Sandeep Pandey लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
Sandeep Pandey लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं

शनिवार, 30 अप्रैल 2016

अवैध खनन और शराबबंदी जैसे जनमुद्दों के साथ विधानसभा चुनाव में उतरेगी सोशलिस्ट पार्टी (इण्डिया)


वनांचल एक्सप्रेस नेटवर्क

वाराणसी। अवैध खनन पर रोक, शराबबंदी, पेप्सी और कोकाकोला प्लांटों की बंदी, सरकारी विद्यालयों में जनप्रतिनिधियों और नौकरशाहों के बच्चों की अनिवार्य रूप से कराने जैसे जनमुद्दों के साथ सोशलिस्ट पार्टी (इण्डिया) विधानसभा चुनाव-2017 में उतरेगी। साथ ही वह विधानसभा चुनाव में आधे से ज्यादा सीटों पर महिलाओं को उम्मीदवार बनाएगी। सोशलिस्ट पार्टी (इण्डिया) के उपाध्यक्ष संदीप पांडे ने पत्रकारवार्ता के दौरान ये बाते कहीं। 

मैदागीन स्थित पड़ारकर भवन के सभागार में आयोजित प्रेस वार्ता में उन्होंने कहा कि सोशलिस्ट पार्टी (इण्डिया) आगामी उत्तर प्रदेश विधान सभा चुनाव शराबबंदी के मुद्दे पर लड़ेगी। यदि उसकी सरकार बनती है तो पूरे प्रदेश में तत्काल प्रभाव से शराब पर रोक लगाई जाएगी। शराबबंदी के खिलाफ तमाम तर्क होते हुए भी चूंकि यह मुद्दा महिलाओं की प्राथमिकता है इसलिए पार्टी ने उसे लिया है। सोशलिस्ट पार्टी (इण्डिया) की ओर से चुनाव में आधी से ज्यादा उम्मीदवार महिलाएं होंगी और सरकार बना पाने की स्थिति में मुख्य मंत्री महिला होगी और आधे से ज्यादा विभागों की जिम्मेदारी भी महिलाओं के पास होगी।

इसके अलावा सोशलिस्ट पार्टी (इण्डिया) इलाहाबाद उच्च न्यायालय के 18 अगस्त, 2015 के आदेश कि सभी सरकारी वेतन पाने वालों व जन प्रतिनिधियों के बच्चों का सरकारी विद्यालयों में पढ़ना अनिवार्य किया जाए को भी लागू करेगी। उ.प्र. सरकार को इस आदेश को छह माह में लागू करना था किंतु उसने अभी तक कोई कार्यवाही नहीं की है। मुख्य मंत्री शिक्षा मित्रों से तो पूछते हैं कि उनके बच्चे में सरकारी विद्यालयों में पढ़ते हैं अथवा नहीं किंतु आई.ए.एस. अफसरों से नहीं पूछते। सभी को सरकारी नौकरी चाहिए, सरकारी घर चाहिए, सरकारी गाड़ी चाहिए व अन्य सरकारी सुविधाएं चाहिएं लेकिन सरकारी विद्यालय और सरकारी अस्पताल नहीं चाहिए। ऐसा क्यों है?

वाराणसी में खासतौर पर वर्तमान में गहराते पानी के संकट को देखते हुए राजा तालाब क्षेत्र में स्थित कोका कोला संयंत्र को बंद कराया जाएगा। जून 2014 में उ.प्र. प्रदूषण नियंत्रण बार्ड के आदेश से यह संयंत्र बंद हो गया था किंतु मोदी सरकार के आन ेके बाद पर्यावरण संबंधी मानकों में शिथिलता बरतने के परिणामस्वरूप प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने अपना आदेश वापस ले लिया। केन्द्रीय भूगर्भ जल संरक्षण आयोग ने अब अराजी लाइन विकास खण्ड जहां यह संयंत्र स्थित है को अति दोहित श्रेणी में घोषित कर दिया है। अतः यह आवश्यक हो गया है कि कोका कोला, मेहदीगंज संयंत्र बंद हो। सोशलिस्ट पार्टी (इण्डिया) की यदि सरकार बनती है तो सभी पेप्सी व कोका कोला के संयंत्र बंद कराए जाएंगे। मिर्जापुर जिले के अहरौरा क्षेत्र में जो अवैध पत्थरों का खनन व पहाड़ों में विस्फोट चल रहा है उसे बंद कराने को मुद्दा भी सोशलिस्ट पार्टी (इण्डिया) उठा रही है। पार्टी की ओर से पिछले वर्ष अप्रैल में वाराणसी से राबर्ट्सगंज की चार दिवसीय पदयात्रा की गई थी। जब तक वरुणा व असि नदियों तथा वाराणसी के आधे से ज्यादा तालाबों, जिन पर भू माफियाओं का कब्जा हो गया है, को पुनर्जीवित नहीं किया जाएगा तब तक गंगा की सफाई एक सपना ही रहेगी चाहे इसपर हम जितना भी पैसा क्यों न खर्च कर लें। सोशलिस्ट पार्टी (इण्डिया) इन छोटी नदियों व तालाबों को पुनर्जीवित कराएगी।


