मंगलवार, 22 जून 2021

EXCLUSIVE डॉली मौर्या प्रकरणः पुलिस ने बोला झूठ!, 'साज़िश, रेप और हत्या' के मिल रहे 'सुबूत', रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के करीबी पर लगा आरोप

मृतक डॉली मौर्या
सृकृत रिपोर्टिंग पुलिस चौकी के सिपाही ने मधुपुर स्थित प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में मृतक किशोरी को कराया था भर्ती। जिला संयुक्त चिकित्सालय में किशोरी की मौत के बाद पोस्टमार्टम नहीं होने में भी पुलिस की भूमिका संदिग्ध। चंदौली के सांसद और केंद्रीय मंत्री डॉ. महेंद्र नाथ पांडेय और उप-मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्या का करीबी है आरोपी शिवेंद्र प्रताप सिंह। चकिया विकासखंड का ब्लॉक प्रमुख है आरोपी। 

reported by SHIV DAS 

"लॉक-डाउन की वजह से मैं दुकान बंद कर रहा था। तभी एक किशोरी साइकिल खड़ी कर बगल की दुकान के चबुतरे पर आकर बैठ गई। वह दुकान बंद थी। रात का समय था और लड़की थी तो मैंने जाकर पूछा, 'बेटी तुम कहां जाओगी? उसने गुस्से में जवाब दिया, 'मैं कहीं भी जाऊं, आपसे मतलब? फिर मैंने उससे उसका घर और पता पूछा लेकिन उसने कोई जवाब नहीं दिया। मैं पूछ ही रहा था कि वहां और लोग इकट्ठा हो गए। अचानक वह उल्टी करने लगी। सभी लोग घबरा गए।" 

यह कहना है काली प्रसाद चौरसिया का। वह सोनभद्र में मधुपुर स्थित चौरसिया पान भंडार के संचालक हैं। उनकी दुकान से सटे चौरसिया रेडिमेट स्टोर के चबुतरे पर गत 12 जून की शाम करीब 8 बजे बेसुध हालत में डॉली मौर्या नाम की किशोरी मिली थी जो उल्टी कर रही थी। वह चंदौली जिले के बबुरी थाना क्षेत्र के अकोढ़वा गांव निवासी कमलेश मौर्या की बेटी थी और संदिग्ध परिस्थितियों में साइकिल से वहां पहुंची थी।

मधुपुर स्थित चौरसिया रेडिमेट स्टोर के चबुतरे पर उल्टी करती मिली थी डॉली मौर्या

काली प्रसाद चौरसिया ने वनांचल एक्सप्रेस को बताया कि वह कुछ देर बाद बेसुध होकर लेट गई। धीरे-धीरे करीब सैकड़ों लोग इकट्ठा हो गए। कुछ ही देर में मोटरसाइकिल से पुलिसवाले आए। वहां मौजूद लोग उसे पास के नया प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र ले गए। कुछ देर बाद पता चला कि डॉक्टर ने उसे जिला अस्पताल रेफर कर दिया है। 

मधुपुर में उल्टी करते डॉली मौर्या

चौरसिया रेडिमेट स्टोर के मालिक रमेश कुमार चौरसिया ने भी वनांचल एक्सप्रेस को कुछ ऐसा ही बताया। उन्होंने कहा कि वह उस दिन दुकान बंदकर घर जा चुके थे और खाना बना रहे थे। तभी फोन आया कि उऩकी दुकान के सामने एक लड़की बेसुध पड़ी है और उल्टी कर रही है। लोगों को आशा थी कि शायद वह उऩकी ग्राहक हो और वह उसे पहचान पाएं। उन्होंने बताया कि जब वह वहां पहुंचे तो सैकड़ों लोगों की भीड़ थी। उन्होंने उसे देखा लेकिन वह उसे पहचान नहीं पाए।

