रविवार, 5 फ़रवरी 2023

पत्रकारिता जल्दबाजी में लिखा गया साहित्य है: प्रो. अरुण कुमार भगत


बिहार के मोतिहारी स्थित महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय के आचार्य और बिहार लोक सेवा आयोग के सदस्य प्रो. अरुण कुमार भगत ने दिया 'पत्रकारिता में रचनाधर्मिता' पर व्याख्यान। काशी पत्रकारिता एवं जन संप्रेषण विभाग के सभागार में पद्मश्री प्रो. कमलाकर त्रिपाठी ने प्रो. अरुण कुमार भगत की पुस्तक 'पत्रकारिता: सर्जनात्मक लेखन और रचना प्रक्रिया' का किया लोकार्पण।

वनांचल एक्सप्रेस ब्यूरो

वाराणसी। काशी हिन्दू विश्वविद्यालय का पत्रकारिता एवं जन संप्रेषण विभाग अपनी स्थापना की स्वर्ण जयंती के अवसर पर कार्यक्रमों की 'शब्द संवाद' श्रृंखला के तहत शनिवार को "पत्रकारिता में रचनाधर्मिता" विषय पर बिहार के मोतिहारी स्थित महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय के मीडिया अध्ययन विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष एवं बिहार लोकसेवा आयोग के सदस्य प्रो. अरुण कुमार भगत के व्याख्यान का आयोजन किया। विभागीय सभागार में हुए इस कार्यक्रम के दौरान पद्मश्री प्रो. कमलाकर त्रिपाठी ने बतौर मुख्य अतिथि उनकी पुस्तक "पत्रकारिताः सर्जनात्मक लेखन और रचना प्रक्रिया" का लोकार्पण किया।

'पत्रकारिता में रचनाधर्मिता' विषय पर अपना वक्तव्य रखते हुए प्रो. अरुण कुमार भगत ने कहा कि पत्रकारिता जल्दबाजी में लिखा गया साहित्य है। यह जीवन के रहस्यों को उद्घाटित करने की प्रक्रिया है। पत्रकारिता पर प्रारंभिक दिनों से ही अंकुश लगाने की कोशिश की जाती रही है। फिर भी पत्रकार रुका नहीं और पत्रकारिता की प्रक्रिया चलती रही। पत्रकारिता के माध्यम से आंदोलनों को रेखांकित किया जाता है। पत्रकारिता के दो महत्वपूर्ण अवयव हैं समाचार और विचार। समाचार आज छपता है और कल अतीत हो जाता है लेकिन विचार कभी मरता नहीं है। मेरी पुस्तक विचारों पर आधारित है। सृजनात्मक लेखन जीवन की यात्रा है। कुल मिलाकर यह पुस्तक सृजनात्मक लेखन का ग्रंथ है। 

काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के चिकित्सा विज्ञान संस्थान के आचार्य पद्मश्री प्रो. कमलाकर त्रिपाठी ने बतौर मुख्य अतिथि प्रो. अरुण कुमार भगत की पुस्तक "पत्रकारिताः सर्जनात्मक लेखन और रचना प्रक्रिया" के बारे में चर्चा करते हुए कहा कि जब हमारे पास भाषा और साहित्य नहीं था, तब भी पत्रकारिता थी जिसे चित्रों और भाव से संचारित किया जाता था। पत्रकारिता आज व्यवस्थित हो चुकी है और प्रो. अरुण कुमार भगत की यह पुस्तक में पत्रकारिता की सभी विधाओं को समेटे हुए है। यह पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए बेहतरीन पुस्तक है। 

विभागाध्यक्ष डॉ. शोभना नेर्लिकर ने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में कहा कि पत्रकारिता सूचनाओं के साथ सृजनात्मक लेखन की कला है। पत्रकारिता जगत के विद्वान शिक्षक प्रो. अरुण कुमार भगत की पुस्तकें मीडिया जगत के छात्रों को मीडिया जगत की कुशलता से परिचय कराती हैं। काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के पत्रकारिता एवं जन संप्रेषण विभाग में पत्रकारिता पर उनकी पुस्तक "पत्रकारिताः सर्जनात्मक लेखन और रचना प्रक्रिया" का विमोचन और व्याख्यान विभाग के विद्यार्थियों को निश्चित रूप से लाभकारी सिद्ध होगा। साथ ही उन्होंने कहा कि पत्रकारिता जगत में जातिगत भेदभाव बड़े ही पैमाने पर है जिसे हर हाल में खत्म कर वंचित वर्गों को भी बराबरी का अधिकार देना पड़ेगा। अगर जब तक ऐसा नहीं होता है तो पत्रकारिता की निष्पक्षता हमेशा संदिग्ध रहेगी। इन बिंदुओं को भी पत्रकारिता के सृजनात्मक लेखन में शामिल करना पड़ेगा। 

सन्निधान वक्तव्य देते हुए प्रो. उदय प्रताप सिंह ने पत्रकारिता के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि जब तोप मुक़ाबिल हो तो अखबार निकालो। प्रो. भगत की किताब एक साहित्य ही है क्योंकि साहित्य से ही पत्रकारिता का उदय हुआ है। 


प्रो. अरुण कुमार भगत और उनकी पुस्तक के बारे में जानकारी देते हुए हिंदी विभाग के सह-आचार्य डॉ. अशोक कुमार ज्योति ने कहा कि बिहार के सहरसा के मूल निवासी प्रो. भगत  देश के पहले पत्रकारिता विश्वविद्यालय 'माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय के आचार्य रहे हैं। वर्तमान में वह मोतिहारी स्थित महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय के मीडिया अध्ययन विभाग में कार्यरत हैं और विभाग के विभागाध्यक्ष रह चुके हैं। उनकी चर्चित पुस्तकों में हिंदी की आधुनिक पत्रकारिता, आपातकालीन काव्य-एक अनुशीलन, आपातकाल के काव्यकार, हिंदी पत्रकारिता: सिद्धांत से प्रयोग तक शामिल हैं।

विभाग के सह-आचार्य डॉ. ज्ञान प्रकाश मिश्र ने कार्यक्रम में आए अतिथियों का स्वागत किया। 

कार्यक्रम का संचालन विभाग के वरिष्ठ सहायक आचार्य डॉ. बाला लखेंद्र ने किया जबकि विभाग के शोधार्थी रंजीत राय ने कार्यक्रम में मौजूद अतिथियों, शोधार्थियों, विद्यार्थियों और अन्य लोगों को धन्यवाद ज्ञापित किया। 

कार्यक्रम में प्रमुख रूप से प्रो. वीके सिंह, डॉ. विवेक सिंह, डॉ. लहरी राम मीणा, डॉ. देवी प्रसाद, डॉ. सत्य प्रकाश असीम, डॉ. मानसी सिंह, विभाग के सहायक आचार्य डॉ. नेहा पांडे, डॉ. अमिता, डॉ. धीरेन्द्र राय, शोधार्थीगण दीक्षा विश्वकर्मा, नेहा वर्मा, सिमरन ठाकुर, सोनल, राखी शर्मा, जिज्ञासा, नितिन, रंजीत, अदिति, कीर्ति, मोनू,  समेत विभाग के सैकड़ों शोधार्थी एवं विद्यार्थी मौजूद रहे।

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