोफेसर कमल जायसवाल ने ठेकेदार उपेंद्र सिंह समेत करीब दो दर्जन लोगों ने छात्रों पर हमला किया। छात्रों की तहरीर पर आशियाना थाने में प्रो. कमल जायसवाल, शशांक तिवारी, ऋषि शुुुक्ला, साईंनाथ आउट सोरसिंग एजेंसी के ठेकेदार उपेन्द्र सिंह समेत करीब दो दर्जन अज्ञात लोगोंं के खिलाफ संगीन धाराओं में एफआईआर दर्ज हुई है जिसमें एससीएसटी एक्ट की धारा-3(1)(10) भी शामिल है।

शनिवार, 5 अगस्त 2017

BBAU:मनुवादी शिक्षिका का पाठ-"अम्बेडकर के थे महिलाओं से अवैध संबंध, बुद्ध थे अत्याचारी"





समाजशास्त्र विभाग की शिक्षिका जया श्रीवास्तव ने क्लास रूम में लेक्चर के दौरान पढ़ाया कि अम्बेडकर के अपनी पत्नी के अलावा अन्य महिलाओं के साथ अवैध संबंध थे। उनका अपनी पत्नी के साथ रिश्ता नहीं था।
वनांचल न्यूज़ नेटवर्क
लखनऊ। बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर यूनिवर्सिटी की शिक्षिका जया श्रीवास्तव ने लेक्चर के दौरान क्लास में बेहद विवादित और गैर जिम्मेदाराना टिप्पणी की है। उन्होंने बाबा साहेब के बारे में जो कहा है उसको लेकर यूनिवर्सिटी प्रशासन से कार्रवाई की मांग पर छात्र अड़ गए हैं।