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शनिवार, 24 जनवरी 2015

यहां बिकता है 13 करोड़ महीने की ‘वीआईपी’ में ‘संगठित हत्या’ का लाइसेंस

अवैध खननः एक महीने में ‘वीआईपी’ के रूप में जिला खनिज विभाग, सोनभद्र द्वारा वसूल की जाने वाली धनराशि की गणना करें तो यह 14.70 करोड़ रुपये के करीब होती है... 

reported by Shiv Das Prajapati

त्तर प्रदेश के आदिवासी बहुल जनपद सोनभद्र में हर महीने तेरह करोड़ रुपये से ज्यादा की 'वीआईपी' वसूली में जिला खनिज विभाग खनन माफियाओं को मजदूरों, आदिवासियों और दलितों की 'संगठित हत्या' का लाइसेंस बेचता है। ऐसा हम नहीं कह रहे, बल्कि यह सोनभद्र के नागरिकों में अवैध खनन पर हो रही विभिन्न चर्चाओं में सामने आया है। हालांकि इसमें कितनी सच्चाई है, यह जिला प्रशासन के नुमाइंदे ही जानें लेकिन जो बातें सामने आई हैं, उससे इंकार भी नहीं किया जा सकता है। खनन माफियाओं और जिला खनिज विभाग के अधिकारियों एवं कर्मचारियों के नचदीकी सूत्रों की बातों पर यकीन करें तो वीआईपी के नाम पर जिला खनिज विभाग द्वारा की जा रही अवैध वसूली के दावें हैरत करने वाले हैं। 

उत्तर प्रदेश खनिज (अवैध खनन, परिवहन एवं भण्डारण का निवारण) नियमावली-2002 के तहत खनिजों के परिवहन के लिए एमएम-11 परमिट या अभिवहन पास जरूरी होता है। हल्के भारी वाहन के लिए जारी एक एमएम-11 परमिट पर अधिकतम 9.50 घन मीटर या करीब 13 टन खनिज पदार्थ का परिवहन किया जा सकता है जबकि ट्रक या अन्य भारी वाहन के लिए एक एमएम-11 परमिट पर अधिकतम 19.50 घनमीटर या करीब 26 टन खनिज पदार्थ का परिवहन हो सकता है। किसी वाहन के जरिए इससे अधिक खनिज पदार्थ की ढुलाई अवैध परिवहन (ओवर लोडिंग) की श्रेणी में आता है और उसके मालिक के खिलाफ कानूनी कार्रवाई हो सकती है। 

उत्तर प्रदेश उप-खनिज (परिहार) (चौंतिसवां संशोधन) नियमावली-2012 की प्रथम अनुसूची के नियम-21 के तहत डोलो स्टोन (गिट्टी) के परिवहन की दर 102 रुपये प्रति घन मीटर निर्धारित है जबकि डोलो स्टोन (डस्ट) के परिवहन की दर 33 रुपये प्रति घन मीटर है। इस तरह 19.50 घन मीटर या करीब 26 टन डोलो स्टोन (गिट्टी) के परिवहन के लिए एक एमएम-11 परमिट की कुल सरकारी कीमत 2,490 रुपये के करीब है जो रॉयल्टी के रूप में सरकारी कोष में जमा होती है। इसमें वाणिज्य कर (13.5 प्रतिशत बिक्री कर और 1.5 प्रतिशत सेस) समेत शक्तिनगर विशेष क्षेत्र प्राधिकरण (साडा) के लिए 9.0 रुपये प्रति घनमीटर की दर से वसूले जाने वाला शुल्क भी शामिल है। 

लेकिन, विश्वसनीय सूत्रों की मानें तो 19.50 घन मीटर डोलो स्टोन (गिट्टी) के परिवहन के लिए आवश्यक एक एमएम-11 परमिट पट्टाधारकों को जिला खनिज विभाग की ओर से 6,000 रुपये की दर से बेची जाती है जो बाजार में 6050 रुपये में उपलब्ध होती है। जिला खनिज विभाग के नुमाइंदों द्वारा एक एमएम-11 परमिट पर पट्टाधारकों से वसूल की जाने वाली अतिरिक्त धनराशि (करीब 3,500) वीआईपीकहलाती है। 

इस तरह जिला खनिज विभाग के नुमाइंदों द्वारा वीआईपीके रूप में खनन पट्टाधारकों से एक गड्डी (100 प्रति) एमएम-11 परमिट के लिए एकमुश्त 3.50 लाख रुपये से लेकर 4.0 लाख रुपये तक की अतिरिक्त धनराशि वसूल की जाती है।

