रविवार, 6 दिसंबर 2020

जातिगत भेदभाव के आरोपों के साथ BHU में मनी डॉ. अंबेडकर की पुण्यतिथि

भारत रत्न डॉ. भीमराव अंबेडकर के 65वें परिनिर्वाण दिवस पर काशी हिन्दू विश्वविद्यालय (BHU) स्थित के.एन. उडुप्पा सभागार में संगोष्ठी का हुआ आयोजन। वक्ताओं ने बीएचयू प्रशासन पर लगाया जाति आधार पर भेदभाव करने का आरोप। 

वनांचल एक्सप्रेस ब्यूरो

वाराणसी। भारत रत्न बाबा साहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर के 65वें परिनिर्वाण दिवस के मौके पर काशी हिन्दू विश्वविद्यालय (बीएचयू) स्थित के.एन. उडुप्पा सभागार में एससी, एसटी और ओबीसी वर्गों के छात्रों एवं शिक्षकों ने एक कार्यक्रम का आयोजन किया। इस दौरान वक्ताओं ने बीएचयू प्रशासन पर जाति के आधार पर एससी, एसटी, ओबीसी और अल्पसंख्यक वर्ग के लोगों के साथ भेदभाव का आरोप लगाया। साथ ही उन्होंने डॉ. अंबेडकर द्वारा लिखित भारतीय संविधान के उद्देश्यों की पूर्ति के लिए संगठित होकर संघर्ष करने का आह्वान किया। 

कार्यक्रम के वक्ताओं में शामिल विधि संकाय के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. मुकेश कुमार मालवीय ने कहा कि बीएचयू में एससी, एसटी और ओबीसी के लोगों के साथ जाति के आधार पर भेदभाव बड़े पैमाने पर बढ़ा है। देश के अन्य शिक्षण संस्थाओं में भी ऐसा ही है। इसलिए हमें बदलाव के लिए सत्ता में आना होगा। हम यहां के मूल बाशिंदे हैं। हम फारस से नहीं आए हैं। हमें सत्ता में आना होगा और वहां काबिज बाहरी लोगों को फारस भेजना होगा। 


बतौर मुख्य वक्ता प्रोफेसर महेश प्रसाद अहिरवार ने कहा कि विश्वविद्यालय में बहुजन नायक और नायिकाओं के सामाजिक परिवर्तन के कारवां को नई पीढ़ी तक ले जाने के लिए सामाजिक, सांस्कृतिक और अकादमिक कार्यक्रमों की ऐतिहासिक परंपरा है। इसके तहत ही एकदिवसीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया है। देश के मौजूदा हालात पर टिप्पणी करते हुए उन्होंने कहा कि आज के समय में बाबा साहब का नाम लेना फैशन हो गया है। कोई भी उनके दिखाए गए रास्ते पर चलते हुए इस देश मे गरीबों, वंचितों, शोषितों के द्वारा सत्ता के मंदिर संसद के जरिए लोकशाही की स्थापना करने के बारे में नहीं सोच रहा है। पढ़े लिखे वर्ग में आए भटकाव ने बहुजन आंबेडकरवादी आंदोलन के जरिए समाज को संगठित करने के बजाए भटकाना शुरू कर दिया है। बाबा साहब का देखा गया सपना-बहुजनों का एक संगठन, एक नेता, एक झंडा- के सिद्धांत को मान्यवर साहब ने बसपा के जरिए व्यावहारिक जमीन दी थी लेकिन बहुजन समाज की बढ़ती हुई क्षमता को देखते हुए सारे विरोधी चमचों के जरिए समाज को तोड़ने में जुट गए हैं। मनुमीडिया के प्रभाव के कारण समाज यह सब समझ पाने में सक्षम प्रतीत नहीं हो पा रहा है। साजिशों का दौर बदस्तूर जारी है। ऐसे में बहुजन समाज की नई पीढ़ी, जिसे बहुजन आंदोलन के इतिहास, राजनैतिक, सामाजिक. सांस्कृतिक कारवां की जानकारी के साथ-साथ विरोधियों के हथकंडे की भी जानकारी होगी, वहीं युवा पीढ़ी बहुजन समाज को इस संक्रमण काल से निकालते हुए बाबा साहब के सपनों को पूरा कर इस देश पर राज कर पाएगी।

संगोष्ठी में बोलते हुए प्रो. लालचंद प्रसाद

कार्यक्रम की अध्यक्षीय संबोधन में वैज्ञानिक प्रो. लालचंद प्रसाद ने काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के संस्थापक एवं भारत रत्न पं. मदन मोहन मालवीय के महिमामंडन पर भी सवाल उठाया। उन्होंने कहा कि पंडित मदन मोहन मालवीय कैसे संस्थापक थे कि विश्वविद्यालय के शुरुआती दौर में महिलाएं यहां शिक्षा नहीं ले पाईं? उन्होंने विश्वविद्यालय प्रशासन की चाटुकारता करने वाले एससी, एसटी और ओबीसी के शिक्षकों की कार्यशैली पर भी सवाल खड़ा किया। संगोष्ठी को प्रो के.एन. सिंह, प्रो. बालेश्वर यादव, सरविन्द गौतम आदि ने भी संबोधित किया। कार्यक्रम की शुरुआत बाबा साहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित करने औक दीप प्रज्वलन के साथ हुई। कार्यक्रम का संचालन विवेकानंद, रितेश कुमार और संदीप गौतम ने संयुक्त रूप से किया। कार्यक्रम में प्रमुख रूप से डॉ राजेन्द्र प्रसाद, डॉ शाषिकेश गोंड, डॉ. रविन्द्र गौतम, डॉ राज किरण प्रभाकर, डॉ जीपी चौधरी, शोभा चौधरी, डॉ मनोकामना, चौधरी राजेंद्र, राहुल यादव आदि उपस्थित रहे। कार्यक्रम का आयोजन बीएचयू एससी, एसटी, ओबीसी एवं अल्पसंख्यक छात्र समिति ने किया था। समिति के अध्यक्ष राहुल यादव ने धन्यवाद ज्ञापन किया। 

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