वाराणसी में पथ विक्रेताओं के लिए पिछली केन्द्र सरकार द्वारा बनाए गए अधिनियम के तहत अभी तक न तो लाइसेंस मिले हैं और न ही जगह आवंटित हुई है। परिणामस्वरूप जब भी प्रधान मंत्री का आगमन शहर में होता है से पथ विक्रेता हटा दिए जाते हैं। इनकी आजीविका संकट न पड़े इसके लिए सोशलिस्ट पार्टी (इण्डिया) अपूर्ण कार्य को पूरा कराएगी। सोशलिस्ट पार्टी (इण्डिया) की ओेर से सेवापुरी विधान सभा क्षेत्र से उर्मिला पटेल, रोहनिया से धर्मा देवी, शिवपुर से कमर जहां और चुनार से उर्मिला विश्वकर्मा उम्मीदवार होंगी। पत्रकार वार्ता को डा संदीप पाण्डेय ने संबोधित किया, इस अवसर पर चिंतामणि सेठ, विनय सिंह, प्रदीप सिंह, वैभव पाण्डेय, डा आनंद प्रकाश तिवारी, उर्मिला , प्रेम कुमार सोनकर आदि उपस्थित रहे.

रविवार, 10 जनवरी 2016

संदीप पाण्डेय की बर्खास्तगी के खिलाफ निकला विरोध मार्च


अस्सी घाट पर जनसभा का आयोजन भी हुआ

वनांचल न्यूज नेटवर्क

वाराणसी। आईआईटी बीएचयू के विजिटिंग फैकल्टी पद से सामाजिक कार्यकर्ता संदीप पांडेय की बर्खास्तगी के खिलाफ विभिन्न सामाजिक संगठनों ने रविवार को सामुहिक रूप से काशी विश्वविद्यालय के सिंघद्वार से अस्सी घाट तक विरोध मार्च निकाला। यह विरोध मार्च अस्सी घाट पर पहुंचकर जनसभा में तब्दील हो गया। इसमें बीएचयू परिसर के भगवाकरण के सवालों के साथ नई शिक्षा नीति और पूंजीवादी फाँसीवाद के मुद्दों पर चर्चा की गई।

संगठनों की ओर से जारी संयुक्त विज्ञप्ति में कहा गया है कि संदीप पाण्डेय सोनभद्र के अवैध खनन का मसला हो या कनहर बांध परियोजना के विस्थापितों के पुनर्वास माँग हो, राजातालाब में कोकाकोला के खिलाफ आंन्दोलन हो या लंका पर पटरी व्यवसाइयों के नियमितीकरण की बात हो या फिर गंगा किनारे 200 मीटर में रह रहे बाशिंदों के उत्पीड़न के खिलाफ आवाज़ बुलंद करना हो,  सभी मोर्चों पर मजलूमों के साथ खड़े रहे। उन्होंने अपने छात्रों को भी ऐसे विषयों पर सोचने और सवाल उठाने के लिए प्रेरित किया।

संदीप पाण्डेय का कहना है कि बीएचयू के कुलपति ने उन्हें नक्सलवादी और राष्ट्रद्रोही करार देते हुए पद से हटाया है। विरोध मार्च में लोगो ने कहा की एक सम्मानित सामाजिक कार्यकर्त्ता के लिए कुलपति ने यदि ये कहा है तो उन्हें तत्काल क्षमा मांगनी चाहिए। मालवीय जी भी विश्वविद्यालय में सिर्फ किताबी शिक्षा देने के पक्ष में कभी नहीं थे। वे चाहते थे कि विश्वविद्यालय का छात्र राष्ट्रनिर्माण और समाज निर्माण में जुटे। संदीप पाण्डेय भी परिसर के छात्रों के साथ ऐसे ही सामाजिक रचनात्मक विषयों पर कार्यक्रम करते रहे हैं। ऐसा करना नक्सलवादी और राष्ट्रद्रोही कैसे हो सकता है भला ?

