शुक्रवार, 19 फ़रवरी 2021

सत्ता ने उत्तर प्रदेश की कानून व्यवस्था को मठ बना दिया है और वंचित वर्गों की बेटियों को उसकी देवदासी- रविंद्र प्रकाश भारतीय

उन्नाव की घटना के विरोध में काशी हिन्दू विश्वविद्यालयों के छात्र समूह बीएचयू बहुजन ने मधुबन पार्क में किया प्रदर्शन। 

वनांचल एक्सप्रेस ब्यूरो

वाराणसी। उत्तर प्रदेश की सत्ता में काबिज राजनीतिक पार्टियों के नुमाइंदों ने सूबे की बेटियों को प्रताड़ना, वंचना, उत्पीड़न एवं शोषण का पर्याय बना दिया है जो बेहद घृणित और दुःखद है। ऐसा लगता है कि सत्ता ने उत्तर प्रदेश की कानून व्यवस्था को मठ बना दिया है और वंचित वर्गों की बेटियों को उसकी देवदासी। पूरे उत्तर प्रदेश में हत्या और बलात्कार की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं। अपराधियों में कोई खौफ नहीं है। वे जब चाहते हैं, तब महिलाओं और बेटियों का रेप कर देते हैं और उन्हें मौत के घाट उतार देते हैं। उत्तर प्रदेश की भाजपा सरकार सूबे में फिर से मंदिरों की देवदासी प्रथा लागू करने पर उतारू है जिसे किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। 

ये बातें बीएचयू बहुजन इकाई के सदस्य और काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के शोधार्थी रविंद्र प्रकाश भारतीय ने शुक्रवार को बीएचयू परिसर स्थित मधुबन पार्क में कहीं। वे उन्नाव की घटना के विरोध में शामिल प्रदर्शनकारियों को संबोधित कर रहे थे। प्रदर्शन के दौरान बीएचयू बहुजन इकाई के महामंत्री सूर्यमणि गौतम ने कहा कि जिंदा अवाम और संवेदनशील हृदय के पास आक्रोश जाहिर करने के सिवाय क्या बचता है? हर बार घटना, हर बार प्रतिरोध। मजबूर हैं सत्ता के सम्मुख अनंतिम संघर्ष के लिए। 

सामाजिक कार्यकर्ता और पीएस4 प्रमुख छेदी लाल निराला ने कहा कि मौजूदा योगी सरकार जातिवादी और सामंती नजरिए से शोषण और गैर-बराबरी की व्यवस्था को बनाए रखना चाहती है। इससे प्रदेश के अराजक तत्वों को सह मिल गया है। उनके साथ सत्ता है, उनके खिलाफ कोई कानूनी कार्यवाही नहीं होगी। इस वजह से प्रदेश में बलात्कार और उत्पीड़न की घटनाएं बदस्तूर जारी हैं। हमें मिलकर एक बार फिर अन्याय के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद करनी पड़ेगी। 

छात्र नेता सुमित यादव ने कहा कि देश और प्रदेश में गरीब और वंचित समाज की बेटियों और महिलाओं के यौन शोषण की वारदातें निरंतर हो रही हैं लेकिन जब से भाजपा सरकार सत्ता में आई है. यह और बढ़ गया है। निर्माण और खनन में लगे गरीब और वंचित वर्गों की किशोरियों का शोषण आम बात हो गई है। यहां तक कि विश्वविद्यालय परिसर में भी ठेकेदार निर्माण कार्य में लगी किशोरियों का बड़े पैमाने पर दैहिक यौन शोषण कर रहे हैं। हमें एक दो घटना को लेकर केवल विरोध नहीं करना होगा, बल्कि हमें इस पूरी व्यवस्था के खिलाफ विरोध करना होगा। तभी ऐसी वारदातों पर लगाम लग सकेगा। 

बता दें कि उन्नाव जिले के असोहा थाना क्षेत्र के बबुरहा गांव में बुधवार को सरसों के खेत में तीन किशोरियां काजल (16), कोमल (12) और रोशनी (14) की बेसुध पड़ी मिली थीं। इनमें से दो की मौत हो चुकी है जबकि रोशनी का इलाज कानपुर के एक अस्पताल में चल रहा है। तीनों दलित समुदाय से थीं। प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक तीनों के गले उन्हीं के दुपट्टे से कसे हुए थे और उनके दोनों हाथ पीछे बंधे थे। 

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