इसी तरह उक्त नियमावली के तहत बालू के परिवहन की दर 75 रुपये प्रति घनमीटर है। 19.50 घन मीटर बालू के परिवहन के लिए एक एमएम-11 परमिट की कुल सरकारी कीमत 1884 रुपये के करीब है जो रॉयल्टी के रूप में सरकारी कोष में जमा होती है। इसमें वाणिज्य कर (13.5 प्रतिशत बिक्री कर और 1.5 प्रतिशत सेस) समेत शक्तिनगर विशेष क्षेत्र प्राधिकरण (साडा) के लिए 9.0 रुपये प्रति घनमीटर की दर से वसूले जाने वाला शुल्क भी शामिल है। लेकिन, सूत्रों की मानें तो 19.50 घन मीटर बालू के परिवहन के लिए जरूरी एक एमएम-11 परमिट पट्टाधारकों को जिला खनिज विभाग से 5,900 रुपये की दर से बेचा जाता है। यह बाजार में 6,000 रुपये में उपलब्ध होता है। बालू परिवहन के लिए जिला खनिज विभाग की ओर से जारी की जाने वाली उक्त परमिट पर करीब 4,000 रुपये की वीआईपीवसूल की जाती है। 

सूत्रों की मानें तो इस तरह जिला खनिज विभाग के नुमाइंदों द्वारा 19.50 घनमीटर परिवहन क्षमता वाली एमएम-11 परमिट की एक गड्डी पर एकमुश्त 4.0 लाख रुपये से लेकर 4.5 लाख रुपये की अतिरिक्त धनराशि वीआईपीके रूप में वसूल की जाती है। इसी तरह सैंड स्टोन (गिट्टी) के परिवहन के मामले में भी वीआईपीकी अतिरिक्त वसूली खनन पट्टाधारकों से की जाती है।


जिला खनिज विभाग और जिला परिवहन विभाग के विश्वसनीय सूत्रों की मानें तो सोनभद्र से हर दिन करीब 1400 ट्रकें डोलो स्टोन (गिट्टी)/बालू की ढुलाई करती हैं। इस तरह हर दिन वीआईपीके रूप में 49 लाख रुपये की अतिरिक्त वसूली होती है जिससे बाजार में गिट्टी और बालू की कीमतें आसमान छू रही हैं। अगर एक महीने में वीआईपीके रूप में वसूल की जाने वाली धनराशि की गणना करें तो यह 14.70 करोड़ रुपये के करीब होती है। 

जिला प्रशासन समेत सूबे की सत्ता के गलियारों में मौजूद सूत्रों की बातों पर विश्वास करें तो इस समय सोनभद्र खनिज विभाग से हर महीने ‘वीआईपी’ के रूप में करीब 13 करोड़ रुपये सूबे की राजधानी में मौजूद सत्ता के विश्वसनीय नुमाइंदों के पास जाता है। शेष धनराशि जिला स्तर पर तैनात अधिकारियों, कर्मचारियों के साथ-साथ समाजसेवियों, जनप्रतिनिधियों और पत्रकारों की एक बड़ी लॉबी को मैनेज करने में खर्च होती है। हालांकि इन आरोपों में कितनी सचाई है, यह जिला प्रशासन के नुमाइंदे और उनके आका ही जानें लेकिन सोनभद्र में अवैध खनन के गोरखधंधे को देखकर इनको झुठलाने की कोई वाजिब वजहें भी नहीं हैं। 

इतना ही नहीं, सोनभद्र में परिवहन विभाग के सहयोग से ओवर लोडिंग परिवहन का धंधा भी बखूबी संचालित हो रहा है जिससे राज्य सरकार को हर महीने तीन करोड़ रुपये से ज्यादा की रॉयल्टी का चूना लग रहा है। जनपद के विभिन्न क्रशर प्लांटों से गिट्टी ढोने वाली ट्रकों पर हर दिन पांच घन मीटर ज्यादा गिट्टी लादी जाती है जिससे प्रति ट्रक करीब 635 रुपये की रॉयल्टी की चोरी की जा रही है। 

