Rajeev Yadav लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
Rajeev Yadav लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं

सोमवार, 30 जनवरी 2023

खिरियाबाग में आंदोलनरत किसानों ने 'गांधी के सपनों का गांव बनाम विकास' विषय पर किया सम्मेलन

वनांचल एक्सप्रेस ब्यूरो

आज़मगढ़। खिरिया बाग किसान-मजदूर संघर्ष के 110 वें दिन राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की शहादत दिवस पर 'गांधी के सपनों का गांव बनाम विकास' विषय पर सम्मेलन का आयोजन हुआ. महात्मा गांधी के रास्ते पर गांवों की ग्रामसभाओं ने तय किया है कि हम जमीन नहीं देंगे और गांधी के गांवों ने तय कर लिया है तो कोई हमारी जमीन नहीं छीन सकता. इस अवसर पर बच्चों ने महात्मा गांधी के जीवन पर कविताएं और विचार व्यक्त किए. 

शनिवार, 20 फ़रवरी 2021

पूर्वांचल के किसानों की होगी महापंचायत, संयुक्त किसान मोर्चा के नेता भी होंगे शामिल

गाजीपुर के नंदगंज में संयुक्त किसान मोर्चा की हुई बैठक। मोदी सरकार के विवादित तीन नये कृषि कानूनों के खिलाफ मार्च में पूर्वांचल के किसान करेंगे महापंचायत। 

वनांचल एक्सप्रेस ब्यूरो

गाजीपुर। भाजपा की अगुआई वाली केंद्र की मोदी सरकार के विवादित तीन नये कृषि कानूनों के खिलाफ पूर्वांचल के किसान भी लामबंद होने लगे हैं। मार्च के तीसरे सप्ताह में पूर्वांचल के किसान भी सड़कों पर उतर कर केंद्र सरकार के खिलाफ आंदोलन तेज कर सकते हैं। नंदगंज में पूर्वांचल के किसानों ने पिछले दो दिनों से किसान आंदोलन के मुद्दे पर चर्चा की। संयुक्त किसान मोर्चा की इस दो दिवसीय बैठक में किसान नेताओं ने क्षेत्रीय स्तर पर किसान महापंचायत आयोजित करने का निर्णय लिया जिसमें संयुक्त किसान मोर्चा के राष्ट्रीय नेताओं को भी आमंत्रित किया जाएगा।

शनिवार, 27 जून 2020

आंदोलन बहुत कुछ बदलेगा, इसमें दमन है तो प्रतिरोध का वेग उससे बहुत अधिक

चितरंजन सिंह
(देश के जाने-माने मानवाधिकार कार्यकर्ता एवं पीयूसीएल उत्तर प्रदेश के पूर्व अध्यक्ष चितरंजन सिंह उर्फ चितरंजन भाई का देहांत शुक्रवार को  हो गया। रिहाई मंच के महासचिव राजीव यादव उनके साथ लंबे समय तक जुड़े रहे हैं। उन्होंने एक संस्मरण लिखा है। इस संस्मरण को यहां प्रकाशित किया जा रहा है। वनांचल एक्सप्रेस परिवार की ओर से चितरंजन भाई को नमन एवं श्रद्धांजलि-संपादक)

हाश्वेता देवी के शब्दों में आंदोलन यानी चितरंजन सिंह आज आपातकाल की बरसी पर हम सबको छोड़कर चले गए. मानवाधिकार-लोकतांत्रिक अधिकार आंदोलन से जुड़े तो यूपी के किसी जिले में शुरुआती दौर में किसी प्रशासनिक या पत्रकारिता से जुड़े शख्श से मनवाधिकारों की बात आते ही चितरंजन सिंह का नाम आ जाता था.

शनिवार, 20 जून 2020

CAA: रिहाई मंच के अध्यक्ष को रिकवरी नोटिस, मंच ने कहा-बदले की भावना से सरकार कर रही कार्रवाई

नागरिका संशोधन कानून (CAA) विरोधी आंदोलन में शामिल प्रदर्शनकारियों और वक्ताओं को उत्तर प्रदेश की योगी सरकार क्षतिपूर्ति की वसूली के लिए भेज रही नोटिस। रिहाई मंच के अध्यक्ष मोहम्मद शुऐब और एआईपीएफ (रेडिकल) के नेता और पूर्व पुलिस अधिकारी एस.आर.दारापुरी को भी मिला नोटिस। मंच के महासचिव राजीव यादव ने सरकार के नोटिस पर उठाया सवाल, कहा-अदालती प्रक्रिया पूरी हुए बिना वसूली नोटिस भेजकर सरकार कर रही कानून का उल्लंघन।

वनांचल एक्सप्रेस ब्यूरो

लखनऊ। नागरिकता संशोधन कानून विरोधी आंदोलन में शामिल प्रदर्शकारियों और वक्ताओं के खिलाफ उत्तर प्रदेश की योगी सरकार शख्त हो गई है। उसने प्रदर्शन के दौरान हुई क्षतिपूर्ति का आरोप लगाकर उन्हें वसूली नोटिस भेज रही है। उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने रिहाई मंच के अध्यक्ष मोहम्मद शुऐब और पूर्व पुलिस अधिकारी एस.आर. दारापुरी को वसली नोटिस भेजा है। इससे नाराज रिहाई मंच ने संगठन के अध्यक्ष मुहम्मद शुऐब को रिकवरी नोटिस भेजे जाने को बदले की कार्रवाई करार दिया।

शनिवार, 7 जुलाई 2018

‘तुम रं.. की औलाद है छाप दे सुबूत मैं दे रहा हूं तू रं.. की औलाद हो’

आजमगढ़ के कन्धरापुर थाना प्रभारी ने रिहाई मंच के महासचिव राजीव यादव को मोबाइल पर दी धमकी। ऑडियो वायरल। राजीव यादव ने उत्तर प्रदेश सरकार के पुलिस महानिदेशक और राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष को पत्र भेजकर की मामले की शिकायत।
वनांचल एक्सप्रेस ब्यूरो
लखनऊ। उत्तर प्रदेश की योगी सरकार में हुए पुलिस मुठभेड़ों पर सवाल उठाने वाले मानवाधिकार कार्यकर्ता और रिहाई मंच के महासचिव राजीव यादव को उत्तर प्रदेश पुलिस ने धमकी दी है। राजीव यादव ने आजमगढ़ के कन्धरापुर थाना प्रभारी अरविंद यादव पर धमकी देने और अपशब्द करने का आरोप लगाते हुए एक ऑडियो रिकॉर्डिंग वायरल की है जिसमें फोन पर बात करने वाला व्यक्ति साफ कह रहा है-ठीक नहीं होगा जान लेना...सेहत के लिए ठीक नहीं होगा...इसे परामर्श समझो या धमकी जो भी समझते समझ लो...तुम्हारे घर पर आउंगा...मैं कल आ रहा हूं तुम्हारे घर...बचा लेना तो बताना भागो...आफिस कहा है ये बताओ तुम्हारा आफिस कहां है...रहते कहां हो...कल अगर नहीं आए तो ठीक नहीं होगा...कल शाम तक नहीं आए तो मुकदमा लिखूंगा...तुम रं-- की औलाद है...मैं कह रहा हूं तुम अपने बाप की औलाद नहीं हो...अगर फिर नाम छप गया तुम्हारे मंच से तुम अपने लिए खैर मत समझना...सुन लो राजीव होश में रहना होश में रहो दिमाग ठिकाने कर लो...ठीक नहीं होगा तुम्हारे लिए...।

मंगलवार, 27 जून 2017

ये धर्म है, शब्द है या फिर संस्कृति...

