गुरुवार, 2 जुलाई 2020

OBC के आवेदन शुल्क पर NCBC ने DU के VC को जारी किया नोटिस, सात दिनों में मांगा जवाब

दिल्ली विश्वविद्यालय के आवेदन शुल्क में आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) कोटा के सवर्णों को एससी, एसटी और दिव्यांग छात्रों के तहत मिली छूट का मामला। बिहार के मुजफ्फरपुर निवासी अमित कुमार दिवाकर की शिकायत पर राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग ने लिया संज्ञान। 

वनांचल एक्सप्रेस ब्यूरो

दिल्ली विश्वविद्यालय के आवेदन शुल्क में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के छात्रों को किसी प्रकार की रियायत नहीं दिए जाने और उनके लिए नवीनतम जाति प्रमाण-पत्र जमा करने की शर्त के मामले में राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग ने दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति को नोटिस जारी किया है। आयोग ने विश्वविद्यालय को ईडब्ल्यूएस कोटा के छात्रों के समान ओबीसी के छात्रों के लिए भी समान आवेदन शुल्क पुनः निर्धारित करने की संस्तुति की है। साथ ही उसने ओबीसी के छात्रों के लिए मार्च, 2020 के बाद का जाति प्रमाण-पत्र जमा करने की शर्त के संबंध में सात दिनों के अंदर जवाब मांगा है। आयोग ने बिहार के मुजफ्फरपुर निवासी अमित कुमार दिवाकर की शिकायत पर यह नोटिस जारी किया है। 

राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग (NCBC) के संयुक्त निदेशक (प्रशासन) डॉ. मधुमाला चटोपाध्याय ने दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति को भेजे नोटिस में ओबीसी वर्ग के लिए निर्धारित आवेदन शुल्क और 31 मार्च 2020 के बाद के जाति प्रमाण-पत्र को अपलोड करने की शर्त को पर जवाब मांगा है। उन्होंने इसे ओबीसी के साथ भेदभाव बताया है। उन्होंने ईडब्ल्यूएस और ओबीसी की आय सीमा समान होने की वजह से विश्वविद्यालय को ओबीसी के छात्रों के लिए आवेदन शुल्क ईडब्ल्यूएस वर्ग के छात्रों के समान पुनःनिर्धारित करने की संस्तुति विश्वविद्यालय प्रशासन से की है। 



साथ ही उन्होंने ओबीसी छात्रों के लिए 21 मार्च 2020 के बाद का जाति प्रमाण-पत्र अपलोड करने की शर्त पर विश्वविद्यालय प्रशासन से पूछा कि क्या अन्य आरक्षित वर्ग के छात्रों के लिए भी यह शर्त रखा गई है? उन्होंने विश्वविद्यालय के कुलपति से पत्र मिलने के सात दिनों बाद इस पर निष्पक्ष जांच रिपोर्ट मांगी है। साथ ही उन्होंने कुलपति को इस मामले में आवश्यक कदम उठाने का निर्देश दिया है। आयोग ने बिहार के मुजफ्फरपुर निवासी अमित कुमार दिवाकर की शिकायत पर यह नोटिस जारी किया है।


मीनापुर थाना क्षेत्र के पीपरहां गांव निवासी अमित कुमार दिवाकर ने  गत 23 जून को पत्र लिखकर आयोग से इस मामले की शिकायत की थी। वनांचल एक्सप्रेस ने गत 21 जून को दिल्ली विश्वविद्यालय के आवेदन शुल्क में ओबीसी को छूट नहीं मिलने की खबर "DU ने EWS कोटे के सवर्णों को दिया SC-ST की छूट, OBC भरेगा पूरा शुल्क" शीर्षक से सबसे पहले प्रकाशित की थी। इसके बाद से ही यह मामला गरमाने लगा था। 

दिल्ली विधानसभा के पूर्व विधायक पंकज पुष्कर ने खबर प्रकाशन के बाद दिल्ली विश्वविद्यालय प्रशासन से मिलकर आवेदन शुल्क में छूट नहीं मिलने पर आपत्ति दर्ज कराई थी। उन्होंने ईडब्ल्यूएस कोटा के सवर्णों को मिलने आवेदन शुल्क पर भी हैरानी जताई थी। उन्होंने ओबीसी के लिए ईडब्ल्यूएस कोटा के समान आवेदन शुल्क में ओबीसी को भी छूट देने की मांग की थी।

बिरसा-अंबेडकर-फुले स्टूडेंट एसोसिएशन (BAPSA) ने गत 26 जून को दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति को पत्र लिखकर विश्वविद्यालय प्रशासन पर ओबीसी के छात्रों के साथ भेदभाव का आरोप लगाया था। उसने कुलपति से ओबीसी के लिए निर्धारित वर्तमान आवेदन शुल्क को 750 रुपये से घटाकर 300 रुपये करने की मांग की थी।
 

