मंगलवार, 8 दिसंबर 2020

BHU-VC और छात्रों के बीच फिर ठनी, छात्रों के अनिश्चितकालीन धरने के तीसरे दिन हॉस्टल खाली कराने की कोशिश नाकाम

BHU-VC आवास के सामने धरना देते छात्र
काशी हिन्दू विश्वविद्यालय (बीएचयू) के दर्जनों छात्र कुलपति आवास के सामने पिछले चार दिनों से अनिश्चितकालीन दे रहे धरना। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) के निर्देशानुसार विश्वविद्यालय, पुस्तकालय और हॉस्टल खोलने की कर रहे मांग। छात्रों का आरोप- पुलिस प्रशासन और अराजक तत्वों के बल पर विश्वविद्यालय प्रशासन धरना खत्म कराने की कर रहा कोशिश।    

वनांचल एक्सप्रेस ब्यूरो

वाराणसी। कोरोना वायरस (COVID-19) से उपजे हालात और लॉक-डाउन से प्रभावित शैक्षिक प्रक्रिया से चिंतित काशी हिन्दू विश्वविद्यालय (बीएचयू) के छात्रों और कुलपति के बीच फिर ठन गई है। पुस्तकालयों और छात्रावासों समेत विश्वविद्यालय को खोलने की मांग को लेकर दर्जनों छात्र पिछले चार दिनों से कुलपति आवास के सामने धरना दे रहे हैं लेकिन कुलपति ने उनसे मिलने या वार्ता करने की जहमत तक नहीं उठाई। इसके उलट विश्वविद्यालय प्रशासन ने सोमवार को बिड़ला 'ए' छात्रावास में रह रहे करीब 50 छात्रों से कमरा खाली कराने की नाकाम कोशिश की। विश्वविद्यालय प्रशासन के इस रवैये से नाराज छात्रों ने मार्च निकाला और विश्वविद्यालय प्रशासन के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। छात्रों का साफ कहना था कि अगर विश्वविद्यालय प्रशासन ने छात्रावासों में रह रहे छात्रों को उनके कमरों से बाहर निकालने की कोशिश की तो वे चुप नहीं बैठेंगे। साथ ही उन्होंने विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के दिशा-निर्देशों के तहत पुस्तकालयों और छात्रावासों समेत विश्वविद्यालय को तुरंत खोले जाने की मांग की।

सोमवार को छात्रों के निश्चितकालीन धरने का तीसरा दिन था। वे अपनी मांगों को लेकर डटे थे। वहीं, विश्वविद्यालय के केंद्रीय कार्यालय में विश्वविद्यालय प्रशासन की बैठक चल रही थी। इसी दौरान सूचना मिली कि विश्वविद्यालय प्रशासन दोपहर बाद करीब ढाई बजे बिड़ला 'ए' में जबरन रह रहे छात्रों से उनके कमरे खाली कराएगा। इसे लेकर धरनारत छात्रों में दहशत का माहौल था। कुछ अराजक तत्व आकर माहौल खराब करने की कोशिश कर रहे थे। हालांकि ऐसा नहीं हो पाया। 

कुलपति आवास के सामने पर धरना पर बैठे छात्र

बिड़ला 'ए' छात्रावास के सामने करीब ढाई बजे विश्वविद्यालय प्रशासन के रवैये को भांपकर दर्जनों की संख्या में छात्र धरना पर बैठ गए और नारेबाजी करने लगे। फिर उन्होंने लंका स्थित सिंह द्वार तक मार्च निकाला और जमकर नारेबाजी की। छात्रों के इस पहल से विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा छात्रों से छात्रावास खाली कराने की कोशिश नाकाम हो गई।

बिड़ला 'ए' छात्रावास पर धरना देते हुए छात्र

वहीं, कुलपति आवास के सामने धरना स्थल पर छात्रों ने पढ़ाई-लिखाई की और गीत गाकर आंदोलन में ऊर्जा भरी। धरनारत छात्रों ने बताया कि गत रविवार को चीफ प्रॉक्टर और डीन उनसे मिलने आए थे। उन्होंने छात्रों से धरना खत्म करने की अपील की। उन्होंने बताया, चीफ प्रॉक्टर ने कहा कि आप लोग रोड खाली कर दीजिए और मधुबन में जाकर बैठिए। छात्रों का आरोप है कि विश्वविद्यालय प्रशासन ने उन्हें डराने के लिए पुलिस को बुलाया था।

