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गुरुवार, 13 अप्रैल 2023

BHU:'खरवार' जाति के हैं असिस्टेंट प्रोफेसर मनोज कुमार वर्मा, जिलाधिकारी की पुनरीक्षित जांच रिपोर्ट में जाति प्रमाण-पत्र मिला सही

डॉ. मनोज कुमार वर्मा
चंदौली के सकलडीहा थाना क्षेत्र के चतुर्भुजपुर निवासी अनंत नारायण मिश्रा ने काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के सामाज शास्त्र विभाग में कार्यरत असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. मनोज कुमार वर्मा पर अनुसूचित जनजाति (खरवार) का कूट रचित फर्जी प्रमाण-पत्र लगाकर एसटी (जनजाति) कोटे में असिस्टेंट प्रोफेसर की नियुक्ति लेने का लगाया था आरोप।

वनांचल एक्सप्रेस ब्यूरो

सोनभद्र। काशी हिन्दू विश्वविद्यालय (बीएचयू) के समाज शास्त्र विभाग में कार्यरत असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. मनोज कुमार वर्मा का 'खरवार' अनुसूचित जनजाति का निर्गत प्रमाण-पत्र वैध निकला है। जिलाधिकारी की जिला स्तरीय स्क्रूटनी कमेटी ने सोमवार को अपनी ही पूर्व की रिपोर्ट को खारिज करते हुए उनके प्रमाण-पत्र पर वैधानिकता की मुहर लगा दी। 

रविवार, 5 फ़रवरी 2023

पत्रकारिता जल्दबाजी में लिखा गया साहित्य है: प्रो. अरुण कुमार भगत


बिहार के मोतिहारी स्थित महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय के आचार्य और बिहार लोक सेवा आयोग के सदस्य प्रो. अरुण कुमार भगत ने दिया 'पत्रकारिता में रचनाधर्मिता' पर व्याख्यान। काशी पत्रकारिता एवं जन संप्रेषण विभाग के सभागार में पद्मश्री प्रो. कमलाकर त्रिपाठी ने प्रो. अरुण कुमार भगत की पुस्तक 'पत्रकारिता: सर्जनात्मक लेखन और रचना प्रक्रिया' का किया लोकार्पण।

वनांचल एक्सप्रेस ब्यूरो

वाराणसी। काशी हिन्दू विश्वविद्यालय का पत्रकारिता एवं जन संप्रेषण विभाग अपनी स्थापना की स्वर्ण जयंती के अवसर पर कार्यक्रमों की 'शब्द संवाद' श्रृंखला के तहत शनिवार को "पत्रकारिता में रचनाधर्मिता" विषय पर बिहार के मोतिहारी स्थित महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय के मीडिया अध्ययन विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष एवं बिहार लोकसेवा आयोग के सदस्य प्रो. अरुण कुमार भगत के व्याख्यान का आयोजन किया। विभागीय सभागार में हुए इस कार्यक्रम के दौरान पद्मश्री प्रो. कमलाकर त्रिपाठी ने बतौर मुख्य अतिथि उनकी पुस्तक "पत्रकारिताः सर्जनात्मक लेखन और रचना प्रक्रिया" का लोकार्पण किया।

गुरुवार, 23 जून 2022

BHU अस्पताल के कैथलैब में चिकित्सा अधीक्षक ने जड़ा ताला, 200 मरीजों की टली सर्जरी

सर सुंदरलाल चिकित्सालय के हृदय रोग विभाग के अध्यक्ष प्रो. ओम शंकर ने पत्रकार वार्ता कर दी जानकारी। चिकित्सा अधीक्षक प्रो. के.के. गुप्ता पर लगाया पद का दुरुपयोग करने का आरोप। कहा- सर सुंदरलाल चिकित्सालय स्थित हृदय रोग विभाग की सुविधाओं को अपने मेडिसिन विभाग में मिलाना चाहते हैं चिकित्सा अधीक्षक। 24 घंटे के अंदर शताब्दी सुपर स्पेशिऐलिटी भवन (CSSB) स्थित कैथलैब वार्ड, सामान्य वार्ड और सीसीयू में नहीं खुला ताला तो चिकित्सा अधीक्षक के खिलाफ दर्ज कराएंगे FIR।

