शुक्रवार, 29 मई 2020

प्रतापगढ़ कांडः कुर्मी नेताओं की गोलबंदी के आगे झुकी योगी सरकार, सात दिनों बाद दबंग ब्राह्मणों पर FIR

आसपुर देवसरा थाने के परसद गांव निवासी रमा शंकर वर्मा की तहरीर पर पुलिस ने घटना के सात दिनों पर मुख्य आरोपी अनिल तिवारी समेत कुल 62 लोगों पर कुल आठ धाराओं में दर्ज की एफआईआर। गोविंदपुर गांव निवासी नन्हें वर्मा की पत्नी सीता देवी की तहरीर पर अभी दर्ज नहीं हुई एफआईआर।

सरदार सेना के अध्यक्ष रमा शंकर सिंह पटेल, अपना दल (एस) के नेता और एमएलसी आशीष पटेल, मिर्जापुर की सांसद अनुप्रिया पटेल, राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग के सदस्य कौशलेंद्र पटेल, अपना दल की कार्यवाहक राष्ट्रीय अध्यक्ष पल्लवी पटेल, पूर्व विधायक राम सिंह पटेल, विश्वनाथगंज विधायक आरके वर्मा, गुजरात में कांग्रेस नेता हार्दिक पटेल, पूर्व सांसद बाल कुमार पटेल, पूर्व विधायक वीर सिंह पटेल, पूर्व विधायक राम सिंह पटेल, कांग्रेस के प्रदेश उपाध्यक्ष वीरेंद्र चौधरी, प्रदेश प्रवक्ता डॉ अनूप पटेल, सामाजिक कार्यकर्ता इंजीनियर आदर्श पटेल ने कुर्मी समुदाय के पीड़ित किसानों के पक्ष में की राजनीतिक गोलबंदी।
 
वनांचल एक्सप्रेस ब्यूरो

प्रतापगढ़। पट्टी इलाके के गोविंदपुर और परसद गांव में गत 22 मई को कुर्मी समुदाय के किसानों पर हुए हमलों के मामले में पुलिस की एक पक्षीय कार्रवाई से नाराज कुर्मी नेताओं की राजनीतिक गोलबंदी के आगे आखिरकार योगी सरकार बृहस्पतिवार को झुक गई। आसपुर देवसरा थाने की पुलिस ने घटना के सात दिनों बाद परसद गांव निवासी रमा शंकर वर्मा की तहरीर पर पट्टी कोतवाली क्षेत्र के धुई गांव निवासी अनिल तिवारी समेत कुल 62 लोगों के खिलाफ कुल आठ धाराओं में एफआईआर दर्ज किया। इनमें 12 लोगों के नाम शामिल हैं। हालांकि इसमें अभी कोई गिरफ्तारी नहीं हो पाई है। वहीं, गोविंदपुर निवासी नन्हें वर्मा की पत्नी सीता देवी की तहरीर पर पुलिस ने अभी कोई एफआईआर दर्ज नहीं किया है। ़

परसद गांव निवासी कुर्मी समुदाय के किसान रमा शंकर वर्मा ने प्रतापगढ़ के पुलिस अधीक्षक को दिए तहरीर में आरोप लगाया है कि गत 21 मई को आसपुर देवसरा थाना क्षेत्र के गोविंदपुर गांव निवासी नन्हें वर्मा के परिवार और पट्टी थाना क्षेत्र के धुई गांव निवासी राम आसरे तिवारी उर्फ मोलई के बीच खेत में जानवर के चले जाने की वजह से कहा-सुनी हुई थी। बाद में समझौता होकर मामला शांत हो गया था। 


