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बुधवार, 7 अक्तूबर 2020

OBC पदों की भर्ती में BHU ने की नियमों की अनदेखी, शिक्षक समेत छात्रों ने दर्ज कराया विरोध

विश्वविद्यालय के कुलपति समेत राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष को लिखा पत्र। विश्वविद्यालय प्रशासन ने दर्शन एवं धर्म विभाग में प्रोफेसर पद पर दावेदारी करने वाले एकल योग्य अभ्यर्थी को "BHU Ordinance-11.A.(1)" का हवाला देकर साक्षात्कार लेने से कर दिया इंकार। धर्मागम विभाग में ओबीसी वर्ग के लिए आरक्षित असिस्टेंट प्रोफेसर पद पर एकल योग्य उम्मीदवार का साक्षात्कार भी लिया... 

 वनांचल एक्सप्रेस ब्यूरो

ससी, एसटी और ओबीसी आरक्षण के विरोधी सवर्ण प्रभुत्व वाले संगठन के रूप में चर्चित राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के प्रभाव वाला काशी हिन्दू विश्वविद्यालय (BHU) अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) के लिए आरक्षित पदों पर चेहेतों की भर्ती के लिए जमकर नियमों की अनदेखी कर रहा है। विश्वविद्यालय में कार्यरत शिक्षकों और छात्रों के आरोपों की मानें तो विश्वविद्यालय में पिछले छह सालों के दौरान नियमों की अनदेखी कर सैकड़ों फर्जी नियुक्तियां कर दी गई हैं। ऐसा ही एक मामला संस्कृत विद्या धर्म विज्ञान (SVDV) संकाय के धर्मागम विभाग और कला संकाय के दर्शन एवं धर्म विभाग में सामने आया है। विश्वविद्यालय प्रशासन ने दर्शन एवं धर्म विभाग में प्रोफेसर पद पर दावेदारी करने वाले एकल योग्य अभ्यर्थी को "BHU Ordinance-11.A.(1)" का हवाला देकर साक्षात्कार लेने से इंकार कर दिया है। वहीं, विश्वविद्यालय ने धर्मागम विभाग में ओबीसी वर्ग के लिए आरक्षित असिस्टेंट प्रोफेसर पद पर एकल योग्य उम्मीदवार को साक्षात्कार के लिए गत 20 सितंबर को बुलाया था।

शुक्रवार, 11 सितंबर 2020

BHU ने एसोसिएट प्रोफेसर पद पर चेहेतों की भर्ती के लिए UGC के रेगुलेशन को किया दरकिनार, आरक्षित वर्गों के शिक्षकों ने किया विरोध

विश्वविद्यालय ने अकादमिक योग्यताओं में हाईस्कूल और इण्टरमीडिएट में न्यूनतम 55 प्रतिशत अंकों को बनाया अनिवार्य

वनांचल एक्सप्रेस ब्यूरो

नारस स्थित काशी हिन्दू विश्वविद्यालय (BHU) ने शैक्षिक पदों पर चहेतों की नियुक्ति के लिए विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) के रेगुलेशन-2018 की एक बार फिर धज्जियां उड़ाई हैं। विश्वविद्यालय में एसोसिएट प्रोफेसर पद पर भर्ती के लिए उसने अकादमिक योग्यताओं में हाई स्कूल और इंटर मीडिएट में न्यूनतम 55 प्रतिशत अंकों को अनिवार्य बना दिया है। वहीं, विश्वविद्यालय में कार्यरत आरक्षित वर्गों के शिक्षकों ने इसका विरोध शुरू कर दिया है। उन्होंने कुलपति और एससी-एसटी-ओबीसी स्टैंटिग कमेटी के चेयरमैन को पत्र लिखकर यूजीसी रेगुलेशन-2018 के खिलाफ विश्वविद्यालय प्रशासन के इस निर्णय के खिलाफ विरोध दर्ज कराया है।