बुधवार, 7 जुलाई 2021

बनारस में भाजपा सरकार पर फूटा छात्रों और सामाजिक कार्यकर्ताओं का गुस्सा, स्टैन स्वामी की मौत को बताया 'राज्य प्रायोजित हत्या'

प्रतिरोध सभा में वक्ताओं ने की सभी राजनीतिक बंदियों की रिहाई की मांग

वनांचल एक्सप्रेस ब्यूरो

वाराणसी।आदिवासी अधिकारों के लिए संघर्ष करने वाले फादर स्टैन स्वामी की 'राज्य प्रयोजित हत्या' के खिलाफ आज लंका स्थित बीएचयू गेट के सामने एक प्रतिरोध सभा का आयोजन किया गया जिसमें वक्ताओं ने यूएपीए, एनएसए जैसे कानूनों को रद्द करने, सभी राजनैतिक कैदियों को रिहा करने, मजदूर और आदिवासी संगठनों पर लगाए गए प्रतिबंध को वापस लेने की मांग की।

भगत सिंह छात्र मोर्चा, ऐपवा, एसएफसी, पीयूसीएल, पीएस4, अल्पसंख्यक सभा, स्वराज इंडिया, सेक्यूलर फोरम और समाजवादी जन परिषद की ओर से संयुक्त रूप से आयोजित प्रतिरोध सभा में वक्ताओं ने न्यायिक हिरासत में सामाजिक कार्यकर्ता स्टैन स्वामी की मौत को राज्य प्रायोजित हत्या करार दिया। प्रतिरोध सभा को स्वराज इंडिया के नेता और किसान नेता राम जनम यादव, पीएस4 प्रमुख छेदी लाल निराला, समाजवादी जन परिषद के अफलातून देसाई, पीयूसीएल के प्रवाल, समाजवादी चिंतक चौधरी राजेंद्र, फॉर्वर्ड ब्लॉक के संजय भट्टाचार्य आदि ने संबोधित किया। 


बता दें कि झारखंड में आदिवासी अधिकारों के लिए लड़ाई लड़ने वाले 84 वर्षीय सामाजिक कार्यकर्ता स्टैन स्वामी को महाराष्ट्र के चर्चित भीमा कोरेगांव हिंसा प्रकरण में पुलिस ने 8 अक्टूबर 2020 को गिरफ्तार किया था और वह लंबे समय से जेल में बंद थे। पिछले दिनों बेहतर इलाज के इलाज के अभाव में फादर स्टैन स्वामी की मौत हो गई थी।


उन पर माओवादियों के साथ मिलकर प्रधानमंत्री की हत्या की साज़िश का आरोप लगाया गया। इससे पहले इसी मामले में सुधा भारद्वाज, सुरेंद्र गडलिंग, वरवरा राव, सुधीर धवले, आनंद तेलतुंबड़े जैसे 16 लोगों गिरफ्तार किया गया। ये सभी लोग देश के जाने माने पत्रकार, वकील, कवि, लेखक व सामाजिक-राजनैतिक कार्यकर्ता हैं। 

वक्ताओं ने कहा कि उक्त लोगों पर लगे सभी आरोप फ़र्ज़ी हैं और इनको फंसाया जा गया है क्योंकि ये लोग सरकार की जन विरोधी नीतियों का विरोध करते रहे हैं।  आर्सेनल की रिपोर्ट ने यह सिद्ध किया है कि इन लोगों के लैपटॉप में वायरस डाला गया है और छेड़छाड़ किया गया है। इसमे सभी बंदी किसी न किसी बीमारी से पीड़ित हैं। इससे पहले वरवरा राव की भी तबियत काफी खराब हो चुकी थी। देश विदेश से हुए विरोध व दबाव की वजह से उन्हें मेडिकल आधार पर 6 महीने की बेल मिली।

प्रदर्शन में शामिल सभी लोगों ने इस तरह की फ़र्ज़ी तरीके से कार्यकर्ताओं को फंसाने, जेल में बंद करने व उन्हें इतना प्रताडित करने की उनकी मृत्यु तक हो जाय, पुरजोर विरोध किया। ये मांग की कि इस मृत्यु के ज़िम्मेदार को कड़ी सजा दी जाए। साथ ही साथ अन्य सभी भीमाकोरे गांव मामले में फ़र्ज़ी तरीके से गिरफ्तार लोगों को बिना शर्त रिहा किया जाए।

   इस प्रदर्शन में प्रमुख रूप से वंदना, आकांक्षा आजाद, चेखुर लाल प्रजापति, सेवानिवृत्त प्रोफेसर महेश विक्रम सिंह, युद्धेश बेमिशाल, रत्नेश कुमार, भुवाल यादव, शुभम आहाके, नितेश यादव, रौशन, पवन, अमन, योगेश, उमेश, अभिषेक, जुबेर, आरिफ इत्यादि लोग शामिल रहें।

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