अगले दिन धुई गांव निवासी अनिल तिवारी, ललित तिवारी, अंकित तिवारी, अमन तिवारी, सत्यम तिवारी, अवनीश तिवारी, अभिषेक, लाडले मोलई, लवकुश दुबे, राजेश तिवारी, विवेक तिवारी, पप्पू और अन्य 50 लोगों ने सुनियोजित तरीके से उनकी चाय-पान की दुकान पर हमला बोल दिया। रमा शंकर वर्मा के आरोपों की मानें तो वे अवैध असलहा, लाठी-डंडा, कट्टा, कुल्हाड़ी, सरिया आदि हथियारों से लैस होकर आए थे और जातिसूचक गालियां दे रहे थे। उन्होंने आरोप लगाया है कि अनिल तिवारी उन्हें जान से मारने की नीयत से बंदूक से फायर भी किया लेकिन बैठ जाने की वजह से उन्हें गोली नहीं लगी। तहरीर में उन्होंने लिखा है कि जब राजबलि, शिव कुमार, गुड्डू, और शारदा उनको बचाने के लिए आईं तो वे उन्हें भी गिराकर कुल्हाड़ी से मारने लगे। उनका लड़का शिव कुमार मौके पर ही बेहोश हो गया। इसके बाद वे गोविंदपुर गांव की ओर निकल गए। 


फिलहाल पुलिस ने रमाशंकर की तहरीर पर उक्त आरोपियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा-395, 397, 325, 427, 188, 269, 270 और आपदा प्रबंधन अधिनियम-2005 के तहत प्रथम सूचना रपट (एफआईआर) दर्ज कर लिया है और मामले की तफ्तीश में जुट गई है। खबर लिखे जाने तक किसी भी आरोपी की गिरफ्तारी नहीं हुई थी।  


वहीं, गोविंदपुर गांव निवासी नन्हें वर्मा की पत्नी सीता देवी की तहरीर पर अभी तक पुलिस ने कोई एफआईआर दर्ज नहीं की है। उनके पक्ष के 11 लोगों को पुलिस ने गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है। 



बता दें कि प्रतापगढ़ के गोविंदपुर और परसद गांव किसानों पर दबंग ब्राह्मणों के हमले और पुलिस द्वारा उनके खिलाफ की गई एक पक्षीय कार्रवाई से नाराज कुर्मी समुदाय के नेताओं सरदार सेना के अध्यक्ष रमा शंकर सिंह पटेल, अपना दल (एस) के नेता और एमएलसी आशीष पटेल, मिर्जापुर की सांसद अनुप्रिया पटेल, राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग के सदस्य कौशलेंद्र पटेल, अपना दल की कार्यवाहक राष्ट्रीय अध्यक्ष पल्लवी पटेल, पूर्व विधायक राम सिंह पटेल, विश्वनाथगंज विधायक आरके वर्मा, गुजरात में कांग्रेस नेता हार्दिक पटेल, पूर्व सांसद बाल कुमार पटेल, पूर्व विधायक वीर सिंह पटेल, पूर्व विधायक राम सिंह पटेल, कांग्रेस के प्रदेश उपाध्यक्ष वीरेंद्र चौधरी, प्रदेश प्रवक्ता डॉ अनूप पटेल, सामाजिक कार्यकर्ता इंजीनियर आदर्श पटेल, आदि ने सूबे की योगी सरकार की पुलिस को कटघरे में खड़ा कर दिया। 

इनके अलावा कुर्मी समुदाय के पीड़ित परिवार को कांग्रेस के प्रदेश महासचिव मनोज यादव, ब्लाक प्रमुख के पति सभापति यादव, सपा जिलाध्यक्ष छविनाथ यादव, कोरी महासभा के प्रदेश अध्यक्ष पूर्व विधायक गयादीन अनुरागी, बीजेपी के बागी विधायक राकेश राठौर, ओबीसी महासभा के प्रदेश अध्यक्ष हृदय लाल मौर्या, सामाजिक चेतना फाउंडेशन के महेंद्र यादव, आदि का भी साथ मिला। इन नेताओं की राजनीतिक गोलबंदी की वजह से आखिरकर योगी सरकार को झुकना पड़ा और सात दिनों बाद परसद गांव की घटना में एफआईआर दर्ज हो पाई। 







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