सोनभद्र के मधुपुर स्थित इसी चबुतरे पर उल्टी करती मिली थी डॉली मौर्या

वनांचल एक्सप्रेस के पास मौजूद दस्तावेजों के अऩुसार, सुकृत रिपोर्टिंग पुलिस चौकी से धनन्जय कुमार राय किशोरी को मधुपुर स्थित नया प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र ले गए थे। उस समय शाम के 8 बजकर 53 मिनट हो रहे थे। वहां डॉ. एपी सिंह ने डॉली मौर्या का प्राथमिक उपचार किया था। 

नया प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, मधुपुर, सोनभद्र

मधुपुर स्थित नया प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के ब्राह्यरोगी प्रपत्र संख्या-115 पर किशोरी के उपचार का विवरण दर्ज है। इसके अनुसार डॉली मौर्या के शरीर में जहर के रूप में सल्फास था। प्रपत्र पर गौर करने वाली बात है कि चिकित्सक ने जो तिथि लिखी है, उसके अनुसार उन्होंने 12 मई को डॉली मौर्या का उपचार किया है जबकि घटना 12 जून की है। हालांकि भर्ती और रेफर करने का समय एक ही है। दोनों के बीच एक मिनट का भी अंतर नहीं है।

डॉ. एपी सिंह से इस मामले पर बात की गई तो उन्होंने बताया कि गत 12 जून को उनके पास डॉली मौर्या का उपचार हुआ था। उसके मुख से सल्फास की बू आ रही थी। उन्होंने उसका प्राथमिक उपचार किया था। वह ठीक लग रही थी। उसने अपना नाम और पता भी बताया था और अपने पिता का मोबाइल नंबर भी दिया था। इसके बाद उसके घर पुलिस ने फोन किया था। फिर आगे के इलाज के लिए उसे जिला संयुक्त चिकित्सालय रेफर कर दिया गया था।

चंदौली में डॉली मौर्या का घर

मधुपुर स्थित नया प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के ब्राह्यरोगी प्रपत्र पर दर्ज विवरण पर गौर करें तो मौके पर पुलिस मौजूद थी। इसके बावजूद सुकृत रिपोर्टिंग पुलिस चौकी प्रभारी राजेश कुमार सिंह घटना के दो दिनों बाद तक इलाके में ऐसी किसी भी प्रकार की घटना होने से इंकार कर रहे थे। वनांचल एक्सप्रेस के पास इसका सुबूत मौजूद है। 

सोनभद्र में CMS ने डिस्चार्ज पेपर पर जारी किया किशोरी का डेथ सर्टिफिकेट, दुष्कर्म के बाद हत्या की आशंका

वनांचल एक्सप्रेस ने सिपाही धनन्जय कुमार राय की नियुक्ति के बारे में भी तफ्तीश की तो पता चला कि वह उत्तर प्रदेश पुलिस की आपातकालीन व्यवस्था के तहत पीआरबी (112) में तैनात हैं और उस दिन मौके पर मौजूद थे। अभी तक इस बात की पुष्टि नहीं हो पाई है कि वह वहां कैसे पहुंचे? वहां मौजूद लोगों से बातचीत में पता चला कि 112 नंबर पर फोन करने से पहले ही वह वहां आ गए थे। फिलहाल यह जांच के बाद ही स्पष्ट हो पाएगा। अब सवाल उठता है कि आखिरकार सिपाही धनन्जय कुमार राय ने स्थानीय पुलिस चौकी या रॉबर्ट्सगंज कोतवाली को इस मामले से अवगत क्यों नहीं कराया जबकि मामला सल्फास खाने का था? अगर उन्होंने सुकृत रिपोर्टिंग पुलिस चौकी को अवगत कराया तो चौकी प्रभारी राजेश कुमार सिंह मामले की जानकारी होने की बात से क्यों इंकार कर रहे थे? 

