बुधवार, 12 अक्तूबर 2016

भाजपा सांसद ने जनगणना-2011 के एसटी आंकड़ों को बताया फर्जी

कहा- उत्तर प्रदेश में राज्य सरकार ने साजिश के तहत अनुसूचित जनजाति वर्ग के लोगों की संख्या को कम दर्शाया।
वनांचल न्यूज नेटवर्क
सोनभद्र। रॉबर्ट्सगंज (एससी) लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र से सांसद और भारतीय जनता पार्टी के अनुसूचित जनजाति प्रकोष्ठ के प्रदेश अध्यक्ष छोटे लाल खरवार ने भारत के महा-रजिस्ट्रार और जनगणना आयुक्त कार्यालय द्वारा जारी जनगणना-2011 के अनुसूचित जनजातियों के आंकड़ों को फर्जी बताया है। उन्होंने उत्तर प्रदेश सरकार पर भी आरोप लगाया है कि उसने साजिश के तहत जनगणना-2011 के आंकड़ों में अनुसूचित जनजाति वर्ग के आंकड़े को कम करके दिखाया। साथ ही उन्होंने कहा कि भाजपा की अगुआई वाली केंद्र सरकार संसदीय और विधानसभा निर्वाचन क्षेत्रों में अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति प्रतिनिधित्व का पुनःसमायोजन अध्यादेश-2013 या उससे संबंधित कोई विधेयक संसद में पेश नहीं करेगी।
संसदीय और विधानसभा निर्वाचन क्षेत्रों में अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति प्रतिनिधित्व का पुनःसमायोजन विधेयक-2013 के संबंध में हिन्दी साप्ताहिक समाचार-पत्र वनांचल एक्सप्रेस ने सोमवार को फोन पर सांसद छोटे लाल खरवार से बात की। कांग्रेस की अगुआई वाली संप्रग सरकार में लाए गए इस विधेयक को भाजपा की अगुआई वाली केंद सरकार द्वारा संसद में पेश नहीं किये जाने और उनके द्वारा लोकसभा में इस मुद्दे को नहीं उठाने के सवाल के जवाब में रॉबर्ट्सगंज सांसद ने कहा कि भारत के महा-रजिस्ट्रार और जनगणना आयुक्त द्वारा जारी आंकड़े सही नहीं हैं। उत्तर प्रदेश की सरकार ने साजिश के तहत गलत आंकड़े उनके पास भेजे जिसमें अनुसूचित जनजाति वर्ग के लोगों की संख्या कम दिखाई गई थी। आयुक्त कार्यालय ने इसे ही जारी कर दिया जो सही नहीं हैं। भारतीय जनता पार्टी की अगुआई वाली केंद्र सरकार इन आंकड़ों के आधार पर कांग्रेस सरकार में लाए अध्यादेश को संसद में पेश नहीं करेगी। उत्तर प्रदेश में अनुसूचित जनजाति वर्ग के लोगों की संख्या का जबतक जनगणना नहीं होती है तब तक सरकार इस पर कोई कदम नहीं उठाएगी। केंद्र की भाजपा सरकार इस संबंध में नया विधेयक लेकर आएगी।

जब सांसद छोटे लाल खरवार से यह पूछा गया कि क्या आपने ये मुद्दा लोकसभा में उठाया है तो उन्होंने कहा, मैंने संबंधित विभागों को कई पत्र लिखे हैं और जल्द ही लोकसभा में भी इसे उठाएंगे। जब उनसे पत्र की प्रतियां उपलब्ध कराने का अनुरोध किया गया तो उन्होंने प्रतियों के मौजूद नहीं होने की बात कहकर इसे उपलब्ध कराने से इंकार कर दिया। 

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