वहीं, ऑल इंडिया फेडरेशन ऑफ अदर बैकवर्ड क्लासेस इंप्लाइज वेलफेयर एसोशिएशन्स (एआईओबीसी) के महासचिव जी. करुणानिधि ने राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष डॉ. भगवान लाल साहनी को पत्र लिखकर दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति पर ओबीसी छात्रों के साथ भेदभाव का आरोप लगाया है। उन्होंने ओबीसी और ईडब्ल्यूएस कोटा के छात्रों के लिए निर्धारित आवेदन शुल्क के साथ उनकी आय और जाति प्रमाण-पत्र को मांगे जाने पर भी सवाल उठाया है। उन्होंने आयोग से इंदिरा साहनी वनाम भारत सरकार मामले में उच्चतम न्यायालय के आदेश का हवाला देते हुए दिल्ली विश्वविद्यालय में ओबीसी के लिए निर्धारित आवेदन शुल्क में एसी/एसटी/ईडब्ल्यूएस छात्रों की तरह छूट दिलाने के लिए निर्देश जारी करने की गुहार लगाई है। साथ ही उन्होंने लिखा है कि आयोग दिल्ली विश्वविद्यालय को निर्देश जारी करे कि वह कोविड-19 महामारी के चलते ओबीसी छात्रों को अस्थाई रूप से उनके पास मौजूद प्रमाण-पत्रों के आधार पर प्रवेश प्रदान करे।


दिल्ली विश्वविद्यालय ने शिक्षा सत्र-2020-21 में प्रवेश के लिए इंफॉर्मेशन बुलेटिन जारी की है। इसमें उल्लिखित आवेदन शुल्कों की बात करें तो विश्वविद्यालय में स्नातक स्तर पर संचालित पाठ्यक्रमों में अनारक्षित और अन्य पिछड़ा वर्ग के छात्रों के लिए 250 रुपये (मेरिट आधारित पाठ्यक्रम) और 750 रुपये (प्रवेश परीक्षा आधारित पाठ्यक्रम) निर्धारित किया गया है। वहीं, एससी, एसटी, दिव्यांग और ईडब्ल्यूएस कोटे के छात्रों के लिए 100 रुपये (मेरिट आधारित पाठ्यक्रम) और 300 रुपये (प्रवेश परीक्षा आधारित पाठ्यक्रम) निर्धारित किया गया है। 


गौर करने वाली बात है कि सरकार द्वारा गठित विभिन्न आयोगों की रपटों में साफ हो चुका है कि अन्य पिछड़ा वर्ग के तहत आने वाले समूहों की सामाजिक, शैक्षिक और आर्थिक पिछड़ापन सामान्य या अनारक्षित वर्गों में शामिल समूहों से बहुत अधिक है। इतना ही नहीं, केंद्र सरकार ने अन्य पिछड़ा वर्ग (नान-क्रिमीलेयर) के लिए जो मानक तैयार किया है, वह ईडब्ल्यूएस कोटे के तहत आने वाले सवर्णों की आर्थिक आमदनी के समान ही है। इसके बावजूद अन्य पिछड़ा वर्ग को आवेदन शुल्क में कोई छूट नहीं दी गई है। बता दें कि केंद्र सरकार ने अन्य पिछड़ा वर्ग (नान-क्रिमीलेयर) और ईडब्ल्यूएस कोटे की सलाना आमदनी आठ लाख रुपये से कम निर्धारित किया है।
 

इसी तरह दिल्ली विश्वविद्यालय प्रशासन ने स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमों के आवेदन शुल्क को भी निर्धारित किया है। एससी, एसटी, दिव्यांग और ईडब्ल्यूएस कोटे के छात्रों के लिए आवेदन शुल्क प्रति विषय 300 रुपये निर्धारित किया गया है। वहीं अनारक्षित, ओबीसी और अन्य वर्गों के छात्रों को प्रति विषय 750 रुपये चुकाने होंगे। एम.फिल और पीएच.डी पाठ्यक्रमों के आवेदन शुल्क का हाल भी ऐसा ही है। अनारक्षित और ओबीसी को आवेदन शुल्क के रुप में प्रति विषय 750 रुपये भरने होंगे जबकि अन्य आरक्षित वर्ग के आवेदकों को आवेदन शुल्क के रूप में केवल प्रति विषय 300 रुपये चुकाने होंगे। 


गौरतलब है कि दिल्ली विश्वविद्यालय एक केंद्रीय विश्वविद्यालय है। यह केंद्र सरकार के अधीन आता है। केंद्र में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ नीत भाजपा की सरकार जब से बनी है, तभी से विभिन्न सरकारी संस्थाओं में अन्य पिछड़ा वर्ग के आरक्षण और इसके तहत मिलनी वाली रियायतों को खत्म करने की कोशिश हो रही है। दिल्ली विश्वविद्यालय में अन्य पिछड़ा वर्ग को शुल्क में छूट नहीं मिलने और ईडब्ल्यूएस कोटे के सवर्णों को एससी/एसटी/विकलांग की तहत छूट देने को लोग इसी कड़ी की कवायद में देख रहे हैं। 

अगर दिल्ली विश्वविद्यालय में प्रवेश प्रक्रिया की नीति को निर्धारित करने वाली प्रवेश कमेटी के सदस्यों की बात करें तो इस कमेटी के डीन पद पर क्लस्टर इन्नोवेशन सेंटर की प्रो. शोभा बगई तैनात हैं जो सामान्य वर्ग में आने वाले सिंधी समुदाय से हैं। नवंबर में इस पद पर शिक्षा विभाग के प्रो. पंकज अरोरा की नियुक्ति की गई थी जो सामान्य वर्ग से ही आते हैं। फरवरी के तीसरे सप्ताह में उनकी जगह बगई की तैनाती कर दी गई। कमेटी के दूसरे सदस्य और डिप्टी डीन के रूप में डॉ. हनीत गांधी की नियुक्ति की गई है। यह भी सामान्य वर्ग से आती हैं। सहायक उप-कुलसचिव (प्रवेश) के रूप में डॉ. ओ.पी. शर्मा की नियुक्ति की गई है। यह भी सामान्य वर्ग से हैं। 


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