reported by SHIV DAS 

वाराणसी। काशी हिन्दू विश्वविद्यालय (BHU) स्थित सर सुंदरलाल चिकित्सालय (SSH) के चिकित्सा अधीक्षक प्रो. केके. गुप्ता और हृदय रोग विभाग के अध्यक्ष प्रो. ओम शंकर के बीच स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर चल रही रस्साकशी रुकने का नाम नहीं ले रही है। प्रो. ओम शंकर ने चिकित्सा अधीक्षक प्रो. केके गुप्ता पर शताब्दी सुपर स्पेशिऐलिटी भवन (CSSB) स्थित कैथलैब वार्ड, सामान्य वार्ड और सीसीयू में ताला बंद करने का आरोप लगाया है। साथ ही उन्होंने दावा किया है कि इसकी वजह से पिछले दो हफ्तों में हृदय रोग विभाग के 200 से ज्यादा मरीजों की सर्जरी टालनी पड़ी है। साथ ही उन्होंने चेतावनी दी कि अगर 24 घंटों में एसएसबी स्थित कैथलैब वार्ड, सामान्य वार्ड और सीसीयू का ताला नहीं खुला तो वे चिकित्सा अधीक्षक प्रो. केके गुप्ता पर पद का दुरुपयोग करने समेत विभिन्न आरोपों के तहत पुलिस में प्रथम सूचना रपट (FIR) दर्ज कराएंगे।

रविवार, 8 मई 2022

EXCLUSIVE: BHU के असिस्टेंट प्रोफेसर पर FIR, अनुसूचित जनजाति वर्ग के फर्जी प्रमाण-पत्र पर नौकरी हथियाने का आरोप

सोनभद्र के जिलाधिकारी ने आरोपी असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. मनोज वर्मा का  अनुसूचित जनजाति वर्ग का जाति प्रमाण-पत्र किया निरस्त। चंदौली की चकिया तहसील के गरला गांव निवासी और अन्य पिछड़ा वर्ग की कहार जाति के डॉ. मनोज कुमार वर्मा ने सोनभद के रॉबर्ट्सगंज तहसील क्षेत्र के वैनी से अनुसूचित जनजाति वर्ग (ST) की खरवार जाति का बनवाया था प्रमाण-पत्र। अनूसूचित जनजाति वर्ग के फर्जी प्रमाण-पत्र पर काशी हिन्दू विश्वविद्यालय में पिछले छह साल से नौकरी कर रहा है आरोपी असिस्टेंट प्रोफेसर।  

reported by SHIV DAS

वाराणसी। काशी हिन्दू विश्वविद्यालय (BHU) के समाज शास्त्र विभाग में असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. मनोज कुमार वर्मा के खिलाफ छल-कपट, धोखाधड़ी और फर्जी दस्तावेजों के सहारे नौकरी हथियाने के आरोपों में प्रथम सूचना रपट (FIR) दर्ज हुई है। लंका थाना पुलिस ने गत सोमवार को बीएचयू के शोधार्थी अनंत नारायण मिश्रा की तहरीर पर यह एफआईआर दर्ज की है।

रविवार, 24 अप्रैल 2022

BHU:अंबेडकर जयंती मनाने और ब्राह्मणवाद के खिलाफ पोस्ट पर BCM से जुड़े छात्रों के साथ मारपीट, तहरीर के बाद भी दर्ज नहीं हुई FIR

भगत सिंह छात्र मोर्चा (BCM) से जुड़े अमन सिंह, अभिनव कुमार पाण्डेय और हरि प्रताप ने विश्वविद्यालय के छात्रों पर ही लगाया मारपीट करने का आरोप। तहरीर में लिखा- गोली मारकर गंगा में फेंकने की मिली धमकी। 

वनांचल एक्सप्रेस ब्यूरो

वाराणसी। अगर आप काशी हिन्दू विश्वविद्यालय (BHU)में अंबेडकर जयंती मनाते हैं और ब्राह्मणवाद के खिलाफ सोशल मीडिया पर पोस्ट लिखते हैं तो सावधान हो जाइए! विश्वविद्यालय में आपके साथ मारपीट हो सकती है। आपको गोली मारकर गंगा में फेंकने की धमकी मिल सकती है। ऐसा हम नहीं, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय (BHU) में सक्रिय वामपंथी छात्र संगठन 'भगत सिंह छात्र मोर्चा (BCM)'और उससे जुड़े छात्र कह रहे हैं। 

शुक्रवार, 2 जुलाई 2021

EXCLUSIVE: BHU के कुलाधिपति और सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति गिरधर मालवीय के खिलाफ FIR, धोखाधड़ी, बेईमानी और फर्जीवाड़े का आरोप

