गुरुवार, 9 जुलाई 2020

मैनपुरी हत्याकांडः कुम्हारों को जिंदा फूंकने के मामले में पीड़ित परिवार के पांचवे सदस्य की भी मौत, मुख्यमंत्री खामोश


सैफई के पीजीआई अस्पताल में भर्ती संध्या प्रजापति उर्फ रोली ने आज अल सुबह 1 बजे  तोड़ा दम। राम बहादुर प्रजापति समेत परिवार के चार सदस्यों की पहले ही हो चुकी है मौत।

वनांचल एक्सप्रेस ब्यूरो

मैनपुरी कोतवाली के खरपरी गांव के माधोनगर मुहल्ला निवासी राम बहादुर प्रजापति के परिवार को जिंदा फूंकने के मामले में बृहस्पतिवार की अल सुबह एक बजे पांचवी मौत हो गई। सैफई स्थित पीजीआई अस्पताल में भर्ती संध्या प्रजापति उर्फ रोली ने भी दम तोड़ दिया। इस तरह अब इस घटना में जले सभी पांच सदस्यों की मौत हो चुकी है। हालांकि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के मुख से इस कुम्हार परिवार के प्रति संवेदना के एक भी शब्द अभी तक नहीं निकले हैं। ना ही परिवार में जिंदा बचे इकलौते कमाऊं सदस्य मोहित प्रजापति को उत्तर प्रदेश सरकार या जिला प्रशासन से कोई आर्थिक सहायता मिली है। ना ही किसी मुआवजे की घोषणा की गई है जबकि,कुम्हार समुदाय के विभिन्न संगठनों ने विभिन्न जिला मुख्यालयों पर घटना के खिलाफ प्रदर्शन कर पीड़ित परिवार के सदस्य को सरकारी नौकरी देने और कम से कम 50 लाख रुपये तक का मुआवजा देने की मांग की थी। राज्य की समाजवादी पार्टी ने सरकार से घटना की सीबीआई जांच की मांग की थी।

बुधवार, 8 जुलाई 2020

OBC आरक्षण को आय आधारित आरक्षण बनाने पर क्यों तुली है BJP की केंद्र सरकार?

मोदी सरकार 2017 में अन्य पिछड़ा वर्ग के कल्याण के बहाने लोकसभा सांसद गणेश सिंह की अध्यक्षता में गठित संसदीय समिति की अनुशंसा के खिलाफ जाते हुए राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग की आपत्ति के बावजूद बी.पी. शर्मा समिति की अनुशंसा को लागू करने की जल्दबाजी में क्यों हैं?

written by संतोष कुमार यादव

8 मार्च 2019 को केन्द्र सरकार द्वारा गठित चार सदस्यीय कमिटी- जिसके अध्यक्ष डीओपीटी के पूर्व सचिव बी.पी. शर्मा बनाये गये- ने अपनी रिपोर्ट केंद्र सरकार को सौंप दी जिसके अनुसार अन्य पिछड़ा वर्ग के क्रीमी लेयर की आधार वार्षिक आय में वेतन से प्राप्त आय और कृषि से प्राप्त आय को जोड़ने का प्रस्ताव है, जो ओबीसी वर्ग के लिए घातक सिद्ध होगा।

मैनपुरी हत्याकांडः चार मौतों के बाद भी योगी सरकार खामोश, सपा समेत कुम्हार समुदाय ने की चार लाख की मदद

मृतक राम बहादुर प्रजापति का मकान
कुम्हार समुदाय के छात्रों, नेताओं, और संगठनों ने व्यक्तिगत तौर से करीब तीन लाख रुपये की आर्थिक सहायता दी। प्रजापति अंतर विश्वविद्यालय छात्र समूह (PIUS), वाराणसी ने 50,411 रुपये की आर्थिक मदद पीड़ित परिवार को की। 

वनांचल एक्सप्रेस ब्यूरो

मैनपुरी के खरपरी गांव स्थित माधोनगर निवासी राम बहादुर प्रजापति के परिवार के चार सदस्यों की हत्या के बाद भी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के मुख से सहानभूति के एक शब्द नहीं निकले। ना ही पीड़ित परिवार को मुआवजे के नाम पर सरकार की ओर से एक फूटी कौड़ी मिली। समाजवादी पार्टी को छोड़ कोई भी राजनीतिक पार्टी पीड़ित परिवार की आर्थिक मदद के लिए आगे नहीं आई। सपा ने एक लाख रुपये की मदद की है। वहीं कुम्हार समुदाय के विभिन्न संगठनों, नेताओं और छात्रों ने अब तक करीब तीन लाख रुपये की आर्थिक मदद पीड़ित परिवार को मुहैया कराई है।

सहायक अध्यापक भर्तीः NCBC ने भर्ती प्रक्रिया पर लगाई रोक, OBC आरक्षण पर सात दिनों में मांगा जवाब

उत्तर प्रदेश के परिषदीय प्राथमिक विद्यालयों में 69,000 सहायक अध्यापकों की भर्ती के मामले में आरक्षण के नियमों की अनदेखी की शिकायत पर राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग (NCBC) बेसिक शिक्षा परिषद के अधिकारियों को रिपोर्ट के साथ छह बार कर चुका है तलब। व्यक्तिगत तौर पर एक बार भी मौजूद नहीं रहे अधिकारी। अभी भी रिपोर्ट लंबित...