ये धर्म है, शब्द है या फिर संस्कृति। जो भी हो, इनसे मेरा वास्ता तकरीबन दस साल का है। अजान के बारे में पहली बार अपै्रल 2008 में तब मालूम चला जब मड़ियाहूं के मरहूम मौलाना खालिद मुजाहिद की आतंकवाद के नाम पर की गई गिरफ्तारी के बाद देर शाम के एक प्रोग्राम के दौरान एकाएक माइक बंद करने को कहा गया। तो मालूम चला की मस्जिद से वक्त-वक्त पर निकलने वाली आवाज अजान के वक्त तेज आवाज नहीं करनी चाहिए। यहीं पहली बार खालिद के चचा जहीर आलम फलाही ने फजर-मगरिब जैसे शब्दों से भी परिचय कराया।
राजीव यादव
19 सितंबर 2008 को जब बाटला हाउस में फर्जी मुठभेड़ हुई, रमजान चल रहा था। उसको लेकर जो इमोशनल सेंटीमेंट संजरपुर, सरायमीर समेत पूरे आजमगढ़ में दिखा। उससे मालूम चला कि यह धार्मिकता के लिहाज से बहुत महत्वपूर्ण है। कितना महत्वपूर्ण है, इस बात के बारे में 2013 में खालिद मुजाहिद की मौत के बाद के धरने के दौरान रमजान पड़ जाने के दौरान मालूम चला।

बुधवार, 2 नवंबर 2016

पुलिस की पिटाई से रिहाई मंच के महासचिव का सिर फटा, हालत गंभीर

भोपाल में कथित पुलिस मुठभेड़ में आठ कैदियों की सामुहिक हत्या में सरकार और पुलिस की भूमिका को लेकर लखनऊ में प्रदर्शन कर रहे थे कार्यकर्ता। 
वनांचल न्यूज़ नेटवर्क
लखनऊ। भोपाल में कथित पुलिस मुठभेड़ में जेल से फरार आठ कैदियों की सामुहिक हत्या के खिलाफ स्थानीय जीपीओ के सामने प्रदर्शन कर रहे रिहाई मंच के कार्यकर्ताओं पर पुलिस ने बुधवार को जमकर लाठियां भांजी जिसमें संगठन के महासचिव राजीव यादव समेत दो लोग गंभीर रूप से घायल हो गए। बताया जा रहा है कि पुलिस ने मंच के महासचिव राजीव यादव को इस कदर पीटा कि उनका सिर फट गया। उन्हें ट्रामा सेंटर में भर्ती कराया गया है। वहीं मंच के कार्यकर्ता शकील कुरैशी भी घायल हुए हैं।

बुधवार, 16 मार्च 2016

रिहाई मंच के ‘जन विकल्प मार्च’ पर लाठी चार्ज, महिलाओं समेत दर्जनों घायल, सैकड़ों गिरफ्तार


कार्यकर्ताओं पर लाठी चार्ज और महिला कार्यकर्ताओं से बदसलुकी ।
मनुवाद और सांप्रदायिकता के खिलाफ नया राजनीतिक विकल्प खड़ा कर रहा मंच।

वनांचल न्यूज नेटवर्क

लखनऊ। आतंकवाद के नाम पर देश की विभिन्न जेलों में बंद बेगुनाहों की रिहाई के लिए अभियान चला रहे रिहाई मंच ने आज सैकड़ों कार्यकर्ताओं के साथ जन विकल्प मार्चनिकाला। विधानसभा की ओर जा रहे मार्च को पुलिस ने बीच में ही रोक दिया जिससे मंच के नेताओं और पुलिस के बीच नोकझोंक भी हुई। विधानसभा तक मार्च करने की जिद पर अड़े रिहाई मंच के सैकड़ों कार्यकर्ताओं और नेताओं पर पुलिस ने आखिरकार लाठीचार्ज कर दिया जिससे भगदड़ की स्थिति पैदा हो गई। पुलिस के लाठीचार्ज में महिलाओं समेत दर्जनों लोग घायल हो गए। पुलिस ने मार्च में शामिल नेताओं और कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार कर लिया और उन्हें पुलिस लाइन ले गई। जिन्हें बाद में निजी मुचलके पर छोड़ दिया गया। मंच का दावा है कि पुलिस ने इस दौरान रिहाई मंच के कार्यकर्ताओं के साथ महिला नेताओं के साथ अभद्रता की और उन पर भी लाठीचार्ज किया।


मंच ने कहा कि प्रदेश में सत्तारुढ़ अखिलेश सरकार द्वारा सरकार के चार बरस पूरे होने पर जन विकल्प मार्च निकाल रहे लोगों को रोककर तानाशाही का सबूत दिया है। मंच ने अखिलेश सरकार पर आरोप लगाया कि जहां प्रदेश भर में एक तरफ संघ परिवार को पथसंचलन से लेकर भड़काऊ भाषण देने की आजादी है लेकिन सूबे भर से जुटे इंसाफ पसंद अवाम जो विधानसभा पहुंचकर सरकार को उसके वादों को याद दिलाना चाहती थी को यह अधिकार नहीं है कि वह सरकार को उसके वादे याद दिला सके। मुलायम और अखिलेश मुसलमानों का वोट लेकर विधानसभा तो पहुंचना चाहते हंै लेकिन उन्हें अपने हक-हुकूक की बात विधानसभा के समक्ष रखने का हक उन्हें नहीं देते। अखिलेश सरकार पर लोकतांत्रिक अधिकारों को कुचलने का आरोप लगाते हुए मंच ने कहा कि इस नाइंसाफी के खिलाफ सूबे भर की इंसाफ पसंद अवाम यूपी में नया राजनीतिक विकल्प खड़ा करेगी।