लोगों की मानें तो घटना के चार-पांच दिनों बाद किशोरी के साइकिल को नया प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र से जीप में लादकर ले गए थे। फिलहाल सोनभद्र की उपराध शाखा ने स्थानीय लोगों के साथ उनका भी बयान दर्ज किया है। वनांचल एक्सप्रेस को एक स्थानीय पत्रकार ने बताया कि सिपाही धनन्जय कुमार राय ने ही एम्बुलेंस को फोन किया था और डॉली मौर्या को उससे जिला संयुक्त चिकित्सालय भेजा था। 

वनांचल एक्सप्रेस को मधुपुर में हुई घटना का एक फेसबुक लाइव वीडियो भी मिला है जिसमें साफ सुनाई पड़ रहा है कि नया प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में डॉली मौर्या को ले जाने के बाद स्थानीय लोगों को उसके पास से हटा दिया गया था। वहां चिकित्सक, स्वास्थ्य कर्मचारी और पुलिसकर्मी के साथ उनके कुछ परिचित लोग ही थे। 

वनांचल एक्सप्रेस के पास मौजूद दस्तावेजों के मुताबिक, मधुपुर स्थित नया प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र से रेफर डॉली मौर्या एम्बुलेंस से जिला संयुक्त चिकित्सालय पहुंची थी और उसे एम्बुलेंस पर तैनात कर्मचारी सुनील ने 12 जून की रात 10 बजकर 20 मिनट पर भर्ती कराया था। डॉली मौर्या का अंतःरोगी पंजीकरण संख्या-4741 है जिस पर उसके पिता का नाम कमलेश मौर्या लिखा है जबकि मधुपुर के नया प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र से जारी पंजीकरण पर्ची पर उसके पिता का नाम अंकित नहीं है। इससे एक बात यह भी तय हो रही है कि जिला संयुक्त चिकित्सालय में भर्ती कराते समय डॉली मौर्या के पिता का नाम जानने वाला व्यक्ति वहां मौजूद था। उस समय उसके माता-पिता का वहां होना असंभव है क्योंकि जिला संयुक्त चिकत्सालय से उनके घर की दूरी करीब 90 किलोमीटर है। अगर उन्हें सूचना नौ बजे के आस-पास भी मिली होगी तो 10 बजकर 20 मिनट पर लोढ़ी जिला संयुक्त चिकित्सालय पहुंच पाना संभव नहीं है।  

बीएचटी (बेड हेड टिकट) पर दर्ज विवरण के मुताबिक, जिला संयुक्त चिकित्सालय में आपातकालीन ड्यूटी पर तैनात चिकित्साधिकारी डॉ. डीके सिंह ने भर्ती के बाद किशोरी का परीक्षण किया था और 20 मिनट बाद 10 बजकर 40 मिनट पर उसे मृत घोषित कर दिया था। चौंकाने वाली बात है कि ज़हर (सल्फास) दिए जाने की आशंका के बाद भी उन्होंने स्थानीय कोतवाली पुलिस को सूचित नहीं किया। इतना ही नहीं, उन्होंने किशोरी के शव का पोस्टमार्टम भी नहीं कराया और रेफर/डिस्चार्ज स्लिप पर ही पेन से लिखकर मृत्यु प्रमाण-पत्र जारी कर दिया। बीएचटी पर किशोरी के शव को कौन ले गया है, इसकी जानकारी भी नहीं है।

चिकित्साधिकारी डॉ. डीके सिंह
इस बाबत जब वनांचल एक्सप्रेस ने डॉ. डीके सिंह से बाद की तो उन्होंने गलती स्वीकार करते हुए कहा कि उसके माता-पिता रो रहे थे और कह रहे थे कि वे किसी पुलिस कार्रवाई में नहीं पड़ना चाहते हैं। इसलिए, उन्होंने उन्हें शव ले जाने दिया। हालांकि जब उनसे कैमरे के सामने यह बयान देने के लिए कहा गया तो उन्होंने ड्यूटी का हवाला देकर इससे इंकार कर दिया। उऩ्होंने संदिग्ध मृत्यु प्रमाण-पत्र पर मुख्य चिकित्सा अधीक्षक की जगह स्वयं द्वारा हस्ताक्षर करने की बात कही।  