मिर्जापुर के मड़िहान थाना क्षेत्र में हजारों बीघा भूमि हड़पने के मामले में कांग्रेस के पूर्व एमएलसी राजेश पति त्रिपाठी और पूर्व विधायक ललितेश पति त्रिपाठी समेत 42 लोगों के खिलाफ दर्ज एफआईआर में गिरधर मालवीय का नाम भी शामिल। काशी हिन्दू विश्वविद्यालय (BHU) के संस्थापक और भारत रत्न पं मदन मोहन मालवीय के पोते हैं आरोपी सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति गिरधर मालवीय। गिरधर मालवीय के पिता और पूर्व कांग्रेस सांसद पं. गोविन्द मालवीय भी रह चुके हैं बीएचयू के कुलपति।  

 reported by Shiv Das

वाराणसी। मिर्जापुर के मड़िहान थाना क्षेत्र में हजारों बीघा भूमि हड़पने के मामले में काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के कुलाधिपति और सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति गिरधर मालवीय के खिलाफ भी एफआईआर दर्ज की गई है। मड़िहान थाना में कांग्रेस के पूर्व एमएलसी राजेश पति त्रिपाठी और पूर्व विधायक ललितेश पति त्रिपाठी समेत 42 लोगों के खिलाफ दर्ज एफआईआर में गिरधर मालवीय का नाम भी शामिल है। सभी पर भारतीय दंड विधान की धारा-419, 420, 467, 468 और 471 के तहत धोखाधड़ी, बेईमानी और फर्जीवाड़े का आरोप लगा है। आरोपी गिरधर मालवीय काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के संस्थापक, पूर्व कुलपति और भारत रत्न पं. मदन मोहन मालवीय के पोते हैं। गिरधर मालवीय के पिता पं. गोविंद मालवीय भी बीएचयू के कुलपति और सुल्तानपुर से कांग्रेस के सांसद रह चुके हैं। गोपालपुर संयुक्त कृषि सहकारी समिति लिमिटेड के सचिव बैजनाथ सिंह ने भी इस बात की पुष्टि की। हालांकि उन्होंने समिति और उसके सदस्यों के खिलाफ शासन के निर्देश पर दर्ज की गई एफआईआर की कार्रवाई को एकपक्षीय और दुर्भावनापूर्ण करार दिया। 

रविवार, 7 मार्च 2021

पेड सीट पर आरक्षण नहीं देने के मामले में UGC ने BHU प्रशासन से मांगा जवाब

शोधार्थी राघवेंद्र यादव ने विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) से की थी शिकायत।
वनांचल एक्सप्रेस ब्यूरो
वाराणसी। काशी हिन्दू विश्वविद्यालय (BHU) में पेड सीटों पर आरक्षण नहीं दिए जाने के मामले को विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) ने गंभीरता से लिया है। आयोग ने विश्वविद्यालय के कुलपति को पत्र लिखकर बिंदुवार इस मामले में तत्काल जवाब मांगा है। आयोग ने यह कार्रवाई एक केंद्रीय विश्वविद्यालय के शोधार्थी राघवेंद्र यादव की शिकायत पर की है।

मंगलवार, 2 मार्च 2021

BHU की दलित शिक्षिका से अनुभाग अधिकारी ने की बदसलूकी, धरने पर बैठीं

पत्रकारिता एवं जन संप्रेषण विभाग में कार्यरत एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. शोभना नेरलीकर ने केंद्रीय कार्यालय के अनुभाग अधिकारी (अवकाश) सुरेंद्र मिश्रा पर लगाया जाति के आधार पर उत्पीड़न और बदसलूकी का आरोप। 