रिहाई मंच के अध्यक्ष मुहम्मद शुऐब ने कहा कि जिस तरीके से इंसाफ की आवाज को दबाने की कोशिश और मार्च निकाल रहे लोगों पर हमला किया गया उससे यह साफ हो गया है कि यह सरकार बेगुनाहों की लड़ाई लड़ने वाले लोगों के दमन पर उतारु है। उसकी वजहें साफ है कि यह सरकार बेगुनाहों के सवाल पर सफेद झूठ बोलकर आगामी 2017 के चुनाव में झूठ के बल पर उनके वोटों की लूट पर आमादा है। सांप्रदायिक व जातीय हिंसा, बिगड़ती कानून व्यवस्था, अल्पसंख्यक, दलित, आदिवासी, महिला, किसान और युवा विरोधी नीतीयों के खिलाफ पूर्वांचल, अवध, बुंदेलखंड, पश्चिमी उत्तर प्रदेश समेत पूरे सूबे से आई इंसाफ पसंद अवाम की राजधानी में जमावड़े ने साफ कर दिया कि सूबे की अवाम सपा की जन विरोधी और सांप्रदायिक नीतियों से पूरी तरह त्रस्त है। उन्होंने कहा कि सपा ने अपने चुनावी घोषणा पत्र में वादा किया था कि आतंकवाद के नाम पर कैद बेगुनाहों को रिहा करेगी, उनका पुर्नवास करेगी और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करेगी। पर उसने किसी बेगुनाह को नहीं छोड़ा उल्टे निमेष कमीशन की रिपोर्ट पर कार्रवाई न करते हुए मौलाना खालिद मुजाहिद की पुलिस व आईबी के षडयंत्र से हत्या करवा दी। कहां तो सरकार का वादा था कि वह सांप्रदायिक हिंसा के दोषियों को सजा देगी लेकिन सपा के राज में यूपी के इतिहास में सबसे अधिक सांप्रदायिक हिंसा सपा-भाजपा गठजोड़ की सांप्रदायिक ध्रुवीकरण की राजनीति द्वारा करवाई गई। भाजपा विधायक संगीत सोम, सुरेश राणा को बचाने का काम किया गया। उन्होंने कहा कि सपा सैफई महोत्सव से लेकर अपने कुनबे की शाही विवाहों में प्रदेश के जनता की गाढ़ी कमाई को लुटाने में मस्त है। दूसरी तरफ पूरे सूबे में भारी बरसात और ओला वृष्टि के चलते फसलें बरबाद हो गई हैं और बुंदेलखंड सहित पूरे प्रदेश का बुनकर, किसान-मजदूर अपनी बेटियों का विवाह न कर पाने के कारण आत्महत्या करने पर मजबूर है।

रिहाई मंच महासचिव राजीव यादव ने कहा कि दलित छात्र रोहित वेमुला की आत्महत्या और जेएनयू में कन्हैया कुमार, उमर खालिद, अनिर्बान को देशद्रोही घोषित करने की संघी मंशा के खिलाफ पूरे देश में मनुवाद और सांप्रदायिकता के खिलाफ खड़े हो रहे प्रतिरोध को यह जन विकल्प मार्च प्रदेश में एक राजनीतिक दिशा देगा। उन्होंने कहा कि बेगुनाहों, मजलूमों के इंसाफ का सवाल उठाने से रोकने के लिए जिस सांप्रदायिक जेहनियत से जन विकल्प मार्चको रोका गया अखिलेश की पुलिस द्वारा जन विकल्प मार्चपर हमला बोलना वही जेहनियत है जो जातिवाद-सांप्रदायिकता से आजादी के नाम पर जेएनयू जैसे संस्थान पर देश द्रोही का ठप्पा लगाती है। उन्होंने कहा कि सपा केे चुनावी घोषणा पत्र में दलितों के लिए कोई एजेण्डा तक नहीं है और खुद को दलितों का स्वयं भू हितैषी बताने वाली बसपा के हाथी पर मनुवादी ताकतें सवार हो गई हैं। प्रदेश में सांप्रदायिक व जातीय ध्रुवीकरण करने वाली राजनीति के खिलाफ    रिहाई मंच व इंसाफ अभियान का यह जन विकल्प मार्च देश और समाज निर्माण को नई राजनीतिक दिशा देगा।

इंसाफ अभियान के प्रदेश प्रभारी राघवेन्द्र प्रताप सिंह ने कहा कि सपा सरकार के चार बरस पूरे होने पर यह जन विकल्प मार्च झूठ और लूट को बेनकाब करने का ऐतिहासिक कदम था। सरकार के बर्बर, तानाशाहपूर्ण मानसिकता के चलते इसको रोका गया क्योंकि यह सरकार चैतरफा अपने ही कारनामों से घिर चुकी है और उसके विदाई का आखिरी दौर आ गया है। अब और ज्यादा समय तक सूबे की इंसाफ पसंद आवाम ऐसी जनविरोधी सरकार को बर्दाश्त नहीं करेगी।

सिद्धार्थनगर से आए रिहाई मंच नेता डॉ. मजहरूल हक ने कहा कि मुसलमानों के वोट से बनी सरकार में मुसलमानों पर सबसे ज्यादा हिंसा हो रही है। हर विभाग में उनसे सिर्फ मुसलमान होने के कारण अवैध वसूली की जाती है। उन्हें निरंतर डराए रखने की रणनीति पर सरकार चल रही है। लेकिन रिहाई मंच ने मुस्लिम समाज में साहस का जो संचार किया है वह सपा के राजनीतिक खात्में की बुनियाद बनने जा रही है। वहीं गोंडा से आए जुबैर खान ने कहा कि इंसाफ से वंचित करने वाली सरकारें इतिहास के कूड़ेदान में चली जाती हैं। सपा ने जिस स्तर पर जनता पर जुल्म ढाए हैं, मुलायाम सिंह के कुनबे ने जिस तरह सरकारी धन की लूट की है उससे सपा का अंत नजदीक आ गया है। इसलिए वह सवाल उठाने वालों पर लाठियां बरसा कर उन्हें चुप कराना चाहती है।

मुरादाबाद से आए मोहम्मद अनस ने कहा कि आज देश का मुसलमान आजाद भारत के इतिहास में सबसे ज्यादा डरा और सहमा है। कोई भी उसकी आवाज नहीं उठाना चाहता। ऐसे में रिहाई मंच ने आतंकवाद के नाम पर मुसलमानों के फंसाए जाने को राजनीतिक मुद्दा बना दिया है वह भविष्य की राजनीति का एजेंडा तय करेगा। बम्बई से आए मोहम्मद इस्माईल ने कहा कि सपा की अपनी करनी के कारण आज पूरे सूबे में जो माहौल बना है वह उससे झंुझलाई सरकार अब उससे सवाल पूछने वालों पर हमलावर हो गई है। रिहाई मंच इस जनआक्रोश को जिस तरह राजनीतिक दिशा देने में लगा है वह प्रदेश की सूरत बदल देगा।