जिला खनिज विभाग के दावों पर गौर करें तो सोनभद्र के विभिन्न क्रशर प्लांटों से हर दिन करीब एक हजार ट्रकें गिट्टी का परिहन करती हैं। इस तरह एक दिन में 6.35 लाख रुपये की राजस्व चोरी की जा रही है जो महीने में करीब दो करोड़ रुपये होता है। इसके अलावा बालू ढोने वाली ट्रकों पर भी करीब 10 घन मीटर अतिरिक्त बालू लादी जा रही है। इससे प्रति ट्रक 966 रुपये की रॉयल्टी चोरी की जा रही है। 

सूत्रों की मानें तो हर दिन करीब 400 ट्रकें सोनभद्र से बालू का परिवहन करती हैं। इससे हर दिन 3.86 लाख रुपये की राजस्व चोरी की जा रही है जो महीने में 1.15 करोड़ रुपये के करीब होता है। प्रशासनिक सूत्रों की मानें तो रॉयल्टी चोरी और ‘वीआईपी’ में जिला खनिज विभाग के साथ-साथ राजस्व विभाग, परिवहन विभाग, वाणिज्य कर विभाग, वन विभाग और पुलिस प्रशासन के नुमाइंदे शामिल हैं। उनके इस गोरखधंधे में उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड का क्षेत्रीय कार्यालय भी बखूबी साथ दे रहा है जिसकी बदौलत सोनभद्र प्रदूषण के मामले में क्रिटिकल जोन में शामिल हो चुका है।

बॉक्सः


उत्तर प्रदेश उप-खनिज (परिहार) (चौंतिसवां संशोधन) नियमावली-2012 के तहत परिवहन की दरः
सामग्री                                                      दर
डोलो स्टोन                                  102 रुपये प्रति घन मीटर
डोलो स्टोन (डस्ट)                           33 रुपये प्रति घन मीटर
लाइम स्टोन                                 215 रुपये प्रति घन मीटर
सैंड स्टोन                                       72 रुपये प्रति घन मीटर
बालू                                             75 रुपये प्रति घन मीटर


शुक्रवार, 7 नवंबर 2014

सपा की साख पर एसडीएम लगा रहे बट्टा, किसानों से जमकर हो रही अवैध वसूली

 मीडिया पब्लिसिटी में मशगूल जिलाधिकारी को किसानों की बातों से ज्यादा भ्रष्ट कर्मचारियों और अधिकारियों पर है ज्यादा भरोसा, सपा की साख में लगा रहे बट्टा।निरंकुश सत्ता के आगे नतमस्तक हुए किसान,  हर वैध काम के लिए दे रहे लाखों रुपये का अवैध दान। 

वनांचल एक्सप्रेस ब्यूरो

सोनभद्र।  सदर तहसील में किसानों से अवैध वसूली का गोरखधंधा थमने का नाम नहीं ले रहा है। यहां के कंप्यूटराइज्ड उद्धरण खतौनी काउंटर पर तैनात लेखपालों समेत सदर तहसील में तैनात अधिकतर कर्मचारी तहसीलदार और एसडीएम के संरक्षण में किसानों से जमकर अवैध वसूली कर रहे हैं। वहीं, मीडिया पब्लिसिटी में मशगूल जिलाधिकारी किसानों की बातों से ज्यादा सदर तहसील के भ्रष्ट कर्मचारियों और अधिकारियों की हवा-हवाई कार्रवाई पर भरोसा कर सपा सरकार की साख में बट्टा लगा रहे हैं तो सूबे की सत्ता में काबिज समाजवादी पार्टी के तथाकथित जनप्रतिनिधि जनता के हितों की उपेक्षा कर अपनी और अपने रिश्तेदारों की संपत्ति में इजाफा करने में मशगूल हैं। इसका नतीजा है कि सदर तहसील स्थित कंप्यूटराइज्ड उद्धरण खतौनी काउंटर पर तैनात लेखपाल और रजिस्ट्रार कानूनगो हर दिन तीन सौ से ज्यादा खतौनियों के आंकड़े गायब कर राज्य सरकार को हर महीने लाखों रुपये का चूना रहे हैं।