विरोध मार्च में संदीप पाण्डेय की तत्काल बहाली की मांग किया गया और ऐसा न होने पर बड़े आंदोलन की चेतावनी दी गयी है। विरोध मार्च में लोगों ने कहा कि संदीप पाण्डेय के बीएचयू में आने से आम गरीब ग्रामीण, मजदुर, पटरी व्यवसायी प्रकृति के लोग आने जाने लगे थे। गरीब मजलूम एक प्रोफेसर के कमरे में आराम से आते जाते थे। यह बात विश्विद्यालय के उन लोगों को अच्छी नहीं लगी जो ये सोचते है की विश्वविद्यालय एक वीआईपी स्थान है और विश्विद्यालय के शिक्षकों को इन गरीब गंदे लोगो के साथ मिलना जुलना नहीं चाहिए। संदीप पाण्डेय गाँधीवादी नेता हैं।  बीएचयू ने उन्हें जो अपमानित करने का काम किया है उसका विरोध बनारस में शुरू हुआ और आज देश भर के टीवी न्यूज़ चैनलों अख़बारों और बुद्धिजीवियों के बीच में हो रहा है और दिन रात बढ़ता ही जा रहा है

विरोध मार्च की अगुवाई गुमटी व्यवसायी कल्याण समिति लंका ने किया। मार्च को समर्थन देने पंहुचे लोगों में प्रमुख रूप से चिंतामणि सेठ, बाबू सोनकर, अस्पताली सोनकर, प्रेम सोनकर, धनञ्जय त्रिपाठी, विकास सिंह, रामजी पाण्डेय, विजय मिश्र, आनदं पाण्डेय, आकाश सिंह, प्रेमनाथ, धर्मा देवी, उर्मिला, महेंद्र, पार्वती, राजेश्वरी देवी, कृष्णा, रतन सोनकर, शीला देवी, संदीप, अजय, लक्ष्मी और मनीष भरद्वाज मौजूद रहे।

संदीप पाण्डेय की बर्खास्तगी के खिलाफ बीएचयू प्रशासन का फूंका पुतला

बीएचचू गेट पर विश्विद्यालय प्रशासन का पुतला फूंकते
 युवक कांग्रेस के कार्यकर्ता और छात्रगण।

बीएचयू कैम्पस के भगवाकरण के खिलाफ आरएसएस विरोधी नारे लगे।

वनांचल न्यूज नेटवर्क

वाराणसी। आईआईटी बीएचयू के विजिटिंग फैकल्टी पद से मैग्सेसे पुरस्कार सम्मानित सामाजिक कार्यकर्ता संदीप पांडेय की बर्खास्तगी के खिलाफ युवक कांग्रेस की स्थानीय इकाई की अगुआई में छात्रों ने शुक्रवार को काशी विश्वविद्यालय के सिंघद्वार पर बीएचयू प्रशासन का पुतला फूंका। साथ ही उन्होंने बीएचयू कैम्पस का भगवाकरण किये जाने के खिलाफ आरएसएस विरोधी नारे लगाए।

युवक कांग्रेस की ओर से जारी विज्ञप्ति में कहा गया है कि पिछले ढाई वर्षों से संदीप पाण्डेय बीएचयू आईआईटी में अतिथि प्रवक्ता रहे। इस बीच परिसर में वह अपने अनूठी कार्यशैली के लिए चर्चा का विषय भी बने रहे। आईआईटी के छात्रों को मनरेगा, आरटीआई और खेती-किसानी, वंचितों के सर्वेक्षण और उनके बच्चों का प्रवेश स्कूलों में करवाने के प्रोजेक्ट आदि बनवाने वाले शिक्षक के रूप में संदीप पाण्डेय छात्रों के बीच दोस्ताना सम्बन्ध रखते हैं।