प्रदर्शन को मैगसेसे अवार्ड से सम्मानित संदीप पांडे, फैजाबाद से आए अतहर शम्सी, जौनपुर से आए औसाफ अहमद, प्यारे राही, बलिया से आए डाॅ अहमद कमाल, रोशन अली, मंजूर अहमद, गाजीपुर से आए साकिब, आमिर नवाज, गोंडा से आए हादी खान, रफीउद्दीन खान, इलाहाबाद से आए आनंद यादव, दिनेश चैधरी, बांदा से आए धनन्जय चैधरी, फरूखाबाद से आए योगेंद्र यादव, आजमगढ़ से आए विनोद यादव, शाहआलम शेरवानी, तेजस यादव, मसीहुद््दीन संजरी, सालिम दाउदी, गुलाम अम्बिया, सरफराज कमर, मोहम्मद आमिर, अवधेश यादव, राजेश यादव, उन्नाव से आए जमीर खान, बनारस से आए जहीर हाश्मी, अमित मिश्रा, सीतापुर से आए मोहम्मद निसार, रविशेखर, एकता सिंह, दिल्ली से आए अजय प्रकाश, प्रतापगढ़ से आए शम्स तबरेज, मोहम्मद कलीम, सुल्तानपुर से आए जुनैद अहमद,कानपुर से आए मोहम्मद अहमद, अब्दुल अजीज, रजनीश रत्नाकर, डाॅ निसार, बरेली से आए मुश्फिक अहमद, शकील कुरैशी, सोनू आदि ने भी सम्बोधित किया। संचालन अनिल यादव ने किया।
(प्रेस विज्ञप्ति)

शुक्रवार, 29 जनवरी 2016

संघ कार्यालय में शोधार्थी को बनाया बंधक

रिहाई मंच ने लगाया आरोप। संघ कार्यकर्ताओं नीरज शर्मा, रामवीर सिंह, आशुतोष और अनुभव शर्मा पर कार्रवाई की मांग। हिन्दू स्वाभिमान संगठन की गतिवधियों को प्रतिबंधित करने की मांग। संगठन के स्वामी जी उर्फ दीपक त्यागी पर सपा के युवा इकाई का सदस्य होने का आरोप।

वनांचल न्यूज नेटवर्क

लखनऊ। जनमुद्दों पर बेबाक बयानबाजी के पहचाने जाने वाले रिहाई मंच ने मुजफ्फरनगर स्थित संघ कार्यालय पर शोधार्थी अनिल यादव को बंधक बनाने और उनके साथ दुर्व्यवहार करने का आरोप लगाया है। साथ ही उसने कथित रूप से संघ से जुड़े नीरज शर्मा, रामवीर सिंह, आशुतोष और अनुभव शर्मा समेत इस मामले में शामिल अन्य लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने की मांग की है। मंच ने मुजफ्फरनगर स्थित राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ कार्यालय को आतंकी कारवाईयों का सेंटर बताया।

रिहाई मंच की ओर से जारी प्रेस विज्ञप्ति में प्रवक्ता राजीव यादव ने बताया कि लखनऊ स्थित गिरि विकास संस्थान के पोजेक्ट रिसर्च एसोसिएट अनिल यादव 'मुजफ्फरनगर सांप्रदायिक हिंसा' विषय पर शोध कर रहे हैं। वे गत 27 जनवरी को शोध के लिए मुजफ्फरनगर गए थे। राजीव ने आरोप लगाया कि वहां शाम को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के लिए कार्य करने वाले नीरज शर्मा, रामवीर सिंह, आशुतोष और अनुभव शर्मा समेत कई लोगों ने अनिल यादव को जबरन पकड़ लिया और रात करीब 8 बजे से 10 बजे तक मुजफ्फरनगर के अंसारी रोड स्थित आरएसएस कार्यालय में बंधक बनाकर रखा। उन्होंने आपराधिक तरीके तीन घंटे तक अनिल को अपने कार्यालय मे बंदकर पूछताछ किया और आईएसआई का एजेंट बोलकर जान से मारने की धमकी दी।

राजीव ने बताया कि अनिल बार-बार कह रहा था कि वह एक शोधार्थी है और परिचय-पत्र भी दिखाया। इसके बावजूद वे लाठी डंडे दिखाकर जान से माने की धमकी देते रहे। इस दौरान अनिल का फोन भी ले लिया और उसमें डायल नंबरों के बारे में यह पूछा गया कि किस आतंकवादी का नंबर है। इतने मुल्लाओं का नंबर तुम्हारे पर कैसे है। परिचय पत्र दिखाने के बाद भी मुसलमान कहकर प्रताडि़त करते रहे और आईएसआई, आईएसआईएस का एजेंट कहकर गांलियां देते रहे। घंटों प्रताड़ना के बाद मोबाइल वापस किया। मंच के प्रवक्ता ने बताया कि इस पूरी घटना में संघ से जुड़े नीरज शर्मा, रामवीर सिंह, आशुतोष और अनुभव शर्मा समेत दो और लोग शामिल थे।

रिहाई मंच के अध्यक्ष मुहम्मद शुऐब ने गिरि विकास संस्थान लखनऊ के पोजेक्ट रिसर्च एसोसिएट अनिल यादव को बंधक बनाने की घटना को अकादमिक जगत के शोधों पर आरएसएस का हमला बताया। उन्होंने कहा कि रोहित वेमुला, दाभोलकर, पंसारे को मार देने या फिर मैगसेसे पुरस्कार से सम्मानित संदीप पाण्डेय को बीएचयू से और मोदी गो बैक का नारा लगाने वालों को बीबीएयू से निकालने और अब अनिल यादव को बंधक बनाने से सवालों को नहीं दबाया जा सकता। जो लोग कहते हैं कि देश में असहिष्णुता नहीं है उन्हें अनिल यादव से पूछना चाहिए की मुसलमान का नंबर रखने भर से जो उनके साथ किया गया उससे उनपर क्या गुजरी। जो यह सोचने पर विवस करता है कि  मुसलमान होना कितना गुनाह हो गया है।

रिहाई मंच के अध्यक्ष ने कहा कि जिस तरह से देश की राजधानी के करीब गाजियाबाद के डासना में पिछले दिनों पश्चिमी उत्तर प्रदेश में हिंदू स्वाभिमान संगठन के लोग मुसलमानों के खिलाफ भड़काकर पिस्तौल, राइफल, बंदूक जैसे हथियार चलाने का प्रशिक्षण आठ-आठ साल के हिंदू बच्चों को दे रहे हैं उस पर खुफिया-सुरक्षा एजेंसियां और सरकार क्यों चुप है। आखिर इस संगठन के प्रमुख नसिहांनंद मुसलमानों और हिंदुओ की बीच युद्ध में पश्चिम उत्तर प्रदेश को आतंक की एक प्रयोगशाला बना रहे हैं उनके खिलाफ सपा सरकार सिर्फ इसलिए चुप है कि स्वामीजी उर्फ दीपक त्यागी कभी सपा के यूथ विंग के प्रमुख सदस्य रह चुके हैं। उन्होंने कहा की ठीक इसी प्रकार मुजफ्फरनगर साप्रदायिक हिंसा के दोषी संगीत सोम सपा से चुनाव तक लड़ चुके हैं। मुलायम सिंह को जो यह अफसोस हो रहा है कि उन्होंने बाबरी मस्जिद के सवाल पर गोली चलवा दी उन्हें और उन जैसे नेताओं को इस बात पर भी अफसोस होना चाहिए कि उन जैसे लोगों की छद्म धर्म निरपेक्षता के चलते हिंदुत्वादी संगठन कैसे छोटे-छोटे बच्चों को आतंकवादी बना रहे हैं और वह चुप हैं। जिस तरह से आतंकी हिंदू स्वाभिमान संगठन के महासचिव राज्य स्तरीय पहलवान अनिल यादव कहते हैं कि पहलवानों को योजनाबद्ध तरीके से कट्रपंथ की शिक्षा के जरिए तैयार कर सड़कों पर खुला छोड़ दिया जाए तो बड़ा हंगामा कर सकते हैं। ऐसे में यह हिंदू समाज के लिए भी सोचने का वक्त है कि एक अनिल यादव जो अपने धर्मनिरपेक्ष मूल्यों की वजह से प्रताडि़त होता है उसके साथ उसे खड़ा होना है या फिर वो जो इनके बच्चों को हिंदू स्वाभिमान के नाम पर आतंकी बना रहे हैं उनके साथ।