वनांचल एक्सप्रेस ब्यूरो

वाराणसी। काशी हिन्दू विश्वविद्यालय (BHU) की एक दलित शिक्षिका सोमवार को शिक्षण एवं प्रशासन अनुभाग के अनुभाग अधिकारी (अवकाश) पर बदसलूकी और उत्पीड़न का आरोप लगाते हुए कार्यालय में ही धरने पर बैठ गईं। इससे विश्वविद्यालय प्रशासन में हड़कंप मच गया। प्राक्टोरियल बोर्ड के सदस्यों ने शिक्षिका को बहुत समझाने की कोशिश की लेकिन वह आरोपी अनुभाग अधिकारी द्वारा माफी मांगे जाने और उनके सर्विस बुक में दर्ज लीव-विदाउट-पे को रेगुलर सर्विस के रूप में परिवर्तित किए जाने तक धरना पर बैठे रहने पर अड़ी रहीं। प्रशासनिक अधिकारियों और प्राक्टोरियल बोर्ड के सदस्यों के करीब दो घंटे की मशक्कत के बाद आरोपी अनुभाग अधिकारी ने शिक्षिका से माफी मांगी लेकिन देर शाम तक उनके सर्विेस बुक में दर्ज लीव-विदाउट-पे को रेगुलर सर्विस के रूप में परिवर्तित नहीं किया जा सका। इससे नाराज शिक्षिका केंद्रीय कार्यालय के प्रवेश द्वार के सामने धरने पर बैठ गईं और देर शाम तक वहीं बैठी रहीं।

सोमवार, 1 मार्च 2021

BHU ने SET और RET के आवेदन शुल्कों में की 50 और 33 फीसदी की बढ़ोत्तरी, नर्सरी और LKG में 78 फीसदी से ज्यादा की वसूली

काशी हिन्दू विश्वविद्यालय (BHU) प्रशासन के अधीन विद्यालयों, महाविद्यालयों, संस्थानों, संकायों और विभागों के विभिन्न पाठ्यक्रमों के प्रवेश शुल्क में 60 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी की आशंका। अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति वर्ग के लोगों पर सबसे ज्यादा मार। 

reported by शिव दास / SHIV DAS

वाराणसी। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के गढ़ के रूप में चर्चित काशी हिन्दू विश्वविद्यालय (BHU) ने विद्यालयों और शोध पाठ्यक्रमों के आवेदन शुल्कों में क्रमशः 50 और 33 फीसदी की बढ़ोत्तरी कर दी है। नर्सरी और एलकेजी के आवेदन शुल्कों में यह बढ़ोत्तरी 78 फीसदी से भी ज्यादा है। आशंका है कि विश्वविद्यालय प्रशासन विभिन्न पाठ्यक्रमों के प्रवेश शुल्कों में भी करीब 60 प्रतिशत तक की बढ़ोत्तरी कर सकता है। 

सोमवार, 22 फ़रवरी 2021

BHU को खोलने की मांग को लेकर धरने पर बैठे छात्र, विश्वविद्यालय प्रशासन से वार्ता रहा बेनतीजा

काशी हिन्दू विश्वविद्यालय (बीएचयू) आज से अंतिम वर्ष के छात्रों और शोधार्थियों के लिए कर रहा ऑफलाइन कक्षाओं का संचालन। 

वनांचल एक्सप्रेस ब्यूरो

वाराणसी। काशी हिन्दू विश्वविद्यालय (BHU) को पूर्ण रूप से खोलने की मांग को लेकर छात्र-छात्राएं आज सुबह नौ बजे लंका स्थित सिंह द्वार पर बड़ी संख्या में धरने पर बैठ गए और उनका धरना देर शाम तक जारी रहा। विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर से शाम को डीन ऑफ स्टूडेंट प्रो. एमके सिंह धरना स्थल पर दो बार छात्रों को मनाने पहुंचे लेकिन उनसे उनकी वार्ता बेनतीजा रही।छात्रों ने साफ कर दिया कि वे पूर्ण रूप से विश्वविद्यालय को खुल जाने के बाद ही धरना खत्म करेंगे। वहीं, छात्रों ने आरोप लगाया कि त्रिवेणी छात्रावास में छात्राओं को कैद कर रखा गया है जबकि विश्वविद्यालय प्रशासन ने ऐसी किसी भी घटना से इंकार किया है। विश्वविद्यालय प्रशासन के पीआरओ डॉ. राजेश सिंह ने देर शाम विज्ञप्ति जारी कर भारत सरकार के निर्देशानुसार विश्वविद्यालयय को खोलने की बात कही और छात्र-छात्राओं से विश्वविद्यालय का शैक्षणिक वातावरण बनाने की अपील की। वहीं, विश्वविद्यालय प्रशासन ने आज से विभिन्न पाठ्यक्रमों में अध्ययनरत अंतिम वर्ष के छात्रों और शोधार्थियों की ऑफलाइन कक्षाओं का संचालन शुरू कर दिया है।

शनिवार, 12 दिसंबर 2020

BHU: रात में गुंडागर्दी के बाद दिन में झुका विश्वविद्यालय प्रशासन, सोमवार से खुलेगी सेंट्रल लाइब्रेरी

