रविवार, 26 जुलाई 2020

केंद्रीय विश्वविद्यालयों में OBC असिस्टेंट प्रोफेसरों के 42 फीसदी पद खाली, SC के 28 और ST के 33 फीसदी पदों पर भी नहीं हुई नियुक्ति

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) नीत भाजपा की राजनीतिक धुरी का चेहरा बने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 'दिव्यांगों' की 51 फीसदी सीटों पर भी नहीं हुई नियुक्ति।


वनांचल एक्सप्रेस ब्यूरो


देश के 40 केंद्रीय विश्वविद्यालयों के असिस्टेंट प्रोफेसर पदों में OBC के लिए आरक्षित 42 फीसदी पद अभी भी खाली हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 'दिव्यांग' वर्ग में भी 51 फीसदी पदों पर असिस्टेंट प्रोफेसर की नियुक्ति नहीं हो पाई है। अनूसूचित जाति (SC) के 28 फीसदी और अनूसूचित जनजाति (ST) के 33 फीसदी पदों पर भी असिस्टेंट प्रोफेसर की नियुक्ति होनी बाकी है। ये सूचना विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) ने मुहैया कराई है।
 
यूजीसी ने सूचना का अधिकार अधिनियम-2005 के तहत दिल्ली विश्वविद्यालय के जाकिर हुसैन कॉलेज में असिस्टेंट प्रोफेसर लक्ष्मण यादव को यह जानकारी दी। उन्होंने गत 12 मार्च को सूचना का अधिकार अधिनियम-2005 के तहत आवेदन कर यूजीसी से देश के केंद्रीय विश्वविद्यालयों में प्रोफेसरों के पदों से संबंधित सूचना मांगी थी। यूजीसी ने गत 8 जुलाई को उन्हें 1 जनवरी 2020 तक की सूचना भेजी।

डॉ. लक्ष्मण यादव ने यूजीसी की ओर से भेजे दस्तावेजों में मौजूद आंकड़ों के आधार पर 40 केंद्रीय विश्वविद्यालयों में एसोसिएट प्रोफेसर के पदों की स्थिति का एक चार्ट तैयार किया है। चार्ट के आंकड़ों पर गौर करें तो देश के 40 केंद्रीय विश्वविद्यालयों में ओबीसी असिस्टेंट प्रोफेसरों के कुल 2178 पद हैं जिनमें से केवल 1267 पदों पर ही पिछड़ों की नियुक्ति हुई है। शेष 911 पद अभी भी खाली हैं जो ओबीसी के कुल पदों का 41.82 प्रतिशत है।


असिस्टेंट प्रोफेसरों वर्ग में एसटी के पदों की कुल संख्या 696 है। इनमें से 463 पद ही अभी तक भरे गए हैं। शेष 233 पदों पर अभी भी असिस्टेंट प्रोफेसरों की भर्ती होनी बाकी है। यह उनके लिए आरक्षित कुल पदों का 33.47 फीसदी है।

अगर इस वर्ग में एससी वर्ग के लिए आरक्षित पदों की बात करें तो 40 केंद्रीय विश्वविद्यालयों में कुल 1352 पद इनके लिए आरक्षित हैं। इनमें से 975 पदों पर अब तक नियुक्ति हुई है। शेष 377 पद अभी भी खाली हैं जो इनके लिए आरक्षित कुल पदों का 27.92 प्रतिशत है।

दिव्यांग असिस्टेंट प्रोफेसरों के लिए कुल 308 पद आरक्षित किए गए हैं जिनमें 151 फीसदी पदों पर लोग कार्यरत हैं। शेष 157 पद अभी भी खाली हैं जो इनके लिए आरक्षित कुल पदों का 50.97 फीसदी है। 

गौरतलब है कि ओबीसी आरक्षण को लागू हुए 29 साल हो चले हैं लेकिन केंद्र की सत्ता में काबिज भाजपा और कांग्रेस की अगुआई वाली सरकारों ने आज तक पिछड़ों के लिए आरक्षित पदों पर नियुक्ति में कोई रुचि नहीं ली। वे इनमें से अधिकतर पदों पर सवर्णों की नियुक्ति दिखाकर पिछड़ों के हक पर डाका डाल रही हैं। वहीं सवर्णों के 10 फीसदी कोटे (EWS)को लागू हुए एक साल भी नहीं हुए लेकिन उनके लिए आरक्षित सभी पदों पर तेजी से नियुक्ति किए जा रही हैं। कई विश्वविद्यालयों में पिछड़े अभ्यर्थियों को योग्य उम्मीदवार नहीं बताकर उसे खाली छोड़ा जा रहा है। बाद में उन्हीं पदों पर संविदा के आधार पर सवर्ण उम्मीदवारों को फायदा पहुंचाया जा रहा है।

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