मुहम्मद शुऐब ने कहा कि अकादमी जगत के लोगों पर हो रहे हमले यह साफ करते है कि संघ तार्किक विचारों से कितना डरता है। उन्होंने कहा कि यह हमला देश के लोकतांत्रिक ढांचे को तहस-नहस करने का है इसे कत्तई बर्दास्त नहीं किया जाएगा।

वहीं, मुजफ्फरनगर संघ कार्यालय ने ऐसी किसी भी घटना से साफ इंकार किया है। 

गुरुवार, 14 जनवरी 2016

सपा की वादाखिलाफी के चलते आठ साल तक जेल में रहे बेगुनाह


रिहाई मंच ने सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने के लिए खुफिया एजेंसियों और पुलिस को ठहराया दोषी। उनकी भूमिका की जांच की मांग की।

वनांचल न्यूज नेटवर्क

लखनऊ। जनमुद्दों पर बेबाक राय और प्रदर्शन के लिए प्रतिबिद्ध गैर-सरकारी संगठन रिहाई मंच ने राज्य की सपा सरकार पर वादाखिलाफी का आरोप लगाया है। मंच ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा है कि अदालत ने देशद्रोह के आरोप में आठ से जेल में बंद अजीर्जुरहमान, मो. अली अकबर, नौशाद और शेख मुख्तार हुसैन को बाइज्जत बरी कर दिया है। यह सपा के मुंह पर तमाचा बताया जिसने आतंकवाद के नाम पर बंद बेगुनाह मुस्लिम युवकों को जेल से बाहर निकालने का वादा विधानसभा चुनाव के दौरान किया था लेकिन वह अपने वादे से मुकर गई। मंच ने बेगुनाहों को फंसाने वाले देशद्रोह और यूएपीए जैसे पुलिसिया हथियार को खत्म करने की मांग की है।

रिहाई मंच के अध्यक्ष मुहम्मद शुऐब ने कहा कि 2012 में आतंकवाद के आरोप में कैद निर्दोषों को छोड़ने के नाम पर आई सपा सरकार ने अपना वादा अगर पूरा किया होता तो पहले ही बेगुनाह छूट गए होते। उन्होंने कहा कि सरकार ने वादा किया था कि आतंक के आरोपों से बरी हुए लोगों को मुआवजा व पुर्नवास किया जाएगा पर खुद अखिलेश सरकार अब तक अपने शासन काल में दोषमुक्त हुए किसी भी व्यक्ति को न मुआवजा दिया न पुर्नवास किया। मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को डर है कि अगर आतंक के आरोपों से बरी लोगों को मुआवजा व पुर्नवास करेंगे तो उनका हिन्दुत्वादी वोट बैंक उनके खिलाफ हो जाएगा। पुर्नवास व मुआवजा न देना साबित करता है कि अखिलेश यादव हिन्दुत्वादी चश्मे से बेगुनाहों को आतंकवादी ही समझते हैं। बेगुनाहों की रिहाई के मामले में वादाखिलाफी करने वाले आखिलेश यादव अब अपनी स्थिति स्पष्ट करेंगे या फिर 2012 के चुनावी घोषणा पत्र की तरह फिर बेगुनाहों को रिहा करने का झूठा वादा करेंगे। मंच के अध्यक्ष मुहम्मद शुऐब ने कहा कि आज दोष मुक्त हुए तीन युवक पश्चिम बंगाल से हैं ऐसे में जब अखिलेश यादव पुर्नवास व मुआवजा की गारंटी नहीं कर रहे हैं तो पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को इनके सम्मान सहित पुर्नवास की गांरटी देनी चाहिए।

रिहाई मंच प्रवक्ता राजीव यादव ने बताया कि 12 अगस्त 2008 को लखनऊ कोर्ट परिसर में रिहाई मंच के अध्यक्ष मुहम्मद शुऐब को आतंकवाद का केस न लड़ने के लिए हिन्दुत्वादी जेहनियत वाले अधिवक्ताओं द्वारा मारने-पीटने के बाद उल्टे मुहम्मद शुऐब व आतंकवाद के आरोप में कैद अजीर्जुरहमान, मो0 अली अकबर, नूर इस्लाम, नौशाद व शेख मुख्तार हुसैन के खिलाफ हिन्दुस्तान मुर्दाबाद-पाकिस्तान जिन्दाबाद के नारे लगाने का झूठा आरोप लगाया गया था। लखनऊ की एक स्पेशल कोर्ट ने आज आईपीसी की धारा 114, 109, 147, 124 ए (देशद्रोह) और 153 ए के तहत अभियुक्त बनाए गए अजीर्जुरहमान, मो0 अली अकबर, नौशाद, नूर इस्लाम व शेख मुख्तार हुसैन को दोषमुक्त किया है। नवंबर 2007 में यूपी की कचहरियों में हुए धमाकों के बाद जब आतंकवाद का केस न लड़ने व किसी अधिवक्ता को न लड़ने देने का फरमान अधिवक्ताओं के बार एशोसिएशनों ने जारी किए थे उस वक्त अधिवक्ता मुहम्मद शुऐब ने इसे संविधान प्रदत्त अधिकारों पर हमला और अदालती प्रक्रिया का माखौल बनाना बताते हुए आतंकवाद के आरोपों में कैद बेगुनाहों का मुकदमा लड़ना शुरु किया था। जनवरी 2007 में कोलकाता के आफताब आलम अंसारी कि मात्र 22 दिनों में रिहाई से शुरु हुई बेगुनाहों की इस लड़ाई में मुहम्मद शुऐब और उनके अधिवक्ता साथियों पर प्रदेश की विभिन्न कचहरियों में हमले हुए। पर ऐसी किसी भी घटना से विचलित न होते हुए रिहाई मंच के अध्यक्ष मुहम्मद शुऐब अब तक दर्जन भर से अधिक आतंकवाद के आरोप में कैद बेगुनाहों को छुड़ा चुके हैं।

