शुक्रवार, 29 जनवरी 2016

संघ कार्यालय में शोधार्थी को बनाया बंधक

रिहाई मंच ने लगाया आरोप। संघ कार्यकर्ताओं नीरज शर्मा, रामवीर सिंह, आशुतोष और अनुभव शर्मा पर कार्रवाई की मांग। हिन्दू स्वाभिमान संगठन की गतिवधियों को प्रतिबंधित करने की मांग। संगठन के स्वामी जी उर्फ दीपक त्यागी पर सपा के युवा इकाई का सदस्य होने का आरोप।

वनांचल न्यूज नेटवर्क

लखनऊ। जनमुद्दों पर बेबाक बयानबाजी के पहचाने जाने वाले रिहाई मंच ने मुजफ्फरनगर स्थित संघ कार्यालय पर शोधार्थी अनिल यादव को बंधक बनाने और उनके साथ दुर्व्यवहार करने का आरोप लगाया है। साथ ही उसने कथित रूप से संघ से जुड़े नीरज शर्मा, रामवीर सिंह, आशुतोष और अनुभव शर्मा समेत इस मामले में शामिल अन्य लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने की मांग की है। मंच ने मुजफ्फरनगर स्थित राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ कार्यालय को आतंकी कारवाईयों का सेंटर बताया।

रिहाई मंच की ओर से जारी प्रेस विज्ञप्ति में प्रवक्ता राजीव यादव ने बताया कि लखनऊ स्थित गिरि विकास संस्थान के पोजेक्ट रिसर्च एसोसिएट अनिल यादव 'मुजफ्फरनगर सांप्रदायिक हिंसा' विषय पर शोध कर रहे हैं। वे गत 27 जनवरी को शोध के लिए मुजफ्फरनगर गए थे। राजीव ने आरोप लगाया कि वहां शाम को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के लिए कार्य करने वाले नीरज शर्मा, रामवीर सिंह, आशुतोष और अनुभव शर्मा समेत कई लोगों ने अनिल यादव को जबरन पकड़ लिया और रात करीब 8 बजे से 10 बजे तक मुजफ्फरनगर के अंसारी रोड स्थित आरएसएस कार्यालय में बंधक बनाकर रखा। उन्होंने आपराधिक तरीके तीन घंटे तक अनिल को अपने कार्यालय मे बंदकर पूछताछ किया और आईएसआई का एजेंट बोलकर जान से मारने की धमकी दी।

राजीव ने बताया कि अनिल बार-बार कह रहा था कि वह एक शोधार्थी है और परिचय-पत्र भी दिखाया। इसके बावजूद वे लाठी डंडे दिखाकर जान से माने की धमकी देते रहे। इस दौरान अनिल का फोन भी ले लिया और उसमें डायल नंबरों के बारे में यह पूछा गया कि किस आतंकवादी का नंबर है। इतने मुल्लाओं का नंबर तुम्हारे पर कैसे है। परिचय पत्र दिखाने के बाद भी मुसलमान कहकर प्रताडि़त करते रहे और आईएसआई, आईएसआईएस का एजेंट कहकर गांलियां देते रहे। घंटों प्रताड़ना के बाद मोबाइल वापस किया। मंच के प्रवक्ता ने बताया कि इस पूरी घटना में संघ से जुड़े नीरज शर्मा, रामवीर सिंह, आशुतोष और अनुभव शर्मा समेत दो और लोग शामिल थे।

रिहाई मंच के अध्यक्ष मुहम्मद शुऐब ने गिरि विकास संस्थान लखनऊ के पोजेक्ट रिसर्च एसोसिएट अनिल यादव को बंधक बनाने की घटना को अकादमिक जगत के शोधों पर आरएसएस का हमला बताया। उन्होंने कहा कि रोहित वेमुला, दाभोलकर, पंसारे को मार देने या फिर मैगसेसे पुरस्कार से सम्मानित संदीप पाण्डेय को बीएचयू से और मोदी गो बैक का नारा लगाने वालों को बीबीएयू से निकालने और अब अनिल यादव को बंधक बनाने से सवालों को नहीं दबाया जा सकता। जो लोग कहते हैं कि देश में असहिष्णुता नहीं है उन्हें अनिल यादव से पूछना चाहिए की मुसलमान का नंबर रखने भर से जो उनके साथ किया गया उससे उनपर क्या गुजरी। जो यह सोचने पर विवस करता है कि  मुसलमान होना कितना गुनाह हो गया है।

रिहाई मंच के अध्यक्ष ने कहा कि जिस तरह से देश की राजधानी के करीब गाजियाबाद के डासना में पिछले दिनों पश्चिमी उत्तर प्रदेश में हिंदू स्वाभिमान संगठन के लोग मुसलमानों के खिलाफ भड़काकर पिस्तौल, राइफल, बंदूक जैसे हथियार चलाने का प्रशिक्षण आठ-आठ साल के हिंदू बच्चों को दे रहे हैं उस पर खुफिया-सुरक्षा एजेंसियां और सरकार क्यों चुप है। आखिर इस संगठन के प्रमुख नसिहांनंद मुसलमानों और हिंदुओ की बीच युद्ध में पश्चिम उत्तर प्रदेश को आतंक की एक प्रयोगशाला बना रहे हैं उनके खिलाफ सपा सरकार सिर्फ इसलिए चुप है कि स्वामीजी उर्फ दीपक त्यागी कभी सपा के यूथ विंग के प्रमुख सदस्य रह चुके हैं। उन्होंने कहा की ठीक इसी प्रकार मुजफ्फरनगर साप्रदायिक हिंसा के दोषी संगीत सोम सपा से चुनाव तक लड़ चुके हैं। मुलायम सिंह को जो यह अफसोस हो रहा है कि उन्होंने बाबरी मस्जिद के सवाल पर गोली चलवा दी उन्हें और उन जैसे नेताओं को इस बात पर भी अफसोस होना चाहिए कि उन जैसे लोगों की छद्म धर्म निरपेक्षता के चलते हिंदुत्वादी संगठन कैसे छोटे-छोटे बच्चों को आतंकवादी बना रहे हैं और वह चुप हैं। जिस तरह से आतंकी हिंदू स्वाभिमान संगठन के महासचिव राज्य स्तरीय पहलवान अनिल यादव कहते हैं कि पहलवानों को योजनाबद्ध तरीके से कट्रपंथ की शिक्षा के जरिए तैयार कर सड़कों पर खुला छोड़ दिया जाए तो बड़ा हंगामा कर सकते हैं। ऐसे में यह हिंदू समाज के लिए भी सोचने का वक्त है कि एक अनिल यादव जो अपने धर्मनिरपेक्ष मूल्यों की वजह से प्रताडि़त होता है उसके साथ उसे खड़ा होना है या फिर वो जो इनके बच्चों को हिंदू स्वाभिमान के नाम पर आतंकी बना रहे हैं उनके साथ।


मुहम्मद शुऐब ने कहा कि अकादमी जगत के लोगों पर हो रहे हमले यह साफ करते है कि संघ तार्किक विचारों से कितना डरता है। उन्होंने कहा कि यह हमला देश के लोकतांत्रिक ढांचे को तहस-नहस करने का है इसे कत्तई बर्दास्त नहीं किया जाएगा।

वहीं, मुजफ्फरनगर संघ कार्यालय ने ऐसी किसी भी घटना से साफ इंकार किया है। 

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