शनिवार, 8 जुलाई 2017

काजू की बर्फी और कैमरे का टच, यही भाजपा सरकार के स्कूल चलो अभियान का सच

रॉबर्ट्सगंज विकासखंड के बहुअरा (बंगला) स्थित प्राथमिक विद्यालय के बरामदे तक सिमटा भाजपा विधायक अनिल मौर्य का सर्व शिक्षा अभियान। जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी गोरखनाथ पटेल और खंड शिक्षा अधिकारी आलोक कुमार यादव ने भी की खानापूर्ति। स्कूलों में बच्चों के पंजीकरण के लिए ग्रामीणों से नहीं हुई संवाद की पहल।  
by शिव दास प्रजापति
रकारी विद्यालय की छत, सरस्वती प्रतिमा पर मालार्पण, दीप प्रज्वलन, छात्रों का तिलक, काजू की बर्फी, हलवे का भोग, छोटा-सा भाषण और कैमरों का टच। ऐसा ही है भाजपा की योगी सरकार के स्कूल चलो अभियान का सच। जी हां! यह कोई काल्पनिक स्क्रिप्ट नहीं है। यह रॉबर्ट्सगंज विकास खंड के बहुअरा (बंगला) स्थित प्राथमिक विद्यालय की छत के नीचे बेसिक शिक्षा विभाग और सूबे की सत्ताधारी भाजपा द्वारा गत 4 जुलाई को संयुक्त रूप से चलाया गया "स्कूल चलो अभियान" का नजारा है।
न्याय पंचायत पसहींकला की बेसिक शिक्षा प्रभारी बृजबाला के नेतृत्व में आयोजित इस कार्यक्रम में किसी लघु फिल्म की स्क्रिप्ट पर आधारित छात्र-छात्राएं, शिक्षक, जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी, खंड शिक्षा अधिकारी, भाजपा के क्षेत्रीय विधायक और उनके समर्थक, ग्राम प्रधान और मीडिया के कुछ प्रतिनिधि, सभी मौजूद थे। बस वहां नहीं थे तो वे ग्रामीण जिनके बच्चे इन सरकारी विद्यालयों में पढ़ने जाते हैं या फिर अपने बच्चों का दाखिला किसी सरकारी स्कूल में भी नहीं करा पाते। हां, वहां ऐसे कुछ ग्रामीण और विधायक समर्थक जरूर मौजूद थे जो भाजपा विधायक अनिल मौर्य की नज़रों में खुद को उनके शुभचिंतक के रूप में स्थापित करना चाहते हैं। हालांकि उनके बच्चे इन सरकारी स्कूलों में ना ही पढ़ते हैं और ना ही वे यहां दाखिला कराने में कोई रुचि रखते हैं।

अगर जिला बेसिक शिक्षा विभाग की ओर से पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के दृश्यों की बात करें तो चार जुलाई की सुबह करीब साढ़े नौ बजे भाजपा के घोरावल विधायक अनिल मौर्य, जिला बेसिक शिक्षक अधिकारी गोरखनाथ पटेल और सहायक बेसिक शिक्षा अधिकारी आलोक कुमार यादव हल्की फुहारों के बीच बहुअरा (बंगला) स्थित प्राथमिक विद्यालय और पूर्व माध्यमिक विद्यालय के संयुक्त परिसर में लक्जरी गाड़ियों से उतरकर प्रवेश करते हैं। स्काउट ऐंड गाइड के ड्रेस में सजे छात्र बैंड-बाजे के साथ उनका स्वागत करते हैं। विधायक अनिल मौर्य आधा दर्जन भाजपा कार्यकर्ताओं समेत एक दर्जन समर्थकों के साथ प्राथमिक विद्यालय की छत के नीचे पहुंचते हैं। 


विधायक अनिल मौर्य, जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी गोरखनाथ पटेल, सहायक बेसिक शिक्षा अधिकारी आलोक कुमार यादव, ग्राम प्रधान मनोज पटेल और जिला पंचायत सदस्य विनोद मौर्य मंच पर विराजमान होते हैं जबकि प्राथमिक विद्यालय शिक्षक संघ के जिला अध्यक्ष अशोक सिंह और करीब आधा दर्जन विधायक समर्थक उनके सामने किनारे लगी कुर्सियों पर बैठते हैं। ग्रामीणों और शिक्षकों के बैठने के लिए आकाश से गिरती पानी की बूंदों के बीचे लकड़ी का बेंच सजाया जाता है। वे उसका बखूबी उपयोग करते हैं और बूंदा-बांदी का आनंद भी लेते हैं। कार्यक्रम के संचालन का दायित्व राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित शिक्षक रमाकांत कुशवाहा संभालते हैं। संचालक के मुख से निकलते शब्दों पर वहां का नजारा कुछ इस तरह बदलता जाता है।

मंचासीन शख्सियतें पास में रखी सरस्वती की प्रतिमा की ओर बढ़ती हैं, उस पर मालार्पण करती हैं, संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलन होता है। और, इतनी ही फुर्ती से विधायक समर्थकों समेत शिक्षकों के हाथों की अंगुलियों से स्मार्ट मोबाइल कैमरे का टच भी होता है और ये पूरे कार्यक्रम के दौरान चलता रहता है। फिर शुरू होता है भाजपा के तय एजेंडे का कार्यक्रम। विधायक और जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी छात्र-छात्राओं का तिलक करते हैं। इसके बाद शख्सियतें मंच पर विराजमान होती हैं। छात्राएं स्वागत गीत पेश करती हैं। शिक्षकों की ओर से विद्यालय की छत के नीचे बैठे लोगों को काजू की बर्फी, नमकीन और फल पेश किया जाता है तो बारिश की फुहारों के बीच बैठे ग्रामीणों और शिक्षकों समेत छात्र-छात्राओं को एक-एक लड्डू। 