मंच के प्रवक्ता ने कहा कि इंसाफ की इस लड़ाई में हम सभी ने अधिवक्ता शाहिद आजमी, मौलाना खालिद मुजाहिद समेत कईयों को खोया है पर इस लड़ाई में न सिर्फ बेगुनाह छूट रहे हैं बल्कि देश की सुख शांति के खिलाफ साजिश करने वाली खुफिया-सुरक्षा एजेंसियों की हकीकत भी सामने आ रही है। उन्होनें बताया कि इस मुकदमें से बरी हुए अजीर्जुरहमान, मो0 अली अकबर हुसैन, नौशाद, नूर इस्लाम, शेख मुख्तार हुसैन के अलावां जलालुद्दीन जिनपर हूजी आतंकी का आरोप लगाया गया था अदालत द्वारा अक्टूबर 2015 में पहले ही निर्दोष घोषित किए जा चुके हैं। जून 2007 में इनके साथ ही यूपी के नासिर और याकूब की भी गिरफ्तारी हुई थी जिन्हें भी अदालत दोषमुक्त कर चुकी है। जून 2007 में लखनऊ में आतंकी हमले का षडयंत्र रचने वाले सभी आरोपी जब बरी हो चुके हैं तो इस घटना पर तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावती को अपनी स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए। यहां गौर की बात है कि 2007 में मायावती और राहुल गांधी पर आतंकी हमले के नाम पर मुस्लिम लड़कों को झूठे आरोपों में न सिर्फ पकड़ा गया बल्कि 23 दिसबंर 2007 को मायावती को मारने आने के नाम पर दो कश्मीरी शाल बेचने वालों का चिनहट में फर्जी मुठभेड़ किया गया। ऐसे में आतंकवाद की राजनीति के तहत फंसाए गए इन युवकों पर राहुल और मायावती को अपना मुंह खोलना चाहिए। उन्होंने कहा कि इन सभी घटनाओं के दौरान विक्रम सिंह जहां डीजीपी थे तो वहीं बृजलाल एडीजी कानून व्यवस्था ऐसे में इन झूठे आरोपों की जांच सुप्रीम कोर्ट के सिटिंग जज की निगरानी में की जाए।


नागरिक परिषद के रामकृष्ण ने कहा कि पुलिस के झूठे आरोपों के चलते तकरीबन आठ साल जेल में रखकर न सिर्फ इन बेगुनाहों के खिलाफ षडयंत्र किया गया बल्कि मुल्क के खिलाफ भी। सांप्रदायिक जेहनियत की खुफिया और पुलिस विभाग के चलते देश के नागरिकों के बीच वैमनश्यता बढ़ाने की साजिश की गई। आज जब सभी आरोपी बरी हो चुके हैं तो देश में सांप्रदायिक सौहार्द खराब करने का मुकदमा दोषी पुलिस व खुफिया अधिकारियों पर किया जाए। आठ सालों से इन बेगुनाहों व इनके परिवार को जो शारीरिक-मानसिक व आर्थिक हानि हुई है और झूठा केस बनाने के नाम पर सरकारी धन का जो दुरुपयोग हुआ है, उसे दोषी पुलिस व खुफिया अधिकारियों से वसूला जाए।
(प्रेस विज्ञप्ति से)

शनिवार, 21 फ़रवरी 2015

अवैध खनन की एसआईटी जांच समेत 23 सूत्री मांगों को लेकर रिहाई मंच ने दिया धरना

पुलिस अभिरक्षा में हुई खालिद मुजाहिद पर गठित निमेष आयोग की रिपोर्ट पर एटीआर सार्वजनिक करे राज्य सरकारः रिहाई मंच

वनांचल एक्सप्रेस ब्यूरो

लखनऊ। सूबे की बिगड़ती कानून व्यवस्था, वादा खिलाफी, राजनीतिक भ्रष्टाचार, अवैध खनन और मजदूर-किसान विरोधी नीतियों समेत विभिन्न मुद्दों को लेकर रिहाई मंच ने गत 19 फरवरी को स्थानीय लक्ष्मण मेला मैदान में इंसाफ दोबैनर तले धरना दिया। इस दौरान मंच की ओर से मुख्यमंत्री को संबोधित 23 सूत्रीय ज्ञापन राज्य सरकार के प्रतिनिधि को दिया गया। इसमें सोनभद्र और मिर्जापुर समेत प्रदेश के विभिन्न हिस्सों में हो रहे धड़ल्ले से हो रहे अवैध खनन में संलिप्त खनन माफियाओं, राजनेताओं, नौकरशाहों और कुछ पत्रकारों के सिंडिकेट की जांच उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति के अधीन गठित विशेष जांच दल (एसआईटी) से कराने की मांग की गई। साथ ही मंच ने 27 फरवरी 2012 को सोनभद्र के बिल्ली-मारकुंडी खनन क्षेत्र में हुए हादसे में मरने वाले 10 मजदूरों के परिजनों को तत्काल मुआवजा देने के साथ करीब तीन साल से लंबित मजिस्ट्रेटियल जांच पूरी नहीं होने पर राज्य सरकार को आड़े हाथों लिया। मंच ने आरोप लगाया कि राज्य सरकार खनन मजदूरों के संगठित कातिलों को बचाने की कोशिश कर रही है।

इलाहाबाद से आए सामाजिक न्याय मंच के नेता राघवेन्द्र प्रताप सिंह ने कहा कि पिछड़ों की हितैशी बताने वाली सपा सरकार में सामंती ताकतों के हौसले बुलंद हैं। पिछले दिनों जालौन के माधौगढ़ के दलित अमर सिंह दोहरे की सामंतों द्वारा नाक काटे जाने की घटना इसका ताजा उदाहरण है। केन्द्र की मोदी सरकार ने जीवन रक्षक दवाओं का दाम बढ़ाकर आम जनता के बुरे दिनों की शुरुआत कर दी है जिस पर प्रदेश सरकार की चुप्पी स्पष्ट करती है कि वह भी गरीब बीमार जनता के खिलाफ दवा माफिया के साथ खड़ी है। उन्होंने मांग की कि अखिलेश सरकार जिला अस्पतालों पर कैंसर, दिमागी बुखार और अन्य जानलेवा बीमारियों के इलाज के लिए विशेष चिकित्सा इकाई स्थापित करे तथा प्रदेश में चल रहे अवैध अस्पतालों को तत्काल बंद कराए। राघवेन्द्र प्रताप सिंह ने बीटीसी प्रशिक्षुओं के धरने का समर्थन करते हुए उनकी मांगों का समर्थन किया है।