पुतला दहन कार्यक्रम से पहले छात्रों की एक सभा हुई। इसमें युवक कांग्रेस के कैंट क्षेत्र के अध्यक्ष ओमशंकर ने कहा कि विवि परिसर आरएसएस की एक बड़ी शाखा या फिर कहे की नागपुर कार्यालय बनता जा रहा है। इसमें अब किसी को कोई शक या सुबहा नहीं रहेगा। संदीप जी एक प्रख्यात गाँधीवादी सामाजिक कार्यकर्ता हैं और समाज़वादी वैचारक हैं। हम कांग्रेस के साथियों को तमाम आंदोलनों के समय मशविरे के रूप में आपने संयम और अहिंसा से आंदोलन चलाने की नसीहत दिया है। एक ऐसा व्यक्ति जो एशिया का विख्यात पुरस्कार मैग्सेसे से सम्मानित हो उसे राष्ट्रद्रोही कहना सही अर्थों में असहिष्णुता है। हम कांग्रेसजन युवा छात्र पिछले दिनों से लगातार विधायक अजय राय के लिए संघर्षरत हैं। जिस प्रकार के केस में जैसे विधायक जी पर बिना किसी सुबूत के रासुका लगा के उनका उत्पीड़न और मानहानि हो रही है, ठीक उसी प्रकार से संदीप पाण्डेय जी को भी आरएसएस के कुलपति राष्ट्रद्रोही बताकर अपमानित करना चाह रहे हैं। ये लोग ऐसा करके समाज के लिए संघर्ष कर रहे नेताओं को जनता से अलग करना चाह रहे हैं और फिर अपने कॉर्पोरेट फासिस्ज्म (पूंजीवादी फांसीवाद ) को जबरदस्ती लागू करना चाहते हैं।

'संदीप पाण्डेय जी की वजह से फेरी पटरी लगाने वाले तमाम वंचितों को पुलिस वसूली से निजात मिली है। चाय बेचने वाले प्रधानमंत्री के राज में सड़क पर चाय बेचना दुश्वार है , यदि संदीप सर न होते तो हमारी दुकाने ये बीएचयू और बनारस के पुलिस और अधिकारी मिलकर उजाड़ दिए होते', ये कहना है पटरी व्यवसायी समिति के अध्यक्ष चिंतामणि सेठ का। विश्विद्यालय प्रशासन का पुतला दहन करने के साथ ही युवाओं ने आक्रोश भरे लहज़े में कहा की कुलपति चेत जाएं और पाण्डेय की बहाली तत्काल करें। यह न भूले की इस विश्वविद्यालय की जमीन पर ही आरएसएस के कार्यालय को ज़मींदोज़ करने का गौरवशाली कार्य भी हुआ है। कहीं संदीप पाण्डेय का प्रकरण आरएसएस के अंत की शुरुआत न सिद्ध हो जाए ।

पुतला दहन और सभा में प्रमुख रूप से राघवेन्द्र चौबे,पार्षद गोविन्द शर्मा ,ओम शुक्ला, नागेन्द्र पाठक,,सलाउद्दीन खान,धनंजय त्रिपाठी,विकास सिंह ,रामजी पाण्डेय, विशाल मिश्रा,सिद्धार्थ केशरी जी,आशुतोष उपाध्याय जी,चिंतामणि सेठ,पंकज पाण्डेय ,शान्तनु चौबे ,रोहित चौरसिया ,अभिसेक चौरसिया, चंचल शर्मा, प्रेम सोनकर, चन्दन पटेल, अस्पताली सोनकर, इमाम हुसैन ,बाबू सोनकर आदि मौजूद रहे ।

गांधीवादी संदीप पांडे को देशद्रोही कहना गांधी का अपमानः रिहाई मंच


संदीप पांडेय
"बीएचयू के वीसी संघ के एजेंट। बीएचयू को अंधविश्वासी और मूर्खों की फैक्टरी बनाना चाहते हैं जीसी त्रिपाठी।"