वनांचल एक्सप्रेस ब्यूरो

राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग (NCBC) ने उत्तर प्रदेश के परिषदीय प्राथमिक विद्यालयों में 69,000 सहायक अध्यापकों की भर्ती प्रक्रिया पर रोक लगा दी है। आयोग ने आरक्षण के नियमों की अनदेखी की शिकायत की जांच पूरी होने तक भर्ती प्रक्रिया में कोई भी कार्रवाई नहीं करने का आदेश दिया है। इतना ही नहीं आयोग ने आदेशों की अवहेलना करने पर बेसिक शिक्षा विभाग के अधिकारियों से सात दिनों के अंदर जवाब तलब किया है।

रविवार, 5 जुलाई 2020

EXCLUSIVE: सोनिया गांधी की अगुआई वाली UPA सरकार की साज़िश से BBAU में लागू नहीं हुआ OBC आरक्षण, कानून में संशोधन कर छीन लिया पिछड़ों का हक

कांग्रेस की अगुआई वाली UPA-I की सरकार ने केन्द्रीय शिक्षा संस्था (प्रवेश में आरक्षण) अधिनियम-2006 के तहत राष्ट्रीय महत्व (Institutions of Excellence) की 8 संस्थाओं और अल्पसंख्यक शिक्षण संस्थाओं को छोड़कर देश के सभी केंद्रीय शिक्षण संस्थानों में ओबीसी कोटा के तहत 27 प्रतिशत सीटों पर पिछड़े छात्रों को प्रवेश देने की व्यवस्था की थी। इस कानून की धारा-3(iii) में साफ लिखा था कि केंद्रीय शिक्षण संस्थानों में किसी भी शाखा या संकाय में उपलब्ध सीटों का 27 प्रतिशत सीट अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षित होगी। वहीं, UPA-II की सरकार के दौरान केन्द्रीय शिक्षा संस्था (प्रवेश में आरक्षण) अधिनियम-2006 की धारा-3(iii) में संशोधन कर OBC आरक्षण को कुछ केंद्रीय शिक्षण संस्थाओं और विश्वविद्यालयों तक सीमित कर दिया गया...

reported by Shiv Das 

पूर्व प्रधानमंत्री वीपी सिंह की अगुआई वाली राष्ट्रीय मोर्चा की सरकार के दौरान केंद्र की सरकारी नौकरियों और शिक्षण संस्थाओं में प्रवेश के लिए लागू अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) के 27 प्रतिशत आरक्षण को देने में भाजपा और कांग्रेस की सरकारों ने जमकर आनाकानी की हैं। भाजपा की अगुआई वाली NDA सरकारों ने जहां OBC आरक्षण के संवैधानिक और कानूनी प्रावधानों की जमकर धज्जियां उड़ाई हैं, वहीं, कांग्रेस की अगुआई वाली UPA सरकारों ने भी OBC कोटा के तहत मिले पिछड़ों के हक पर डाका डालने में कोई कसर नहीं छोड़ा है। NEET (National Eligibilty-cum-Intrance Test) के तहत राज्य और केंद्र शासित प्रदेश के अधीन चिकित्सा शिक्षण संस्थानों में अखिल भारतीय कोटा (AIQ-ALL India Quota) की सीटों में ओबीसी आरक्षण लागू नहीं किए जाने के मामले में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखने वाली कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की अगुवाई वाली पूर्ववर्ती यूपीए सरकार ने लखनऊ स्थित बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय (BBAU) समेत कई केंद्रीय शिक्षण संस्थानों में पिछड़ों को अपनी पहचान पर शिक्षा पाने से ही रोक दिया। कांग्रेस की अगुवाई वाली यूपीए सरकार ने पहले इन संस्थाओं में साज़िश के तहत OBC कोटा के तहत पिछड़ों को उनका हक नहीं दिया लेकिन जब मिला तो कानून में संशोधन कर उनका हक ही मार दिया। जी हां, हम बात कर रहे हैं 2007 में लागू केन्द्रीय शिक्षा संस्था (प्रवेश में आरक्षण) अधिनियम-2006 की, जिसमें सोनिया गांधी की अगुआई वाली UPA-II की सरकार ने 2012 में संशोधन कर BBAU समेत अन्य ऐसे शिक्षण संस्थानों में OBC छात्रों के प्रवेश को रोक दिया।