धरनाकर्मियों को संबोधित करते हुए सोनभद्र से प्रकाशित हिन्दी साप्ताहिक समाचार-पत्र 'वनांचल एक्सप्रेस' के संपादक शिवदास प्रजापति ने कहा कि अवैध खनन के कारण सोनभद्र का बिल्ली-मारकुंडी खनन क्षेत्र खनन मजदूरों का कब्रगाह बन गया है। एक सोची-समझी साजिश के तहत वहां औसतन हर दिन एक मजदूर की हत्या की जा रही है और इसमें भ्रष्ट नौकरशाहों से लेकर खनन माफिया, राजनेता और कुछ पत्रकार तक शामिल हैं। यह बात अब खनन विभाग के सर्वेक्षक ने भी लोकायुक्त के यहां दिए बयान में स्वीकार कर लिया है। वास्तव में सोनभद्र-मिर्जापुर समेत प्रदेश के विभिन्न हिस्सों में हो रहे अवैध खनन में संलिप्त खनन माफियाओं, नौकरशाहों, राजेनताओं और पत्रकारों के सिंडिकेट की जांच उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति के अधीन विशेष जांच दल (एसआईटी) से कराई जानी चाहिए और अवैध खनन के लिए जिम्मेदार व्यक्तियों के खिलाफ आपराधिक केस दर्ज कर उन्हें जेल भेज देना चाहिए। बिल्ली-मारकुंडी खनन हादसे को करीब तीन साल पूरे हो चुके हैं लेकिन उसकी मजिस्ट्रेटियल जांच अभी तक पूरी नहीं हुई है। इस वजह से मृतक मजदूरों के परिजनों को मुआवजा तक नहीं मिल सका है। सरकार को जल्द से जल्द उक्त खनन हादसे की जांच पूरी करानी चाहिए ताकि इसके दोषी जेल भेजे जा सकें।  

मंच के सदस्य गुफरान सिद्दीकी और हरे राम मिश्र ने कहा कि आज पूरा सोनभद्र अवैध खनन की मंडी बन चुका है और इस गोरखधंदे में नेता, नौकरशाह, खनन माफिया और पत्रकार तक शामिल हैं। इतना ही नहीं राज्य सरकार के खनन मंत्री गायत्री प्रसाद प्रजापति समेत मुख्यमंत्री अखिलेश यादव पूरे सूबे में हो रहे अवैध खनन के लिए जिम्मेदार हैं। अवैध खनन में शामिल राज्य सरकार के मंत्रियों और उनके सहयोगियों के खिलाफ तत्काल आपराधिक मुकदमा दर्ज कराई जानी चाहिए। साथ ही उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति द्वारा उनकी भूमिका की जांच कराकर उन्हें सलाखों के पीछे भेज देना चाहिए ताकि किसी भी खनन मजदूर की हत्या नहीं हो सके और ना ही किसी मंत्री को दो जाने वाली कथित धनराशि "वीआईपी" की वसूली हो सके।

धरने के दौरान आजमगढ़ से आए रिहाई मंच के नेता तारिक शफीक ने कहा कि आतंकवाद के नाम पर मौलाना खालिद मुजाहिद को फर्जी ढंग से फंसाया गया। फिर उनकी हत्या कर दी गई। इसकी विवेचना कर रहे विवेचक जिस तरह से आरोपी पुलिस एवं आईबी के 42 अधिकारियों को बचाने में लगे हैं, वह न्याय की हत्या है। उन्होंने कहा कि विवेचना में जिस तरह से दूसरी बार भी फाइनल रिपोर्ट लगाई गई, वह साबित करती है कि अखिलेश सरकार खालिद को इंसाफ देने वाली नहीं है। तारिक शफीक ने निमेष आयोग की रिपोर्ट पर एक्शन टेकेन रिपोर्ट (एटीआर) जारी करने की मांग की। साथ ही उन्होंने इस मामले में आरोपी 42 पुलिस अधिकारियों पर मुकदमा दर्ज कर उन्हें जेल भेजने की बात कही। उन्होंने सपा सरकार के दौरान आतंकवाद के आरोप से अदालत से दोषमुक्त हो चुके पांच बेगुनाहों का पुर्नवास राज्य सरकार द्वारा तुरंत कराने की भी मांग की।  उन्होंने कहा कि मोदी सरकार में जिस तरह बेगुनाहों का एनकाउंटर के नाम पर कत्ल करने वाले बंजारा को छोड़ा जा रहा है और मुजफ्रनगर के बेगुनाहों के कातिल संगीत सोम के बाद अब सुरेश राणा को भी जेड प्लस सुरक्षा दी गई है, उससे साफ हो गया है कि सांप्रदायिक आतंकवादियों के अच्छे दिन आ गए हैं।
चित्रकूट से आए रिहाई मंच के नेता लक्ष्मण प्रसाद और हाजी फहीम सिद्दीकी ने कहा कि राजधानी में बलात्कारियों का हौसला बढ़ गया है। पिछले दिनों एक बलात्कार पीडि़ता जब बयान देने आयी थी तो चारबाग से ही उसका अपहरण हो गया। वहीं मानिकपुर इलाके की एक घटना का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि आज नौकरशाही में शामिल लोगों के हौसले इतने बढ़ गए हैं कि नीली बत्ती लगी गाड़ी में युवती को खींचकर सामूहिक दुष्कर्म किया जाता है। इसपर जल्द से जल्द लगाम लगना चाहिए।

ऑल इंडिया वर्कर्स काउंसिल के प्रदेश अध्यक्ष शिवाजी राय ने कहा कि गन्ना तथा धान के खरीद में पूरी तरह से फेल हो चुकी अखिलेश सरकार मोदी सरकार द्वारा रासायनिक उर्वरकों के मूल्य को बाजार के हवाले करने की नीति पर पर प्रदेश सरकार ने चुप्पी साध रखी है। नागरिक परिषद के रामकृष्ण ने कहा कि यमुना एक्सप्रेस वे योजना में 232 परिवारों को उजाड़ा गया लेकिन अभी तक उनका पुर्नवास नहीं किया गया है। अंग्रजों द्वारा बनाए गए भूमि अधिग्रहण कानून को तत्काल रद करने की मांग की। सपा सरकार में राजनैतिक आंदोलनकारियों पर मुकदम दर्ज किए जा रहे हैं। उन्होंने मांग की कि राजनैतिक आंदोलनकारियों पर दर्ज मुकदमें वापस लिए जाएं और संविदा कर्मियों को तत्काल स्थाई करते हुए संविदा प्रथा बंद की जाए। 

धरने का संचालन अनिल यादव ने किया। धरने में प्रमुख रुप से हाजी फहीम सिद्दीकी, कमर सीतापुरी, आदियोग, धर्मेन्द्र कुमार, खालिद कुरैशी, अमित मिश्रा, रामबचन, होमेन्द्र मिश्रा, इनायतउल्ला खां, अजीजुल हसन, अमेन्द्र, कमरुद्दीन कमर, डा. एसआर खान, रवि कुमार चौधरी, अनस हसन, अंशुमान सिंह, सत्येन्द्र कुमार, फशीद खान, जैद अहमद फारूकी, केके शुक्ल, मोहम्मद अफाक, शुएब, मोहम्मद शमी, हाशिम सिद्दीकी, इशहाक नदवी, शाहनवाज आलम, राजीव यादव समेत करीब चार दर्जन लोग शामिल थे।