BHU-VC आवास का मुख्य प्रवेश द्वार

उनका कहना है कि हमारा भविष्य पूरी तरह खतरे में है। आठ महीने से हमारी पढ़ाई लिखाई चौपट हो चुकी है लेक़िन प्रशासन और कुलपति अपनी ज़िद पर अड़े हैं। जब छात्र-छात्राएं ख़ुद जिम्मेदारी लेकर पढ़ाई-लिखाई करना चाहते है, तब क्यों उनको पढ़ने नहीं दिया जा रहा है? आठ महीने से हॉस्टल बंद होने के कारण चूहों ने उनकी किताबों को नष्ट कर दिया है। छात्रों का कहना है कि अब हम अपना भविष्य और ख़राब होने नहीं देंगे। अब या तो यूनिवर्सिटी खुलेगी या हम सब कुलपति आवास के बाहर ही बैठे रहेंगे। धरनारत छात्रों में प्रमुख रूप से भगत सिंह छात्र मोर्चा के बीसीएम सुमित यादव, नीतीश यादव, शुभम अहाके, लोकेश, सुमित पांडे के अलावा बिड़ला 'ए' छात्रावास के संतोष त्रिपाठी, कुंदन सिंह, शुभम यादव, विकास मिश्रा शामिल रहे।


कुलपति आवास के सामने पिछले चार दिनों से अनिश्चितकालीन धरना दे रहे छात्र नीतीश यादव ने कहा कि बताया कि यूजीसी ने विश्वविद्यालय को खोलने का दिशा-निर्देश जारी कर दिया है। इसके बावजूद काशी हिन्दू विश्वविद्यालय अभी नहीं खुला है। हम लोगों का शिक्षण कार्य पिछले आठ महीनों से प्रभावित है। मार्च में हमें परीक्षाएं देनी है। ऑनलाइन क्लासेस इंटरनेट की वजह से समझ में नहीं आ रही है। हमें काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। ऐसे में हम क्या करें? विश्वविद्यालय प्रशासन कोरोना का बहाना बनाकर पुस्तकालय और हॉस्टल भी नहीं खोल रहा है जबकि विश्वविद्यालय में बैठकें हो रही हैं, सेमिनार हो रहे हैं। प्रधानमंत्री भव्य देव-दीपावली मनाते हैं, भीड़ इकट्ठा करते हैं, चुनाव में सभा करते हैं तो कोरोना नहीं होता है और हम पढ़ाई के लिए विश्वविद्यालय, हॉस्टल और पुस्तकालय खोलने की मांग कर रहे हैं तो कोरोना हो जाता है?


विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने गत 5 नवंबर को जारी दिशा-निर्देशों में साफ कर दिया है कि विश्वविद्यालय प्रशासन स्थानीय हालात के आधार पर विश्वविद्यालय खोलने का निर्णय ले सकता है। हालांकि उसे COVID-19 महामारी से संबंधित दिशा-निर्देशों का पालन करना होगा। 


इसी के बाद से ही छात्र पुस्तकालयों और छात्रावासों समेत विश्वविद्यालय को खोलने की मांग कर रहे हैं। इन मांगों को लेकर छात्रों ने पिछले दिनों केंद्रीय कार्यालय के सामने धरना भी दिया था। विश्वविद्यालय प्रशासन के आश्वासन पर उन्होंने अपना धरना स्थगित कर दिया था। 

यूजीसी द्वारा जारी दिशा-निर्देशों के अंश की प्रति

विश्वविद्यालय प्रशासन की कार्यशैली से नाराज छात्रों ने गुरुवार को अपने-अपने छात्रावासों के कमरे के ताले तोल दिए और उसमें जबरन रहने लगे। बाद में विश्वविद्यालय प्रशासन ने छात्रावासों के प्रवेश द्वार पर ताला जड़ दिया। इससे नाराज छात्र वही धरने पर बैठ गए। उनके समर्थन में अन्य छात्रावासों के छात्र भी प्रवेश द्वार के बाहर धरने पर बैठ गए।


चैनल का ताला खुलने के बाद शनिवार की सुबह बिड़ला छात्रावास, राजाराम छात्रावास,आचार्य नरेंद्र देव छात्रावास एवं मुना देवी छात्रावास में रहने वाले दर्जनों छात्र कुलपति आवास के सामने अनिश्चितकालीन धरने पर बैठ गए। आज उनके अनिश्चितकालीन धरने का चौथा दिन है और वे खबर लिखे जाने तक धरने पर बैठे रहे। बता दें कि छात्रों ने रात में भी धरना जारी रखा है और वे ठंड से बचने के लिए अलाव का सहारा ले रहे हैं। वे वही पढ़ाई-लिखाई भी कर रहे हैं। 

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