रविवार, 18 मार्च 2018

UGC की नई नियमावली के खिलाफ बहुजनों ने वाराणसी में प्रधानमंत्री कार्यालय पर किया प्रदर्शन

विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों समेत विभिन्न सरकारी और निजी संस्थाओं में आबादी के अनुपात में मांगा आरक्षण, यूजीसी की नई नियमावली को बताया सामाजिक न्याय विरोधी फरमान।
वनांचल न्यूज नेटवर्क
वाराणसी। विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों में शिक्षकों और शिक्षणेत्तर कर्मचारियों की नियुक्ति से जुड़ी विश्वविद्यालय अनुदान आयोग यानी यूजीसी की नई नियमावली के खिलाफ बहुजन छात्रों, शिक्षकों, बुद्धिजीवियों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने शनिवार को रविंद्रपुरी स्थित प्रधानमंत्री जन संपर्क कार्यालय पर जोरदार प्रदर्शन किया और इस नियमावली को जल्द से जल्द निरस्त करने की मांग की। साथ ही प्रदर्शनकारियों ने बहुजनों को उनकी आबादी के अनुपात में प्रतिनिधित्व दिये जाने की मांग की। उन्होंने चेतावनी भी दी कि अगर सरकार ऐसा नहीं करती है तो उसके खिलाफ पूरे देश में आंदोलन किया जाएगा।
एससी, एसटी और ओबीसी  संघर्ष समिति के आह्वान पर सैकड़ों की संख्या मेेंं बहुजनों नेे लंंका स्थित सिंह द्वार से रवीद्रपूरी स्थित प्रधानमंत्री के जनसम्पर्क कार्यालय तक प्रतिरोध मार्च निकाला जिसमे बनारस के विभिन्न विश्वविद्यालयो के शोध छात्र ,विद्यार्थी , शिक्षक व जागरूक समाज के विभिन्न संगठनो से लोग मौजूद रहे ।

इस मार्च के बाद जनसमूह एक सभा के रूप मे तब्दील हो गया जिसे काशी विद्यापीठ के साथी मिथिलेश गौतम व डॉ अनिल कुमार, बीएचयू  के साथी डॉ विकास यादव, कृष्ण कुमार यादव , अनूप भारद्वाज , विजेंद्र मीना अजय कुमार,शशिविन्द,राहुल कुमार भारती ,बाल गोविंद सरोज ,सुनील कुमार ,चंद्रभान, वरुण भास्कर , बच्चे लाल, मनीष भारती ,मदनलाल ,भुवाल यादव,रणधीर सिंह , शिवम सिंह ,रितेश, रजनीश, हरेन्द्र आदि  के द्वारा संबोधित किया गया।

समिति के संयोजक रवीद्र प्रकाश भारतीय ने संबोधित करते हुए कहा कि साथियों हर साल दो करोड़ रोजगार के नए अवसर उपलब्ध कराने के वादे के साथ सत्ता में आई केंद्र सरकार रोजगार पूरा करने में न सिर्फ नाकाम साबित हुई है बल्कि पहले से उपलब्ध रोजगार को तरह-तरह की पेचीदगी में  उलझाया जा रहा है।  SSC, मे घपले हो रहे हैं साथ ही बहुजन समाज के रोजगार के अवसरों पर संवैधानिक निकायों के फरमान के जरिए धावा बोला जा रहा है,  यूजीसी के नए फरमान के मुताबिक विश्वविद्यालय व  कॉलेज में शिक्षकों की भर्ती विभागवार रोस्टर प्रणाली के जरिए होगी इसका मतलब यह है कि कॉलेज या विश्वविद्यालय के किसी भी विभाग विषय में यदि  भर्ती के लिए 4 पद होंगे तब 1 पद ओबीसी को मिलेगा जब 7 पद होंगे तब 1  पर एससी को और 14 पद होने की स्थिति में 1  एसटी को मिल पाएगा, जबकि जमीनी हकीकत यह है कि शायद ही किसी विभाग में दो या तीन से ज्यादा रिक्तियां निकल रही है । जाहिर है कि ऐसे कहने को तो इन 49.5 % आरक्षण लागू रहेगा लेकिन व्यवहार में 49.5 प्रतिशत की जगह  इक्का-दुक्का लोगों को ही मिल पाएगा, कुल मिलाकर खेल खेला जा रहा है कि प्रक्रिया की जटिलता को आम आदमी समझ ना पाए और आरक्षण निष्प्रभावी हो जाए। समिति के रणनीतिकर सुनील यादव ने कहा कि  यह फर्क जरूर रेखांकित किया जाना चाहिए कि पहले की व्यवस्था में 100 पदों में 49.5% पर आरक्षित श्रेणी से भरने की बाध्यता ज्यादा थी लेकिन यूजीसी के फरमान के जरिए सरकार ने संवैधानिक बाध्यता से बचने का चोर  दरवाजा तलाश लिया है । कहां पर जरूरत थी दिन-ब-दिन विकराल होती बेरोजगारी की समस्या को हल करने के लिए लंबे समय से खाली खाली पड़ी रिक्तियां भरी जाती रोजगार के अवसरों की सृजन के लिए सरकार की ओर से पहल की जाती ताकि समाज के सभी तबकों की अर्थव्यवस्था में हिस्सेदारी बढ़ती और देश तरक्की के रास्ते पर आगे बढ़ता लेकिन सरकार ने आर्थिक मोर्चे पर जारी अपनी नाकामी को छुपाने के लिए आरक्षण पर हमला बोलने का राजनीतिक रास्ता चुना है. जाहिर है सरकार की यह चाल कामयाब हुई तो रोजगार और अर्थव्यवस्था के मोर्चे पर सरकार की नाकामियों के बजाय अन्य दूसरे प्रश्न पर चर्चा तेज हो जाएगी सरकार की इस चाल को नाकाम करने के लिए समाज के सभी तबकों के इंसाफ पसंद लोगों से अपील है कि वह यूजीसी के संविधान विरोधी सामाजिक न्याय विरोधी फरमान की वापसी के लिए मुखर होकर सामने आए।  यूजीसी के इस फरमान की वापसी के लिए आज आयोजित यह मार्च बीएचयू के सिंहद्वार से रविंद्रपुरी मे  प्रधानमंत्री के जनसंपर्क कार्यालय तक गया । इसमें वंचित तबकों से जुड़े हुए युवाओं, विद्वतजनों के साथ- साथ संवैधानिक प्रक्रिया भरोसा रखने वाले इंसाफपसंद  लोगों ने यह संकल्प लिया संविधान से छेड़छाड़ करने वाली और वंचित वर्ग गरीबों के हक अधिकारों के छीनने  वाली इस प्रकार का इस सरकार का पुरजोर विरोध किया जाएगा और बार बार इस तरह के अवैधानिक फरमानों को वापस लेने पर मजबूर किया जाएगा।  यह आंदोलन SC ST OBC संघर्ष समिति के द्वारा किया गया।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

Thank you for comment