स्वागत गीत के बाद संचालक के अनुरोध पर जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी उपस्थित लोगों को शिक्षा के महत्व का पाठ पढ़ाते हैं तो विधायक भाजपा सरकार का बखान। फिर कुछ को देते हैं ड्रेस एवं किताबें। कुछ छात्रों को यह टच भाता है तो कुछ को नहीं। इसके पीछे उनकी वह हिचकिचाहट होती है जो इस कार्यक्रम से उन्हें हो रही थी। उन्हें इस तरह से पहली बार ड्रेस और किताबें मिल रही थीं। इसके अलावा कुछ मायूसी भी थी क्योंकि उन्हें पूरी किताबें भी नहीं मिल रही थीं। पूर्व माध्यमिक विद्यालय के कोर्स में कुल आठ से नौ किताबें हैं लेकिन उन्हें केवल दो किताबें आओ समझें विज्ञान और मंजरी ही मिल रही थीं।


ड्रेस और किताब वितरण के बाद कार्यक्रम की शख्सियतें पूर्व माध्यमिक विद्यालय परिसर में पौधारोपण करने के लिए कूंच करती हैं। विधायक, जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी, सहायक बेसिक शिक्षा अधिकारी और प्राथमिक शिक्षक संघ के जिलाध्यक्ष सामुहिक रूप से पूर्व से खोदे गड्ढे में रखे पौधे को मजबूती देने के लिए मिट्टी डालते हैं और पानी देते हैं। फिर वहीं स्मार्टफोनी कैमरे का एक टच। यहां विधायक हर पौधे के संरक्षण की जिम्मेदारी चार छात्रों के कंधे पर डालने का निर्देश विद्यालय के शिक्षकों को देते हैं। फिर शख्सियतें छात्रों संग हलवे को भोग लगाती हैं और फिल्म खत्म। करीब एक घंटे के फिल्मी अंदाज में चला भाजपा सरकार का यह स्कूल चलो अभियान शिक्षा से दूर रहने वाले ग्रामीणों और बच्चों पर कितना प्रभाव डाल पाएगा, इसका अंदाजा आप बखूबी लगा लकते हैं।

उत्तर प्रदेश की योगी सरकार भले ही खूब पढ़ो-खूब बढ़ों का नारा दे रही हो लेकिन सूबे के सरकारी स्कूलों में इसका कितना असर है, इसकी हकीकत किसी से छिपी नहीं है। बस छिपी है तो भाजपा के निर्वाचित जनप्रतिनिधियों की मंशा। इसकी बानगी इसी कार्यक्रम के दौरान दिखी। सरकारी स्कूलों में बच्चों की घटती संख्या के लिए जिम्मेदार निजी स्कूलों के फर्जीवाड़े से संबंधित एक सवाल जब विधायक अनिल मौर्य से पूछा गया तो उन्होंने उन विद्यालय के खिलाफ जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी को कार्रवाई करने का निर्देश न देकर उलटा उन विद्यालयों का बचाव करते नजर आए जबकि वे विद्यालय कागज पर संचालित होते हैं और जिला बेसिक शिक्षा विभाग ने उन्हें मान्यता दे रखी है। ऐसे ही दो विद्यालयों ग्रामोदय शिशु विद्या मंदिर प्राथमिक विद्यालय, बहुअरा (बंगला), सोनभद्र और ग्रामोदय शिशु विद्या मंदिर उच्च प्राथमिक विद्यालय, बहुअरा, सोनभद्र हैं। इन विद्यालयों के नाम ना ही भूमि है और ना ही पंजीकृत किरायेदारी का भवन। योग्य शिक्षकों की नियुक्ति की बात करना ही बेमानी है। इसके बावजूद खंड शिक्षा अधिकारी अपनी जांच रिपोर्ट में इन दोनों विद्यालयों को मानकयुक्त और विधि अनुसार संचालित होने का दावा कर रहे हैं।

गांव में मौजूदगी के बावजूद जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी और खंड शिक्षा अधिकारी इन दोनों विद्यालयों की भौतिक स्थिति नहीं बता पाए और ना ही उन्होंने इसकी जांच की। इसके इतर जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी गोरखनाथ पटेल मामले की जांच कराने की बात कहकर निकल लिए। तीन दिन बीत चुके हैं लेकिन इन दोनों फर्जी विद्यालयों के खिलाफ अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है। यहां आपके लिए कुछ सवाल हैं जिसका जवाब आप खुद खोज सकते हैं- सूबे की योगी सरकार के स्कूल चलो अभियान का असली एजेंडा क्या है? क्या वास्तव में भाजपा या उसकी सरकार सरकारी स्कूलों में पढ़ाई की स्थिति को बेहतर बनाना चाहती है? अगर इसे बेहतर करना चाहती है तो मानकविहीन और फर्जी स्कूलों के खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं हो रही है? स्कूल चलो अभियान के तहत क्षेत्रीय विधायक और बेसिक शिक्षा विभाग के अधिकारी दलित और मलीन बस्तियों में क्यों नहीं जा रहे हैं और वहां के बाशिंदों से बच्चों को विद्यालय भेजने का संवाद क्यों नहीं कर रहे? जागरूकता अभियान की जरूरत कहां और किसको है- स्कूल नहीं जाने वाले बच्चों के अभिभावकों को या फिर शिक्षकों और पंजीकृत बच्चों को?


कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

Thank you for comment