वनांचल न्यूज नेटवर्क

लखनऊ। जन मुद्दों पर बेबाक बयानबाजी और प्रदर्शन के लिए पहचाने जाने वाले रिहाई मंच ने बीएचयू प्रशासन द्वारा मैग्सेसे पुरस्कार सम्मानित सामाजिक कार्यकर्ता और बीएचयू के गेस्ट फैकल्टी संदीप पांडे को बीच सत्र में बर्खास्त किये जाने को प्रगतिशील मूल्यों के प्रति संघ परिवार पोषित असहिष्णुता का ताजा उदाहरण बताया। मंच ने इस पूरे प्रकरण पर बीएचयू प्रशासन पर संघ और भाजपा के स्वयंसेवक के बतौर काम करने का आरोप भी लगाया और इसे मोदी सरकार में अकादमिक पतन की नजीर बताया।

रिहाई मंच की ओर से जारी विज्ञप्ति में मंच के अध्यक्ष मोहम्मद शुऐब ने कहा, "संदीप पांडे जैसे प्रतिष्ठित गांधीवादी और तर्कवादी फैकल्टी को हटा कर बीएचयू प्रशासन ने साफ कर दिया है कि वह किसी भी कीमत पर तार्किक और प्रगतिशील विचारों को पनपने नहीं देगा। उसका मकसद बीएचयू जैसी संस्थान से सिर्फ अंधविश्वासी, लम्पट, साम्प्रदायिक और मूर्ख खाकी निक्करधारी छात्रों की खेप पैदा करना है जो संघ परिवार के देशविरोधी कार्यकलापों में आसानी से लग जाएं।"

राजीव यादव ने कहा कि संदीप पांडे को हटाने का निर्णय राजनीतिक है जिसके तहत उन्हें नक्सली और राष्ट्र विरोधी गतिविधियों में लिप्त बताया गया है। उन्होंने इसे अकादमिक स्वतंत्रता पर हमला बताया। उन्होंने विश्वविद्यालय के कुलाधिपति राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी से मामले में हस्तक्षेप करने और संदीप पांडेय को पुनः बहाल कराने की मांग की । यादव ने कहा कि जब से मोदी सरकार सत्ता में आई है तब से संघ के समाज विरोधी विचारधारा के विरोधियों को शैक्षणिक संस्थानों से हटा कर उनकी जगह संघ और भाजपा कार्यकताओं को बैठाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि इसी रणनीति के तहत इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ मास कॅम्यूनिकेशन (आईआईएमसी) का निदेशक केवी सुरेश को बना दिया गया है जिनकी योग्यता महज इतनी है कि वे विवेकानंद फाउंडेशन के सदस्य हैं। इसके सदस्यों में गुजरात के मुस्लिम विरोधी जनसंहार को आयोजित करने के आरोपी प्रशासनिक अधिकारी से लेकर नृपेंद्र मिश्रा जैसे घोषित सीआईए एजेंट जैसे लोग हैं। मंच के नेता ने कहा कि विवेकानंद फाउंडेशन से जुड़े रहे राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल के बेटे शौर्य डोभाल के निजी संगठन इंडिया फाउंडेशन भी देश की बौद्धिक पूंजी को भोथरा करने का अभियान चला रहा है। उन्होंने कहा कि यह अपने आप में जांच का विषय है। मोदी के अमरीका दौरे के दौरान मेडिसन स्कवायर पर भी शौर्य डोभाल की कम्पनी ही इवेंट मैनेज करती है और वही पिछले दो साल से देश की सुरक्षा पर डीजीपी स्तर के अधिकारियों के सम्मेलन को भी आयोजित करती है। उन्होंने कहा कि संघ और विदेशी कॉरपोरेट पूंजी की बड़ी बड़ी लॉबियां भारतीय मेधा और बौद्धिक शक्ति को अपने अनुरूप ढालने का अभियान चला रही हैं और इसमें रोड़ा लगने वाले लोगों को जबरन हटा रही हैं।

वहीं, इंसाफ अभियान के प्रदेश महासचिव और इलाहाबाद विश्वविद्यालय के छात्र नेता दिनेश चौधरी ने कहा, बीएचयू जैसे विश्वविद्यालय का यह दुर्भाग्य है कि उसे जीसी त्रिपाठी जैसा कुलपति मिला है जो इलाहाबाद विश्वविद्यालय के इकोनॉमिक्स विभाग के औसत से भी कम दर्जे के शिक्षक रहे हैं। उन्हें उनके छात्र भी गम्भीरता से नहीं लेते थे। उन्होंने कहा कि जीसी त्रिपाठी सिर्फ संघ के पुराने कार्यकर्ता होने की पात्रता के कारण कुलपति बनाए गए हैं।