काशी हिन्दू विश्वविद्यालय को खोलने की मांग को लेकर कुलपति आवास के सामने छात्रों का चल रहा अनिश्चितकालीन धरना कुलपति से वार्ता के बाद समाप्त। धरनारत छात्रों का दावा- 14 दिसंबर से केंद्रीय पुस्तकालय और साइबर लाइब्रेरी को 300 छात्र-छात्राओं के लिए खोलने पर बनी सहमति। सेमेस्टर परीक्षाओं के खत्म होने के बाद छात्रावासों को खोलने पर भी बनी सहमति। 

वनांचल एक्सप्रेस ब्यूरो

वाराणसी। काशी हिन्दू विश्वविद्यालय (BHU) को विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के दिशा-निर्देशों के तहत खोलने की मांग को लेकर कुलपति आवास के सामने विश्वविद्यालय के छात्रों का चल रहा अनिश्चितकालीन धरना शुक्रवार की शाम कुलपति से वार्ता के बाद समाप्त हो गया। वार्ता में शामिल धरनारत छात्रों का कहना है कि विश्वविद्यालय प्रशासन सोमवार से 300 छात्र-छात्राओं के लिए केंद्रीय पुस्तकाल और साइबर लाइब्रेरी खोलने के लिए तैयार हो गया है। साथ ही 50 छात्र-छात्राओं के लिए सिटी डेलीगेसी भी खुलेगा। हालांकि छात्रावासों और विश्वविद्यालय को पठन-पाठन के लिए खोलने पर अभी सहमति नहीं बन पाई है। 

शुक्रवार, 30 अक्तूबर 2020

BHU में जातिगत भेदभाव को लेकर छात्रों और नागरिकों ने किया प्रदर्शन

काशी हिन्दू विश्वविद्यालय (बीएचयू) के विधि संकाय में अन्य पिछड़ा वर्ग के प्रोफेसर पद पर एकल योग्य अभ्यर्थी के रूप में चयनित डॉ. मुकेश कुमार मालवीय समेत एससी, एसटी और ओबीसी के साथ होने वाले भेदभाव पर आंदोलन की चेतावनी।

वनांचल एक्सप्रेस ब्यूरो

काशी हिन्दू विश्वविद्यालय (बीएचयू) में एससी, एसटी और ओबीसी छात्रों और अभ्यर्थियों के साथ हो रहे जातिगत भेदभाव के खिलाफ छात्रों और नागरिकों ने बृहस्पतिवार को लंका स्थित बीएचयू गेट के सामने प्रदर्शन किया। साथ ही उन्होंने विश्वविद्यालय के विधि संकाय में अन्य पिछड़ा वर्ग के प्रोफेसर पद पर एकल योग्य अभ्यर्थी एवं उसी संकाय में असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. मुकेश कुमार मालवीय का साक्षात्कार कराने की मांग की। प्रदर्शनकारियों ने विश्वविद्यालय प्रशासन को चेतावनी दी कि अगर एससी, एसटी, ओबीसी के खिलाफ जातिगत भेदभाव नहीं रुका तो वे विश्वविद्यालय प्रशासन के खिलाफ बड़ा आंदोलन छेड़ेंगे। 

शुक्रवार, 14 फ़रवरी 2020

BHU: Ph.D. प्रवेश प्रक्रिया में जाति आधारित भेदभाव पर बिफरे छात्र, कुलपति कार्यालय का किया घेराव


विश्वविद्यालय प्रशासन पर विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के दिशा-निर्देशों का अनुपालन नहीं करने का आरोप।
वनांचल एक्सप्रेस ब्यूरो
वाराणसी। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के गढ़ के रूप में चर्चित काशी हिन्दू विश्वविद्यालय (बीएचयू) के छात्रों ने बृहस्पतिवार को विश्वविद्यालय प्रशासन पर जाति के आधार पर भेदभाव करने का आरोप लगाया और लंका स्थित सिंह द्वार से प्रधानमंत्री के संसदीय कार्यालय तक मार्च निकालने की असफल कोशिश की। बाद में छात्रों ने विश्वविद्यालय में मार्च निकाला और केंद्रीय कार्यालय का घेराव किया।

सोमवार, 25 सितंबर 2017

BHU: तानाशाह कुलपति के निजी गुंडों ने छात्राओं पर पहले बरसाईं लाठियां, फिर बुलाई फोर्स

