रविवार, 18 मार्च 2018

‘पगहा-अंगूठी-एंटीना’ से मुक्ति ही सामाजिक न्याय की आवाज को करेगा बुलंद-उदय नारायण चौधरी

सामाजिक समानता संगठन’ के बैनर तले आयोजित ‘सामाजिक न्यायः भूत, वर्तमान और भविष्य’ विषयक गोष्ठी के पहले दिन वक्ताओं ने मंडल आयोग की सिफारिशों और उनके क्रियान्वयन, सामाजिक न्याय आंदोलन में भगत सिंह की भूमिका और मीडिया की वर्तमान भूमिका पर रखे विचार। यूजीसी की नई नियमावली से वंचित समुदाय के प्रतिनिधित्व के खात्मे का भी उठाया सवाल।
वनांचल एक्सप्रेस ब्यूरो
वाराणसी । पगहा, अंगूठी और एंटीना। ये हमारी गुलामी का संदेश देते हैं। सबसे पहले हमें इनसे मुक्ति लेनी होगी।‘पगहा-अंगूठी-एंटीना’ से मुक्ति ही सामाजिक न्याय की आवाज को बुलंद करेगा। पूजा, अंधविश्वास और रूढ़ीवाद के प्रतीक के रूप में हमारे बीच मौजूद पगहा (रक्षा धागा), अंगूठी और एंटीना (चुंडी) से जब तक हम मुक्ति नहीं लेंगे, हमारे साथ सामाजिक अन्याय होता रहेगा। 
 
उक्त बातें बिहार विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष उदय नारायण चौधरी ने नाटी इमली स्थित कान्य कुब्ज वैश्य समाज सभा के सभागार में आयोजित ‘सामाजिक न्यायः भूत, वर्तमान और भविष्य’ विषयक संगोष्ठी में बतौर मुख्य अतिथि कही। उन्होंने आगे कहा कि मनुवादियों द्वारा कहे जाने वाली सत्यनारायण भगवान की कथा झूठनारायण की कहानी है। आप लोगों को झूठे राम-सीता की कहानी और गौ-रक्षा के नाम पर बरगलाया जा रहा है। काशी हिन्दू विश्वविद्यालय यानी बीएचयू इसका स्रोत है। एंटीरोमियो और घर वापसी का विचार रखने वालों को खारिज करना होगा तभी सामाजिक न्याय मिल पाएगा। सामाजिक न्याय के लिए एससी, एसटी और ओबीसी समेत सामाजिक न्याय के पक्षधरों को अपने हर घर में बाबा भीमराव अंबेडकर के नेतृत्व में लिखे गए भारतीय संविधान को रखना होगा। उसे बच्चों को पढ़ाओं और समझाओ। बहुजनों को अपने घरों में डॉ. भीमराव आंबेडकर, बिरसा मुंडा, ज्योतिबा फूले, सावित्री बाई फूले, पेरियार, छत्रपति साहूजी महाराज, ललई सिंह यादव, राम स्वरूप वर्मा जैसे पूर्वजों की तस्वीरें लगानी होगी और उनके बारे में अपने बच्चों को बताना होगा तभी सामाजिक न्याय का आंदोलन अपने मुकाम पर पहुंचेगा और आपको देश की लोकतांत्रिक सत्ता में भागीदारी मिल सकेगी। साथ ही उन्होंने कहा कि जब तक जाति खत्म नहीं होगी तब तक सामाजिक न्याय नहीं मिलेगा।  

पहले दिन प्रो. चौथी राम यादव, दिल्ली विश्वविद्यालय में सहायक आचार्य सूरज मंडल, डॉ. जे.पी.सिंह, एच.एल. दुसाध, सुरेंद्र सिंह, प्रो. आदेश कुमार मौर्य, डॉ. मुन्नी भारती. इंदर सिंह प्रो. चमन लाल, वरिष्ठ पत्रकार उर्मिलेश उर्मिल, मनोज यादव, जयंत जिज्ञासू ने अपने विचार रखे। कार्यक्रम का संचालन अपर्णा और रामजी यादव ने किया। कार्यक्रम के दौरान संयोजक डॉ. ओम शंकर, चित्रसेन गौतम, राजीव यादव, बिजेंद्र मीणा, मिथिलेश बौद्ध, सुमन शेखर सिन्हा, प्रो. साकेत कुशवाहा, अमरनाथ पासवान, एके लारी, समेत तीन सौ से ज्यादा लोक मौजूद रहे।


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