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सोमवार, 18 जनवरी 2016

'हिन्दी उपन्यास की नयी ज़मीन' का लोकार्पण


वनांचल न्यूज़ नेटवर्क

नई दिल्ली। प्रगति मैदान पर चल रहे विश्व पुस्तक मेले में शुक्रवार को हिंदी साहित्य की पत्रिका 'बनास जन' के विशेषांक 'हिन्दी उपन्यास की नयी जमीन' का लोकार्पण हुआ। इस विशेषांक का लोकार्पण वरिष्ठ उपन्यासकार पंकज बिष्ट, कथाकार हरियश राय, लखनऊ से आए कवि अजय सिंह, उद्भावना के संपादक अजय कुमार तथा अनभै साँचा के संपादक द्वारिका प्रसाद चारुमित्र ने किया। 

अरु प्रकाशन के मंच पर आयोजित कार्यक्रम में पंकज बिष्ट ने कहा कि विगत सालों में युवाओं द्वारा लिखे गए उपन्यासों के मूल्यांकन पर केंद्रित इस अंक का स्वागत किया जाना चाहिए। हरियश राय ने कहा कि हिंदी आलोचना के जिम्मेदार पक्ष का उदाहरण यह अंक है। द्वारिका प्रसाद चारुमित्र ने लघु पत्रिकाओं द्वारा लगातार साहित्य औरत संस्कृति के विषयों पर गंभीर सामग्री पाठकों तक पहुंचाई जा रही है जिसे और व्यापक करने के लिए साझा प्रयास करने होंगे। जन संस्कृति मंच से सम्बद्ध कवि और लेखक अजय सिंह तथा उद्भावना के संपादक अजय कुमार ने भी इस अवसर पर शुभकामनाएँ दीं। 

बनास जन के भंवरलाल मीणा ने अंक में सम्मिलित उपन्यासों के बारे में बताया कि इस विशेषांक में आठ आलोचकों द्वारा पंद्रह नये उपन्यासों का मूल्यांकन किया गया है। जिनमें युवा पीढ़ी के अनेक उपन्यासों के साथ काशीनाथ सिंह, रामधारी सिंह दिवाकर, ज्ञान चतुर्वेदी, शीला रोहेकर, हरि भटनागर और  रजनी गुप्त के उपन्यास भी सम्मिलित हैं। आयोजन में अरु प्रकाशन के निदेशक आशीष गुप्ता, कथाकार राजीव कुमार, सहित बड़ी संख्या में लेखक और पाठक उपस्थित थे। अंत में बनास जन के संपादक पल्लव ने सभी का आभार माना।
(प्रेस विज्ञप्ति)

बुधवार, 13 जनवरी 2016

World Book Fair: 'प्रतिरोध का पक्ष' के बहाने केंद्र पर कवियों का हमला

कविता संग्रह 'प्रतिरोध का पक्षः कविता 16 मई के बाद',  'भाषा, शिक्षा और समाज', 'रोज वाली स्त्री' तथा 'राम कथाः विभिन्न आयाम' पुस्तकों का हुआ लोकार्पण।

वनांचल न्यूज नेटवर्क

नई दिल्ली। स्थानीय प्रगति मैदान पर आयोजित विश्व पुस्तक मेला-2016 में जनवादी कवियों ने आज संयुक्त रूप से 'प्रतिरोध का पक्ष' नामक पुस्तक का लोकार्पण किया। इस दौरान प्रो. प्रेमपाल शर्मा की पुस्तक 'भाषा, शिक्षा और समाज', सपना चमड़िया की पुस्तक 'रोज वाली स्त्री' तथा 'राम कथाः विभिन्न आयाम' का लोकार्पण भी किया गया।

हॉल संख्या-8 के साहित्य मंच पर आयोजित लोकार्पण कार्यक्रम में पुस्तक 'प्रतिरोध का पक्ष' नामक पुस्तक के बहाने वर्तमान राजनीति पर चर्चा भी की गई। दरअसल यह पुस्तक देश के विभिन्न शहरों में आयोजित हुए कार्यक्रम 'कविताः 16 मई के बाद' में पढ़ी गई कविताओं का संग्रह है जिसमें 59 कवियों की रचनाओं का शामिल किया गया है। इन कवियों ने 16 मई 2014 के बाद के हालात पर कविताएं पढ़ी थीं जिसे संभव प्रकाशन ने संग्रह के रूप में प्रकाशित किया है। इसका संपादन वरिष्ठ कवि रंजीत वर्मा ने किया है। 

पुस्तकों के लोकार्पण के बहाने आयोजित हुई राजनीतिक परिचर्चा में समयांतर के संपादक पंकज बिष्ट ने कहा कि कोई भी तिथि इतिहास की शुरुआत नहीं होती है। यह हालात पर निर्भर करता है। यह अनायास शुरू हो जाता है। कविता 16 मई के बाद नामक आयोजन अनायास ही शुरू हुआ था जो आज एक आंदोलन बन गया है और यह इतिहास भी बनाएगा। इसके लिए पुस्तक का प्रकाशन एक अच्छा कदम है। इस दौरान पत्रिका समकालीन तीसरी दुनिया के संपादक आनंद स्वरूप वर्मा ने कहा कि मोदी के लोकसभा चुनाव-2014 जीतने के बाद तार्किकता पर हमला शुरू हो गया जिसके खिलाफ 'कविता 16 मई के बाद' शुरू हुआ। असहिष्णुता के खिलाफ आंदोलन करने वाले लोगों का एक साजिश के तहत मीडिया द्वारा मजाक उड़ाया गया। प्रतिरोध का पक्ष नामक पुस्तक इस आंदोलन को एक नया आयाम देगी। 

इस दौरान कवि अजय सिंह, निलाभ, मंगलेश डबराल आदि ने भी अपनी बात रखी। रंजीत वर्मा ने कविता संग्रह के बारे में लोगों को जानकारी दी। साथ ही पाणिनी आनंद और रियाजू ने अपनी कविताएं पढ़ीं। कार्यक्रम का संचालन स्वतंत्र पत्रकार अभिषेक श्रीवास्तव ने किया। कार्यक्रम में प्रो. यशपाल शर्मा, सपना चमड़िया. पंकज श्रीवास्तव, महेंद्र मिश्र, नवीन कुमार, मुकुल, अरविन्द कुमार, पूर्णिमा उंराव, रमेश चंद, नित्यानंद गायेन आदि समेत सैकड़ों लोग उपस्थित रहे।