गौर करने वाली बात है कि डॉ. डीके सिंह एक सरकारी मुलाजिम हैं और चिकित्साधिकारी के जिम्मेदार पद पर लंबे समय से आसीन हैं। इसके बावजूद उन्होंने जहर खाने या खिलाने जैसी संदिग्ध परिस्थियों में बिना पोस्टमार्टम और पुलिस की जानकारी के शव अनजान व्यक्तियों को सौंप दिया जो पूरी तरह से संदेहात्मक है। 

आपातकालीन चिकित्सा कक्ष में मरीजों को देखते डॉ. डीके सिंह जहां सीसीटीवी कैमरा लगा है।

इस संबंध में वनांचल एक्सप्रेस ने जिला संयुक्त चिकित्सालय के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ. क्रांति कुमार से बात की। उन्होंने पहले डॉ. डीके सिंह से बात करने की बात कही लेकिन जब संवाददाता ने उनसे कहा कि यह पूरी तरह से प्रशासनिक मामला है तो फिर वे कैमरे के सामने सवालों का जवाब देने के लिए तैयार हो गए। 

जिला संयुक्त चिकित्सालय के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ. क्रांति कुमार

मामले से जुड़े सवालों का जवाब देते हुए उन्होंने डॉ. डीके सिंह के हवाले से कहा, "डॉली मौर्या गंभीर स्थिति में जिला संयुक्त चिकित्सालय आई थी और एक्सपायर कर गई थी...डेस्चार्ज स्लिप ही वह प्रोफार्मा होता है जिस पर ये लोग प्रैक्टिकली डेथ सर्टिफिकेट लिखकर देते हैं। उसका पोस्टमार्टम नहीं हुआ, ये होना चाहिए था लेकिन जैसा डॉक्टर साहब ने बताया है कि उसका पिता गरीब था और उसने बड़ा ही रिक्वेस्ट किया। उसके रिक्वेस्ट के आधार पर ही उन्होंने संभवतः शव को ले जाने के लिए सहमति दी होगी। जबकि उन्होंने उसको सलाह दिया कि उसका पोस्टमार्टम कराया जाए लेकिन वह रिक्वेस्ट करके लेकर चला गया।" अब सवाल उठता है कि क्या अनजान व्यक्तियों की रिक्वेस्ट भारतीय संविधान के तहत बने कानूनों और उसके अधीन जारी नियमावली से उपर है? वह भी ऐसे मामले में जिसमें हत्या जैसे संगीन अपराध का संदेह हो। 

स्थानीय पुलिस थाने को सूचना नहीं देने के सवाल पर डॉ. क्रांति कुमार ने कहा, "अब रिकॉर्ड में देखना पड़ेगा कि सूचना दिया गया है कि नहीं लेकिन पोस्टमार्टम नहीं हुआ है जैसा उन्होंने बताया।" ज़हर दिए जाने के संदेह के मामले में स्थानीय थाना पुलिस को सूचना देना आवश्यक होता है, के सवाल पर उन्होंने कहा, "हां, बिल्कुल होता है। अगर कोई भी अननेचुरल डेथ है, चाहे वह प्वाइजनिंग हो या अन्य, उसमें पोस्टमार्टम कराना अनिवार्य है।" इस संदर्भ में घटना के दो दिनों बाद जब रॉबर्ट्सगंज कोतवाली के प्रभारी निरीक्षक से मीडियाकर्मियों ने बात की तो उन्होंने ऐसी किसी भी प्रकार की घटना होने की जानकारी से साफ इंकार कर दिया था। 