सदर तहसील की कंप्यूटराइज्ड उद्धरण खतौनी काउंटर पर कार्यरत लेखपाल विनोद कुमार दुबे और उसके सहयोगी हर दिन किसानों को लूट रहे हैं। वे शासन की ओर से निर्धारित प्रति खतौनी 15 रुपये की जगह किसानों से 20 रुपये वसूल रहे है। किसानों द्वारा अधिक धनराशि वसूले जाने का विरोध करने पर वे उनसे आवेदन-पत्र पर लेखपाल और कानूनगो की रिपोर्ट लगावा कर लाने की बात कह कर शासन द्वारा निर्धारित दर पर खतौनी देने से मना कर देते हैं जिससे किसान उन्हें मजबूरन प्रति खतौनी बीस रुपये देने को बाध्य हो जाते हैं। प्रति खतौनी 20 रुपये की धनराशि पाते ही वे बिना लेखपाल और कानूनगो की रिपोर्ट के ही किसानों को खतौनी मुहैया करा देते हैं यानी सदर की कंप्यूटराइज्ड उद्धरण खतौनी काउंटर पर हर दिन पांच रुपये में कानून बदलता है।  

सदर तहसील क्षेत्र के बहेरवा निवासी किसान रमेश कुशवाहा गत 17 अक्टूबर को कंप्यूटराइज्ड उद्धरण खतौनी काउंटर पर कार्यरत लेखपाल विनोद कुमार दुबे से तीन खतौनी के लिए आवेदन किया। इसमें उनके नाम की खतौनी भी शामिल थी। विनोद कुमार दुबे ने उन्हें दो खातों की खतौनियों को देते हुए तीस रुपये की जगह कुल चालीस रुपये वसूल लिए। काउंटर छोड़ने के बाद जब वह खतौनियों और पैसे का मिलान करने लगे तो उन्हें इसकी जानकारी हुई। जब वह एक अन्य खाते की खतौनी लेने गए, जबतक विनोद कुमार दुबे काउंटर छोड़कर जा चुके थे। उनकी जगह अन्य दूसरा कर्मचारी खतौनी देने लगा था। 

रमेश कुशवाहा ने काउंटर पर कार्यरत लेखपाल से शेष खतौनी की मांग की तो उसने उनसे बीस रुपये रुपये की मांग की। जब रमेश कुशवाहा ने प्रति खतौनी 15 रुपये की बात कही तो काउंटर पर कार्यरत कर्मचारी पांच रुपये फूटकर की मांग करने लगा। फिर भी विनोद कुमार दुबे द्वारा वसूली गई अवैध रकम रमेश कुशवाहा को वापस नहीं की गई। सूत्रों की मानें तो खतौनी के इस गोरखधंधे में हर दिन औसतन पांच हजार रुपये की अवैध कमाई होती है जो तहसील में कार्यरत कुछ लेखपालों और अधिकारियों के बीच बंटता है। इस वजह से उद्धरण खतौनी काउंटर के चार्ज के लिए लेखपालों के बीच होड़ लगी रहती है। ऐसी ही कुछ होड़ रजिस्ट्रार कानूनगो के बीच भी होती है।

इस संबंध में ‘वनांचल एक्सप्रेस’ ने पिछले दिनों जब सदर तहसीलदार योगेन्द्र कुमार सिंह से बात की तो उन्होंने ऐसी किसी भी प्रकार की अवैध वसूली से साफ इंकार किया। जब उनसे मामले की तत्काल जांच कराने की बात कही गई तो उन्होंने उद्धरण खतौनी काउंटर के प्रभारी रजिस्ट्रार कानूनगो अनिल श्रीवास्तव को मौके पर भेजा। वहां अनिल श्रीवास्तव ने उद्धरण खतौनी काउंटर से खतौनी लेने वाले किसानों से प्रति खतौनी की दर की जानकारी ली, जिसमें सभी किसानों ने प्रति खतौनी 20 रुपये की दर से खतौनी लेने की बात स्वीकार की। 

इसके बावजूद उद्धरण खतौनी पर कार्यरत कर्मचारी के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई। इसके बाबत जब तहसीलदार योगेन्द्र कुमार सिंह से बात की गई तो उन्होंने कहा कि कर्मचारी को रंगे हाथ नहीं पकड़ा गया, इसलिए उसके खिलाफ निलंबन अथवा बर्खास्तगी की कार्रवाई नहीं की जा सकती है। फिलहाल उसे कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है। हालांकि नोटिस की प्रति मांगने पर उन्होंने इसे देने से इंकार कर दिया। 

इस बारे में जब उप-जिलाधिकारी राजेंद्र प्रसाद तिवारी से बात की गई तो उन्होंने भी ऐसी किसी भी कार्रवाई से साफ मना कर दिया। हालांकि उन्होंने उद्धरण खतौनी काउंटर से 20 रुपये प्रति खतौनी की दर से किसानों को खतौनी दिए जाने की बात स्वीकार की। उन्होंने इस संबंध में संबंतधित अधिकारियों को फटकार लगाने की बात कही। 