कुलपति गिरीश चंद्र त्रिपाठी, मुख्य आरक्षाधिकारी ओ.एन.सिंह और अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) ने संयुक्त रूप से रची थी पुलिस फोर्स के बल पर  छात्राओं के आंदोलन को कुचने की साज़िश!
वनांचल एक्सप्रेस ब्यूरो
वाराणसी। काशी हिन्दू विश्वविद्यालय (बीएचयू) में शनिवार की रात कुलपति लॉज के सामने आंदोलनकारी छात्राओं पर कुलपति के निजी गुंडों (सुरक्षाकर्मी) ने ही पहले लाठियां बरसाई थीं जिसमें करीब आधा दर्जन छात्र एवं छात्राएं घायल हो गये। इसके बाद विश्वविद्यालय प्रशासन ने जिला प्रशासन और पुलिस प्रशासन को सूचना देकर भारी संख्या में पुलिस फोर्स बुलाई। कुछ ही देर में जिलाधिकारी सैकडों की संख्या में पुलिस फोर्स लेकर लंका स्थित सिंह द्वार पर धरना दे रही छात्राओं समेत छात्रों और मीडियाकर्मियों पर टूट पड़े। कुछ ही देर में सिंह द्वार खाली हो गया और छात्राओं को महिला महाविद्यालय की चहारदीवारी के अंदर कैद कर दिया गया। विश्वविद्यालय प्रशासन के अंदर मौजूद विश्ववसनीय सूत्रों की मानें तो छात्राओं के आंदोलन को खत्म कराने के लिए विश्वविद्यालय के कुलपति और मुख्य आरक्षाधिकारी समेत अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) के कुछ पदाधिकारियों ने संयुक्त रूप से ये रणनीति बनाई थी।

मंगलवार, 29 अगस्त 2017

BHU EXCLUSIVE: BJP विधायक को इलाहाबादी 'अखाड़े' से सौगात में मिला था गैस का ठेका

विश्वविद्यालय के ठेकों में केंद्र की सत्ता में काबिज राजनीतिक पार्टियों के नेताओं का दखल आया सामने। नवंबर, 2014 में काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के नवनियुक्त कुलपति और भाजपा के मातृत्व संगठन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के प्रशंसक प्रोफेसर गिरीश चंद्र त्रिपाठी ने कार्यभार संभालने के 20 दिनों के अंदर पैररहट इंडस्ट्रियल इंटरप्राइजेज प्राइवेट लिमिटेड को दिया मेडिकल गैसों की आपूर्ति का ठेका।
reported By Shiv Das
वाराणसी स्थित काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के सर सुन्दरलाल चिकित्सालाय में मेडिकल गैसों की आपूर्ति के ठेकों में सत्ताधारी भाजपा के नेताओं का सीधे दखल सामने आया है। दस्तावेज बताते हैं कि केंद्र में पार्टी की सरकार बनते ही भाजपा विधायक हर्ष वर्धन बाजपेयी ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के इलाहाबादी 'अखाड़े' के सियासी गठजोड़ से सर सुंदरलाल चिकित्सालय में ऑक्सीजन, नाइट्रस ऑक्साइड और कार्बन डाई ऑक्साइड की आपूर्ति का ठेका हथिया लिया था। ठेके के लिए विश्वविद्यालय प्रशासन पर पार्टी का इस कदर दबाव था कि नवनियुक्त कुलपति प्रोफेसर गिरीश चंद्र त्रिपाठी ने कार्यभार संभालने के बीस दिनों के अंदर मेडिकल गैसों की आपूर्ति की ठेका भाजपा विधायक की कंपनी पैररहट इंडस्ट्रियल इंटरप्राइजेज प्राइवेट लिमिटेड को दे दिया जबकि आवश्यक प्रमाण-पत्रों के अभाव में आबंटन की प्रक्रिया निविदा खुलने की तिथि से पांच महीनों तक लंबित रही।

गुरुवार, 24 अगस्त 2017

EXCLUSIVE: BHU प्रशासन ने BJP विधायक की मशीन और उपकरण बनाने वाली कंपनी को दिया मेडिकल गैसों की आपूर्ति का ठेका