वनांचल एक्सप्रेस ने अपनी तफ्तीश में पाया कि जिला संयुक्त चिकित्सालय प्रशासन ने बिना नाम और पता अंकित किए ही डॉली मौर्या के शव को अनजान व्यक्तियों को दे दिया है। जिला चिकित्सालय प्रशासन ने शव किसको दिया? इस मामले की जानकारी करने के लिए संवाददाता ने जिला संयुक्त चिकित्सालय में लगे सीसीटीवी कैमरे की फुटेज देखनी चाही तो मुख्य चिकित्सा अधीक्षक ने पिछले चार दिनों का ही सीसीटीवी फुटेज उपलब्ध होने की बात कही। साथ ही उन्होंने कहा कि इससे पुरानी वीडियो डिलिट कर दी जाती है। फिलहाल उन्होंने सीसीटीवी फुटेज नहीं दिखाया। इससे यह साफ है कि डॉली मौर्या से जुड़े सुबूतों को बहुत ही बारीकी से मिटाया जा रहा है। हालांकि संवाददाता के वहां पहुंचने से पहले सोनभद्र पुलिस संबंधित व्यक्तियों के बयान ले चुकी थी। 

वहीं, वनांचल एक्सप्रेस को एक वीडियो मिला है जिसमें डॉली मौर्या के शव को नहलाने वालों में शामिल उसकी चाची रेखा मौर्या कह रही हैं, "साढ़े नौ बजे फोन आयल कि लड़की सुकृत थाने पर हे। हमहन प्रशासन बोलत हई जा...चकिया लेके आवत हई जा। ओकर माता-पिता दोनों लोगन इयां से गइलन जा। इधर क कोई नाहीं रहल। फिर अढ़ाई बजे लाश दरवाजे पर आईल। तब उनकर लड़की बोलौउलल कि चला चाची मम्मी बोलउनी हं त गइली जा। तोप डाक के रोवत रहलिन जा। सब लोग रोवल लगल ओइजैं। सब लोग बइठली जा ओहिजैं।"

वह आगे कहती हैं, "सुबह भयल त कहलन जा कि नहवा दा। त एके हमहन नहवउली जा। छह लोग रहली जा...रेखा, विद्या, लीलावती, कंचन, माधुरी, अनीता। नहवाए के समय कोई पानी दे त कोई नहवावे। लइकी के बाल में, डॉली के बाल में भूंसा रहल, सीना पर भूंसा क हल्का-हल्का कुनाई रहल...देह में रहल, बल्ड आवत रहल...लाइट्रीन हो गयल रहल। ओकरे बाद नहवाय के हमहन ओके मारकीन में लपेट देहली जा। ओकरे बाद गांव क लोग ले गइलें।" 

चकिया ब्लॉक प्रमुख और आरोपी शिवेंद्र प्रताप सिंह

वहीं डॉली मौर्या के दादा रघुनंदन मौर्या ने शनिवार को वाराणसी मंडल के पुलिस महानिरीक्षक को लिखित शिकायत कर कहा है कि उनकी पोती के साथ बलात्कार किया गया है और उन्होंने उसका शव चकिया विकास खंड के प्रमुख और भाजपा नेता शिवेंद्र सिंह की गाड़ी में देखा। 

उन्होंने लिखा है कि आरोपी शिवेंद्र सिंह ने उनको शव लेने के लिए पूछा तो उऩ्होंने और उसके बेटों ने उसे लेने से इंकार कर दिया। उन्होंने पत्र में आशंका जताई है कि उनकी पोती के साथ जघन्यतम अपराध किया गया है जिसमें गांव के अजय पाठक ने चकिया ब्लॉक प्रमुख शिवेंद्र प्रताप सिंह के साथ मिलकर अपने घर में अंजाम दिया है। उन्होंने इस मामले में डॉली के पिता कमलेश मौर्य, मां इँद्रावती और उसकी बड़ी बहन लाली पर मिलीभगत का आरोप लगाया है। उन्होंने मामले की उच्च स्तरीय जांच कराने और परिवार को सुरक्षा देने की मांग भी अपने पत्र में किया है।

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के साथ आरोपी शिवेंद्र प्रताप सिंह (बाएं जैकेट में)

बता दें कि चकिया ब्लॉक प्रमुख और भाजपा नेता शिवेंद्र प्रताप सिंह केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, चंदौली के सांसद और केंद्रीय कौशल विकास एवं उद्यमशीलता मंत्री डॉ. महेंद्र नाथ पांडेय और उत्तर प्रदेश सरकार के उप-मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्या के करीबी है।  