अब सवाल उठता है कि जब संबंधित कर्मचारी किसानों से अवैध वसूली में लिप्त हैं तो फिर एसडीएम उनके खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं कर रहे। इससे यह प्रबल संभावना है कि सदर तहसील के तहसीलदार और उप-जिलाधिकारी के संरक्षण में लेखपाल, कानूनगों और नायब तहसीलदार जमकर किसानों से अवैध वसूली कर रहे हैं।


बुधवार, 3 सितंबर 2014

12 करोड़ रुपये से होगा भूमि और जल का संरक्षण

वनांचल एक्सप्रेस ब्यूरो

सोनभद्र। जिला भूमि एवं जल संरक्षण समिति की बैठक पिछले दिनों कलेक्ट्रेट सभागार में हुई। इसमें वित्तीय वर्ष 2014-15 के लिए 12 करोड़ 57 लाख 55 हजार रुपये की कार्ययोजना को सर्वसम्मति से अनुमोदित किया गया। इसके तहत इस वर्ष की नई कार्ययोजना के 11 करोड 9 लाख 48 हजार आबंटित किए गए। वहीं पूर्व में निर्धारित योजनाओं की मजदूरी बढ़ने की वजह से परियोजना लागत में मजदूरों की मजदूरी के अन्तर की एक करोड़ 31 लाख 87 हजार की योजना और अनुरक्षण मद के लिए 16 लाख 20 हजार का परिव्यय भी सर्वसम्मति से अनुमोदित किया गया।

बैठक की अध्यक्षता करते हुए जिलाधिकारी दिनेश कुमार सिंह ने कहा कि भूमि एवं जल संरक्षण के कार्य काफी कारगर हैं। अब जो भी कार्य जिले में हों, उनका व्यापक प्रचार-प्रसार कराया जाए। बैठक के दौरान रॉबर्ट्सगंज के विधायक अविनाश कुशवाहा, दुद्धी की विधायक रूबी प्रसाद, घोरावल के विधायक रमेश चन्द्र दुबे, म्योरपुर के ब्लाक प्रमुख संजय यादव आदि जनप्रतिनिधियों के सुझाओं को भी कार्ययोजना में शामिल करने का निर्देश विभाग के सचिव/भूमि संरक्षण अधिकारी, चोपन एपी यादव को दिया गया।

जिलाधिकारी ने निर्देश दिया कि भूमि संरक्षण और जल संसाधन की अनुमोदित कार्ययोजनाओं की प्रतियां अनिवार्य रूप से जिले के जनप्रतिनिधियों को मुहैया कराई जाएं और जो परियोजनाओं शुरू की जाए, उनका सिलान्यास/शुभारंभ क्षेत्रीय विधायकगणों से कराया जाए। पूर्व में जो परियोजनाएं पूरी हो चुकी है, उन परियोजनाओं का प्रदर्शन बोर्ड भी लगाया जाए ताकि भूमि संरक्षण और जल संसाधन के क्षेत्र में कराये जा रहे कार्यो में पारदर्शिता के साथ ही आम नागरिकों में जागरूकता बढ़े।


इस अवसर पर मुख्य विकास अधिकारी महेन्द्र सिंह, उप-निदेशक भूमि संरक्षण, वाराणसी एसबी सिंह, भूमि संरक्षण अधिकारी, चोपन एपी यादव, भूमि संरक्षण अधिकारी राबर्ट्सगंज, आरके यादव आदि मौजूद रहे।

रविवार, 17 अगस्त 2014

महज 0.20 फीसदी धनराशि से होगा बीस फीसदी आबादी वाले आदिवासियों का कल्याण

सोनभद्र जिला पंचायत अध्यक्ष अनिता राकेश, बेसिक शिक्षा मंत्री
राम गोविन्द चौधरी, जिलाधिकारी दिनेश कुमार सिंह
बेसिक शिक्षा मंत्री राम गोविन्द चौधरी की अध्यक्षता में हुई जिला कार्य योजना समिति की बैठक। 130 करोड़ 25 लाख रुपये के प्रस्तावित परिव्यय को मिली मंजूरी...