           रिहाई मंच द्वारा मुख्यमंत्री, उत्तर प्रदेश को संबोधित ज्ञापन

                                                                      दिनांक- 19 फरवरी 2015
प्रति,                                                                           
                             मुख्यमंत्री
                        उत्तर प्रदेश शासन, लखनऊ

बिगड़ती कानून व्यवस्था, वादा खिलाफी, राजनीतिक भ्रष्टाचार और मजदूर-किसान विरोधी नीतियों के खिलाफ लक्ष्मण मेला मैदान लखनऊ में आयोजित इंसाफ दो धरने के माध्यम से हम प्रदेश सरकार से मांग करते हैं कि-
§  मौलाना खालिद की हत्या में दोषी पुलिस व आईबी अधिकारियों को क्लीनचिट देने वाले विवेचनाधिकारी के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया जाए।
§  सपा सरकार के चुनावी घोषणा पत्र में किए वादे और आरडी निमेष कमीशन में दी गई व्यवस्था के तहत आतंकवाद के आरोप से दोषमुक्त लोगों के मुआवजा व पुर्नवास की गारंटी की जाए।
§  आरडी निमेष कमीशन की रिपोर्ट पर अमल करते हुए तत्कालीन डीजीपी विक्रम सिंह, एडीजीपी बृजलाल सहित 42 दोषी पुलिस व आईबी अधिकारियों/कर्मियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करते हुए गिरफ्तार किया जाए।
§  सजा पूरी होने के बाद भी जेलों में बंद, लोगों को तत्काल रिहा किया जाए।
§  प्रदेश में महिलाओं की सुरक्षा की गारंटी की जाए।
§  प्रदेश में बढ़ रही दलित उत्पीड़न की घटनाओं पर तत्काल रोक लगाई जाए।
§  जालौन जिले के माधवगढ़ थाने के सुरपति गांव के अमर सिंह दोहरे की उच्च जाति के लोगों द्वारा नाक काट लेने के मामले की उच्च स्तरीय जांच कराई जाए और दोषियों को सजा दी जाए। क्योंकि एससी/एसटी आयोग ने उक्त गांव समेत पूरे बुंदेलखंड इलाके को दलितों के लिए असुरक्षित बताया है।
§  सांप्रदायिक आतंकवाद फैलाने और भड़काऊ भाषण देने वाले संघ परिवार व भाजपा नेताओं के खिलाफ मुकदमें दर्ज किए जाएं।
§  27 फरवरी 2012 को सोनभद्र में हुए बिल्ली-मारकुंडी खनन हादसे में मारे गए दस मजदूरों की मजिस्ट्रेटी जांच पर सरकार स्थिति स्पष्ट करे। हत्या में शामिल दोषी खनन माफियाओं को फिर से खनन की मंजूरी देने वाले दोषी अधिकारियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया जाए। पीड़ित परिवारों को मुआवजा दिया जाए।
§  सोनभद्र, मिर्जापुर और चंदौली में हो रहे अवैध खनन में संलिप्त राजनेताओं, खनन माफियाओं, भ्रष्ट अधिकारियों और पत्रकारों के सिंडिकेट की जांच हाई कोर्ट के वर्तमान न्यायमूर्ति के अधीन विशेष जांच टीम (एसआईटी) गठित कर की जाए।
§  पूरे सूबे में अवैध खनन कराने और आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने के आरोपी खनन मंत्री गायत्री प्रसाद प्रजापति और उनके सहयोगी भ्रष्ट अधिकारियों, कर्मचारियों और सत्ताधारी पार्टी के विभिन्न नेताओं के खिलाफ आपराधिक मुकदमा दर्ज किया जाए।
§  केन्द्र सरकार द्वारा 108 जीवन रक्षक दवाओं की मूल्य वृद्धि पर राज्य सरकार अपना पक्ष सार्वजनिक करे।
§  कैंसर, दिमागी बुखार समेत विभिन्न जानलेवा बीमारियों के उपचार हेतु जिला अस्पतालों पर तत्काल विशेष चिकित्सा इकाई स्थापित की जाए।
§  अवैध अस्पतालों को बन्द कर उनके संचालकों को जेल भेजा जाए तथा पूरे प्रदेश में चल रहे अवैध अस्पतालों की सूची सरकार द्वारा जारी की जाए।
§  गन्ना किसानों की खरीद का भुगतान तत्काल करते हुए, प्रदेश में धान खरीद पर श्वेत पत्र जारी किया जाए।
§  रासायनिक खादों को बाजार के हवाले करने की केन्द्र सरकार की नीति पर प्रदेश सरकार स्थिति स्पष्ट करे।
§  पूरे प्रदेश में तहसील स्तर पर सब्जी व फल मंडियों की स्थापना सुनिश्चित की जाए।
§  अग्रेजों द्वारा बनाए भूमि अधिनियम को समाप्त करते हुए किसान को भूमि स्वामी घोषित किया जाए।
§  ग्राम सभा के बंजर जमीनों के साथ जीएस की जमीनों का वितरण भूमिहीन किसानों को किया जाए।
§  नहरों की सफाई के नाम पर हो रहे भ्रष्टाचार पर सरकार श्वेत पत्र जारी करे।
§  प्रदेश के सभी सरकारी ग्राम सभा के पोखरों और तालाबों को अवैध कब्जे से मुक्त कराया जाए।
§  संविदा पर की गई नियुक्तियों को स्थाई करते हुए संविदा व्यवस्था तत्काल समाप्त की जाए।
§  राजनैतिक आंदोलनकारियों पर दर्ज मुकदमें तत्काल वापस लिए जाएं।

द्वारा-

राघवेन्द्र प्रताप सिंह, शाहनवाज आलम, राजीव यादव, तारिक शफीक, लक्ष्मण प्रसाद, गुफरान सिद्दिीकी, हरेराम मिश्र, शिवाजी राय, रामकृष्ण, अनिल यादव, हाजी फहीम सिद्दीकी, कमर सीतापुरी, आदियोग, धर्मेन्द्र्र कुमार, खालिद कुरैशी, अमित मिश्रा, रामबचन, होमेन्द्र मिश्रा, इनायतउल्ला खां, अजीजुल हसन, शिवदास प्रजापति, अमेन्द्र, कमरुद्दीन कमर, डा. एसआर खान, रवि कुमार चौधरी, अनस हसन, अंशुमान सिंह, सत्येन्द्र कुमार, फशीद खान, जैद अहमद फारूकी, केके शुक्ल, मो0 आफाक, शुएब, मो0 शमी, हाशिम सिद्दीकी, इशहाक नदवी।