केंद्रीय मंत्री और चंदौली के सांसद महेंद्र नाथ पांडेय

ग्रामीणों से मिली जानकारी के मुताबिक, बबुरी थाना क्षेत्र के अकोढ़वा गांव निवासी अजय पाठक के घर पर डॉली मौर्या खाना बनाने का काम करती थी और चकिया विकास खंड प्रमुख शिवेंद्र प्रताप सिंह अजय पाठक के घर बैठकी करते थे। शिवेंद्र प्रताप सिंह अकोढ़वा से सटे गांव ककोरिया गांव के निवासी हैं और उनके घर की दूरी अजय पाठक के घर से करीब 600 मीटर ही है।

इतना ही नहीं, उन्होंने डॉली मौर्या की संदिग्ध मौत के प्रकरण को सामने लाने वाले साप्ताहिक 'अचूक संघर्ष' के सह-संपादक राजीव कुमार मौर्य के फेसबुक पोस्ट पर जाकर उन्हें धमका भी चुके हैं। 

वनांचल एक्सप्रेस को मिले एक ऑडियो रिकॉर्ड में डॉली मौर्या की बड़ी बहन लाली काफी डरी हुई लग रही है। इसमें वह अपने भाई की सुरक्षा को लेकर काफी चिंतित प्रतीत होती है। इस ऑडियो रिकॉर्ड को सुनने से साफ पता चल रहा है कि डॉली के माता-पिता और उसकी बहन किसी से बहुत डरी हुई हैं और वे किसी के डर से ऐसी बातें छिपा रही हैं जो सच्चाई को सामने ला सकती है।

आरोपी अजय पाठक का घर जहां घटना को अंजाम देने का आरोप लगाया जा रहा है।

बता दें कि चंदौली जिले में बबुरी थाना क्षेत्र के अकोढ़वा गांव से संदिग्ध परिस्थितियों में एक किशोरी गत 12 जून की सुबह गायब हो गई थी। उसी शाम करीब 8 बजे मधुपुर स्थित नया प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के पास बेसुध स्थिति में उल्टी करते हुए मिली थी। बाद में उसे पास के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में दिखाया गया। चिकित्सकों ने जिला संयुक्त चिकित्सालय रेफर कर दिया जहां उसकी मौत हो गई थी। इस मामले में अधिक जानकारी के लिए नीचे के शीर्षक पर क्लिक कर सकते हैं- 

सोनभद्र में CMS ने डिस्चार्ज पेपर पर जारी किया किशोरी का डेथ सर्टिफिकेट, दुष्कर्म के बाद हत्या की आशंका

 चंदौली निवासी किशोरी की सोनभद्र में संदिग्ध मौत का मामला गरमाया, पूर्व IPS अधिकारी अमिताभ ठाकुर ने की उच्च स्तरीय जांच की मांग

(चंदौली से राजीव कुमार मौर्य के इनपुट के साथ)

4 टिप्‍पणियां:

  1. बिल्कुल सही आपने समाचार छापा है।सारे प्रकरण में आरोपियों को पुलिस एवं प्रशासन बचा रहा है।हम सब इस घटनाक्रम कि सही जांच चाहते हैं कि कोई आरोपी बच न सके।

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  2. इस पूरे मामले की निष्पक्ष जांच हो जिससे अपराधी सलाखों के पीछे जाएं और कानून का राज स्थापित हो

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  3. प्रदेश अपराधियों का गढ बन चुका है। सरकार अपराध रोकने में पूरी तरह विफल है। घटना की न्यायिक जांच करा कर पीडित को न्याय मिलना चाहिए।

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  4. बहुत-बहुत धन्यबाद,मुझे इस सरकार मे न्याय मिलता नजर नहीं आ रहा है न्याय पाने के लिये माननीय बाबू सिंह कुशवाहा की सरकार लानी होगी।

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