टेंडर भरने की आखिरी तारीख तक पैररहट इंडस्ट्रियल इंटरप्राइजेज प्राइवेट लिमिटेड को नहीं मिला था किसी भी प्रकार के गैस आपूर्ति का लाइसेंस। 
reported by Shiv Das
वाराणसी। राजनीतिक बिसात पर खड़ी नौकरशाही की बेबसी जून में काशी हिन्दू विश्वविद्यालय (बीएचयू) के सर सुंदरलाल चिकित्सालय में मरीजों की हत्या का इतिहास लिख गई। बीएचयू अस्पताल में मेडिकल गैसों की आपूर्ति से जुड़े दस्तावेज कुछ ऐसी ही दास्तां बयां कर रहे हैं। दस्तावेजों की मानें तो बीएचयू प्रशासन ने सियासी गठजोड़ में मशीन और उपकरण बनाने वाली भाजपा विधायक की कंपनी को जीवनरक्षक मेडिकल ऑक्सीजन, नाइट्रस ऑक्साइड और कॉर्बन डाई ऑक्साइड गैसों की आपूर्ति का ठेका दे दिया जबकि इसके पास किसी भी प्रकार के गैसों की आपूर्ति का लाइसेंस ही नहीं था।

मंगलवार, 22 अगस्त 2017

BHU अस्पताल में ज़हरीली गैस से हुई मौतों पर इलाहाबाद हाइकोर्ट ने सरकार को दिया जांच का आदेश

कोर्ट ने बीएचयू प्रशासन से भी एक हलफनामा मांगा है कि परेरहाट कंपनी को किन परिस्थितियों में लाइसेंस दिया गया था...
वनांचल न्यूज़ नेटवर्क
इलाहाबाद। काशी हिंदू विश्‍वविद्यालय के सर सुंदरलाल चिकित्‍सालय में ज़हरीली गैस से हुई मौतों के दो महीने बाद दायर एक जनहित याचिका पर इलाहाबाद उच्‍च न्‍यायालय ने संज्ञान लिया है। बीएचयू के पूर्व छात्र नेता भुवनेश्‍वर द्विवेदी की लगाई याचिका पर फैसला देते हुए इलाहाबाद हाइकोर्ट में जस्टिस दिलीप गुप्‍ता और जस्टिस अमर सिंह चौहान की खंडपीठ ने महानिदेशक, चिकित्‍सा एवं स्‍वास्‍थ्‍य को आदेश दिया है कि वे तीन सदस्‍यीय वरिष्‍ठ विशेषज्ञों की कमेटी से इस मामले की जांच कराएं।

मंगलवार, 18 जुलाई 2017

BHU: डॉ. शोभना नर्लिकर के खिलाफ लामबंद हुए ये शिक्षक, देखिए सूची

कला संकाय प्रमुख और पत्रकारिता एवं जन संप्रेषण विभाग के प्रभारी विभागाध्यक्ष प्रो. कुमार पंकज के पक्ष में कला संकाय के अधीन विभिन्न विभागों के 65 शिक्षकों ने गत 15 जुलाई को हस्ताक्षर अभियान चलाकर लामबंदी की थी और कुलपति को डॉ. नर्लिकर के खिलाफ कार्रवाई नहीं करने पर धरना-प्रदर्शन करने की चेतावनी दी थी...
वनांचल न्यूज नेटवर्क
वाराणसी। ब्राह्मणवादी व्यवस्था की पोषक और पिछड़ा-दलित उत्पीड़न के आरोपों में घिरे बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय में शिक्षकों की गुटबाजी खुलकर सामने आ गई है। विश्वविद्यालय के पत्रकारिता एवं जन संप्रेषण विभाग की सहायक प्राध्यापक डॉ. शोभना नर्लिकर के खिलाफ कला संकाय के विभिन्न विभागों के 65 शिक्षकों ने पिछले दिनों कुलपति को एक हस्ताक्षरित पत्र देकर उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की मांग की। साथ ही उन्होंने ऐसा नहीं करने पर धरना-प्रदर्शन करने की धमकी भी दी।

रविवार, 10 जनवरी 2016

गांधीवादी संदीप पांडे को देशद्रोही कहना गांधी का अपमानः रिहाई मंच


संदीप पांडेय
"बीएचयू के वीसी संघ के एजेंट। बीएचयू को अंधविश्वासी और मूर्खों की फैक्टरी बनाना चाहते हैं जीसी त्रिपाठी।"