written by Shiv Das Prajapati

सोनभद्र। राज्य सरकार के बेसिक शिक्षा मंत्री और जिला प्रभारी राम गोविन्द चौधरी की अध्यक्षता में गत 11 अगस्त को जिला योजना समिति की बैठक स्थानीय कलेक्ट्रेट सभागार में हुई। इसमें वित्तीय वर्ष 2014-15 के लिए 130 करोड़ 25 लाख रुपये के प्रस्तावित परिव्यय (खर्च) को मंजूरी दी गई। हालांकि जिले की करीब इक्कीस फीसदी आबादी वाले अनुसूचित जनजाति वर्ग के लिए परिव्यय की यह संरचना एक बार फिर निराश करने वाली है। 

समिति ने उनके कल्याण के लिए महज 26 लाख 96 हजार रुपये के खर्च को ही मंजूरी दी है जो कुल परिव्यय का महज 0.20 फीसदी है। इसमें अनुसूचित जनजाति वर्ग की पुत्रियों की शादी और उनकी बीमारी के इलाज की 10 लाख की वह धनराशि भी शामिल है जो उन्हें अनुदान के रूप में मिलती है। इस वर्ग में अत्याचार से पीड़ित परिवार को आर्थिक सहायता मुहैया कराने के लिए समिति ने एक लाख रुपये के खर्च को मंजूरी दी है जो उनकी आबादी और उन पर होने वाले अत्याचार के अनुपात में काफी कम है।


जिलाधिकारी दिनेश कुमार सिंह और मुख्य विकास अधिकारी महेन्द्र सिंह की ओर से जारी जिला योजना संरचना वर्ष 2014-15 में उल्लेखित आंकड़ों के मुताबिक, जिला योजना समिति द्वारा बारहवीं पंचवर्षीय योजना (2012-17) के दौरान अनुसूचित जनजाति कल्याण के लिए कुल एक करोड़ उन्नीस लाख 80 हजार रुपये का परिव्यय अनुमोदित किया गया था। इसमें वित्तीय वर्ष 2012-13 में 23 लाख 96 हजार रुपये और 2013-14 में 23 लाख 96 हजार रुपये का परिव्यय पहले ही अनुमोदित हो चुका है। 

जिला योजना समिति ने पिछले दिनों वित्तीय वर्ष 2014-15 में राज्य के संसाधनों से 26 लाख 96 हजार रुपये के प्रस्तावित परिव्यय को मंजूरी दी। इसमें 12 लाख 96 हजार रुपये कक्षा 1-10 तक के छात्रों की छात्रवृत्ति पर खर्च होंगे जबकि तीन लाख रुपये छात्रों के यूनिफॉर्म/साइकिल पर खर्च किए जाएंगे। अत्याचार से पीड़ित अनुसूचित जनजाति वर्ग के परिवार को आर्थिक सहायता मुहैया कराने के लिए इस साल एक लाख रुपये का आबंटन किया गया है। वहीं, इस वर्ग के लिए संचालित पुत्रियों की शादी-बीमारी योजना के लिए दस लाख रुपये के खर्च को मंजूरी दी गई है। 

गौरतलब है कि जिले की आबादी में अनुसूचित जनजाति वर्ग का अनुपात 20.67 फीसदी है। वहीं जिले में 22.63 फीसदी आबादी वाले अनुसूचित जाति वर्ग के कल्याण के लिए जिला योजना समिति ने वित्तीय वर्ष 2014-15 में महज दो करोड़ 31 लाख 64 हजार रुपये के प्रस्तावित खर्च को मंजूरी दी है जो 1.78 फीसदी के बराबर है। इसमें से एक करोड़ 39 लाख 64 हजार रुपये अनुसूचित जाति वर्ग के प्रिमैट्रिक छात्रों की छात्रवृत्ति पर खर्च किए जाएंगे और 80 लाख रुपये उनकी पुत्रियों की शादी समेत बीमारी के इलाज के लिए खर्च किए जाएंगे। 

इस वर्ग के अत्याचार पीड़ित परिवार को आर्थिक सहायता देने के लिए 12 लाख रुपये के खर्च को मंजूरी दी गई है। इस वित्तीय वर्ष में आश्रम पद्धति विद्यालय की स्थापना, निर्माण, विस्तार और रख-रखाव के लिए जिला योजना समिति ने कोई धन आबंटित नहीं किया है। बुक बैंक की स्थापना के लिए भी हर बार की तरह इस बार भी व्यवस्था नहीं की गई है।