वनांचल न्यूज नेटवर्क

लखनऊ। जन मुद्दों पर बेबाक बयानबाजी और प्रदर्शन के लिए पहचाने जाने वाले रिहाई मंच ने बीएचयू प्रशासन द्वारा मैग्सेसे पुरस्कार सम्मानित सामाजिक कार्यकर्ता और बीएचयू के गेस्ट फैकल्टी संदीप पांडे को बीच सत्र में बर्खास्त किये जाने को प्रगतिशील मूल्यों के प्रति संघ परिवार पोषित असहिष्णुता का ताजा उदाहरण बताया। मंच ने इस पूरे प्रकरण पर बीएचयू प्रशासन पर संघ और भाजपा के स्वयंसेवक के बतौर काम करने का आरोप भी लगाया और इसे मोदी सरकार में अकादमिक पतन की नजीर बताया।

रिहाई मंच की ओर से जारी विज्ञप्ति में मंच के अध्यक्ष मोहम्मद शुऐब ने कहा, "संदीप पांडे जैसे प्रतिष्ठित गांधीवादी और तर्कवादी फैकल्टी को हटा कर बीएचयू प्रशासन ने साफ कर दिया है कि वह किसी भी कीमत पर तार्किक और प्रगतिशील विचारों को पनपने नहीं देगा। उसका मकसद बीएचयू जैसी संस्थान से सिर्फ अंधविश्वासी, लम्पट, साम्प्रदायिक और मूर्ख खाकी निक्करधारी छात्रों की खेप पैदा करना है जो संघ परिवार के देशविरोधी कार्यकलापों में आसानी से लग जाएं।"

राजीव यादव ने कहा कि संदीप पांडे को हटाने का निर्णय राजनीतिक है जिसके तहत उन्हें नक्सली और राष्ट्र विरोधी गतिविधियों में लिप्त बताया गया है। उन्होंने इसे अकादमिक स्वतंत्रता पर हमला बताया। उन्होंने विश्वविद्यालय के कुलाधिपति राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी से मामले में हस्तक्षेप करने और संदीप पांडेय को पुनः बहाल कराने की मांग की । यादव ने कहा कि जब से मोदी सरकार सत्ता में आई है तब से संघ के समाज विरोधी विचारधारा के विरोधियों को शैक्षणिक संस्थानों से हटा कर उनकी जगह संघ और भाजपा कार्यकताओं को बैठाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि इसी रणनीति के तहत इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ मास कॅम्यूनिकेशन (आईआईएमसी) का निदेशक केवी सुरेश को बना दिया गया है जिनकी योग्यता महज इतनी है कि वे विवेकानंद फाउंडेशन के सदस्य हैं। इसके सदस्यों में गुजरात के मुस्लिम विरोधी जनसंहार को आयोजित करने के आरोपी प्रशासनिक अधिकारी से लेकर नृपेंद्र मिश्रा जैसे घोषित सीआईए एजेंट जैसे लोग हैं। मंच के नेता ने कहा कि विवेकानंद फाउंडेशन से जुड़े रहे राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल के बेटे शौर्य डोभाल के निजी संगठन इंडिया फाउंडेशन भी देश की बौद्धिक पूंजी को भोथरा करने का अभियान चला रहा है। उन्होंने कहा कि यह अपने आप में जांच का विषय है। मोदी के अमरीका दौरे के दौरान मेडिसन स्कवायर पर भी शौर्य डोभाल की कम्पनी ही इवेंट मैनेज करती है और वही पिछले दो साल से देश की सुरक्षा पर डीजीपी स्तर के अधिकारियों के सम्मेलन को भी आयोजित करती है। उन्होंने कहा कि संघ और विदेशी कॉरपोरेट पूंजी की बड़ी बड़ी लॉबियां भारतीय मेधा और बौद्धिक शक्ति को अपने अनुरूप ढालने का अभियान चला रही हैं और इसमें रोड़ा लगने वाले लोगों को जबरन हटा रही हैं।

वहीं, इंसाफ अभियान के प्रदेश महासचिव और इलाहाबाद विश्वविद्यालय के छात्र नेता दिनेश चौधरी ने कहा, बीएचयू जैसे विश्वविद्यालय का यह दुर्भाग्य है कि उसे जीसी त्रिपाठी जैसा कुलपति मिला है जो इलाहाबाद विश्वविद्यालय के इकोनॉमिक्स विभाग के औसत से भी कम दर्जे के शिक्षक रहे हैं। उन्हें उनके छात्र भी गम्भीरता से नहीं लेते थे। उन्होंने कहा कि जीसी त्रिपाठी सिर्फ संघ के पुराने कार्यकर्ता होने की पात्रता के कारण कुलपति बनाए गए हैं।